इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "वरिष्ठ नागरिक मानव संसाधन के एक अनमोल कोष के रूप में विभिन्न प्रकार के अनुभवों और गहरी अंतर्दृष्टि से संपन्न होते हैं।" इन सब के बावजूद, क्या विश्वास के साथ यह कह सकते हैं कि हम स्नेहपूर्वक इस धरोहर को संरक्षित रखे हुए हैं? चर्चा करें।

    29 Feb, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    ऐसा कहा जाता है कि "वृक्ष जितना उम्रदराज होता है वह उतनी ही अधिक छाया प्रदान करता है। वरिष्ठ नागरिकों के संदर्भ में इस पंक्ति का आशय है कि उम्र बदलाव के क्रम में ये लोग सामाजिक समस्याओं, नैतिक द्वन्द्वों के प्रश्न और उनके समाधानों से संबंधित रहते हैं। इस तरह विकास के क्रम में ये समाज रूपी संस्था के विकास के लिये आवश्यक विभिन्न नैतिक मूल्यों, सामाजिक समाधानों व व्यावहारिक दृष्टिकोण से संपन्न होते हैं। यही कारण है कि हाल ही में सरकार ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्य का प्रदर्शन और सरकार के साथ काम करने का उनका अनुभव साझा करने के लिये एक ऑनलाइन सॉफ्टवेयर ‘अनुभव’ का शुभारंभ किया गया। इसके द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अपने अनुभव और कौशल, देश की सामाजिक पूंजी के विकास के लिये निवेश करने का अवसर प्रदान करेगा।

    इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि वृद्धावस्था प्रक्रिया के दौरान वरिष्ठ नागरिक सामाजिक, सांस्कृतिक, मनोवैज्ञानिकता के अनुभवों को संजोते हुए मानव संसाधन के एक अनमोल कोष के रूप में विभिन्न प्रकार की गहरी अंतर्दृष्टि और अनुभव से संपन्न होते हैं।

    वर्तमान में वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा से संबंधित ऐसे कई प्रयास किए जा रहें हैं जो वरिष्ठ नागरिकों को गरिमामय जीवन प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू किये गए हैंः

    भारत का संविधान अनुच्छेद 41 के तहत राज्य को वरिष्ठ नागरिकों के लिये उचित प्रबंध करने का प्रावधान करता है।

    भारत सरकार का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय विभिन्न प्रकार के सामाजिक सहायता कार्यक्रम के तहत वरिष्ठ नागरिकों को वित्तीय एवं अन्य सुविधाएँ मुहैया करा रहा है।

    वरिष्ठ नागरिकों के लिये कल्याण एवं भरण-पोषण विधेयक 2007 इस दिशा में एक अति सराहनीय कदम है जो प्रत्येक ज़िले में एक वृद्धाश्रम खोलने का प्रावधान करने के अतिरिक्त वरिष्ठ नागरिकों को अन्य कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।

    भारत सरकार विभिन्न सेवाओं जैसे-रेलवे आरक्षण, बैंक में जमा ब्याज दर, सार्वजनिक कार्यालयों में अतिरिक्त पंक्ति की व्यवस्था, आयकर से संबंधित कानूनों में ढील जैसी कई सुविधाएँ वरिष्ठ नागरिकों को प्रदान करती है।

    इन प्रावधानों के बावजूद वरिष्ठ नागरिकों के संदर्भ में आर्थिक असुरक्षा, शारीरिक व मानसिक समस्याएँ, घर की व्यवस्था न होना, अन्य स्वास्थ्य समस्याएँ इत्यादि में बढ़ोतरी देखी गई है। इसका उदाहरण मथुरा के कृष्ण मंदिर में रहने वाली वृद्ध विधवाओं की दुर्दशा के रूप में देखा जा सकता है। साथ ही सरकार द्वारा बनाए गए बिल के प्रावधानों पर कार्यपालिका द्वारा कोई समय सीमा निर्धारित न करना इस समस्या को और अधिक बल प्रदान करती है। परिवार के स्तर पर कम होते संयुक्त परिवारों व बढ़ती एकल परिवारों की संख्या वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को बढ़ा रही है, वहीं यह दूसरी तरफ समाज रूपी पौधे को विकसित करने के लिये आवश्यक वरिष्ठ नागरिकों के प्रकाश रूपी अनुभव ज्ञान से समाज को वंचित कर रहा है।

    निष्कर्षतः समाज के सबसे अनुभवी और गहन अंतर्दृष्टि से सज्जित वरिष्ठ नागरिकों की समस्याओं को तत्काल व अत्यंत सावधानी से हल करना चाहिये। ऐसा करना जहाँ हमारा सामाजिक कर्त्तव्य है और सरकार का संवैधानिक दायित्व है तो वहीं वरिष्ठ नागरिकों का अनुच्छेद 21 के तहत गरिमापूर्ण जीवन के रूप में मूल अधिकार है। इस प्रकार वरिष्ठ नागरिक रूपी मानव संसाधन को संजोए रखने हेतु व्यक्तिगत, सामाजिक व राज्य के स्तर पर एक एकीकृत त्रिस्तरीय प्रयास किये जाने की तत्काल आवश्यकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow