विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
सतत् वन प्रबंधन के लिये आधुनिक प्रौद्योगिकी
- 01 May 2025
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:18 वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023, राष्ट्रीय वन नीति 1988, RFID टैग, जियोफेंसिंग, आक्रामक प्रजाति, कार्बन सिंक, ग्रीनहाउस गैस, कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBM), कृषि वानिकी, कार्बन क्रेडिट, पेरिस समझौता। मेन्स के लिये:सतत् वन प्रबंधन में आधुनिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता और भूमिका, सतत् वन प्रबंधन में सुधार के लिये कदम। |
स्रोत: बिज़नेस स्टैंडर्ड
चर्चा में क्यों?
मध्य प्रदेश सक्रिय वन प्रबंधन के लिये पायलट आधार पर AI-आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम (RTFAS) को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया है।
- यह सतत् वन प्रबंधन में भारत की चुनौतियों का सामना करने में प्रौद्योगिकी के उपयोग पर ज़ोर देता है।
नोट: 18 वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 के अनुसार, मध्य प्रदेश में भारत में सबसे बड़ा वन क्षेत्र (85,724 वर्ग किमी) है, लेकिन यहाँ सबसे अधिक वनोन्मूलन भी हुआ है (वर्ष 2023 में 612.41 वर्ग किमी की हानि)।
- भारत का वन एवं वृक्ष आवरण 25.17% है, जो राष्ट्रीय वन नीति 1988 द्वारा निर्धारित 33% लक्ष्य से काफी कम है।
भारत में वनों की स्थिति क्या है?
पढ़ने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये: 18 वीं भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023
AI-आधारित रियल-टाइम फॉरेस्ट अलर्ट सिस्टम क्या है?
- परिचय: RTFAS एक क्लाउड-आधारित AI प्रणाली है जो वनोन्मूलन से निपटने के लिये उपग्रह प्रौद्योगिकी, मशीन लर्निंग और वास्तविक समय की निगरानी को एकीकृत करती है।
- यह बहु-कालिक उपग्रह डेटा (Multi-Temporal Satellite Data) का विश्लेषण करने और कस्टम AI मॉडल के माध्यम से भूमि उपयोग परिवर्तनों का पता लगाने के लिये गूगल अर्थ इंजन (Google Earth Engine) का उपयोग करता है।
प्रमुख विशेषताएँ:
सतत् वन प्रबंधन के लिये प्रौद्योगिकी की भूमिका क्या है?
- वन कार्बन प्रबंधन: इसरो के रिसोर्ससैट जैसे उच्च-रिज़ॉल्यूशन उपग्रह वन स्वास्थ्य और वनोन्मूलन की निगरानी करते हैं, जबकि हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग कार्बन स्टॉक और जैवविविधता का आकलन करने में मदद करती है।
- AI एल्गोरिदम वनोन्मूलन की प्रवृत्ति का अनुमान लगाने के लिये ऐतिहासिक और वास्तविक समय के डेटा का विश्लेषण करती हैं।
- वनाग्नि की रोकथाम: AI कैमरे और थर्मल सेंसर द्वारा धुएँ और ऊष्मा का पता लगाकर आग लगने की घटनाओं की प्रारंभिक चेतावनी मिलती है। उदाहरण के लिये, फायरसैट (FireSat) उपग्रहों का समूह है जो पूर्ण रूप से वनाग्नि का पता लगाने और उसे ट्रैक करने के लिये समर्पित है।
