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विश्व इतिहास

द्वितीय विश्व युद्ध और वैश्विक शक्ति में बदलाव

  • 09 Aug 2025
  • 75 min read

प्रिलिम्स के लिये: प्रथम विश्व युद्ध, द्वितीय विश्व युद्ध, वर्साय की संधि, ऑपरेशन बारब्रोसा, तुष्टिकरण की नीति, हिरोशिमा और नागासाकी, मार्शल योजना

मेन्स के लिये: द्वितीय विश्व युद्ध के कारण और परिणाम, द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की भूमिका, द्वितीय विश्व युद्ध के वैश्विक प्रभाव

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

6 अगस्त, 2025 को विश्व ने हिरोशिमा पर अमेरिका के परमाणु बम हमले की 80वीं वर्षगाँठ मनाई, जिसे प्रत्येक वर्ष हिरोशिमा दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • 6 और 9 अगस्त 1945 को, अमेरिका ने हिरोशिमा पर “लिटिल बॉय” और नागासाकी पर “फैट मैन” परमाणु बम गिराए, जिससे हज़ारों लोग तुरंत मारे गए, भारी विनाश और दीर्घकालिक विकिरण प्रभाव हुआ और अंततः जापान को द्वितीय विश्व युद्ध (WW-II) में आत्मसमर्पण करना पड़ा।

द्वितीय विश्व युद्ध (WW) क्या था?

  • परिचय: द्वितीय विश्व युद्ध (1939–1945) अब तक का सबसे घातक वैश्विक संघर्ष था, जो धुरी राष्ट्रों (जर्मनी, इटली, जापान) और मित्र राष्ट्रों (फ्राँस, ब्रिटेन, अमेरिका, सोवियत संघ, चीन) के बीच लड़ा गया।
    • इस युद्ध से लगभग 10 करोड़ लोग प्रभावित हुए, जिसमें लगभग 5 करोड़ लोगों की मौत हुई, जो उस समय की विश्व जनसंख्या का लगभग 3% थी।

  • प्रमुख कारण: 
    • वर्साय की संधि (1919): प्रथम विश्व युद्ध के बाद इस संधि द्वारा जर्मनी पर कठोर शर्तें लागू कीं गई, जिनमें युद्ध अपराध स्वीकार करना, भारी क्षतिपूर्ति देना, क्षेत्रीय हानि और कड़े सैन्य प्रतिबंध शामिल थे। इन शर्तों ने जर्मनी को अपमानित किया, आक्रोश को जन्म दिया और अति-राष्ट्रवाद तथा प्रतिशोध की भावना को बढ़ावा दिया।
    • राष्ट्र संघ की विफलता: शांति बनाए रखने के लिये स्थापित, इस संघ में सार्वभौमिक सदस्यता का अभाव था (अमेरिका कभी इसमें शामिल नहीं हुआ) तथा इसकी कोई स्थायी सेना नहीं थी, मंचूरिया (1931) में जापानी आक्रमण और अबीसीनिया (1935) पर इतालवी आक्रमण को रोकने में इसकी विफलता ने फासीवादी शक्तियों को बढ़ावा दिया।
    • आर्थिक संकट: महामंदी (1929 ) ने विश्व में बेरोज़गारी, गरीबी और राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न की। जर्मनी में, अति मुद्रास्फीति और अमेरिकी ऋण वापसी ने हालात और बिगाड़ दिये, जिससे यूरोप और जापान में अधिनायकवाद और सैन्यीकरण को बढ़ावा मिला।
    • फासीवाद और नाजीवाद का उदय: इटली में मुसोलिनी के नेतृत्व में फासीवाद ने व्यवस्था, राष्ट्रवाद और साम्यवाद-विरोध को बढ़ावा दिया। 
      • हिटलर के अधीन नाज़ीवाद ने फासीवाद को नस्लीय विचारधारा के साथ जोड़ा, जिसका उद्देश्य वर्साय की संधि को समाप्त करना, जर्मन शक्ति को पुनर्स्थापित करना और लेबेंसराम (“जीवित स्थान”) प्राप्त करना था।
      • वर्ष 1933 से, हिटलर की तानाशाही ने आक्रामक विस्तार और नस्लीय संहार की नीतियाँ अपनाईं।
    • तुष्टीकरण की नीति: ब्रिटेन और फ्राँस ने हिटलर को वर्ष 1936 में राइनलैंड पर पुनः कब्जा और 1938 में सूडेटेनलैंड का अधिग्रहण द्वारा वर्साय की संधि का उल्लंघन करने दिया, उसकी महत्वाकांक्षाओं को कम आंका और सैन्य तैयारी में देर की, यहाँ तक कि वर्ष 1939 में जर्मनी द्वारा चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की।
    • पोलैंड पर आक्रमण (सितंबर 1939): जर्मनी के आक्रमण ने ब्रिटेन और फ्राँस को युद्ध की घोषणा करने के लिये प्रेरित किया, जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की आधिकारिक शुरुआत हुई और तुष्टिकरण की विफलता उजागर हुई।
    • जापानी विस्तार और पर्ल हार्बर (1941): जापान की साम्राज्यवादी महत्त्वाकांक्षाओं के कारण पर्ल हार्बर पर हमला हुआ, जिससे अमेरिका भी युद्ध में शामिल हो गया और द्वितीय विश्व युद्ध एक वैश्विक संघर्ष में बदल गया।

द्वितीय विश्व युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?

