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भारतीय इतिहास

स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका

  • 28 Aug 2025
  • 75 min read

प्रिलिम्स के लिये: असहयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, रानी लक्ष्मीबाई, अखिल भारतीय महिला सम्मेलन, सावित्रीबाई फुले 

मेन्स के लिये: भारत के राष्ट्रवादी आंदोलनों और क्रांतिकारी गतिविधियों में महिलाओं की भूमिका, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लैंगिक और सामाजिक सुधार। 

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

भारत ने अपनी 79वीं स्वतंत्रता दिवस की वर्षगाँठ मनाई, जिसमे राष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम को आकार देने में महिलाओं की निर्णायक भूमिका पर प्रकश डाला। इन महिलाओं ने केवल ब्रिटिश शासन के विरुद्ध ही नहीं, बल्कि उन सामाजिक बंधनों के खिलाफ भी संघर्ष किया, जो उन्हें अदृश्य बनाए रखना चाहते थे। 

स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की भूमिका क्या थी? 

  • जन आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी: महिलाओं ने "भारत माता" के प्रतीक से प्रेरित होकर क्षेत्रीय और सामुदायिक सीमाओं से ऊपर उठकर एकजुटता दिखाई। इससे राष्ट्रीय भावना को बल मिला और ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध व्यापक समर्थन जुटाने में मदद मिली। 
    • असहयोग आंदोलन (1920-1922): महिलाओं ने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार किया, खादी को बढ़ावा दिया, जुलूसों में भाग लिया तथा जेल जाने से भी नहीं हिचकिचाईं, जिससे उनके साहस और राजनीतिक जागरूकता का परिचय मिला। 
    • नमक सत्याग्रह (1930) में सरोजिनी नायडू और कमला नेहरू जैसी हस्तियों ने जुलूसों का नेतृत्व किया, नमक की दुकानों पर धरना दिया और ग्रामीण महिलाओं को संगठित किया, जिससे महिलाएँ मुख्यधारा के संघर्ष में शामिल हो गईं। 
    • भारत छोड़ो आंदोलन (1942): महिलाओं ने रैलियाँ आयोजित कीं, राष्ट्रवादी संदेश फैलाए, भूमिगत कांग्रेस रेडियो चलाया और पुरुष नेताओं की गिरफ्तारी के दौरान आंदोलन की निरंतरता बनाए रखी। 
  • क्रांतिकारी योगदान:  प्रीतिलता वद्देदार और कल्पना दत्ता जैसे नेताओं ने चटगाँव छापों, ब्रिटिश प्रतिष्ठानों पर हमलों और भूमिगत क्रांतिकारी नेटवर्क में सक्रिय रूप से भाग लिया। 
    • रानी लक्ष्मीबाई, मातंगिनी हाजरा और कनकलता बरुआ जनभागीदारी को प्रेरित करते हुए बलिदान के प्रतीक बन गईं। 
    • महिलाओं ने हथियारों की तस्करी की, पर्चे बांटे तथा गुप्त प्रतिरोध प्रयासों का समन्वय किया, जिससे उनकी रणनीतिक कुशाग्रता उजागर हुई। 
  • नेतृत्व और संगठनात्मक भूमिका: अखिल भारतीय महिला सम्मेलन (AIWC) और महिला भारतीय संघ (WIA) जैसे महिला-केंद्रित संगठनों के गठन ने राजनीतिक सक्रियता और सामाजिक सुधार के लिये मंच प्रदान किया। 
    • सरोजिनी नायडू, विजया लक्ष्मी पंडित, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी नेताओं ने विरोध प्रदर्शनों का मार्गदर्शन किया, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व किया तथा राजनीति में महिला नेतृत्व की संस्कृति को बढ़ावा दिया। 
  • सामाजिक सुधार और लैंगिक सशक्तीकरण: सावित्रीबाई फुले जैसी अग्रणी महिलाओं ने स्त्री शिक्षा को बढ़ावा दिया, कानूनी समानता और संपत्ति के अधिकार की वकालत की तथा पर्दा प्रथा और बाल विवाह जैसी प्रतिबंधात्मक प्रथाओं को समाप्त करने में अहम भूमिका निभाई। 
    • खादी संवर्द्धन, साक्षरता अभियान और नागरिक समाज में भागीदारी के माध्यम से ग्रामीण और शहरी महिलाओं को सशक्त बनाया गया तथा सामाजिक सुधार को राजनीतिक सक्रियता से जोड़ा गया। 

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाने वाली महिला नेतृत्त्वकर्त्ता कौन थीं? 