- ड्रोन लाइव फीड प्रदान करते हैं जिससे अग्निशमन में सहायता मिलती है और पाइन नीडल बिल्डअप जैसे अग्नि आपदा से बचाव होता है।
- अतिक्रमण का अनिव्रण: RTFAS जैसी उपग्रह-आधारित प्रणालियों से अनधिकृत गतिविधियों (लकड़ी काटना, खेती, निर्माण) का पता चलने पर 2-3 दिनों में वन अधिकारियों को सूचना प्राप्त होती है।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष का समाधान: AI-सक्षम कैमरा ट्रैप और GPS ट्रैकिंग से गाँव की सीमाओं के समीप जंतुओं की आवाजाही पर नज़र रखी जाती है, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष में कमी होती है।
- उदाहरण के लिये, पोचरकैम एक उन्नत कैमरा है जो विशेष मानव-संसूचन एल्गोरिदम से लैस है, जो निकटवर्ती अतिक्रमी के बारे में शिकार-रोधी टीमों को दूर से ही सूचना प्रेषित करने में सक्षम है।
- हाथी अथवा बाघ का मानव बस्तियों में आगमन होने पर RFID टैग और जियोफेंसिंग से अधिकारियों सूचना प्राप्त हो जाती है।
- वन जीर्णोद्धार और वनीकरण: वृक्षों की संवृद्धि, मृदा स्वास्थ्य और पर्यावरणीय परिवर्तनों पर नज़र रखने के लिये वनीकरण प्रक्रिया के दौरान ग्रीन बॉट्स को उपयोग में लाया जा सकता है, जिससे वन स्वास्थ्य का एक व्यापक डेटाबेस तैयार हो सकता है।
- जैवविविधता अनुवीक्षण: रेनफॉरेस्ट कनेक्शन जैसे ध्वनिक सेंसर में पक्षियों और मेंढकों की ध्वनि की पहचान करने और अमेज़न में संकटापन्न प्रजातियों को ट्रैक करने के लिये AI का उपयोग शामिल है।
- जल अथवा मृदा के नमूनों से प्राप्त पर्यावरणीय DNA (eDNA) से मछली और उभयचर जैसी प्रजातियों की आनुवंशिक पृष्ठभूमि का पता लगाया जा सकता है, जिससे आक्रामक अथवा दुर्लभ जलीय जीवों की निगरानी करने में मदद मिलती है।
सतत् वन प्रबंधन की आवश्यकता क्यों है?
- जलवायु परिवर्तन शमन: वनरोपण औद्योगिक विकास के साथ-साथ पर्यावरणीय संधारणीयता को बढ़ावा देते हुए कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है, CO₂ को अवशोषित करता है और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।
- औद्योगिक एवं व्यापार आवश्यकता: यूरोपीय संघ के कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (CBM), जो वर्ष 2026 से प्रभावी होगा, के अंतर्गत भारत और अन्य देशों से कार्बन-गहन आयात (इस्पात, सीमेंट, एल्यूमीनियम) पर शुल्क अधिरोपित किया जाएगा।
- निर्यात की कार्बन तीव्रता को कम करने, CBM टैरिफ को कम करने और व्यापार प्रतिस्पर्द्धा को बनाए रखने में मदद करने की दृष्टि से वनरोपण महत्त्वपूर्ण हो जाता है।
- पारिस्थितिकी तंत्र स्वास्थ्य: वृक्ष आवरण के विस्तार से मृदा स्वास्थ्य में सुधार होता है, मृदा अपरदन की रोकथाम होती है, भूजल का पुनःभरण होता है, जल का प्रतिधारण होता है, तथा चरम मौसम की घटनाओं के प्रति आघात सहनीयता बढ़ती है।
- आर्थिक और सामाजिक लाभ: इससे काष्ठ, ईंधन और कृषि वानिकी जैसे उद्योगों को समर्थन मिलता है, तथा ग्रामीण समुदायों को आय का अतिरिक्त स्रोत प्राप्त होता है।
सतत् वन प्रबंधन के लिये भारत द्वारा कौन-सी पहलें की गई हैं?
