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हॉर्नबिल संरक्षण केंद्र

  • 24 Jul 2025
  • 14 min read

स्रोत: TH

तमिलनाडु सरकार ने अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व (ATR) में हॉर्नबिल संरक्षण के लिये भारत का पहला उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की घोषणा की है।

  • हॉर्नबिल प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित: यह पश्चिमी घाट में पाई जाने वाली चार प्रजातियों, ग्रेट हॉर्नबिल, मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, मालाबार पाइड हॉर्नबिल और इंडियन ग्रे हॉर्नबिल के संरक्षण पर केंद्रित होगा।
  • विस्तार: इस परियोजना की शुरुआत अगस्त्यमलई टाइगर रिज़र्व (ATR) से होगी और इसका विस्तार कलक्कड़ मुंडनथुराई टाइगर रिज़र्व, सत्यमंगलम टाइगर रिज़र्व, और कन्याकुमारी के कुछ हिस्सों तक किया जाएगा।
  • व्यापक संरक्षण रणनीति: डुगोंग संरक्षण रिज़र्व, नीलगिरि तहर परियोजना, स्लेंडर लोरिस संरक्षण केंद्र और AI-संचालित हाथी संरक्षण के बाद, यह तमिलनाडु की संरक्षण यात्रा में एक और मील का पत्थर है।

हॉर्नबिल:

  • हॉर्नबिल: हॉर्नबिल्स बड़े आकार के, लंबी दूरी तक उड़ने वाले, फलाहारी पक्षी होते हैं जो मुख्य रूप से उष्णकटिबंधीय वनों (ऊंचे पेड़ों) में पाए जाते हैं।
  • विशिष्ट विशेषताएँ: हॉर्नबिल की बड़ी घुमावदार चोंच, तेज़ आवाज़ और विशिष्ट पंखों की फड़फड़ाहट होती है।
    • प्रजनन के दौरान, मादा एक पेड़ की गुहा को बंद कर देती है, और नर एक संकरी दरार से उसे भोजन देता है। 
  • भारत में हॉर्नबिल प्रजातियाँ: भारत में 9 प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से 4 प्रजातियाँ पश्चिमी घाटों में मिलती हैं (नेचर कंजर्वेशन फाउंडेशन के अनुसार)।
  • पारिस्थितिक भूमिका: हॉर्नबिल्स बीज फैलाने वाले प्रमुख पक्षी होते हैं, इसलिये इन्हें “वनों के किसान” कहा जाता है। ये कीस्टोन प्रजाति के रूप में कार्य करते हैं, यानी इनके बिना पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ सकता है।

और पढ़ें..: अन्नामलाई टाइगर रिज़र्व

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