  • रानी लक्ष्मीबाई: झांसी की रानी, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम (1857 के भारतीय विद्रोह) में बहादुरी से लड़ीं और राज्य हड़प नीति (Doctrine of Lapse) का विरोध किया। 
  • रानी चेन्नम्मा: कर्नाटक के कित्तूर की रानी जिन्होंने वर्ष 1824 में अंग्रेज़ों के खिलाफ कित्तूर विद्रोह का नेतृत्व किया। यह भारत में महिलाओं के नेतृत्त्व वाले शुरुआती उपनिवेश-विरोधी संघर्षों में से एक था।  
    • यह विद्रोह तब भड़का जब अंग्रेज़ों ने हड़प नीति के तहत उनके दत्तक पुत्र को उत्तराधिकारी मानने से इनकार कर दिया। 
  • सावित्रीबाई फुले: भारत की पहली महिला शिक्षिका, जिन्होंने लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा दिया, बाल विवाह, जातिगत भेदभाव का विरोध किया तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया। 
  • पंडिता रमाबाई: विधवाओं के लिये शारदा सदन की स्थापना की; महिला शिक्षा और मताधिकार को प्रोत्साहित किया; बाल विवाह के विरुद्ध अभियान चलाया। 
  • सरोजिनी नायडू: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष; नमक मार्च (आंदोलन), सविनय अवज्ञा तथा भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय  भूमिका निभाई। 
  • सुचेता कृपलानी: सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रहीं। बाद में भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री (उत्तर प्रदेश) बनीं। 
  • कमलादेवी चट्टोपाध्याय: मैंगलोर में जन्मी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ। उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस (AIWC) में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, मद्रास में विधानसभा चुनाव लड़ने वाली पहली महिला बनीं और उन्होंने गांधीजी को नमक सत्याग्रह में महिलाओं को समान रूप से शामिल करने के लिये प्रेरित किया। 
  • रानी गाइदिन्ल्यू: मात्र 13 वर्ष की आयु में अपने चचेरे भाई हैपोउ जादोनांग द्वारा स्थापित हेराका आंदोलन से जुड़ीं। जादोनांग के वध के बाद आंदोलन का नेतृत्व संभाला, ब्रिटिश शासन का विरोध किया तथा नगा पहचान को बढ़ावा दिया। 
  • एनी बेसेंट: मद्रास होम रूल लीगकी संस्थापक, वर्ष 1917 में कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। शिक्षा और राष्ट्रवादी जागरूकता को प्रोत्साहित किया। 
  • कमला नेहरू: जवाहरलाल नेहरू के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया। 
  • अरुणा रॉय: आधुनिक सामाजिक कार्यकर्त्ता; पारदर्शिता और जवाबदेही के लिये सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के अधिनियमन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। 
  • भीकाजी कामा: विदेश में (जर्मनी) पहली बार भारतीय ध्वज फहराया और निर्वासन में रहते हुए भी सक्रियता जारी रखी। 
  • अरुणा आसफ अली: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान कांग्रेस का झंडा फहराया, जिसके कारण उन्हें '1942 की नायिका' (Heroine of 1942) की उपाधि दी गई। 
  • कस्तूरबा गांधी: महात्मा गांधी के साथ सविनय अवज्ञा तथा अन्य विरोध प्रदर्शनों में शामिल रहीं और कई बार जेल भी जाना पड़ा। 
  • फातिमा शेख: बालिका शिक्षा और सामाजिक सुधार की अग्रणी। इन्होंने महिला सशक्तीकरण की नींव रखी। 
  • रुक्मिणी देवी अरुंडेल: भारतीय शास्त्रीय नृत्य और कला को पुनर्जीवित एवं प्रोत्साहित किया, जिसके परिणामस्वरूप देश की सांस्कृतिक पहचान सशक्त हुई। 
  • उषा मेहता: भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गुप्त तरीके से कांग्रेस रेडियो का संचालन कर स्वतंत्रता का संदेश प्रसारित किया। 
  • बंगाल की महिला क्रांतिकारी:  
    • बीना दास: इन्होंने वर्ष 1932 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह हॉल (Convocation Hall) में बंगाल के गवर्नर स्टेनली जैक्सन की हत्या का प्रयास किया था। 
      • उन्होंने खादी पहनकर, प्रतिबंधित साहित्य पर लेखन करते हुए और अपने कॉलेज में क्रांतिकारी साहित्य का वितरण कर शांतिपूर्वक विरोध जताया। इन कार्यों ने ब्रिटिश साम्राज्य और महिलाओं की आवाज़ को दबाने वाले वाले सामाजिक मानदंडों, दोनों को चुनौती दी। 
    • प्रीतिलता वाद्देदार: पहाड़तली यूरोपीयन क्लब पर हमले का नेतृत्व किया (1932); नस्लीय भेदभाव का विरोध करने के लिये स्वयं को बलिदान कर दिया। 
    • कल्पना दत्त: चटगाँव शस्त्रागार छापे में शामिल हुईं और क्रांति में महिलाओं की समान भूमिका को प्रमाणित किया। 
    • कमला दास गुप्ता: क्रांतिकारियों को छुपाने में सहायता की, संदेशों को पहुँचाने का कार्य किया तथा क्रांतिकारियों को हथियार उपलब्ध कराते हुए स्वतंत्रता आंदोलन का समर्थन किया।  
    • बेगम रुकैया सखावत हुसैन: एक अग्रणी नारीवादी, उन्होंने अपने उपन्यास सुल्ताना का सपना (Sultana’s Dream) में महिलाओं के नेतृत्व में, तर्क एवं शांतिपूर्ण तरीके से शासित और पितृसत्ता एवं उपनिवेशवाद दोनों की बेड़ियों से मुक्त समाज की कल्पना की। 
      • उन्होंने कोलकाता में मुस्लिम लड़कियों के लिये स्कूल स्थापित किये और व्यक्तिगत रूप से परिवारों को अपनी बेटियों को शिक्षित करने के लिये प्रोत्साहित किया। 
    • लाबन्या प्रभा घोष: साक्षरता को एक हथियार के रूप में बढ़ावा दिया, पढ़ने वाले समूहों का आयोजन किया, मुक्ति जैसे राष्ट्रवादी प्रकाशनों के लिये लेखन का कार्य किया और ग्रामीण बंगाल में भूमिगत राष्ट्रवादी बैठकों की मेज़बानी की। 
    • मातंगिनी हाज़रा (गांधी बूड़ि): भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया। हाथों में तिरंगा थामे और "वंदे मातरम" का नारा लगाते हुए गोली लगने से हुई उनकी मृत्यु इस बात का प्रतीक थी कि आज़ादी सभी भारतीयों की है, केवल अभिजात वर्ग की नहीं। 

