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भारतीय अर्थव्यवस्था

भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCC) को बढ़ावा देना

  • 17 Sep 2025
  • 59 min read

प्रिलिम्स के लिये: भारतीय उद्योग परिसंघ, वैश्विक क्षमता केंद्र, सकल मूल्य संवर्द्धन, बौद्धिक संपदा, सेमीकंडक्टर। 

मेन्स के लिये: भारत के आर्थिक विकास में वैश्विक क्षमता केंद्रों की भूमिका 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) ने भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर- GCC) को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न उपायों का प्रस्ताव रखा है, जो भारत को नवाचार-संचालित GCC के लिये वैश्विक मुख्यालय के रूप में स्थापित कर सकता है। 

  • यह नीति ढाँचा तीन मुख्य स्तंभों राष्ट्रीय दिशा, सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र और मापनीय परिणाम पर  आधारित है। इन स्तंभों को आगे चार प्रमुख सफल कारकों प्रतिभा, बुनियादी ढाँचा, क्षेत्रीय समावेशन और नवाचार का सहारा प्राप्त है। 

वैश्विक क्षमता केंद्र क्या हैं? 

  • वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) के बारे में: एक वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) एक बहुराष्ट्रीय निगम की पूर्ण स्वामित्व वाली अपतटीय इकाई है। 
    • यह आईटी, वित्त, इंजीनियरिंग, ग्राहक सेवा और अनुसंधान एवं विकास जैसे प्रमुख कार्यों को लागत-कुशल वैश्विक स्थानों से केंद्रीकृत और कार्यान्वित करता है। 
  • भारत में GCC: भारत विश्व के लगभग आधे GCC का मेजबान है तथा CII के अनुसार, वर्ष 2030 तक उनकी संख्या 1,800 से बढ़कर 5,000 हो सकती है, जिसमें हर दो सप्ताह में 36 नए जीसीसी शामिल होते हैं। 
  • आर्थिक योगदान: यह प्रत्यक्ष रूप से सकल मूल्य संवर्द्धन (GVA) में लगभग 68 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान देता है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 1.8% है। वित्त वर्ष 2030 तक यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 470-600 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान कर सकता है। 
  • रोज़गार सृजन: भारत का GCC पारिस्थितिकी तंत्र वित्त वर्ष 2025 में 10.4 मिलियन नौकरियों को सहयोग प्रदान करता है, साथ ही वर्ष 2030 तक 20–25 मिलियन नौकरियाँ उत्पन्न कर सकता है, जिनमें से 4–5 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियाँ शामिल हैं। 

भारत में GCCs के प्रमुख विकास कारक क्या हैं? 

  • विविध प्रतिभा पूल: भारत का विशाल कुशल कार्यबल, जिसमें 1.9 मिलियन पेशेवर GCCs में कार्यरत हैं और लाखों STEM स्नातक शामिल हैं, जो क्षेत्रों, भाषाओं और दृष्टिकोणों में विविधता प्रदान करता है। 
    • वैश्विक परियोजनाओं, नवीनतम तकनीक और करियर उन्नति के अवसर AI, डेटा साइंस और साइबर सुरक्षा के क्षेत्रों में कुशल प्रतिभाओं को आकर्षित बनाए रखने में सहायक होते हैं। 
  • उभरते बाज़ार: भारत की रणनीतिक स्थिति एशियाई बाज़ारों, स्थानीय उपभोक्ता अंतर्दृष्टि और अपने स्वयं के बढ़ते घरेलू बाज़ार तक पहुँच को सक्षम बनाती है।   
  • जोखिम शमन: भौगोलिक विविधता वाले संचालन और COVID-19 के समय प्रदर्शित अनुकूलन क्षमता ने भारतीय GCCs को एक भरोसेमंद जोखिम प्रबंधन केंद्र के रूप में स्थापित किया है। 
  • बेहतर विस्तार क्षमता एवं लचीलापन: भारत का परिपक्व GCC पारिस्थितिकी तंत्र और मज़बूत बुनियादी ढाँचा कंपनियों को व्यवसाय की आवश्यकताओं के अनुसार संचालन को तेज़ी से बढ़ाने में सक्षम बनाता है। 
  • अनुपालन एवं सुशासन: मज़बूत डेटा संरक्षण, गोपनीयता कानून और सुशासन ढाँचे उच्च मानकों और नियामक अनुपालन को सुनिश्चित करते हैं।

CII द्वारा वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) के लिये प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति: 

