इंदौर शाखा: IAS और MPPSC फाउंडेशन बैच-शुरुआत क्रमशः 6 मई और 13 मई   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    नैदानिक परीक्षण (clinical trial) से संबंधित नैतिक मुद्दों पर प्रकाश डालें। क्या यह चिकित्सकों के हिप्पोक्रेटिक शपथ के अनुकूल है?

    04 Jan, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा-

    • नैदानिक परिक्षण से संबंधित नैतिक मुद्दों को स्पष्ट करें।
    • हिप्पोक्रेटिक शपथ के संबंध में इस पर विचार करें।

    नैदानिक परीक्षण वस्तुतः एक शोध कार्य है जिसमें शोधकर्ता  दवाओं तथा संक्रियाओं का परीक्षण कर उपचार हेतु बेहतर तकनीक खोजने का प्रयास करता है। एक परीक्षण होने के कारण दवाइयों तथा क्रियाविधियों के परिणाम  स्पष्ट नहीं होते जिससे परीक्षण के लिये प्रयोग किया जाने वाला व्यक्ति प्रभावित हो सकता है। नैदानिक परीक्षण से संबंधित नैतिक मुद्दों को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है-

    • धोखाधड़ी :  नैदानिक परीक्षण के लिये व्यक्ति को तैयार करने के लिये उसे इसके प्रभाव के बारे में नहीं बताया जाता और उन्हें भ्रम की स्थिति में रखा जाता है जो नैतिकता के विरुद्ध है।
    • उपयोगितावाद : एक मुद्दा उपयोगितावाद से भी जुड़ा है जहाँ समाज के हित के लिये एक व्यक्ति का प्रयोग किया जाता है।  यह गांधी के साधन की पवित्रता के सिद्धांत के विरुद्ध है।
    • आर्थिक नैतिकता : यह देखा गया है कि डॉक्टर तथा शोधकर्ता अपने आर्थिक हित के लिये व्यक्ति पर हानिकारक परीक्षण करने से भी नहीं चूकते यहाँ आर्थिक लाभ के लिये दूसरों का प्रयोग किया जाना कार्य को और भी अनैतिक बना देता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता : इसके तहत कोई राष्ट्र जानबूझकर अन्य राष्ट्रों में ऐसी गतिविधियों का प्रयोग नहीं करेगा जो वहाँ के नागरिकों के हित को प्रभावित करे। किंतु देखा गया है कि अमीर राष्ट्र अफ्रीका तथा एशिया के गरीब राष्ट्रों का प्रयोग नैदानिक परीक्षण के लिये कर रहे हैं।
    • मजबूरी का लाभ उठाना: नैतिकता का एक  तकाजा यह है कि एक व्यक्ति किसी व्यक्ति की मजबूरी का लाभ नहीं उठाएगा, किंतु व्यवहार में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की मजबूरी का लाभ उठाकर उन्हें नैदानिक परीक्षण के लिये प्रयुक्त किया जाता है। यह संविधान के अनुच्छेद-23 की भावना के विरुद्ध भी है।

    हिप्पोक्रेटिक शपथ के अनुसार इस बात को स्वीकार किया गया है कि कोई डॉक्टर किसी व्यक्ति द्वारा मांगे जाने पर भी उसे ऐसी दवा नहीं देगा जिससे उसके जीवन पर खतरा हो। इसके अलावा इसमें बिना प्रयाप्त जानकारी और विशेषज्ञता के शल्य चिकित्सा करने से भी मना किया गया है। स्पष्ट है कि वैसे नैदानिक परीक्षण जिनसे व्यक्ति का जीवन प्रभावित हो सकता है हिप्पोक्रेटिक शपथ के विरुद्ध है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2