निष्कर्ष: 

महिलाएँ केवल सहभागी ही नहीं, बल्कि भारत की स्वतंत्रता की शिल्पकार भी थीं। उन्होंने साहस, रणनीतिक कार्रवाई और सामाजिक सुधार को मिलाकर स्वतंत्रता आंदोलन की दिशा तय की। उनका योगदान राजनीतिक संघर्ष और सामाजिक मुक्ति के संगम का उत्कृष्ट उदाहरण है। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न: भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महिलाओं की बहुआयामी भूमिका पर चर्चा कीजिये। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स:

प्रश्न. एनी बेसेंट थी: 

  1. होमरूल आंदोलन शुरू करने के लिये ज़िम्मेदार   
  2. थियोसोफिकल सोसायटी की संस्थापक  
  3. भारतीय राष्ट्रीय काॅन्ग्रेस की अध्यक्ष (एक बार के लिये) 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही कथन/कथनों का चयन कीजिये। 

(a) केवल 1 

(b) केवल 2 और 3 

(c) केवल 1 और 3 

(d) 1, 2 और 3 

उत्तर:  (c) 

प्रश्न. भारतीय इतिहास में 8 अगस्त, 1942 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है? (2021) 

(a) भारत छोड़ो प्रस्ताव AICC द्वारा अपनाया गया था। 

(b) अधिक भारतीयों को शामिल करने के लिये वायसराय की कार्यकारी परिषद का विस्तार किया गया। 

(c) सात प्रांतों में काॅन्ग्रेस के मंत्रिमंडलों ने इस्तीफा दे दिया। 

(d) द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद क्रिप्स ने पूर्ण डोमिनियन स्थिति के साथ एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा। 

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में, विशेषकर गाँधीवादी चरण के दौरान, महिलाओं की भूमिका पर चर्चा कीजिये।(2016) 

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