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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र में चीन की महत्त्वाकांक्षाओं का मुकाबला करना नई त्रि-राष्ट्र साझेदारी AUKUS का उद्देश्य है। क्या यह इस क्षेत्र में मौजूदा साझेदारी का स्थान लेने जा रहा है? वर्तमान परिदृश्य में, AUKUS की शक्ति और प्रभाव की विवेचना कीजिये। (उत्तर 250 शब्दों में दीजिये।)

    26 Apr, 2022 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध

    उत्तर :

    परिचय

    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में AUKUS ऑस्ट्रेलिया, यूके और यूएसए के बीच एक नई त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी है। AUKUS पर इस क्षेत्र में मौजूदा विभिन्न समूहों; जैसे-फाइव आईज़ (USA, UK, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूज़ीलैंड), QUAD, ASEAN एवं USA के नेतृत्व वाले एंग्लो-सेक्सन सहयोगियों के गठबंधन आदि का स्थान लेने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हालाँकि, AUKUS का उद्देश्य चीन की प्रतिद्वंद्विता का मुकाबला करना है और उपर्युक्त संगठनों में AUKUS के ही सदस्य देश विभिन्न भूमिकाओं में शामिल हैं। इस प्रकार उन संगठनों को मज़बूती मिलने की ही संभावना है।

    ढाँचा

    यूके, यूएसए और ऑस्ट्रेलिया के बीच सुरक्षा साझेदारी के रूप में AUKUS की शक्ति एवं प्रभावों को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है :

    • AUKUS का उद्देश्य तकनीकी साझा कर ऑस्ट्रेलिया को परमाणु पनडुब्बी संपन्न राष्ट्र बनाना है।
    • इसका उद्देश्य सदस्यों की सैन्य क्षमताओं को मज़बूत करके चीन के प्रति एक विश्वसनीय प्रतिरोधक शक्ति प्रदान करना है।
    • यह इस क्षेत्र में मानदंडों और नियम-आधारित व्यवस्था की बहाली के साथ सदस्यों की गश्त और निगरानी शक्ति को बढ़ाएगा।
    • साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम टेक्नोलॉजी, साइबर सुरक्षा आदि के उभरते हुए डोमेन में समान विचारधारा वाले देशों की क्षमताओं को भी बढ़ाएगा।
    • हालाँकि, इसके गठन में फ्राँस की अनदेखी, समान विचारधारा वाले लोकतांत्रिक देशों के बीच विश्वास की कमी को बढ़ा सकता है। वहीं इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नई शक्तियों के प्रवेश के साथ ही यह भारत के ‘सागर विज़न’ के लिये प्रतिकूल भी हो सकता है, क्योंकि यह चीन-रूस द्वारा नए गठबंधन की संभावना के साथ इस क्षेत्र में हथियारों की होड़ से क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।

    निष्कर्ष

    भले ही AUKUS को ‘इंडो-पैसिफिक नाटो’ की संज्ञा दी जा रही है, लेकिन इस क्षेत्र की शांति भारत सहित अन्य देशों की शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिये महत्त्वपूर्ण है। अत: इस क्षेत्र के सभी देशों को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र महाशक्तियों का ‘गोल्फ कोर्स’ बनकर न रह जाए।

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