भारतीय इतिहास
भारत छोड़ो आंदोलन दिवस
- 08 Aug 2025
- 60 min read
प्रिलिम्स के लिये: भारत छोड़ो आंदोलन, द्वितीय विश्व युद्ध, महात्मा गांधी, मुस्लिम लीग
मेन्स के लिये: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भारत छोड़ो आंदोलन का महत्त्व, भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन
चर्चा में क्यों?
भारत प्रत्येक वर्ष 8 अगस्त को भारत भारत छोड़ो आंदोलन दिवस के रूप में मनाता है, जिसे अगस्त क्रांति दिवस के रूप में भी जाना जाता है, यह दिवस भारत छोड़ो आंदोलन की याद में मनाया जाता है, जिसमें भारत में ब्रिटिश शासन को तत्काल समाप्त करने की मांग की गई थी।
भारत छोड़ो आंदोलन क्या था?
- शुरुआत और उद्देश्य: महात्मा गांधी ने 8 अगस्त, 1942 को मुंबई में ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी के अधिवेशन के दौरान इस आंदोलन की शुरुआत की। क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद, इस आंदोलन में ब्रिटिश शासन को तुरंत समाप्त करने की मांग की गई।
- गांधी का आह्वान: गांधी ने गौवालिया टैंक मैदान (अब अगस्त क्रांति मैदान) से “करो या मरो” का आह्वान किया, जिसमें भारतीयों से ब्रिटिश शासन के तत्काल अंत की मांग करने का आग्रह किया गया।
- नारा और प्रतीकात्मकता: “भारत छोड़ो” का नारा मुंबई के समाजवादी और ट्रेड यूनियन नेता यूसुफ मेहरअली ने दिया था, जिन्होंने पहले “साइमन गो बैक” का नारा भी गढ़ा था।
- आंदोलन के दौरान, अरुणा आसफ अली एक प्रमुख हस्ती बन गईं, जिन्होंने गोवालिया टैंक मैदान पर अवज्ञा के प्रतीक के रूप में भारतीय ध्वज फहराया।
- नए नेताओं का उदय: इस आंदोलन के दौरान डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण जैसे नए नेता उभरकर सामने आए।
- महिलाओं ने भी इसमें महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, कई ने प्रदर्शन का नेतृत्व किया और प्राणों की आहुति दी। जैसे मतंगिनी हाज़रा, जो हाथ में तिरंगा लिये शहीद हुईं तथा सुचेता कृपलानी, जो बाद में भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) बनीं।
- भारत छोड़ो आंदोलन का स्वरूप: यह आंदोलन पहले के शांतिपूर्ण आंदोलनों जैसे असहयोग और सविनय अवज्ञा से अलग था, क्योंकि यह ब्रिटिश शासन की पूरी तरह समाप्ति के लिये जनविद्रोह था।
- हालाँकि गांधीजी ने अहिंसा पर ज़ोर दिया, लेकिन आंदोलन में आत्मरक्षा के लिये हिंसा को भी शामिल किया गया। इसमें ब्रिटिश संपत्तियों पर तोड़फोड़ और गुरिल्ला हमलों जैसी स्वतःस्फूर्त कार्रवाइयों की अनुमति थी।
- कॉन्ग्रेस नेताओं की गिरफ्तारी के बाद, पूरे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन, हड़तालें और तोड़फोड़ शुरू हो गई, जिसमें छात्रों और युवाओं ने, खासकर शहरी केंद्रों में, अगुवाई की।
- मुस्लिम समुदाय कतर मुस्लिम लीग से काफी हद तक दूर रहा, इसे एक हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन के रूप में देखा गया, जिसने बढ़ते सांप्रदायिक विभाजन और मुस्लिम लीग के अलग राज्य के लिये दबाव को उजागर किया।
- विरासत: यह आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्त्वपूर्ण मार्ग बना, जिसने एकता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः ब्रिटिश शासन का अंत हुआ।
- भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐतिहासिक क्षण था जिसने भारत की भावी राजनीति को आकार दिया। गोवालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में, गांधीजी ने कहा था कि सत्ता भारत के लोगों के हाथ में होगी। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम को वास्तव में "हम भारत के लोगों" का प्रतीक बना दिया।
किन घटनाओं ने भारत छोड़ो आंदोलन को जन्म दिया?
