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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में वाणिज्यीकरण की आवश्यकता के बिंदुओं की चर्चा करते हुए इससे होने वाले लाभों पर प्रकाश डालें।

    09 Jan, 2020 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोणः

    • भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में वाणिज्यीकरण की आवश्यकता के बिंदु।

    • भारत को इससे होने वाले लाभ।

    • निष्कर्ष।

    1960 के दशक में इसरो की स्थापना के बाद एक सुदृढ़ राष्ट्रीय उद्योग विकसित करने के उद्देश्य से अंतरिक्ष कार्यक्रम के प्रारंभिक दशकों में आत्मनिर्भरता प्राप्ति को प्राथमिकता प्रदान की गई। इस संदर्भ में विभिन्न देशों के लिये वाणिज्यिक प्रक्षेपण हेतु वार्ताएँ करने के लिये इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स की स्थापना की गई।

    अंतरिक्ष क्षेत्र में वाणिज्यीकरण की आवश्यकता

    • वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में उपस्थित को बढ़ानाः वर्तमान में वैश्विक बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी केवल 2 प्रतिशत ही है, वर्ष 2025 तक वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग का आकार बढ़कर 550 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना है।
    • वर्तमान में अंतरिक्ष एक प्रतियोगिता संचालित क्षेत्र है चीन निवेश के माध्यम से अपने सक्रिय अंतरिक्ष उपग्रहों तथा अन्य उत्पादों की संख्या में तीव्र गति से वृद्धि कर रहा है साथ ही अंतरिक्ष संबंधी व्यावसायिक अवसरों को निजी उद्यमियों हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है। इसलिये भारत को अंतरिक्ष क्षेत्र को विनियंत्रित करने तथा निजी उद्योग हेतु परिवेश का निर्माण करना चाहिये।
    • भारत वैश्विक रूप से कम लागत पर उपग्रहों तथा अन्य अंतरिक्ष उत्पादों को प्रक्षेपित करने की तकनीक तथा क्षमता के साथ एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभर रहा है। इसका व्यावसायिक दोहन किये जाने की आवश्यकता है।

    अंतरिक्ष क्षेत्र में वाणिज्यीकरण के लाभ

    • यह भारत में उद्यमशीलता के परिवेश का निर्माण करेगा जो नवोन्मुखी र्स्टाट-अप को स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
    • अंतरिक्ष क्षेत्र वृहद परियोजनाओं तथा मिशनों के साथ विस्तार कर रहा है, इसलिये इसे अधिक विशेषज्ञता की आवश्यकता होगी। इस प्रकार वाणिज्यीकरण से जहाँ कंपनियों की संख्या में विस्तार होगा वहीं दूसरी ओर रोजगारों का सृजन भी होगा।
    • निजी उद्योगों के उदय को इसरो के सहयोगी के रूप में देखा जाना चाहिये। इसके व्यापक नवाचारों के परिचालन से महत्त्वपूर्ण अनुसंधान तथा विकास में समय की बचत होगी।
    • वाणिज्यीकरण और निजीकरण के माध्यम से अनुसंधान आधारित पाठ्यक्रमों की शुरुआत होगी, जो एयरोनॉटिक्स तथा अंतरिक्ष क्षेत्र में करियर के बेहतर अवसर सुलभ कराएंगे।

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