रैपिड फायर
अरबिंदो घोष
- 19 Aug 2025
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श्री अरबिंदो - एक राजनीतिक विचारक, नेता, कार्यकर्त्ता-पत्रकार और भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विद्वान - की जयंती 15 अगस्त, 2025 को मनाई गई।
अरबिंदो घोष
- परिचय: अरबिंदो घोष का जन्म 15 अगस्त, 1872 को कलकत्ता में हुआ था। वह एक योगी, द्रष्टा, दार्शनिक, कवि और भारतीय राष्ट्रवादी थे। उनका निधन 5 दिसंबर, 1950 को पुद्दुुचेरी में हुआ था।
- उन्होंने भारतीय सिविल सेवा (ICS) की परीक्षा उत्तीर्ण की थी, लेकिन घुड़सवारी की परीक्षा में शामिल नहीं हुए या असफल रहे, जिसके कारण उन्होंने ब्रिटिश राज की नौकरशाही में कॅरियर बनाने से इनकार कर दिया।
- योगदान:
- क्रांतिकारी जीवन: गांधीजी के नेतृत्व से पहले उन्होंने उग्र राष्ट्रवाद का समर्थन किया बड़े पैमाने पर लामबंदी का आह्वान किया।
- न्यू लैम्प्स फॉर ओल्ड, अरबिंदो घोष द्वारा लिखे गए लेखों की एक शृंखला थी जिसमें कॉन्ग्रेस की उदारवादी नीतियों की आलोचना की गई थी।
- उन्हें अलीपुर बम कांड (1908) में गिरफ्तार किया गया और चित्तरंजन दास ने उनका सफलतापूर्वक बचाव किया।
- आध्यात्मिक और दार्शनिक: उन्होंने पुद्दुुचेरी में श्री अरबिंदो आश्रम (1926) की स्थापना की और मीरा अल्फासा (माँ) के साथ सहयोग किया, जिन्होंने बाद में एक सार्वभौमिक टाउनशिप ऑरोविले की स्थापना की।
- साहित्यिक योगदान: उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण रचनाएँ लिखीं, जिनमें द लाइफ डिवाइन, सावित्री, एस्सेज़ ऑन द गीता, द सिन्थेसिस ऑफ योगा, और डिफेन्स ऑफ इंडियन कल्चर शामिल हैं।
- उन्होंने बंदे मातरम, युगांतर और कर्मयोगी जैसी क्रांतिकारी पत्रिकाओं की स्थापना की और उनमें योगदान दिया तथा अनुशीलन समिति जैसे युवा संगठनों से भी जुड़े रहे।
- उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार (1943) और नोबेल शांति पुरस्कार (1950) के लिये नामांकित किया गया था।
- क्रांतिकारी जीवन: गांधीजी के नेतृत्व से पहले उन्होंने उग्र राष्ट्रवाद का समर्थन किया बड़े पैमाने पर लामबंदी का आह्वान किया।
- विरासत और प्रभाव: वह भारत को विश्वगुरु के रूप में देखने वाले प्रारंभिक विचारकों में से थे। उन्होंने आध्यात्मिक नेतृत्व, उपनिवेशवाद से मुक्ति और भारतीय सभ्यता पर गर्व की भावना को विशेष रूप से महत्त्व दिया।
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