प्रारंभिक परीक्षा
नगरीय ऊष्मा द्वीप प्रभाव
- 01 May 2025
- 7 min read
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
एक हालिया अध्ययन में नगरीय ऊष्मा द्वीप (UHI) के दोहरे प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है - जहाँ इससे ऊष्मा से संबंधित मृत्यु दर को बढ़ावा मिलता है वहीं इसके द्वारा ठंड से संबंधित मौतों में काफी हद तक कमी आ सकती है।
- वर्ष 2018 में वैश्विक स्तर पर ठंड से संबंधित मौतों में गिरावट, ऊष्मा से संबंधित मौतों में वृद्धि की तुलना में 4.4 गुना अधिक थी तथा मॉस्को जैसे शहरों में तो यह अंतर और भी अधिक था।
नगरीय ऊष्मा द्वीप क्या है?
- परिचय: नगरीय ऊष्मा द्वीप (UHI) का आशय ऐसे महानगरीय क्षेत्र से है जो आस-पास के ग्रामीण परिवेश की तुलना में काफी गर्म होता है।
- नगरीय क्षेत्र प्राकृतिक भूदृश्यों की तुलना में अधिक गर्म होते हैं क्योंकि कंक्रीट और डामर जैसी सामग्रियाँ अधिक प्रभावी रूप से ऊष्मा को अवशोषित करने के साथ बनाए रखती हैं।
- इसका प्रभाव नई दिल्ली, न्यूयॉर्क, पेरिस और लंदन जैसे बड़े एवं सघन आबादी वाले नगरों में सबसे अधिक देखा गया है।
कारण:
- अपारगम्य सतहें: डामर, कंक्रीट और स्टील जैसी सामग्रियों से दिन के समय ऊष्मा का अवशोषण होता है और कम एल्बिडो के कारण रात में इस ऊष्मा का निष्कासन धीरे-धीरे होने से अधिक ऊष्मा का अनुभव होता है।
- वनस्पति का अभाव: सीमित हरित आवरण से वाष्पोत्सर्जन में कमी के कारण प्राकृतिक शीतलन बाधित होता है और नगरीय ऊष्मा द्वीप की स्थिति बनती है।
- मानवजनित ऊष्मा: वाहनों से होने वाले उत्सर्जन, औद्योगिक प्रक्रियाओं और एयर कंडीशनिंग से अतिरिक्त ऊष्मा का उत्सर्जन होता है, जिससे नगरीय तापमान में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।
- वायु प्रदूषण और कालिख: ब्लैक कार्बन और अन्य कणीय पदार्थ सौर विकिरण को अवशोषित करते हैं, जिससे परिवेश का तापमान बढ़ जाता है और UHI प्रभाव असंतुलित हो जाता है।
- नगरीय आकृति विज्ञान: सघन इमारतें, संकरी गलियाँ और निम्न वायु प्रवाह अर्बन कैनियन इफेक्ट (Urban Canyon Effect) का कारण बनता हैं, जिससे ऊष्मा सीमित स्थानों में ही प्रग्रहित हो जाती है।
- गगनचुंबी और ऊँची इमारतें वायु के प्रवाह को अवरोधित कर ऊष्मा में वृद्धि करती हैं।
परिणाम:
- ऊर्जा की बढ़ती मांग: UHI से शीतलन ऊर्जा का उपयोग बढ़ता है, ग्रिडों पर दबाव पड़ता है और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
- स्थानीय तापमान में वृद्धि करके , शहरी क्षेत्र शीतलन के लिये ऊर्जा की खपत को बढ़ाते हैं और नगरीय ऊष्मा द्वीपों को जलवायु परिवर्तन के स्थानीय त्वरक के रूप में स्थापित करते हैं।
- वायु गुणवत्ता में गिरावट: उच्च तापमान से ज़मीनी स्तर पर ओज़ोन परत का निर्माण बढ़ जाता है, जिससे धुंध और श्वसन संबंधी समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
- ऊष्मा से संबंधित स्वास्थ्य जोखिम: UHI से हीट स्ट्रोक, निर्जलीकरण और हृदय संबंधी तनाव बढ़ता है, विशेष रूप से संवेदनशील समूहों में।
- जल संसाधनों पर दबाव: UHI वाष्पीकरण को बढ़ाता है, जिससे जल की उपलब्धता कम होती है और शीतलन की मांग बढ़ती है।
- जैवविविधता की क्षति: UHI देशी वनस्पति को क्षति पहुँचाता है, पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है, और अत्यधिक ऊष्मा और हरित क्षेत्रों में कमी के कारण शहरी वन्यजीवों को खतरा उत्पन्न होता है।
UHI शमन रणनीतियाँ:
UHI शमन केस स्टडी:
- लॉस एंजिल्स कूल रूफ पहल: इसमें सभी नए भवनों और प्रमुख नवीनीकरणों में सूर्य प्रकाश को परावर्तित करने और उच्च सौर परावर्तन तथा तापीय उत्सर्जन के माध्यम से अवशोषित ऊष्मा को मुक्त किये जाने के उद्देश्य से परावर्तक छत सामग्री के उपयोग की आवश्यकता होती है।
- दुबई की स्मार्ट कूलिंग प्रणाली: इसमें एक केंद्रीय स्थल पर द्रुतशीतित जल उपलब्ध कराया जाता है और इसे भूमिगत पाइपों के माध्यम से अनेक भवनों में वितरित किया जाता है, जिससे एकल AC की तुलना में 30-50% अधिक ऊर्जा-कुशलता प्राप्त होती है।
- पेरिस की कूल स्ट्रीट्स पहल: यह एक व्यापक नगरीय रूपांतरण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य नगरों में ऊष्मा प्रभाव का शमन करना है:
- इसके अंतर्गत सड़कों को केवल पैदल यात्रियों के क्षेत्र में परिवर्तित किया जाना शामिल है।
- डामर के उपयोग की जगह वृक्षारोपण करना शामिल है, जिससे नगरीय क्षेत्रों में हरित क्षेत्र में वृद्धि होगी।
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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. वर्तमान में और निकट भविष्य में भारत की ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में संभावित सीमाएँ क्या हैं? (2010)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) |