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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, भौतिक अवसंरचना की कमी एवं रूढि़वादी सामाजिक सोच में आपदा प्रबंधन की रणनीति मात्र क्षमता निर्माण तक सीमित न होकर समन्वयकारी और जनभागीदारी उन्मुख होनी चाहिये जिसमें गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं है। हाल के दिनों में उत्तर भारत में आई बाढ़ के संदर्भ में कथन की विवेचना करें।

    19 Dec, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आपदा प्रबंधन

    उत्तर :

    भू-जलवायु परिस्थितियों के कारण भारत पारंपरिक रूप से आपदाओं के प्रति संवेदनशील रहा है। यहाँ पर बाढ़, सूखा, चक्रवात, भूकंप तथा भूस्खलन जैसी घटनाएँ घटित होना आम बात है। भारत के लगभग 60% भू-भाग में विभिन्न प्रबलता के भूकंपों का खतरा बना रहता है। 40 मिलियन हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बारम्बार बाढ़ आती रहती है। खेती योग्य क्षेत्र का लगभग 68% भाग सूखे के प्रति संवेदनशील है। अंडमान निकोबार द्वीपसमूह और पूर्वी व पश्चिमी घाट के क्षेत्रों में सुनामी का संकट बना रहता है। हिमालयी क्षेत्र तथा पूर्वी व पश्चिमी घाट के इलाकों में अक्सर भूस्खलन का खतरा बना रहता है।

    इन्हीं चुनौतियों के कारण समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन अब आपदा की संभावना वाले क्षेत्रों में लोकप्रिय हो गया है। इसके अंतर्गत आपदा प्रबंधन के स्थानीय उपायों में समुदाय को प्रमुख केंद्र बनाया जाता है। बाहरी एजेंसियाँ इन उपायों को अधिक सुकर बनाने की भूमिका निभाती हैं। समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन के जरिये लोगों को संसाधनों और बुनियादी सामाजिक सेवाओं पर नियंत्रण का अधिकार दिया जाता है जिससे इन आपदाओं के समय उपयुक्त कदम उठाने की उनकी क्षमता बढ़ाई जा सके।

    समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन संस्थानीकरण के जरिये ही किया जा सकता है। भारत में समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन को मान्यता मिल चुकी है, भले ही इसका संस्थानीकरण नहीं हो पाया है। इसे आपदा प्रबंधन अधिनियम में भी मान्यता दे दी गई है, यद्यपि इसके क्रियान्वयन के लिये कोई अभियांत्रिकी व्यवस्था स्थापित नहीं की गई है। भारत में बड़े पैमाने पर समुदाय और NGOs आधारित आपदा प्रबंधन के विस्तार के लिये पंचायतीराज संस्थाओं की भूमिका आरै काय र्विस्ततृ करने होंगे इसके लिये ग्राम ज्ञान माडॅल को सक्षम बनाने की आवश्यकता है।

    आपदा प्रबंधन में सामाजिक प्रयासों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है जागरूकता का अभाव। इसके अतिरिक्त, समाज में व्याप्त उदासीनता भी एक बड़ी चुनौती है। पर्यावरण में परिवर्तन के कारण भी आसपास के समुदायों में बदलाव देखा जा रहा है। स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन के चलते हो रहे पर्यावरण संबंधी परिवर्तनों को समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण के साथ समन्वित किये जाने की जरूरत है।

    निष्कषर्तः यह कहा जा सकता है कि आपदा प्रबंधन में समुदाय आधारित प्रयास के चलते आपदाओं से निपटने में रियल टाइम प्रभाव पडे़गा। यद्यपि भारत में इन प्रयासों को संस्थागत रूप दिये जाने की आवश्यकता है तथापि भारत में इसे विस्तृत पैमाने पर स्वीकृति मिल चुकी है।

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