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भारतीय अर्थव्यवस्था

अर्द्धचालक इकाइयों के लिये भारत और अमेरिका के बीच सौदा

  • 30 Jun 2023
  • 11 min read

प्रिलिम्स के लिये:

अर्द्धचालक, भारत का अर्द्धचालक मिशन, PLI, भारत की आत्मनिर्भरता, SPECS, DLI

मेन्स के लिये:

अर्द्धचालक के विकास के लिये भारत के प्रयास

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में अमेरिकी कंपनी- माइक्रोन टेक्नोलॉजी ने अहमदाबाद में 22,500 करोड़ रुपए की अर्द्धचालक इकाई स्थापित करने के लिये गुजरात राज्य सरकार के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • इससे पहले भारत और अमेरिका ने भारत-अमेरिका 5वीं वाणिज्यिक वार्ता 2023 के दौरान अर्द्धचालक आपूर्ति शृंखला स्थापित करने पर समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं जो भारत के इलेक्ट्रॉनिक सामानों का केंद्र बनने के सपने को साकार करने में मदद कर सकता है।

समझौता ज्ञापन का महत्त्व: 

  • अमेरिका के चिप्स और विज्ञान अधिनियम, 2022 तथा भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को ध्यान में रखते हुए इस समझौता ज्ञापन का उद्देश्य सेमीकंडक्टर/अर्द्धचालक आपूर्ति शृंखला में लचीलापन और विविधीकरण पर एक सहयोग तंत्र का निर्माण करना है।
  • इस परियोजना का लक्ष्य 5,000 प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित करना और मेमोरी चिप विनिर्माण में भारत को आत्मनिर्भर बनाने में योगदान देना है।
  • यह घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है तथा इससे वैश्विक सेमीकंडक्टर विनिर्माता के रूप में भारत की स्थिति मज़बूत होने की संभावना है।

सेमीकंडक्टर चिप्स: 

  • परिचय:  
    • सेमीकंडक्टर (Semiconductors) या अर्द्धचालक ऐसी सामग्री है जिसकी चालकता सुचालकों और कुचालकों की चालकता के मध्य की होती है। वे सिलिकॉन या ज़र्मेनियम जैसे शुद्ध तत्त्वों अथवा गैलियम, आर्सेनाइड या कैडमियम सेलेनाइड जैसे यागिकों के रूप में हो सकते हैं।
    • ये निर्माण के बुनियादी खंड हैं जो सभी आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिये हृदय और मस्तिष्क के रूप में काम करते हैं।
    • ये चिप वर्तमान में ऑटोमोबाइल, घरेलू उपकरण और ECG मशीनों जैसे आवश्यक चिकित्सा उपकरणों के अभिन्न अंग हैं।
  • महत्त्व: 
    • सेमीकंडक्टर (अर्द्धचालक) एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल, संचार, स्वच्छ ऊर्जा, सूचना प्रौद्योगिकी और चिकित्सा उपकरणों आदि सहित अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों के लिये आवश्यक हैं।
    • इन महत्त्वपूर्ण घटकों की उच्च मांग ने आपूर्ति को पीछे छोड़ दिया है जिससे वैश्विक स्तर पर चिप का अभाव हो गया है तथा इसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में विकास एवं नौकरियाँ की कमी देखी जा रही है।
    • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की नींव हैं जो उद्योग 4.0 के तहत डिजिटल कायापालट के अगले चरण के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं। 

सेमीकंडक्टर बाज़ार में भारत की स्थिति:

  • वर्ष 2022 में भारत का सेमीकंडक्टर उद्योग 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था जिसमें 90% से अधिक का आयात किया गया था। इस कारण भारतीय चिप उपभोक्ता बाहरी आयात पर निर्भर थे। 
    • भारत को सेमीकंडक्टर निर्यात करने वाले देशों में चीन, ताइवान, अमेरिका, जापान आदि शामिल हैं।  
  • वर्ष 2026 तक भारत का सेमीकंडक्टर बाज़ार 55 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। एक अनुमान के अनुसार, सेमीकंडक्टर की खपत के वर्ष 2026 तक 80 बिलियन अमेरिकी डॉलर और वर्ष 2030 तक 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर की सीमा को पार करने की उम्मीद है।

भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण में चुनौतियाँ:

  • अत्यंत महँगा फैब्रिकेशन सेटअप:  
    • एक सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन फैसिलिटी (अर्द्धचालक निर्माण सुविधा) या फैब को अपेक्षाकृत न्यून स्तर पर भी स्थापित करने में लगभग एक अरब डॉलर की लागत आ सकती है तथा यह नवीनतम प्रौद्योगिकी की तुलना में एक या दो पीढ़ी पीछे है।
  • उच्च निवेश:
    • सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले विनिर्माण एक बहुत ही जटिल एवं प्रौद्योगिकी-गहन क्षेत्र है जिसमें भारी पूंजी निवेश, उच्च जोखिम, लंबी विकास प्रक्रिया एवं भुगतान अवधि और प्रौद्योगिकी में तेज़ी से बदलाव शामिल हैं, जिसके लिये महत्त्वपूर्ण तथा निरंतर निवेश की आवश्यकता होती है। 
  • सरकार से न्यूनतम वित्तीय सहायता:  
    • जब कोई सेमीकंडक्टर उद्योग के विभिन्न उप-क्षेत्रों में विनिर्माण क्षमता स्थापित करने के लिये आमतौर पर आवश्यक निवेश पर विचार करता है, तो वर्तमान में अनुमानित राजकोषीय समर्थन का स्तर बहुत कम है।
  • फैब्रिकेशन क्षमताओं का अभाव: 
    • भारत के पास चिप डिज़ाइन की अच्छी प्रतिभा है लेकिन इसने कभी भी चिप फैब क्षमता का निर्माण नहीं किया। ISRO और DRDO के पास अपनी-अपनी फैब फाउंड्री हैं लेकिन वे मुख्य रूप से उनकी अपनी आवश्यकताओं के लिये हैं और दुनिया के नवीनतम उपकरणों की तरह परिष्कृत भी नहीं हैं।
    • भारत में केवल एक ही पुराना फैब है जो पंजाब के मोहाली में स्थित है। 
  • संसाधन अकुशल क्षेत्र:
    • चिप फैब्स के लिये काफी जल की ज़रूरत होती है जिनके लिये लाखों लीटर स्वच्छ जल , बेहद स्थिर बिजली आपूर्ति, अधिक भूमि और अत्यधिक कुशल कार्यबल की आवश्यकता होती है।

सेमीकंडक्टर्स से संबंधित पहल: 

  • वर्ष 2021 में भारत ने देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिये लगभग $10 बिलियन डॉलर की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना की घोषणा की।
    • वर्ष 2021 में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सेमीकंडक्टर डिज़ाइन में शामिल कम-से-कम 20 घरेलू कंपनियों को बढ़ावा देने और उन्हें अगले 5 वर्षों में 1500 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार हासिल करने की सुविधा प्रदान करने के लिये डिज़ाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) योजना शुरू की।
  • भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स घटकों एवं अर्द्धचालकों के निर्माण के लिये इलेक्ट्रॉनिक घटकों और सेमीकंडक्टरों के विनिर्माण संवर्द्धन की योजना (SPECS) भी शुरू की है।
  • भारत में टिकाऊ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम के विकास के लिये व्यापक कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में भारत का सेमीकंडक्टर मिशन वर्ष 2021 में 76,000 करोड़ रुपए के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ लॉन्च किया गया था। मिशन के घटकों में शामिल हैं:
    • भारत में सेमीकंडक्टर फैब्स की स्थापना की योजना
    • भारत में डिस्प्ले फैब की स्थापना के लिये योजना- प्रति फैब 12,000 करोड़ रुपए की सीमा के अधीन परियोजना लागत का 50% तक राजकोषीय समर्थन।
    • भारत में कंपाउंड सेमीकंडक्टर/सिलिकॉन फोटोनिक्स/सेंसर फैब और सेमीकंडक्टर ATMP/OSAT सुविधाओं की स्थापना के लिये योजना

आगे की राह  

  • बहुपक्षीय सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिये अनुकूल व्यापार नीतियाँ महत्त्वपूर्ण हैं।
    • भारत को भी इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में सुधार करना चाहिये जहाँ वर्तमान में इसकी कमी है।
  • चिप निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये भारत सरकार को भारत में संबंधित उद्योगों को जोड़ने और राष्ट्रीय क्षमता को बढ़ाने की जरूरत है.
  • भारत को घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आयात निर्भरता को कम करने के लिये अमेरिका के अतिरिक्त ताइवान और जापान जैसे अन्य देशों के साथ तकनीकी रूप से उन्नत, मैत्रीपूर्ण, सहयोगात्मक अवसरों का पता लगाना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:  

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस लेज़र प्रकार का उपयोग लेज़र प्रिंटर में किया जाता है? (2008) 

(a) डाई लेज़र  
(b) गैस लेज़र
(c) सेमीकंडक्टर लेज़र
(d) एक्सीमर लेज़र 

उत्तर (c)   


प्रश्न. भारत में सौर ऊर्जा उत्पादन के संदर्भ में नीचे दिये गए कथनों पर विचार कीजिये: (2018) 

  1. भारत फोटोवोल्टिक इकाइयों के प्रयोग में आने वाले सिलिकॉन वेफर्स का दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
  2. सौर ऊर्जा शुल्क का निर्धारण भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा किया जाता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1और न ही 2 

उत्तर: (d) 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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