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कैबिनेट दिस वीक: भारत का सेमीकंडक्टर मिशन

  • 13 Mar 2024
  • 19 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम का विकास, सेमीकंडक्टर फैब, सिस्टम ऑन चिप (SoC), इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन

मेन्स के लिये:

भारतीय अर्थव्यवस्था पर सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाओं और प्रौद्योगिकी के प्रभुत्व का प्रभाव।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत में सेमीकंडक्टर्स एवं डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम की विकास प्रक्रिया के तहत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना को मंज़ूरी दी।

  • अगले 100 दिनों के भीतर तीनों इकाइयों का निर्माण शुरू हो जाएगा।

प्रमुख बिंदु क्या हैं? 

  • परिचय: 
    • भारत में सेमीकंडक्टर्स एवं डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिये कार्यक्रम को कुल 76,000 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ अधिसूचित किया गया था। 
    • केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के साणंद में सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करने के लिये माइक्रोन के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी थी।
      • इस इकाई का निर्माण तीव्र गति से किया जा रहा है और साथ ही इनका एक मज़बूत अर्धचालक पारिस्थितिकी तंत्र उभर रहा है।
  • स्वीकृत तीन सेमीकंडक्टर इकाइयाँ:
    • 50,000 wfsm (वेफर प्रति माह शुरू) क्षमता वाली सेमीकंडक्टर फैब
      • टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स प्राइवेट लिमिटेड (TEPL) ताइवान की पावरचिप सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कॉर्प (PSMC), के साथ साझेदारी में एक सेमीकंडक्टर फैब स्थापित करेगी।
      • निवेश: इस फैब का निर्माण गुजरात के धोलेरा में किया जाएगा। इस फैब में कुल 91,000 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
      • प्रौद्योगिकी भागीदार: PSMC लॉजिक एवं मेमोरी फाउंड्री सेगमेंट में अपनी विशेषज्ञता के लिये प्रसिद्ध है।
      • आच्छादित खंड: 28 nm प्रौद्योगिकी के साथ उच्च प्रदर्शन कंप्यूट चिप्स।
        • इलेक्ट्रिक वाहनों (EV), दूरसंचार, रक्षा, ऑटोमोटिव, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, डिस्प्ले, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के लिये पावर मेनेजमेंट चिप्स के साथ उच्च वोल्टेज में अनुप्रयोगी हैं।
    • असम में सेमीकंडक्टर ATMP (मॉडिफाई असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग) इकाई: टाटा सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड ("TSAT") असम के मोरीगाँव में एक सेमीकंडक्टर यूनिट स्थापित करेगी।
      • निवेश: इस इकाई की स्थापना 27,000 करोड़ रुपए के निवेश से की जाएगी।
      • प्रौद्योगिकी: TSAT सेमीकंडक्टर फ्लिप चिप एवं ISIP (इंटीग्रेटेड सिस्टम इन पैकेज) प्रौद्योगिकियों सहित स्वदेशी उन्नत सेमीकंडक्टर पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों का विकास कर रहा है।
      • क्षमता: 48 मिलियन प्रतिदिन
      • आच्छादित खंड: ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रिक वाहन, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार, मोबाइल फोन, आदि।
    • विशेष चिप्स के लिये सेमीकंडक्टर ATMP इकाई: CG पावर, रेनेसास इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन, जापान तथा स्टार्स माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स, थाईलैंड के साथ साझेदारी में गुजरात के साणंद में एक सेमीकंडक्टर इकाई स्थापित करेगा।
      • निवेश: यह इकाई 7,600 करोड़ रुपए के निवेश से स्थापित की जाएगी।
      • प्रौद्योगिकी भागीदार: रेनेसा एक अग्रणी सेमीकंडक्टर कंपनी है जो विशेष चिप्स का निर्माण करती है। यह 12 सेमीकंडक्टर सुविधा संचालन के साथ माइक्रोकंट्रोलर, एनालॉग, पावर एवं सिस्टम ऑन चिप ('SoC)' उत्पादों में एक महत्त्वपूर्ण अभिकर्ता है।
      • आच्छादित खंड: CG पावर सेमीकंडक्टर यूनिट उपभोक्ता, औद्योगिक, ऑटोमोटिव के साथ बिजली अनुप्रयोगों के लिये चिप्स का निर्माण करेगी।
      • क्षमता: 15 मिलियन प्रतिदिन।

सेमीकंडक्टर इकाइयों का सामरिक महत्त्व क्या है?

  • सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम की स्थापना:
    • भारत सेमीकंडक्टर मिशन ने न्यूनतम समय सीमा के भीतर एक मज़बूत सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है।
    • ये उपलब्धियाँ विश्व सेमीकंडक्टर बाज़ार में एक प्रमुख शक्ति के रूप में भारत के विकास हेतु एक महत्त्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  • चिप निर्माण क्षमता का विकास:
    • भारत चिप डिज़ाइन में गहन विशेषज्ञता का दावा करता है, और साथ ही इन सेमीकंडक्टर इकाइयों की स्थापना एवं चिप निर्माण में ज़बरदस्त क्षमताओं को विकसित करने के लिये भी तैयार है।
    • यह मील का पत्थर न केवल भारत की तकनीकी शक्ति को बढ़ाता है बल्कि इसे सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिये एक अग्रणी गंतव्य के रूप में भी स्थापित करता है।
  • उन्नत पैकेजिंग तकनीकों का स्वदेशी विकास: 
    • यह अनुमोदन भारत में उन्नत पैकेजिंग प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास की शुरुआत करता है।
    • यह उपलब्धि सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में नवाचार एवं आत्मनिर्भरता के प्रति देश की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
    • उन्नत पैकेजिंग में घरेलू विशेषज्ञता को बढ़ावा देकर भारत के सेमीकंडक्टर परिदृश्य में अपनी स्थिति मज़बूत करता है।
  • सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के विकास को बढ़ावा देना: 
    • भारत सेमीकंडक्टर मिशन की सफलताओं ने भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम के जैविक विकास का मार्ग प्रशस्त किया है।
    • ये मील के पत्थर एक आदर्श बदलाव का संकेत देते हैं, जो देश को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अधिक आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार एवं आर्थिक समृद्धि की ओर प्रेरित करते हैं।
  • रोज़गार सृजन की संभावना:
    • ये इकाइयाँ 20 हज़ार उन्नत प्रौद्योगिकी नौकरियों के प्रत्यक्ष रोज़गार के साथ लगभग 60 हज़ार अप्रत्यक्ष रोज़गार सृजित करेंगी।
    • ये इकाइयाँ डाउनस्ट्रीम ऑटोमोटिव, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण, दूरसंचार विनिर्माण, औद्योगिक विनिर्माण एवं अन्य सेमीकंडक्टर उपभोक्ता उद्योगों में रोज़गार सृजन में तीव्रता लाएँगी।

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) क्या है?

  • परिचय:
    • ISM को वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के तत्वावधान में कुल 76,000 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था। 
    • यह देश में संवहनीय सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले पारितंत्र के विकास के लिये एक व्यापक कार्यक्रम का अंग है।
    • इस कार्यक्रम का उद्देश्य सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक, डिस्प्ले विनिर्माण और डिज़ाइन पारितंत्र में निवेश करने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • परिकल्पना की गई है कि ISM सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उद्योग के वैश्विक विशेषज्ञों के नेतृत्व में योजनाओं के कुशल, सुसंगत एवं सुचारू कार्यान्वयन के लिये नोडल एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
  • घटक:
    • भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स स्थापित करने की योजना:
      • यह सेमीकंडक्टर फैब (विनिर्माण संयंत्र) की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर वेफर (पटलिका) फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना हेतु निवेश आकर्षित करना है।
    • भारत में डिस्प्ले फैब्स स्थापित करने की योजना:
      • यह डिस्प्ले फैब की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है जिसका उद्देश्य देश में TFT LCD/AMOLED आधारित डिस्प्ले फैब्रिकेशन सुविधाओं की स्थापना के लिये निवेश आकर्षित करना है।
    • भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एवं पैकेजिंग (ATMP)/OSAT सुविधाओं की स्थापना के लिये योजना:
      • यह योजना भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर्स/सिलिकॉन फोटोनिक्स (SiPh)/सेंसर (MEMS सहित) फैब और सेमीकंडक्टर ATMP/OSAT (आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट) सुविधाओं की स्थापना के लिये पात्र आवेदकों को पूंजीगत व्यय के 30% की वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 
    • डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना:
      • यह इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs), चिपसेट, सिस्टम ऑन चिप्स (SoCs), सिस्टम एंड IP कोर (Systems & IP Cores) के लिये सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और अन्य सेमीकंडक्टर-लिंक्ड डिज़ाइन के विकास एवं नियोजन के विभिन्न चरणों में वित्तीय प्रोत्साहन व डिज़ाइन अवसंरचना समर्थन प्रदान करता है।

सेमीकंडक्टर्स के विकास से संबंधित चुनौतियाँ क्या हैं?

