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डीप टेक स्टार्टअप्स और भारत

  • 01 May 2025
  • 12 min read

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) के कार्यालय द्वारा किये गए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत का सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान और विकास (R&D) पारिस्थितिकी तंत्र डीप-टेक स्टार्ट-अप्स को सीमित समर्थन प्रदान करता है।

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डीप टेक क्या है?

स्टार्टअप्स के लिये अनुसंधान एवं विकास संगठनों के समर्थन पर अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष क्या हैं?

  • डीप टेक स्टार्ट-अप के लिये सीमित समर्थन: केवल 4 में से 1 सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास संगठन ही स्टार्ट-अप के लिये इनक्यूबेशन सहायता प्रदान करता है, तथा केवल 6 में से 1 ही डीप-टेक स्टार्टअप पर ध्यान केंद्रित करता है।
    • केवल 15% संस्थानों ने विदेशी उद्योग साझेदारों के साथ सहयोग किया, जिससे वैश्विक संपर्क और प्रौद्योगिकी सह-विकास सीमित हो गया।
  • बाह्य सहयोग का अभाव: 50% प्रयोगशालाएँ बाहरी शोधकर्त्ताओं या छात्रों के लिये अपनी सुविधाएँ नहीं खोलती हैं, जिससे विचारों का आदान-प्रदान और ज्ञान का आदान-प्रदान सीमित हो जाता है।
  • बजट का अनुचित उपयोग: वर्ष 2020-21 में अनुसंधान एवं विकास पर केंद्र सरकार का व्यय 55,685 करोड़ रुपए था, लेकिन रणनीतिक क्षेत्रों (रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा) को छोड़कर , गैर-रणनीतिक क्षेत्रों पर खर्च 24,587 करोड़ रुपए था।

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भारत को डीप टेक स्टार्ट-अप्स को समर्थन देने में क्यों संघर्ष करना पड़ता है?

  • निम्न-तकनीकी उपभोक्ता सेवाओं पर विशेष ध्यान: अधिकांश भारतीय स्टार्ट-अप्स उपभोक्ता-संबंधी क्षेत्रों जैसे कि खाद्य वितरण, लॉजिस्टिक्स और फिनटेक को सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • यह प्रवृत्ति अल्पावधि लाभप्रदता और कम प्रवेश बाधाओं से प्रेरित है जो सेमीकंडक्टर, रोबोटिक्स और अंतरिक्ष तकनीक जैसे गहन प्रौद्योगिकी क्षेत्रों की पूंजी-गहन एवं उच्च जोखिम प्रकृति के विपरीत है।
    • भारत में उद्यम पूंजी के तहत ई-कॉमर्स, एडु-टेक और डिजिटल भुगतान जैसे तेज़ी से बढ़ते क्षेत्रों को प्राथमिकता दी जाती है।
  • अनुसंधान एवं विकास पर भारत का सकल निवेश, सकल घरेलू उत्पाद का केवल 0.64% है, जो चीन (2.43%) जैसे वैश्विक हितधारकों से बहुत कम है।
    • इस व्यय का अधिकांश हिस्सा रणनीतिक क्षेत्रों (रक्षा, अंतरिक्ष, परमाणु ऊर्जा) में केंद्रित है, जो निजी स्टार्ट-अप्स के लिये सुलभ नहीं हैं, जिससे नवाचार में बाधा आती है।
  • जोखिम-सहनशील पूंजी की कमी: डीप-टेक उद्यम के समक्ष प्रौद्योगिकियों की जटिलता बनी रहती है। उन्हें प्रयोगशाला सुविधाओं, बौद्धिक संपदा संरक्षण और कुशल कार्यबल में पर्याप्त अग्रिम निवेश की आवश्यकता होती है।
    • पूर्वानुमानित, दीर्घकालिक वित्तपोषण के अभाव से उद्यमी AI, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष तकनीक जैसे उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में प्रवेश करने में अधिक रूचि नहीं दिखाते हैं।
  • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड और अन्य योजनाओं से प्रारंभिक चरण में तो वित्तपोषण उपलब्ध हो जाता है लेकिन यह डीप-टेक उद्यमों की सतत् पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहते हैं।
  • अपर्याप्त संस्थागत सहयोग: मज़बूत उद्योग-शैक्षणिक साझेदारी की कमी से अपेक्षित समाधानों के लिये अनुसंधान परिणामों को लागू करने में अंतराल (विशेष रूप से AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और जैव प्रौद्योगिकी जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में) पैदा होता है।
    • उद्योग सहयोग के अभाव से अनुसंधान प्रयोगशालाओं की नवाचारों को विकसित करने की क्षमता सीमित होती है।
  • बुनियादी ढाँचा संबंधी बाधाएँ: भारत की कई सार्वजनिक वित्तपोषित अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में गहन तकनीक वाले स्टार्ट-अप को विकसित करने तथा पोषित करने के लिये आवश्यक सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।
    • उच्च तकनीक वाले स्टार्टअप को अक्सर विश्वसनीय डिजिटल बुनियादी ढाँचे, ऊर्जा और प्रयोगशाला तक पहुँच की आवश्यकता होती है जो कि द्वितीय और तृतीय श्रेणी के शहरों में सीमित (जहाँ अधिकांश नए स्टार्टअप उभर रहे हैं) है।
  • अनुसंधान प्रतिभाओं का पलायन: भारत में अपर्याप्त वित्तपोषण और कम अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र के कारण, AI, रोबोटिक्स और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों के कई प्रतिभाशाली शोधकर्त्ता अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में जाने का विकल्प चुनते हैं, जहाँ अवसर और वित्तपोषण की सुलभता है।
    • इसके अतिरिक्त, क्वांटम कंप्यूटिंग और AI जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में उन्नत कौशल की कमी से डीप-टेक के समक्ष बाधा आती है।
  • नीतिगत और विनियामक जटिलता: वर्ष 2024 में स्वदेशी AI क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिये इंडियाAI मिशन को स्वीकृति दी गई थी। वर्ष 2025 में ही सरकार ने भारत के पहले स्वदेशी लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) के विकास हेतु बंगलुरु स्थित स्टार्टअप सर्वम का चयन किया है।
    • यह निर्णय मुख्यतः AI के क्षेत्र में चीन की तीव्र प्रगति के प्रत्युत्तर में लिया गया था, जो भारत द्वारा AI जैसे गहन-तकनीकी क्षेत्रों को राष्ट्रीय नवाचार और डिजिटल संप्रभुता के लिये महत्त्वपूर्ण मानने में किये गए विलंब को उजागर करता है।
    • इसके अतिरिक्त, भारत में डीप-टेक उद्यमों के लिये समर्पित अनुपालन ढाँचे का अभाव है। नौकरशाही संबंधी बाधाओं का निवारण, बौद्धिक संपदा का संरक्षण और प्रयोगशाला सुविधाओं का अभिगम होना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है, जिससे नवाचार में होने वाला निवेश प्रभावित हो रहा है।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. भारत में डीप-टेक स्टार्टअप्स के समक्ष विद्यमान चुनौतियों और स्टार्टअप्स को समर्थन देने में सार्वजनिक वित्त पोषित अनुसंधान और विकास संगठनों की भूमिका का विश्लेषण कीजिये।

