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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    डिजिटल इंटेलिजेंस एक प्रकार का ‘सामाजिक मस्तिष्क’ बनाता है जो विभिन्न क्षेत्रों को नियंत्रित करना प्रारंभ कर देता है और एकाधिकार स्थापित कर इसकी कीमत वसूलता है। यह अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण आर्थिक संसाधन बनने जा रहा है। जिसके पास भी यह है, उसका नियंत्रण प्रत्येक वस्तु पर है। इस संदर्भ में, भारत को इस वैश्विक डिजिटल प्रतिमान में असंगत नहीं होना चाहिये और क्षेत्र के बदलाव के अनुकूल बनना चाहिये। चर्चा करें।

    19 Feb, 2019 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा:

    डिजिटल इेटेलिजेंस का महत्त्व एवं वर्तमान विवाद।

    डिजिटल इंटेलिजेंस को अपनाए जाने के लाभ।

    डिजिटल इंटेलिजेंस के प्रति भारत की वर्तमान स्थिति तथा अनुकूलन के लाभ बताते हुए निष्कर्ष लिखें।

    सरल शब्दों में ‘डिजिटल इंटेलिजेंस’ डिजिटल प्रौद्योगिकी से संबंधित नए ज्ञान एवं कौशल को हासिल करने तथा उसे प्रयोग करने की क्षमता को कहते हैं। हाल ही में एक सम्मेलन में ई-कॉमर्स के संदर्भ में डिजिटल इंटेलिजेंस की चर्चा की गई है। यह चर्चा किसी राष्ट्र के द्वारा डिजिटल नीति निर्माण में राष्ट्रों की भूमिका सीमित करने के उद्देश्य से है। ई-कॉमर्स के नाम पर डिजिटल कूटनीति को बढ़ावा देने की कुछ राष्ट्रों की कोशिश को सीमित करने का प्रयास किया जा रहा है। डिजिटल इंटेलिजेंस भविष्य में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण आर्थिक संसाधन बनने जा रहा है।

    • डाटा के वैश्विक प्रवाह को सुनिश्चित किये जाने के प्रयास किये जा रहे हैं क्योंकि अप्रसंस्कृत डाटा तभी उपयोगी है जब कि इसे डिजिटल इंटेलिजेंस में परिवर्तित किया जा सके।
    • डिजिटल इंटेलिजेंस केवल कुछ ही ध्रुवों के इर्द-गिर्द केंद्रित है जो इंटेलिजेंस की मूल प्रकृति है।
    • प्रत्येक क्षेत्रक में वैश्विक समेकन हो रहा है, उदारहणस्वरूप- उबेर के पास शहरी परिवहन का विश्वव्यापी इंटेलिजेंस है, मोनसैंटो वैश्विक एग्रीकल्चर नेटवर्क तथा इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म पर कार्य कर रहा है।
    • अधिकांश राष्ट्र आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस सॉफ्रटवेयर आपूर्ति करने वाले राष्ट्रों के उपर निर्भर हो जाएंगे। अमेरिका तथा चीन जैसे राष्ट्र के बदले में अपने हित की शर्तें थोपते हैं। यह व्यवस्था वर्तमान भू-राजनीतिक गठबंधन को नई दिशा प्रदान करती है।
    • भारत आई.टी क्षेत्र में होने वाले वर्तमान परिवर्तनों के प्रति अब भी सुस्त रवैया रखता है, जिसके कारण अप्रत्याशित रूप से रोज़ गार में कमी आ रही है। भारत को डिजिटल इंटेलिजेंस के अंतःप्रवाह तथा बहिर्प्रवाह को ध्यान में रखते हुए नवीन संभावनाओं को भुनाना चाहिये। भारत को एक डिजिटल औद्योगीकरण रणनीति के निर्माण की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रत्येक क्षेत्रक में डिजिटल निपुणता भारत के लाभ के लिये प्रयुक्त हो सके। वैश्विक मंच पर भारत का स्थान सुनिश्चित करने के लिये एक स्वतंत्र डिजिटल नीति की आवश्यकता है तथा भारत को अहितकारी डिजिटल व्यापार को बढ़ावा देने वाले राष्ट्रों के साथ चर्चा करनी चाहिये।

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