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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 29 Mar, 2024
  • 25 min read
रैपिड फायर

‘गुड साउंड’ के जरिये प्रवाल भित्तियों को पुनर्जीवित करना

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में हुए एक अध्ययन में प्रस्तुत किया गया कि कोरल पॉलीप्स के पुनर्वास और क्षतिग्रस्त चट्टानों की बहाली में संभावित सहायता के लिये "हेल्थी रीफ साउंड" के उपयोग की जाँच की गई थी।

  • कोरल पॉलीप्स (Coral Polyps) संचार के लिये ध्वनि/साउंड’ का उपयोग करते हैं और अध्ययन में पाया गया कि हेल्थी रीफ साउंड के उपयोग से क्षतिग्रस्त चट्टानों पर कोरल पॉलीप्स के जमाव दर (Settlement Rate) में वृद्धि हुई है।
  • जल के अंदर ध्वनि उत्सर्जित करने वाले स्पीकर के निकट जमाव दर अधिक थी, जो ध्वनि के प्रभाव को दर्शाता है।
  • प्रवाल भित्तियाँ:
    • प्रवाल भित्तियाँ समुद्री पारिस्थितिक तंत्र हैं, यह मुख्य रूप से कोरल पॉलीप्स से बने होते हैं जो ज़ोक्सांथेला तथा प्रकाश संश्लेषक शैवाल के साथ सहजीवी संबंध निर्मित करते हैं।
    • ज़ोक्सांथेला प्रवाल को पोषक तत्त्व और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, जबकि प्रवाल आश्रय प्रदान करते हैं। यह पारस्परिकता प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य तथा अस्तित्त्व के लिये महत्त्वपूर्ण है।
  • जीवाश्म ईंधन के जलने और वनों की कटाई एवं जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लोबल वार्मिंग हो रही है तथा समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे विरंजन घटनाओं के माध्यम से प्रवाल भित्तियाँ समाप्त हो रही हैं।

और पढ़ें- ग्रेट बैरियर रीफ में कोरल ब्लीचिंग, प्रवाल भित्तियाँ


प्रारंभिक परीक्षा

पर्यावरण संरक्षण शुल्क

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

राष्ट्रीय हरित अधिकरण को सौंपी गई केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के अनुसार, CPCB द्वारा एकत्र किये गए पर्यावरण संरक्षण शुल्क (Environment Protection Charge- EPC) और पर्यावरण क्षतिपूर्ति (EC) का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा खर्च नहीं किया गया है।

  • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एकत्र किये गए EPC और EC का 80% हिस्सा खर्च नहीं किया गया है।

पर्यावरण संरक्षण शुल्क क्या है?

  • EPC एक फंड है जिसका उपयोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा दिल्ली NCR में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिये वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करने हेतु किया जाता है। CPCB पर्यावरण संरक्षण शुल्क फंड के तहत IIT और NEERI जैसे अन्य संस्थानों के साथ काम करता है।
  • EPC सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश (एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ मामला, 1985) के अनुसार और दिल्ली-NCR में वायु गुणवत्ता सुधार तथा संबंधित कार्यों जैसे अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों व वाहन प्रदूषण नियंत्रण स्वास्थ्य प्रभाव अध्ययन तथा दिल्ली-NCR, पंजाब में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये विशिष्ट परियोजनाओं हेतु प्राप्त किया जाता है।
  • CPCB को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों द्वारा एकत्र किये गए पर्यावरणीय मुआवज़े का 25% भी मिलता है। यह विभिन्न मामलों में प्रदूषण फैलाने वालों/डिफॉल्टरों से सीधे पर्यावरणीय दंड भी वसूल करता है।
    • वर्ष 2016 में सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली और NCR में 2000cc तथा उससे ऊपर की डीज़ल कारों की बिक्री पर 1% का EPC लगाया।

पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति क्या है?

  • EC एक उपकरण है जिसका उद्देश्य पर्यावरण की रक्षा करना और प्रदूषण से होने वाले नुकसान को कम करना है। यह "प्रदूषक भुगतान" के सिद्धांत पर काम करता है, जिसका अर्थ है कि जो लोग पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिये ज़िम्मेदार हैं, उन्हें इसकी बहाली की लागत या इससे होने वाले नुकसान के क्षतिपूर्ति का वहन करना चाहिये।
  • पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के अंतर्गत पर्यावरण को प्रदूषित करने अथवा कृत्यों के माध्यम से मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले संबद्ध व्यक्तियों, कंपनियों अथवा संस्थाओं पर मौद्रिक दंड अधिरोपित किया जाता है। 
  • इन दंडों का उद्देश्य पर्यावरणीय क्षति से जुड़ी लागत की वसूली करना और भविष्य में ऐसे उल्लंघनों की रोकथाम करना है।

CPCB क्या है?

राष्ट्रीय हरित अधिकरण क्या है?

