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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ईमानदार प्रवृत्ति वाले अधिकारियों की नियुक्ति में सतर्कता मंजूरी कहाँ तक सहायक हो सकती है? चर्चा करें। आपके अनुसार इसमें सुधार के लिये और कौन-से उपायों का सहारा लिया जा सकता है।

    16 Jul, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने दृष्टिकोण: 

    • भूमिका 

    • सतर्कता मंजूरी कहाँ तक सहायक हो सकती है?

    • सुधार के लिये और कौन-से उपाय अपना सकते हैं ?

    • निष्कर्ष

    भारतीय लोक सेवा में भ्रष्टाचार की समस्या के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है। वैसे तो वर्तमान समय प्रशासन में भ्रष्टाचार एक विश्वव्यापी घटना है और यह प्राय: विकसित व विकासशील दोनों ही प्रकार के देशों में व्याप्त है, किंतु भारत में दिखने वाला भ्रष्टाचार अन्य देशों की तुलना में अधिक गंभीर तथा व्यापक है।

    • प्रशासन को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने के लिये ईमानदार अधिकारियेां की नियुक्ति किया जाना अति आवश्यक है। इसके लिये आवश्यक है कि प्रशसन में आने वाले अधिकारियाें की नियुक्ति से पहले सर्तकता मंजूरी की व्यवस्था की जाए।
    • भारत में सर्तकता मंजूरी के माध्यम से ईमानदार व भ्रष्ट प्रवृत्ति वाले अधिकारियों का पता लगाया जाता है तथा उन पर निगरानी भी रखी जाती है।
    • इस प्रक्रिया का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि भ्रष्टाचार में उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में कम जोखिम वाले यानी जिनकी कार्यनिष्ठा संदिग्ध न हो, ऐसे ईमानदार प्रवृत्ति वाले अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है।
    • सरकार की सर्तकता संबंधी इस व्यवस्था में केंद्र व राज्य सतर्कता आयोगों के साथ भारत सरकार का भ्रष्टाचार निवारण न्यूरो तथा तमाम जाँच एजेंसियाँ भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त भारत सरकार के सतर्कता संगठन कार्यरत है जो समय-समय लोकसेवकों की सत्यनिष्ठा, उनकी ईमानदारी, दलाल और बिचौलियों से उनके संपर्क की स्थिति, उनकी वार्षिक संपत्तियों के विवरण के लिये उठाए गए कदमों की समीक्षा करके सूची जारी करते हैं और फिर इस आधार पर उनकी नियुक्ति की जाती है।
    • लेकिन इस व्यवस्था में थोड़ा और सुधार लाने की आवश्यकता है। इसके लिये आवश्यकता है कि संबंद्ध अधिकारी का विभागीय सतर्कता तंत्र ज्यादा मज़बूत बनाया जाए जिसमें विभाग के उच्च अधिकारियों को अधिकाधिक जवाबदेह बनाने के लिये उन्हें उनके अधीनस्थाें के भ्रष्टाचार संबंधी कृत्यों के लिये ज़िम्मेदार ठहराया जाए। क्योंकि वर्तमान में ये अधिकारी अपने अपने अधीनस्थों की परीक्षण संबंधी रिपोर्टों में कुछ भी विवादित लिखने से बचने के लिये यह जानते हुए भी कि आमुख अधिकारी भ्रष्ट है, क्लीन चिट दे देते हैं।
    • साथ ही एक ऐसे सतर्कता नेटवर्क की भी आवश्यकता है जिसमें सरकार द्वारा भ्रष्टाचार के कारण काली सूची में डाले गए संदेहास्पद निष्ठा वाले अधिकारी, ठेकेदार, दलाल आदि संबंधित सूचनाओं को इस तंत्र में शामिल किया जाए तथा इन सूचनाओं की पहुँच सभी संबंद्ध विभागों, भ्रष्टाचार विरोधी निकायों और आम नागरिकों तक होनी चाहिये।

    उपर्युक्त विश्लेषण से स्पष्ट है कि सर्तकता मंजूरी के माध्यम से अधिकारियाें की नियुक्ति से प्रशासन में बढ़ते भ्रष्टाचार की एक हद तक रोका जा सकता है, लेकिन भ्रष्टाचार मुक्त समाज के निर्माण में राजनीतिक स्तर पर सुधार भी अपेक्षित हैं।

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