  • प्राथमिक क्षेत्र पर केंद्रित दृष्टिकोण: भारत को निवेश और कौशल के बेहतर उपयोग के लिये हेल्थकेयर, लाइफ साइंसेस और इलेक्ट्रॉनिक्स डिज़ाइन में GCCs को प्राथमिकता देनी चाहिये। 
  • कर प्रोत्साहन: उच्च-मूल्य वाले कार्य, बौद्धिक संपदा (IP) निर्माण और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने के लिये सुविधाजनक कर नीतियाँ अपनाई जाएँ तथा नए कर्मचारियों की भर्ती पर रोज़गार-आधारित कटौतियाँ प्रदान की जाएँ। 
  • सेफ हार्बर का पुनः समायोजन: भारत के ग्लोबल सेफ हार्बर मार्कअप को कम करना और सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट बनाम अनुसंधान एवं विकास (R&D) जैसे अंतर स्पष्ट करना, साथ ही अधिक GCC को शामिल करने के लिये पात्रता का विस्तार करना। 
  • अवसंरचना और नियामक सुधार: समर्पित GCC इकोसिस्टम के लिये डिजिटल इकोनॉमिक ज़ोन (DEZ) विकसित करना, जिसमें रणनीति और अनुपालन हेतु केंद्रीय प्राधिकरण हो। 
    • GCC विकास को स्मार्ट सिटीज़ और गति शक्ति के साथ संरेखित किया जाना चाहिये, जबकि टियर-II तथा टियर-III शहरों को वैकल्पिक केंद्रों के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिये। 
  • नवाचार और स्थिरता पर ध्यान: भारत को ESG-आधारित नवाचार के लिये प्रोत्साहन प्रदान करना चाहिये। 

भारत में GCC के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ विद्यमान हैं तथा आगे की राह क्या है?

चुनौतियाँ 

आगे की राह  

भारत में डिजिटल कौशल अंतर वर्ष 2023 में 25% से बढ़कर वर्ष 2028 तक 29% होने का अनुमान है और केवल 43% स्नातक औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य करने की क्षमता रखते हैं, जिससे कंपनियों को पुनःकौशल विकास (Reskilling) में भारी निवेश करना पड़ता है। 

मानकीकृत पुनःकौशल प्लेटफॉर्म को AI, क्लाउड और डेटा एनालिटिक्स में प्रमाणपत्र प्रदान करने चाहिये, जबकि कर लाभ या सब्सिडी जैसे प्रोत्साहन बड़े पैमाने पर स्नातक उन्नयन को बढ़ावा देने के लिये दिये जाने चाहिये। 

नीति-निर्माता इस तर्क को लेकर चिंतित हैं कि GCC घरेलू IT कंपनियों के साथ ओवरलैप कर सकते हैं, IT निर्यात को कमज़ोर कर सकते हैं और भारत में सीमित उच्च-स्तरीय परियोजनाओं को उत्पन्न कर सकते हैं। 

एक स्पष्ट विभेदीकरण रणनीति को रणनीतिक नवाचार और अनुसंधान एवं विकास के लिये GCC को तैयार करना चाहिये। 

अधिकांश GCC कार्य नियमित और आउटसोर्स करने के योग्य रहते हैं तथा सीमित बौद्धिक संपदा (IP) सृजन के कारण भारत की वैश्विक मूल्य शृंखला में वृद्धि सीमित रहती है।

GCC को आकर्षित करने के लिये दृढ़ बौद्धिक संपदा (IP) सुरक्षा वाले विशेष नवाचार क्षेत्र बनाना और उत्पाद विकास में अधिक स्वामित्व के लिये IP नेतृत्व को अनिवार्य करना। 

GCC क्षेत्र में उच्च पलायन, विशेष रूप से AI, एनालिटिक्स और डिजिटल भूमिकाओं में प्रतिभाओं को बनाए रखना तथा विकास को स्थायी बनाना कठिन बना देता है। 

ग्लोबल असाइनमेंट और उच्च प्रभाव वाली परियोजनाओं को बढ़ावा देना एक प्रतिस्पर्द्धी कार्य संस्कृति प्रदान करता है। 

निष्कर्ष 

भारत का खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) पारिस्थितिकी तंत्र महत्त्वपूर्ण आर्थिक और रोज़गार क्षमता प्रदान करता है, लेकिन इसके सामने डिजिटल कौशल में बढ़ती कमी, सीमित बौद्धिक संपदा सृजन तथा उच्च पलायन जैसी चुनौतियाँ भी हैं। क्षेत्र प्राथमिकता, कर प्रोत्साहन, नियामक सुधार तथा डिजिटल आर्थिक क्षेत्र (DEZ) जैसी रणनीतिक नीतियाँ इस क्षेत्र को मज़बूत बना सकती हैं, वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता बढ़ा सकती हैं और सतत् विकास एवं रोज़गार सृजन सुनिश्चित कर सकती हैं। 

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) भारतीय अर्थव्यवस्था के लिये विकास के प्रमुख चालक बन रहे हैं। घरेलू IT क्षेत्र के समक्ष इनसे उत्पन्न प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण करते हुए इनकी क्षमता पर चर्चा कीजिये।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स  

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है? (2020) 

  1. औद्योगिक इकाइयों में विद्युत की खपत कम करना  
  2. सार्थक लघु कहानियों और गीतों की रचना  
  3. रोगों का निदान  
  4. टेक्स्ट-से-स्पीच (Text-to-Speech) में परिवर्तन  
  5. विद्युत ऊर्जा का बेतार संचरण 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: 

(a) केवल 1, 2, 3 और 5 
(b) केवल 1, 3 और 4 
(c) केवल 2, 4 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5 

उत्तर: (b)


मेन्स

प्रश्न. "चौथी औद्योगिक क्रांति (डिजिटल क्रांति) के प्रादुर्भाव ने ई-गवर्नेंस को सरकार का अविभाज्य अंग बनाने में पहल की है"। विवेचन कीजिये। (2020) 

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