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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    रैनसमवेयर क्या है? उदाहरणों द्वारा स्पष्ट कीजिये कि किसी राष्ट्र की साइबर सुरक्षा के लिये यह किस प्रकार खतरा उत्पन्न करता है। इससे बचाव के लिये क्या किया जा सकता है? (250 शब्द)

    11 Nov, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    प्रश्न विच्छेद

    • रैनसमवेयर क्या है?

    • यह राष्ट्र की साइबर सुरक्षा के लिये किस प्रकार खतरा है?

    • इससे बचाव के लिये उपाय।

    हल करने का दृष्टिकोण

    • हाल की घटनाओं से उत्तर की शुरुआत करें।

    • रैनसमवेयर को स्पष्ट करें।

    • यह राष्ट्र की साइबर सुरक्षा के लिये किस प्रकार खतरा है? स्पष्ट करें।

    • इससे बचाव के उपाय बताते हुए अंत में निष्कर्ष लिखें।

    हाल ही में रैनसमवेयर वाना क्राई वायरस का वैश्विक पटल पर साइबर हमला हुआ था। इससे दुनिया के 150 से अधिक देशों के 2 लाख से अधिक कंप्यूटर प्रभावित हुए। भारत भी इससे अछूता नहीं रहा।

    रैनसमवेयर एक प्रकार का मैलवेयर (Malware) है। यह कंप्यूटर में ई-मेल या अन्य माध्यमों से पहुँचकर डेटा को ब्लॉक कर देता है। इससे यूज़र तब तक मौजूदा डेटा तक नहीं पहुँच पाता, जब तक कि वह उसे ‘अनलॉक’ करने के लये रैनसम (फिरौती) नहीं दे देता। यह फिरौती डिजिटल करेंसी बिटकॉइन में मांगी जाती है। भुगतान न करने पर डेटा को सार्वजनिक करने या नष्ट करने की धमकी दी जाती है।

    रैनसमवेयर निम्नलिखित प्रकार से राष्ट्र की साइबर सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न करता है:

    • वर्तमान डिजटलीकरण के युग में जब सभी महत्त्वपूर्ण कार्य कंप्यूटर के माध्यम से हो रहे हैं, ऐसे में यह साइबर सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा है।
    • देश के महत्त्वपूर्ण एवं संवेदनशील संस्थाओं की सूचनाएँ चोरी कर राष्ट्र की एकता एवं अखंडता को क्षति पहुँचाने की संभावना। जैसे इसरो, सेना एवं डीआरडीओ से जुड़ी सूचनाएँ।
    • वर्तमान में साइबर वार (WAR) को युद्ध के पाँचवें क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। ऐसे में रैनसमवेयर हमला अधिक घातक हो सकता है।

    यद्यपि भारत में ऐसे साइबर हमलों से निपटने के लिये राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013, साइबर स्वच्छता केंद्र तथा सर्ट इन (CERT-In) की स्थापना आदि प्रयास किये गए हैं। फिर भी रैनसमवेयर से बचाव के लिये निम्नलिखित उपाय किये जा सकते हैं:

    • किसी भी अवांछित ई-मेल एवं साफ्टवेयर को खोलने से बचने की आवश्यकता।
    • सभी सिस्टमों पर प्रभावी एंटी वायरस का इस्तेमाल करना।
    • कंप्यूटर में क्लाउड सेवाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जाए।
    • एथिकल हैकिंग को प्रोत्साहन तथा इस दिशा में शोध एवं अनुसंधान का बढ़ावा दिया जाए।
    • ऐसे मामलों की सूचना सर्ट इन (CERT-In) तथा विधि प्रवर्तन करने वाली एजेंसियों को तत्काल दी जानी चाहिये।
    • वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया जाए।

    वस्तुत: वर्तमान सूचना एवं संचार क्रांति के युग में कंप्यूटर की भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है। ऐसे में रैनसमवेयर जैसे साइबर हमलों से निपटने के लिये सक्रिय रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है ताकि साइबर हमलों के कारण होने वाली क्षति से राष्ट्र की सुरक्षा की जा सके।

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