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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    निम्नलिखित शब्दों को परिभाषित कीजिये: (150 शब्द) 

    1. परोपकारिता 

    2. विनम्रता 

    3. शक्ति और नैतिकता

    09 Sep, 2021 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण

    • दिये गए पदों को परिभाषित कीजिये।
    • शब्दों का अर्थ समझाने के लिये एक या दो उदाहरण दीजिये।
    • सार्वजनिक सेवा के साथ शब्द की प्रासंगिकता बताईये।

    परोपकारिता का सिद्धांत

    • परोपकारिता या परहितवाद वह सिद्धांत है जिसके अनुसार व्यक्ति को सदैव दूसरों के हितों को अपने स्वयं के हित से ऊपर रखना चाहिये। परोपकारिता को अक्सर नैतिकता के केंद्रस्थ माना जाता है। इसमें व्यक्ति अपनी खुशी को दूसरों की खुशियों में खोजता है और दूसरों के हित में सदैव समर्पित रहता है। उदाहरण के लिये तेलंगाना राज्य के खम्मम ज़िले के एक छोटे से गाँव के दरिपल्ली रमैया वर्षों से अपनी जेब में बीज और साइकिल पर पौधे रखकर ज़िले का लंबा सफर तय करते हैं और जहाँ कहीं भी खाली भूमि दिखती है, वहीं पौधे लगा देते हैं। उन्होंने हज़ारों पेड़ों से अपने इलाके को हरा-भरा कर दिया है। वे ऐसा पूरे समाज व भविष्य की पीढ़ियों के लिये निःस्वार्थ भाव से कर रहे हैं।
    • एक तरह से उपयोगितावाद का परिणाम परोपकारिता हो सकता है। उपयोगितावाद ऐसे कृत्यों की सिफारिश करता है जो समाज की भलाई को अधिकतम करते हैं। एक उपयोगितावादी किसी-न-किसी रूप में परोपकारिता का अभ्यास करता है।

    विनम्रता

    • विनम्रता अच्छे व्यवहार या शिष्टाचार जैसे सद्गुण का व्यावहारिक अनुप्रयोग है। यह सांस्कृतिक रूप से समाज से जुड़ी होती है।
    • इसका मतलब है कि हमें खुद को दूसरों की तुलना में ऊँचे पायदान पर नहीं रखना चाहिये, भले ही हम प्रतिभाओं और उपलब्धियों में उनसे कहीं अधिक हों।
    • अमीर और शक्तिशाली होने पर भी गरीब तथा कमज़ोर पर श्रेष्ठता की भावना नहीं रखनी चाहिये।
    • धार्मिक दृष्टि से मनुष्य को चाहिये कि वह अपनी योग्यता का उपयोग ईश्वर तथा अन्य मनुष्यों के प्रति अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करने में करे। तथ्य यह है कि यदि किसी के पास दूसरों की तुलना में अधिक प्रतिभा और साधन हैं तो यह दर्शाता है कि उनकी दूसरे व्यक्तियों के प्रति अधिक ज़िम्मेदारियाँ हैं।
    • हम जो कर सकते थे, उसके संबंध में हमने जो किया है, उसके बारे में सोचना गर्व और अहंकार के सुधार के रूप में कार्य करता है।
    • विनम्रता राजनीतिक नेताओं और प्रशासकों को विनम्र तरीके से आम लोगों से संपर्क करने में सक्षम बनाएगी। जब तक लोक सेवक अपने अंदर विनम्रता का गुण विकसित नहीं करेंगे, वे आम लोगों की समस्याओं के प्रति चिंतित नहीं हो पाएंगे।
    • लोक सेवकों को लोगों की सेवा को ही अपना कर्त्तव्य समझना चाहिये। उन्हें खुद को शासक या मालिक नहीं मानना ​​चाहिये।
    • सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति के विनम्र व्यवहार का अत्यधिक महत्त्व है। विनम्रता व्यक्ति को अपने सहकर्मियों (वरिष्ठ, कनिष्ठ एवं समकक्ष) तथा अन्य लोगों के बीच बेहतर सांमजस्यपूर्ण संबंध स्थापित करने में सहायक होती है।

    राजनीति और नैतिकता

    • 'राजनीतिक' शब्द उन सभी प्रथाओं और संस्थानों को संदर्भित करता है जो सरकार से संबंधित हैं। सत्ता दूसरों से वह करवाने की क्षमता है जो आप चाहते हैं। सत्ता कई रूप ले सकती है, पाशविक बल से लेकर सूक्ष्म अनुनय तक।
      • पूर्व राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा है कि नैतिकता के बिना राजनीति, राजनीति नहीं है।
    • सत्ता हमेशा भ्रष्टाचार, दुर्व्यवहार और उत्पीड़न की ओर ले जाती है और ऐसे मुद्दों पर लगाम लगाने के लिये नैतिकता की आवश्यकता होती है।
    • यह उल्लेखनीय है कि लोकतंत्र संस्थागत व्यवस्थाओं के माध्यम से सत्ता के दुरुपयोग के संभावित खतरों को नियंत्रित करता है। यह आशा की जाती है कि राजनेता प्रबुद्ध होंगे और जनहित में आगे बढ़ेंगे। हालाँकि कुछ लोगों का मानना ​​है कि इस
    • तरह के हृदय परिवर्तन से शक्ति के प्रयोग और नैतिकता के अभ्यास के बीच तनाव दूर हो जाएगा। इसका उत्तर सत्ता के बँटवारे और उस पर अंकुश लगाने में खोजना होगा।

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