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) का प्रभाव: ब्रिटेन ने भारतीय नेताओं से परामर्श किये बिना भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल कर लिया। कॉन्ग्रेस ने समर्थन के बदले पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की, लेकिन ब्रिटेन ने इनकार कर दिया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया।
- क्रिप्स मिशन की विफलता (मार्च 1942): द्वितीय विश्व युद्ध में भारत का समर्थन प्राप्त करने तथा राजनीतिक संकट को दूर करने के लिये ब्रिटिश सरकार द्वारा मार्च 1942 में क्रिप्स मिशन भेजा गया था।
- स्टैफोर्ड क्रिप्स ने युद्ध के बाद भारत को डोमिनियन का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा, जिसमें एक संविधान सभा तथा प्रान्तों और रियासतों को इससे बाहर रखने का सुझाव दिया गया।
- गांधीजी ने क्रिप्स से मुलाकात की, लेकिन प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया और इसे "डूबते बैंक के पोस्ट-डेटेड चेक" (post-dated cheque on a crashing bank) बताया, क्योंकि यह प्रस्ताव विभाजन का समर्थन करता था और तत्काल स्वतंत्रता की पेशकश करने में विफल रहा। मिशन अंततः भारतीयों की मांगों को पूरा करने में विफल रहा।
- राष्ट्रवादी भावना और आर्थिक कठिनाइयाँ: वर्ष 1942 तक, स्वतंत्रता देने में ब्रिटिश देरी , राजनीतिक दमन, युद्धकालीन शोषण तथा युद्ध के दौरान बंगाल से चावल के निर्यात पर बढ़ती निराशा के परिणामस्वरूप खाद्य संकट उत्पन्न हुआ, जिसके कारण वर्ष 1943 में बंगाल में भीषण अकाल पड़ा।
- अकाल ने जनता की पीड़ा को और बढ़ा दिया तथा ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आक्रोश को बढ़ा दिया।
- बर्मा का पतन (1942): बर्मा पर जापान के आक्रमण ने युद्ध को भारत के दरवाजे तक ला दिया, जिससे आक्रमण की आशंका बढ़ गई तथा ब्रिटिशों की वापसी की आवश्यकता महसूस होने लगी।
- इस बीच, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय राष्ट्रीय सेना (Indian National Army) का गठन कर स्वतंत्रता के लिये जारी लड़ाई को तीव्र कर दिया।
- महात्मा गांधी का नेतृत्व: स्वतंत्रता की बढ़ती मांगों का सामना करते हुए, गांधी ने भारत छोड़ो का आह्वान किया और घोषणा की, " हम या तो भारत को आज़ाद करेंगे या इस प्रयास में अपनी जान दे देंगे।"
- 8 अगस्त 1942 को अखिल भारतीय कॉन्ग्रेस समिति ने अहिंसक जन प्रतिरोध का आह्वान करते हुए भारत छोड़ो प्रस्ताव पारित किया।
भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम क्या थे?
- ब्रिटिश दमन: ब्रिटिश सरकार ने कठोर दमन किया तथा प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन इस आंदोलन के कारण कई क्षेत्रों में ब्रिटिश सत्ता अस्थायी रूप से ध्वस्त हो गई।
- समानांतर सरकारों का उदय: बलिया (उत्तर प्रदेश), तामलुक (पश्चिम बंगाल) और सतारा (महाराष्ट्र) जैसे स्थानों में स्थानीय समानांतर सरकारों ने कुछ समय के लिये ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी, जिससे स्वशासन की प्रबल इच्छा का संकेत मिला।
- राष्ट्रीय एकता में वृद्धि: इस आंदोलन ने पूर्ण स्वतंत्रता के संघर्ष में विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के भारतीयों को एकजुट किया तथा औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध सामूहिक संकल्प को मज़बूत किया।
- भारतीय राजनीति के भीतर विभाजन: इस आंदोलन ने भारतीय राजनीति के भीतर विभाजन को भी उजागर किया, जिसमें मुस्लिम लीग ने बड़े पैमाने पर स्वयं को इससे दूर रखा, जिससे भारत के भविष्य को लेकर कॉन्ग्रेस और लीग के बीच बढ़ता मतभेद उजागर हुआ।
- स्वतंत्रता का मार्ग: यद्यपि इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को तात्कालिक रूप से समाप्त नहीं किया, लेकिन इसने वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता का मंच तैयार कर दिया, क्योंकि इसने अंग्रेज़ों को इस बात का अनुभव कराया कि भारत पर उनकी पकड़ अब स्थायी नहीं रही।
निष्कर्ष:
भारत छोड़ो आंदोलन भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्त्वपूर्ण क्षण था, यह स्वतंत्रता की एक साहसिक, ज्वलंत मांग थी जिसने उन लाखों लोगों की भावनाओं को प्रभावित किया जो अपने देश की स्वतंत्रता के लिये सब कुछ बलिदान करने को तैयार थे।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने में भारत छोड़ो आन्दोलन के महत्त्व की विवेचना कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)
प्रिलिम्स
प्रश्न. भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021)
(a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था।
(b) अधिक भारतीयों को शामिल करने के लिये वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया।
(c) सात प्रांतों में काॅन्ग्रेस के मंत्रिमंडलों ने इस्तीफा दे दिया।
(d) द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद क्रिप्स ने पूर्ण डोमिनियन स्थिति के साथ एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा।
उत्तर: (a)
प्रश्न. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के संदर्भ में निम्नलिखित घटनाओं पर विचार कीजिये: (2017)
- रॉयल इंडियन नेवी में विद्रोह
- भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
उपरोक्त घटनाओं का सही कालानुक्रमिक क्रम क्या है?
(a) 1 – 2– 3
(b) 2 – 1 – 3
(c) 3 – 2 – 1
(d) 3 – 1 – 2
उत्तर : (c)
मेन्स
प्रश्न. वे कौन-सी घटनाएँ थीं जिनके कारण भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ? इसके परिणामों को स्पष्ट कीजिये। (2024)