  • अवसंरचना का विकास: सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिये महत्त्वपूर्ण अवसंरचना की आवश्यकता होती है जिसमें विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति, जल संसाधन, परिवहन नेटवर्क और कुशल श्रम की उपलब्धता शामिल है।
  • आपूर्ति शृंखला प्रबंधन: सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिये एक सुदृढ़ और कुशल आपूर्ति शृंखला विकसित करना आवश्यक है। इससे संबंधित चुनौतियों में समय पर कच्चे माल की उपलब्धता, रसद का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना और आपूर्ति शृंखला के समक्ष आने वाले व्यवधानों को कम करना शामिल है।
  • प्रौद्योगिकी उन्नयन: सेमीकंडक्टर उद्योग में तीव्रता से विकास हो रहा है जिससे अनुसंधान और विकास (R&D) में निरंतर नवाचार एवं निवेश की आवश्यकता होती है। विशेष रूप से वित्तपोषण और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों तक पहुँच के संदर्भ में वैश्विक मानकों के साथ तालमेल बनाए रखने हेतु प्रौद्योगिकी को उन्नत करना चुनौतीपूर्ण है।
  • कुशल कार्यबल: सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिये चिप डिज़ाइन, निर्माण, टेस्टिंग और पैकेजिंग जैसे उद्देश्यों हेतु अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है। इससे संबंधित चुनौतियों में कुशल पेशेवरों की कमी और उद्योग की मांगों को पूरा करने के लिये विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों की आवश्यकता शामिल है।
  • वित्तीय सहायता: सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिये प्रतिभा सहित बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी में पर्याप्त निवेश की आवश्यकता होती है। सब्सिडी, कर प्रोत्साहन और वहनीय वित्तीयन तक पहुँच के साथ-साथ पर्याप्त वित्तीय सहायता सुरक्षित करना उद्योग के अभिकर्त्ताओं के लिये एक चुनौती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा: सेमीकंडक्टर उद्योग विश्व स्तर पर एक अत्यधिक प्रतिस्पर्द्धी क्षेत्र है जिसमें स्थापित अभिकर्त्ताओं का बाज़ार पर प्रभुत्व होता है। इन प्रभुत्वशाली अभिकर्त्ताओं  के साथ प्रतिस्पर्द्धा, विशेष रूप से प्रौद्योगिकी, मूल्य निर्धारण और बाज़ार हिस्सेदारी के मामले में, भारतीय सेमीकंडक्टर निर्माताओं के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती उत्पन्न करता है।

अन्य राष्ट्र सेमीकंडक्टर के घरेलू विनिर्माण का किस प्रकार प्रोत्साहन करते हैं?

  • सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों को सरकार द्वारा प्रदत्त सब्सिडी के साथ-साथ निजी क्षेत्र के निवेश की भी आवश्यकता होती है।
    • वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका अपनी घरेलू सेमीकंडक्टर विनिर्माण इकाइयों को 3.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सब्सिडी प्रदान करता है।
    • जापान सेमीकंडक्टर फैब की नई इकाइयाँ स्थापित करने के लिये 4.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान कर रहा है।

आगे की राह

  • सेमीकंडक्टर विनिर्माण के लिये बुनियादी ढाँचे का विकास: सरकार और उद्योग हितधारकों को सेमीकंडक्टर विनिर्माण की आवश्यकताओं के अनुरूप बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश करने के लिये सहयोग करना चाहिये।
  • उन्नत आपूर्ति शृंखला प्रबंधन प्रथाएँ: उन्नत आपूर्ति शृंखला प्रबंधन प्रथाओं को कार्यान्वित करने की आवश्यकता है, जिस प्रकार कि जस्ट-इन-टाइम इन्वेंट्री सिस्टम और आपूर्तिकर्त्ताओं के साथ रणनीतिक साझेदारी के माध्यम से अर्द्धचालक आपूर्ति शृंखला में दक्षता एवं अनुकूलन में वृद्धि की जा सकती है।
  • अनुसंधान और विकास में निवेश: अनुसंधान और विकास में निवेश को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ  उद्योग, शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देना सेमीकंडक्टर क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नयन की सुविधा प्रदान कर सकता है।
  • कुशल कार्यबल विकास: सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकी पर केंद्रित व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम और शैक्षिक पहल शुरू करने से कुशल पेशेवरों की कमी को दूर करते हुए उनकी संख्या में अभिवृद्धि की जा सकती है।
  • वित्तीय प्रोत्साहन: सेमीकंडक्टर विनिर्माण में निवेश को आकर्षित करने के लिये सरकारें कर छूट, सब्सिडी और अल्प ब्याज़ वाले ऋण जैसे वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान कर सकती हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ सहयोग करने से प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण, वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच और ज्ञान साझा करने की सुविधा प्राप्त होती है। संयुक्त उद्यम, नीतिक गठबंधन और उद्योग संघ में भागीदारी भारतीय सेमीकंडक्टर निर्माताओं को वैश्विक मंच पर प्रभावी ढंग से प्रतिस्पर्द्धा करने में सहायता प्रदान कर सकती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस लेज़र प्रकार का उपयोग लेज़र प्रिंटर में किया जाता है? (2008) 

(a) डाई लेज़र 
(b) गैस लेज़र
(c) सेमीकंडक्टर लेज़र
(d) एक्सीमर लेज़र 

उत्तर: (c)   


प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. भारत फोटोवोल्टिक इकाइयों के प्रयोग में आने वाले सिलिकॉन वेफर्स का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  2.  सौर ऊर्जा शुल्क का निर्धारण भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1और न ही 2 

उत्तर: (d)

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