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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग ने मंत्रियों के लिये निर्धारित नैतिक संहिता में किन नीतियों एवं सिद्धांतों को शामिल किया है? ये मंत्री-सिविल सेवक संबंधों को यह किस प्रकार दिशा प्रदान करेंगे?

    05 Mar, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग के सुझावों से प्रारंभ करें।

    • आयोग की सिफारिशों का उल्लेख करते हुए इनका मंत्री-सिविल सेवक संबंधों पर प्रभाव का उल्लेख करें।

    वर्ष 2005 में वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया गया। आयोग ने मंत्रियों के लिये नैतिक संहिता में निम्नलिखित तत्त्वों को शामिल किये जाने की सिफारिश की-

    मंत्रियों को सर्वोच्च नैतिक मानक बनाए रखना चाहिये।

    मंत्रियों को सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत का पालन करना चाहिये।

    मंत्रियों को सुनिश्चित करना चाहिये कि उनके सार्वजनिक दायित्वों और निजी हितों के बीच कोई टकराव न हो या होता हुआ प्रतीत न हो।

    लोकसभा में मंत्रियों को मंत्री के तौर पर तथा चुनाव क्षेत्र के सदस्य के रूप में अपनी भूमिकाओं को अलग-अलग रखना चाहिये।

    मंत्रियों को उनके दल या राजनीतिक प्रयोजनों के लिये सरकारी साधनों का उपयोग नहीं करना चाहिये।

    मंत्रियों को सुनिश्चित करना चाहिये कि सरकारी निधियों का उपयोग सर्वाधिक किफायत व सावधानी से किया जाए।

    मंत्रियों पर अपने विभागों तथा एजेंसियों की नीतियों, निर्णयों और कार्यों का जवाब संसद/विधानमंडल को देने का उत्तरदायित्व होता है। अत: मंत्रियों को अपने कार्यों का उत्तरदायित्व स्वीकार करना चाहिये।

    मंत्रियों को अपने द्वारा लिये गए निर्णयों का उत्तरदायित्व स्वीकार करना चाहिये और इसे गलत सलाह के नाम पर टालना नहीं चाहिये।

    मंत्रियों को सिविल सेवा की राजनैतिक निष्पक्षता को ऊपर रखना चाहिये तथा सरकारी कर्मचारियों को इस प्रकार काम करने के लिये नहीं कहना चाहिये जिनसे सरकारी कर्मचारियों के कर्त्तव्यों और उत्तरदायित्वों के साथ टकराव हो।

    उपरोक्त निर्देश मंत्री व सिविल सेवकों के संबंधों को दिशा प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारा संविधान सिविल सेवकों के अनामिता के सिद्धांत पर आधारित है अर्थात् सिविल सेवकों के कार्यों का उत्तरदायित्व मंत्रियों पर होगा परंतु मंत्रियों द्वारा सफल कार्यों का श्रेय तो लिया जाता है लेकिन असफल कार्यों का उत्तरदायित्व सिविल सेवकों पर डाल दिया जाता है। इससे कई बार सिविल सेवक अच्छे कार्यों तथा नीतियों के अनुपालन से भी पीछे हटते हैं और एक प्रकार से ‘पॉलिसी पैरालिसिस’ (Policy Paralysis) की स्थिति उत्पन्न होती है। ये निर्देश इन समस्याओं के समाधान में बहुत हद तक सहायक हो सकते हैं और मंत्री तथा सिविल सेवकों के संबंधों को देश हित में सहयोगी बनाने में सफल होंगे।

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