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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नैतिक व्यवहार को प्रोत्साहन देने में 'नैतिक अंतरात्मा (moral conscience)' की भूमिका की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    15 Dec, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • नैतिक अंत:प्रज्ञा का संक्षेप में वर्णन करते हुए अपना उत्तर शुरू कीजिये।
    • नैतिक अंत:प्रज्ञा पर नैतिक अंतरात्मा के महत्त्व पर चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय

    • नैतिक अंत:प्रज्ञा एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रम है, जिसमें व्यक्ति किसी सामाजिक घटना, व्यक्ति अथवा विचारों के प्रति स्वीकृति या अस्वीकृति की तात्कालिक अनुभूति करता है। इस प्रक्रिया में तर्क का प्रयोग शामिल नहीं होता, किंतु इसमें सामान्यत: भावनाओं, विचारों एवं अभिवृत्तियों को शामिल किया जाता है। हम सभी जब ऐसे परिदृश्य में होते हैं जब हमें अपनी पूर्व धारणाओं के आधार पर अपनी राय देनी होती है तो हम अपनी अंत:प्रज्ञा का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिये, कोई व्यक्ति हिंसा के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति होने के बाद भी अपनी अंतरात्मा की आवाज के आधार पर किसी तीर्थस्थल पर पशुबलि देता है।
    • नैतिक अंत:प्रज्ञा व्यक्तिपरक होती है जो व्यक्ति की नैतिक प्रवृत्ति पर आधारित होती है। उपर्युक्त उदाहरण में उस व्यक्ति के लिये हिंसा नैतिक रूप से घृणास्पद थी, किंतु उसकी अंतरात्मा के लिये हिंसा धार्मिक अनुष्ठान मात्र था।

    मुख्य भाग

    नैतिक व्यवहार को बढ़ावा देने में नैतिक अंत:प्रज्ञा का महत्त्व:

    निर्णय लेने में मदद करता है:

    • अंत: प्रज्ञा हमें सही फैसले लेने में मदद करती है। जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं गलतियों से बहुत कुछ सीखते हैं। हमारी अंत:प्रज्ञा वह विचार और भावना है जिसे हम अनुभव करते हैं, जो हमें बताता है कि क्या सही है और क्या गलत है, इस प्रकार हमारे नैतिक निर्णय विवेक द्वारा लगातार निर्देशित होते हैं।
    • इससे लोक सेवकों को भी मदद मिलती है क्योंकि वे नीति निर्माताओं आदि के रूप में शामिल होते हैं।

    सहानुभूति विकसित करने में मदद करता है:

    • व्यक्ति की गहरी नैतिक अंत:प्रज्ञा के रूप में सहानुभूति प्रदर्शित होती है, जो सरकारी अधिकारी को करुणा के साथ अपना कर्तव्य निभाने में मदद करती है।

    आत्म-जागरूकता:

    • यह नैतिक मानकों और मूल्यों को पहचानने की हमारी क्षमता है। दुनिया को नैतिक संदर्भ में अवधारणा देने के लिये मानव मन की क्षमता का निर्धारण नैतिक अंत:प्रज्ञा द्वारा होता है। व्यावहारिक निर्णय लेते समय यह नैतिक सिद्धांतों और नैतिक आदर्शों को तौलने की हमारी क्षमता में सुधार करता है।

    नैतिक अखंडता:

    • अंतरात्मा का व्यक्तिपरक चरित्र व्यक्तिगत नैतिकता के एक क्षेत्र का परिसीमन करता है जो हमारी व्यक्तिगत पहचान की भावना का एक अनिवार्य हिस्सा है, जिसे हमारी समझ के रूप में समझा जाता है कि हम कौन हैं और गुणात्मक रूप से हमारे व्यक्तित्व की विशेषता क्या है (उदाहरण के लिये, हमारा चरित्र, हमारा मनोवैज्ञानिक लक्षण, हमारा पिछला अनुभव, आदि)।

    सही आचरण को सक्षम बनाती है:

    • भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और मुनाफाखोरी व्यवहार को अंत:प्रज्ञा की मदद से कम किया जा सकता है। परिणामस्वरूप, वे समाज के सामान्य हित में कार्य करने और संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिये बाध्य हैं। यह लोक सेवकों को याद दिलाती है कि वे निर्णय लेते समय नागरिकों की सेवा के लिये चुने गए थे, न कि उनकी अपनी जरूरतों और लालच के लिये।

    नैतिक दुविधा में कमी:

    • नैतिक अंत:प्रज्ञा किसी भी नैतिक दुविधा को कम करने में सहायक हो सकती है जैसे कि केवल वरिष्ठों के आदेशों का पालन करना या विवेक द्वारा वर्णित सत्यता के सही मार्ग का पालन करना। अंत:प्रज्ञा नागरिकों और राजनेताओं के बीच धागे के रूप में कार्य करती है।

    निष्कर्ष

    सामान्य रूप से मानव क्रिया और एक अधिकारी के आचरण को निर्धारित करने के लिये नैतिक अंत:प्रज्ञा एक महान मार्गदर्शक है। इसलिये, कठिन परिस्थितियों के दौरान, यह एक सरकारी कर्मचारी को नेविगेट करने में सहायता करता है।

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