  • द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत और नाज़ी-सोवियत संधि (1939): जर्मनी ने सोवियत संघ के साथ देश को विभाजित करने के लिये एक गुप्त समझौता करने के बाद 1 सितंबर, 1939 को पोलैंड पर आक्रमण किया, जिसके कारण ब्रिटेन और फ्राँस ने युद्ध की घोषणा की, जिससे आधिकारिक तौर पर द्वितीय विश्व युद्ध शुरूआत हुई। 
  • फोनी वॉर और प्रारंभिक संघर्ष (1939-1940): फोनी वॉर के दौरान पश्चिमी यूरोप में बहुत कम युद्ध हुए। इस बीच, सोवियत संघ ने फिनलैंड (शीतकालीन युद्ध) के साथ युद्ध किया, जो मार्च 1940 में समाप्त हुआ तथा जर्मनी ने डेनमार्क (आत्मसमर्पण) और नॉर्वे (जून तक प्रतिरोध) पर आक्रमण किया।
  • फ्राँस का पतन और ब्लिट्जक्रेग (1940): मित्र राष्ट्रों की संख्यात्मक श्रेष्ठता के बावजूद जर्मनी की तीव्र ब्लिट्जक्रेग रणनीति ने फ्राँस, बेल्जियम और नीदरलैंड को परास्त कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप फ्रांस की हार हुई और विची कठपुतली शासन की स्थापना हुई।
  • ब्रिटेन की लड़ाई (जुलाई–सितंबर 1940): रॉयल एयर फोर्स ने जर्मन लुफ्टवाफे के हवाई हमलों से सफलतापूर्वक ब्रिटेन की रक्षा की। यह नाज़ी जर्मनी की पहली बड़ी हार थी और ब्रिटेन पर आक्रमण की जर्मन योजना को रोक दिया गया।
  • ऑपरेशन बारबरोसा और अमेरिका का युद्ध में प्रवेश (1941): जून 1941 में जर्मनी ने सोवियत संघ पर आक्रमण कर नाजी-सोवियत संधि तोड़ दी, लेकिन अत्याधिक सर्दी और सोवियत पलटवार के कारण उसकी प्रगति रुक गई। जापान के पर्ल हार्बर पर हमले के बाद अमेरिका युद्ध में शामिल हुआ और जर्मनी ने अमेरिका पर युद्ध की घोषणा की, जिससे संघर्ष वैश्विक स्तर पर फैल गया।
  • युद्ध की दिशा बदलना: (मिडवे, स्टेलिनग्राद और उत्तरी अफ्रीका (1942-1943): अमेरिका ने मिडवे की लड़ाई (जून 1942) में जापान को निर्णायक रूप से पराजित किया।
    • स्टेलिनग्राद में सोवियत विजय (फरवरी 1943) जर्मनी की पहली बड़ी हार थी। मित्र देशों की सेनाओं ने उत्तरी अफ्रीका में जीत हासिल की और यूरोप में धुरी राष्ट्रों की सेनाओं को पीछे धकेलना शुरू कर दिया।

WW

द्वितीय विश्व युद्ध के प्रमुख परिणाम क्या थे और भारत ने किस प्रकार प्रतिक्रिया की?