और पढ़ें: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. जोखिम पूंजी से क्या तात्पर्य है? (2014) 

(a) उद्योगों को उपलब्ध कराई गई अल्पकालिक पूंजी
(b) नए उद्यमियों को उपलब्ध कराई गई दीर्घकालिक प्रारंभिक पूंजी 
(c) उद्योग को हानि उठाते समय उपलब्ध कराई गई निधियाँ
(d) उद्योगों के प्रतिस्थापन और नवीकरण के लिये उपलब्ध कराई गई निधियाँ

उत्तर: (b)


प्रश्न. जब सुबह आपके स्मार्ट फोन का अलार्म बजता है, तो आप उठ जाते हैं और अलार्म को बंद करने के लिये उसे थपकी देते हैं जिससे आपका गीज़र स्वतः ही चल पड़ता है। आपके स्नानागार में लगा स्मार्ट दर्पण दिन के मौसम को दर्शाता है और आपकी ऊपरी टंकी में पानी के स्तर का भी संकेत देता है। जब आप नाश्ता बनाने के लिये अपने रेफ्रिजरेटर से कुछ किराना-सामान निकाल लेते हैं, यह इसमें भंडारित सामान में आई कमी को जान लेता है और ताजे किराना-सामानों की पूर्ति के लिये क्रयादेश दे देता है। जब आप घर से बाहर कदम रखते हैं और दरवाजे पर ताला लगाते हैं, तब सभी बत्तियाँ, पंखे, गीज़र और ए.सी. मशीनें स्वतः बंद हो जाती है। आपके कार्यालय के रास्ते पर, आपकी कार आगे आने वाले यातायात की भीड़ के बारे में आपको चेतावनी देती है और वैकल्पिक रास्ते का सुझाव देती है, और यदि आपको किसी बैठक के लिये देर हो रही है, तो यह उसके अनुसार आपके कार्यालय में संदेश भेज देती है। (2018) 

इन आविर्भूत होती हुई संचार प्रौद्योगिकियों के संदर्भ में, उपर्युक्त परिदृश्य के लिये निम्नलिखित में से कौन-सा पद सबसे उपयुक्त रूप से लागू होता है?

(a) बॉर्डर गेटवे प्रोटोकॉल 
(b) इंटरनेट ऑफ थिंग्स 
(c) इंटरनेट प्रोटोकॉल 
(d) वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क 

उत्तर: (b)

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