- सरकार द्वारा संचालित कार्यक्रम:
- ग्रीन इंडिया मिशन (GIM): इसके अंतर्गत वर्ष 2017 से वर्ष 2021 की अवधि में वन क्षेत्र में 0.56% की वृद्धि हुई।
- राष्ट्रीय कृषि वानिकी नीति (2014): इसके तहत प्राकृतिक वनों पर दबाव कम करने के लिये निजी कृषि भूमि पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना शामिल है।
- भारत में वनों के बाहर वृक्ष कार्यक्रम: इसके तहत हरित आवरण को बढ़ावा देने के लिये निजी हितधारकों को शामिल करके गैर-वन भूमि पर वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करना शामिल है।
- प्रतिपूरक वनरोपण निधि (CAMPA): यह निधि उन स्थानों पर पुनः वनरोपण के लिये दी जाती है जहाँ वनों को औद्योगिक उपयोग के लिये उपयोग में लाया जाता है।
- कॉर्पोरेट एवं सामुदायिक प्रयास:
- CSR-संचालित वृक्षारोपण: इसके तहत ऑटोमोबाइल, सीमेंट और ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियाँ वृक्षारोपण करती हैं ।
- आजीविका के लिये कृषि वानिकी: किसान अतिरिक्त आय के लिये फसलों के साथ इमारती लकड़ी, फल और औषधीय पौधों को भी शामिल करते हैं।
- कार्बन क्रेडिट रणनीतियाँ: उद्योग, कार्बन क्रेडिट अर्जित करने के लिये वनरोपण में निवेश करते हैं।
भारत सतत् वन प्रबंधन में किस प्रकार सुधार कर सकता है?
- कार्बन बाज़ार को मज़बूत बनाना: पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6 के तहत एक राष्ट्रीय कार्बन क्रेडिट रजिस्ट्री एवं नियामक ढाँचा स्थापित करना चाहिये ताकि वैश्विक कार्बन बाज़ार में वनों में संग्रहीत कार्बन का पूर्ण लाभ उठाने के साथ सार्वजनिक तथा निजी वनरोपण प्रयासों को प्रोत्साहित किया जा सके।
- उद्योगों की भागीदारी बढ़ाना: उच्च उत्सर्जन वाले उद्योगों (इस्पात, सीमेंट) के लिये कार्बन-ऑफसेट वृक्षारोपण को अनिवार्य किया जाना चाहिये।
- धारणीय वानिकी में निवेश करने वाली कंपनियों को कर लाभ प्रदान करना चाहिये।
- ग्रामीण समुदायों को समर्थन प्रदान करना: संयुक्त वन प्रबंधन (JFM) कार्यक्रमों का विस्तार करने के साथ वन-आधारित उत्पादों के लिये बाज़ार तक पहुँच प्रदान करनी चाहिये।
- निगरानी एवं अनुपालन में सुधार: वनरोपण की प्रगति की निगरानी के लिये उपग्रह प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के साथ वन संरक्षण कानूनों के उल्लंघन हेतु कठोर दंड दिया जाना चाहिये।
निष्कर्ष
भारत द्वारा वन प्रबंधन में AI और उपग्रह प्रौद्योगिकियों का एकीकरण, स्थिरता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। सक्रिय नीतियों, उद्योग की भागीदारी और सामुदायिक सहभागिता से भारत अपने वन पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करने एवं जलवायु परिवर्तन को कम करने के साथ वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्द्धी बना रह सकता है। निरंतर नवाचार और मज़बूत कार्यान्वयन, दीर्घकालिक पर्यावरणीय और आर्थिक लक्ष्यों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न: प्रश्न: "पारिस्थितिक संरक्षण एवं औद्योगिक विकास के बीच संतुलन बनाने के लिये सतत् वन प्रबंधन आवश्यक है।" मूल्यांकन कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है? (a) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय उत्तर: (d) मेन्सप्रश्न. “भारत में आधुनिक कानून की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पर्यावरणीय समस्याओं का संविधानिकीकरण है।” सुसंगत वाद विधियों की सहायता से इस कथन की विवेचना कीजिये। (2022) |