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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में बंगाल की भूमिका
- 13 Dec 2025
- 42 min read
चर्चा में क्यों?
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि उसने रवींद्रनाथ टैगोर, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय सहित बंगाल के राष्ट्रीय नायकों के योगदान को कमतर आँका है।
- उनकी टिप्पणियों ने राष्ट्रीय प्रतीकों, क्षेत्रीय पहचान और ऐतिहासिक विरासत की राजनीति, विशेष रूप से राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम को लेकर बहस को जन्म दिया है।
सारांश
- बंगाल भारतीय राष्ट्रवाद का बौद्धिक और क्रांतिकारी केंद्र था, जिसने जन आंदोलनों, क्रांतिकारी विचारों एवं सशस्त्र प्रतिरोध को गति प्रदान की।
- टैगोर, बोस और बंकिम चंद्र जैसी प्रतिष्ठित विभूतियों ने इस आंदोलन की सांस्कृतिक और वैचारिक नींव को आकार दिया, हालाँकि उनकी विरासतें जटिल हैं।
- वंदे मातरम जैसे प्रतीकों और इन विभूतियों पर चल रहे विमर्श क्षेत्रीय पहचान, ऐतिहासिक स्मृति एवं राष्ट्रीय आख्यानों के बीच तनाव को दर्शाता है।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में बंगाल की क्या भूमिका है?
- बौद्धिक और सांस्कृतिक जागृति: राजा राममोहन रॉय के ब्रह्म समाज ने तर्कवाद और सामाजिक सुधारों को प्रज्वलित किया, जबकि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय के वंदे मातरम ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के राष्ट्रगान के रूप में कार्य किया।
- इसके पश्चात् स्वामी विवेकानंद ने इस भावना को राष्ट्रीय गौरव, आत्मसम्मान तथा सेवा को एक आध्यात्मिक कर्त्तव्य के रूप में संयोजित करते हुए उर्जित किया।
- प्रारंभिक राजनीतिक संघ: ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन (1851) तथा इंडियन एसोसिएशन (1876) जैसी प्रारंभिक राजनीतिक संस्थाएँ कलकत्ता में आविर्भूत हुई, जिन्होंने संगठित राजनीतिक आंदोलनों का मार्ग प्रशस्त किया और भारत के स्वतंत्रता-संग्राम को आकार दिया।
- कांग्रेस के शुरुआती अधिवेशनों में बंगाल के नेताओं (सुरेंद्रनाथ बनर्जी, आनंद मोहन बोस आदि) की प्रमुख भूमिका थी।
- स्वदेशी आंदोलन और चरमपंथ: बंगाल के विभाजन (वर्ष 1905) से स्वदेशी आंदोलन को प्रेरणा मिली जिससे बहिष्कार, स्वदेशी उद्यम, राष्ट्रीय शिक्षा तथा बिपिन चंद्र पाल एवं अरबिंदो घोष जैसे चरमपंथी नेताओं के माध्यम से आधुनिक क्रांतिकारी राष्ट्रवाद का उदय हुआ।
- इस दौरान अनुशीलन समिति (1902) और युगांतर पार्टी (1906) जैसे क्रांतिकारी समूहों का उदय हुआ, जिससे अलीपुर बम कांड (1908) जैसी घटनाएँ हुईं।
- राष्ट्रवाद का क्रांतिकारी चरण: प्रमुख कार्रवाइयों में मास्टर दा सूर्य सेन द्वारा चटगांव शस्त्रागार पर छापा (1930) और प्रीतिलता वाड्डेदार (1932) और बीना दास (1932) जैसी महिला क्रांतिकारियों की शहादत शामिल हैं।
- सांस्कृतिक और साहित्यिक योगदान: भयमुक्त बंगाली प्रेस (जैसे, अमृत बाज़ार पत्रिका) और सशक्त रंगमंच (जैसे, नील दर्पण) से औपनिवेशिक शोषण पर प्रकाश पड़ा, जबकि रवींद्रनाथ टैगोर (कृति- घरे बाइरे अर्थात द होम एंड द वर्ल्ड) और कवि काज़ी नज़रुल इस्लाम ने साहित्य, संगीत और भावपूर्ण छंदों के माध्यम से राष्ट्रवादी विचार को गहराई से आकार दिया।