  • वैश्विक प्रभाव:
    • मानवीय क्षति: द्वितीय विश्व युद्ध में अनुमानित 70-85 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जिसमें सैन्य और आम नागरिक दोनों शामिल थे। नाज़ी जर्मनी द्वारा होलोकॉस्ट में छह मिलियन यहूदियों की नियोजित हत्या की गई।
    • शीत युद्ध का उदय: मित्र देशों की जीत के साथ नाज़ी जर्मनी और इंपीरियल जापान का पतन हुआ। जर्मनी को चार अधिग्रहित क्षेत्रों में विभाजित किया गया, जबकि सोवियत संघ ने पूर्वी यूरोप पर अपना प्रभुत्व बढ़ाया। संयुक्त राज्य अमेरिका एक महाशक्ति के रूप में उभरा, जिसने शीत युद्ध की शुरुआत को चिह्नित किया।
    • संयुक्त राष्ट्र की स्थापना: वर्ष 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना तथा भविष्य के संघर्षों को रोकना था।
    • आर्थिक पुनरुत्थान: संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा वर्ष 1948 में शुरू की गई मार्शल योजना ने युद्ध से अत्यधिक प्रभावित पश्चिमी यूरोप के पुनर्निर्माण के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की।
    • परमाणु हथियारों की दौड़: हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बमबारी ने परमाणु युग की शुरुआत की, जिसके परिणामस्वरूप शीत युद्ध के दौरान लंबे समय तक परमाणु हथियारों की होड़ चली।
    • उपनिवेशवाद का अंत: युद्ध ने यूरोपीय औपनिवेशिक साम्राज्यों को कमज़ोर किया, जिससे अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व में व्यापक उपनिवेश-विरोधी आंदोलनों को प्रेरणा मिली, जो अंततः उपनिवेशवाद के अंत का कारण बना।
  • भारत पर प्रभाव:
    • आर्थिक कठिनाइयाँ: द्वितीय विश्व युद्ध ने भारत में आर्थिक कठिनाइयों में वृद्धि की, जिसमें मुद्रास्फीति, उच्च कर, भ्रष्टाचार और 1943 में बंगाल में भीषण अकाल जैसी भयावह घटनाएँ शामिल थीं, जिनमें लाखों लोगों की मृत्यु हुई।
    • राष्ट्रवादी भावनाओं में वृद्धि: युद्ध ने राष्ट्रवादी भावनाओं को और सशक्त किया, विशेष रूप से सुभाष चंद्र बोस द्वारा आज़ाद हिंद फौज़/भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के गठन के बाद, जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध को और प्रेरित किया।
    • युद्ध के बाद स्वतंत्रता आंदोलन: युद्ध ने ब्रिटिश नियंत्रण को कमज़ोर किया, जिससे उनका शासन जारी रखना असंभव हो गया। यूरोपीय लोगों की तुलना में सीमित नागरिक स्वतंत्रता के अनुभवों ने सैनिकों में स्वतंत्रता की मांग को और बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई

द्वितीय विश्वयुद्ध पर भारत की प्रतिक्रिया क्या थी?

  • औपनिवेशिक स्थिति और एकतरफा युद्ध की घोषणा: द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था। वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने भारतीय नेताओं से परामर्श किये बिना भारत के युद्ध में शामिल होने की घोषणा की, जिससे व्यापक राजनीतिक असंतोष पैदा हुआ।
  • विशाल सैन्य योगदान: भारत ने 2.5 मिलियन से अधिक सैनिकों का योगदान दिया, जो विश्व स्तर पर सबसे बड़ी स्वयंसेवी सेना थी। भारतीय सैनिकों ने यूरोप, अफ्रीका, मध्य पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया में प्रमुख युद्धक्षेत्रों में लड़ाई लड़ी, जिसमें इटली के मॉन्टे कैसिनो की लड़ाई जैसे महत्त्वपूर्ण युद्धों में मित्र देशों के युद्ध प्रयासों का समर्थन किया।
  • INA और धुरी-राष्ट्रों के साथ सहयोग: जापान के समर्थन के साथ भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया गया, जिसने दक्षिण-पूर्व एशिया में धुरी राष्ट्रों के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन को समाप्त करने और भारत की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिये लड़ाई लड़ी।
  • INC का विरोध: भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस (INC) ने वर्ष 1939 में प्रांतीय सरकारों से इस्तीफा देकर ब्रिटिश एकतरफा निर्णय का सख्त विरोध किया। उन्होंने मांग की कि युद्ध के बाद भारत का राजनीतिक भविष्य भारतीयों द्वारा तय किया जाए और द्वितीय विश्व युद्ध को स्वतंत्रता के लिये दबाव बनाने के अवसर के रूप में देखा।
  • पूर्ण और सशर्त समर्थन: कुछ समूहों, जैसे- मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा, ने ब्रिटिश युद्ध प्रयासों को सशर्त समर्थन दिया, यह आशा करते हुए कि भारत का योगदान उदारता का प्रतीक है एवं अंततः स्वशासन के रूप में परिणत होगा। वहीं, महात्मा गांधी जैसे नेताओं ने युद्ध की परिस्थितियों का उपयोग स्वतंत्रता आंदोलन को सशक्त करने के लिये किया।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के प्रमुख कारण क्या थे और इसका वैश्विक प्रभाव क्या था? इस घटना ने भारत के राजनीतिक परिदृश्य को कैसे आकार दिया?

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

मेन्स:

प्रश्न. यह कहना कहाँ तक उचित है कि प्रथम विश्वयुद्ध मूलतः शक्ति-संतुलन को बनाए रखने के लिये लड़ा गया था? (2024)

प्रश्न. किस सीमा तक जर्मनी को दो विश्व युद्धों का कारण बनने का ज़िम्मेदार ठहराया जा सकता है ? समालोचनात्मक चर्चा कीजिये। (2015)

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