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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'विकास के पथ पर कोई देश तभी आगे बढ़ सकता है जब उसकी आने वाली पीढ़ी के लिये सूचना और ज्ञान आधारित वातावरण बने तथा उच्च शिक्षा के स्तर पर शोध और अनुसंधान के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।' कथन के संदर्भ में भारत सरकार द्वारा विज्ञान-तकनीक और शोध में किये गए नवीन प्रयासों की चर्चा करते हुए इस क्षेत्र में सुधार हेतु उपाय सुझाएँ।

    17 Aug, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमिका
    • सरकार के प्रयास
    • उपाय
    • निष्कर्ष

    किसी भी देश का विकास वहाँ के लोगों के विकास के साथ जुड़ा होता है। अतः यह ज़रूरी हो जाता है कि जीवन के हर पहलू में विज्ञान-तकनीक और शोध कार्य अहम भूमिका निभाएँ। निसंदेह विकास के पथ पर कोई देश तभी आगे बढ़ सकता है जब उसकी आने वाली पीढ़ी के लिये सूचना और ज्ञान आधारित वातावरण बने और उच्च शिक्षा के स्तर पर शोध तथा अनुसंधान के पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों।

    उपरोक्त महत्त्व को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा निम्नलिखित प्रयास किये गए है-

    • किसानों को जड़ी-बूटी के उत्पादन के लिये प्रोत्साहित करने तथा इस दिशा में शोध करने के लिये जम्मू-कश्मीर आरोग्य ग्राम परियोजना, भारत को विश्व स्तरीय कंप्यूटिंग शक्ति बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सुपर कंप्यूटिंग मिशन, नवाचार को बढ़ावा देने के लिये अटल इनोवेशन मिशन, अटल टिकरिंग लैब तथा विद्यार्थियों में शोध कार्यों के प्रति रुचि बढ़ाने के लिये छात्रवृत्ति प्रोग्राम इंस्पायर स्कीम इत्यादि सरकार की कुछ सराहनीय पहलें हैं।
    • 2035 तक तकनीकी और वैज्ञानिक दक्षता हासिल करने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने ‘टेक्नोलॉजी विज़न 2035’ नाम से एक रूपरेखा भी तैयार की है। इसमें शिक्षा,
    • चिकित्सा और स्वास्थ्य, खाद्य और कृषि, जल, ऊर्जा, पर्यावरण इत्यादि जैसे 12 विभिन्न क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिये जाने की बात कही गई है।

    सरकार द्वारा की गई नवीनतम पहलें-

    • वर्ष 2018-19 की नवीनतम पहलों की बात करें तो इसमें इंटर-डिसिप्लिनरी साइबर-फिजिकल सिस्टम्स पर राष्ट्रीय मिशन (NM-ICPS) और द ग्लोबल कूलिंग प्राइज़ शामिल हैं।
    • इसके अलावा भारतीय और आसियान शोधकर्त्ताओं, वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों के बीच नेटवर्क बनाने के उद्देश्य से आसियान-भारत इनोटेक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता , डिजिटल अर्थव्यवस्था, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों, साइबर सुरक्षा और स्वच्छ विकास को बढ़ावा देने की संभावनाओं को साकार करने वाली वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये भारत-UK साइंस एंड इनोवेशन पॉलिसी डायलॉग के ज़रिये भारत और ब्रिटेन मिलकर काम कर रहे हैं।
    • वाहनों के प्रदूषण से निपटने के लिये वायु-WAYU (Wind Augmentation & Purifying Unit) डिवाइस लगाए जा रहे हैं।
    • विदेशों में एक्सपोज़र और प्रशिक्षण प्राप्त करने के उद्देश्य से विद्यार्थियों के लिये ओवरसीज विजिटिंग डॉक्टोरल फेलोशिप प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
    • जनसामान्य के बीच भारतीय शोधों के बारे में जानकारी देने और उनका प्रसार करने के लिये अवसर-AWSAR (ऑगमेंटिंग राइटिंग स्किल्स फॉर आर्टिकुलेटिंग रिसर्च) स्कीम इत्यादि जैसी अन्य कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
    • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने दूरदर्शन और प्रसार भारती के साथ मिलकर विज्ञान संचार के क्षेत्र में डीडी साइंस और इंडिया साइंस नाम की दो नई पहलों की भी शुरुआत की है।

    उपरोक्त प्रयासों के बावजूद भारत इस क्षेत्र में अपेक्षित उपलब्धि नहीं हासिल कर पाया है ऐसे में निम्नलिखित उपायों पर ध्यान देने की आवश्यकता है-

    • शोध कार्यों में भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बेहतर राष्ट्रीय सुविधाओं के निर्माण की ज़रूरत है।
    • केंद्र और राज्यों के मध्य प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ावा देने के लिये उपयुक्त कार्यक्रम चलाए जाने चाहिये।
    • विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में शिक्षकों की संख्या में बढ़ोतरी की जाए ताकि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों का अभाव जैसी मूलभूत समस्या को दूर किया जा सके।
    • भारत और विदेशों में R&D अवसंरचना निर्माण के लिये मेगा साइंस प्रोजेक्ट में निवेश भागीदारी, अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ाने के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थानों में उचित संस्थागत ढाँचे, उपयुक्त अवसंरचना, वांछित परियोजनाएँ और पर्याप्त निवेश की भी ज़रूरत है।
    • प्रतिभाशाली छात्रों के लिये विज्ञान, शोध और नवाचार में करियर बनाने के अवसर प्रदान करने की आवश्यकता है।
    • उपरोक्त के अतिरिक्त इन सब बातों के मद्देनज़र एक ऐसी नीति बनानी होगी जिसमें समाज के सभी वर्गों में वैज्ञानिक प्रसार को बढ़ावा देने और सभी सामाजिक स्तरों से युवाओं के बीच विज्ञान के अनुप्रयोगों के लिये कौशल को बढ़ाने पर ज़ोर दिया गया हो।

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