- गांधीवादी आंदोलनों में भूमिका: चित्तरंजन दास और बसंती देवी जैसे नेतृत्वकर्त्ताओं के अंतर्गत असहयोग आंदोलन (1920-22) के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) में बंगाल की प्रमुख भागीदारी रही जिसमें हज़ारों गिरफ्तारियाँ हुईं। भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में सक्रिय भागीदारी के साथ समानांतर यहाँ ताम्रलिप्त जातीय सरकार (1942-44) का गठन हुआ।
निष्कर्ष
बंगाल के अद्वितीय योगदान (बौद्धिक, क्रांतिकारी और सांस्कृतिक) से भारत के स्वतंत्रता संग्राम को आकार मिला। इससे संबंधित समकालीन विमर्श से स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका पर प्रकाश पड़ता है।
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दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. बंगाल की भूमिका को 'भारतीय राष्ट्रवाद के क्रूसिबल' के रूप में जाँच और स्वतंत्रता संग्राम में इसके बौद्धिक, क्रांतिकारी तथा सांस्कृतिक योगदान को उजागर कीजिये। |
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. बंगाल से कौन-कौन से प्रारंभिक राजनीतिक संगठन उभरे?
कोलकाता में स्थापित ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन (1851), इंडियन लीग (1875) और इंडियन एसोसिएशन (1876) प्रमुख प्रारंभिक राजनीतिक संगठन थे।
2. 'वंदे मातरम' ऐतिहासिक रूप से विवादास्पद प्रतीक क्यों रहा?
हालाँकि यह एक शक्तिशाली औपनिवेशिक विरोधी गीत था, लेकिन बंकिम चंद्र के उपन्यास आनंदमठ में इसका संदर्भ और स्पष्ट हिंदू प्रतीकवाद के कारण इसके बारे में विवाद हुए, जिसके परिणामस्वरूप केवल इसके पहले दो पदों को राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया।
3. नेताजी सुभाष चंद्र बोस का कांग्रेस की मुख्यधारा से वैचारिक भिन्न दृष्टिकोण क्या था?
बोस स्वतंत्रता के लिये अधिक उग्र, समाजवादी और केंद्रीकृत संगठित दृष्टिकोण के पक्षधर थे, जिसके परिणामस्वरूप फाॅरवर्ड ब्लॉक और भारतीय राष्ट्रीय सेना (आज़ाद हिंद फौज) का गठन हुआ।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सी घटना सबसे पहले हुई? (2018)
(a) स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की।
(b) दीनबंधु मित्र ने ‘नीलदर्पण’ का लेखन किया।
(c) बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने ‘आनंदमठ' का लेखन किया।
(d) सत्येन्द्रनाथ टैगोर इंडियन सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता पाने वाले प्रथम भारतीय बने।
उत्तर: (b)
प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन अंग्रेज़ी में प्राचीन भारतीय धार्मिक गीतों के अनुवाद 'सॉन्ग्स फ्रॉम प्रिज़न' से संबंधित है? (2021)
(a) बाल गंगाधर तिलक
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) मोहनदास करमचंद गांधी
(d) सरोजिनी नायडू
उत्तर: (c)
मेन्स
प्रश्न. लॉर्ड कर्ज़न की नीतियों और राष्ट्रीय आंदोलन पर उनके दीर्घकालिक प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। (2020)
प्रश्न. गांधीवादी प्रावस्था के दौरान विभिन्न स्वरों ने राष्ट्रवादी आंदोलन को सुदृढ़ एवं समृद्ध बनाया था। विस्तारपूर्वक स्पष्ट कीजिये। (2019)