  • स्थापना: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal- NGT) की स्थापना अक्टूबर, 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 के तहत की गई थी।
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य पर्यावरण संरक्षण, वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के त्वरित एवं कुशल समाधान की सुविधा प्रदान करना है।
    • वर्तमान में NGT की बैठक के लिये नई दिल्ली प्रमुख स्थान है, भोपाल, पुणे, कोलकाता और चेन्नई को ट्रिब्यूनल की बैठक के अन्य चार स्थानों के रूप में नामित किया गया है।
  • संरचना:
    • अधिकरण का अध्यक्ष इसका प्रमुख होता है जो प्रधान पीठ का पद धारण करता है और इसमें न्यूनतम 10 किंतु 20 से अधिक न्यायिक सदस्य तथा विशेषज्ञ सदस्य होते हैं।
      • अध्यक्ष की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
      • न्यायिक सदस्यों और विशेषज्ञ सदस्यों की नियुक्ति के लिये केंद्र सरकार द्वारा एक चयन समिति का गठन किया जाता है।
  • कानूनी अधिदेश: अधिकरण का क्षेत्राधिकार पर्यावरणीय अधिकारों को कार्यान्वित करने, व्यक्तियों और संपत्ति के नुकसान के लिये राहत, क्षतिपूर्ति प्रदान करने, पर्यावरण संरक्षण से संबंधित समस्या का समाधान करने तक विस्तृत है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न. हमारे देश के शहरों में वायु गुणता सूचकांक (Air Quality Index) का परिकलन करने में साधारणतया निम्नलिखित वायुमंडलीय गैसों में से किनको विचार में लिया जाता है? (2016)

  1. कार्बन डाइऑक्साइड
  2. कार्बन मोनोक्साइड
  3. नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
  4. सल्फर डाइऑक्साइड
  5. मेथैन

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये 

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1, 4 और 5
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)


मेन्स: 

Q.1 विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) द्वारा हाल ही में जारी किये गए संशोधित वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों (ए.क्यू.जी.) के मुख्य बिन्दुओं का वर्णन कीजिये। विगत वर्ष 2005 के अद्यतन से, ये किस प्रकार भिन्न हैं ? इन संशोधित मानकों को प्राप्त करने के लिये, भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम में किन परिवर्तनों की आवश्यकता है ? (2021)


प्रारंभिक परीक्षा

H5N1 बर्ड फ्लू

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

H5N1 बर्ड फ्लू, एक अत्यधिक रोगजनक जीवाणु है जिसका विश्व स्तर पर तीव्रता से संचरण हो रहा है। वर्तमान समय में यह पक्षियों और वन्यजीवों के लिये एक गंभीर खतरा बन गया है।

H5B1 बर्ड फ्लू क्या है?

  • पृष्ठभूमि:
    • एवियन इन्फ्लूएंज़ा A(H5N1) अथवा H5B1 बर्ड फ्लू एक अत्यधिक रोगजनक जीवाणु है जो मुख्य रूप से पक्षियों में संचरित होता है किंतु स्तनधारियों को संक्रमित कर सकता है।
    • H5N1 की उत्पत्ति वर्ष 1996 में चीन में एक जीवाणु के प्रकोप से हुई और तेज़ी से एक अत्यधिक रोगजनक प्रभेद (Strain) में विकसित हुआ।
    • वर्ष 2020 के बाद से, यह यूरोप, अफ्रीका, एशिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और अंटार्कटिका में फैल गया।
    • भारत में वर्ष 2015 में महाराष्ट्र और गुजरात राज्य में H5N1 संक्रमण का पहला मामला दर्ज किया गया।
  • पशुओं पर प्रभाव:
    • वन्य पक्षी, जिनमें कैलिफोर्निया कोंडोर जैसी संकटापन्न जातियाँ भी शामिल हैं, H5N1 से गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं।
    • इसके प्रभावित होने वाली मुख्य प्रजाति मुर्गी थी।
    • सी-लायन्स और डॉल्फिन जैसे समुद्री स्तनधारियों को चिली तथा पेरू जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मौत का सामना करना पड़ा है। 
    • उत्तरी अमेरिका में लोमड़ी, प्यूमा, भालू जैसे स्तनधारी और स्पेन व फिनलैंड में फार्म मिंक भी संक्रमित हो गए हैं।

  • मानव जोखिम और प्रसार कारक:
    • दुर्लभ होते हुए भी, मनुष्य मुख्य रूप से संक्रमित पक्षियों के संपर्क के माध्यम से बर्ड फ्लू से संक्रमित हो सकते हैं।
    • जलवायु परिवर्तन से वायरस का प्रसार बढ़ सकता है, पक्षियों के व्यवहार में बदलाव आ सकता है और पक्षियों की प्रजातियों के बीच मेल-जोल बढ़ सकता है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन जोखिम मूल्यांकन:
    • हालाँकि यह वायरस मनुष्यों को आसानी से संक्रमित नहीं करता है, फिर भी छिटपुट मामले सामने आते रहते हैं, जो मुख्य रूप से पोल्ट्री एक्सपोज़र से जुड़े होते हैं।
    • मानव-से-मानव में संचरण दुर्लभ है, लेकिन आगे के मामलों की संभावना मौजूद है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ वायरस पोल्ट्री में स्थानिक है।
    • WHO सामान्य आबादी के लिये समग्र जोखिम को कम मानता है लेकिन निगरानी एवं जोखिम प्रबंधन के महत्त्व पर बल देता है।
  • निवारक उपाय और सिफारिशें:
    • WHO जनता को जीवित पशु बाज़ारों जैसे उच्च जोखिम वाले वातावरण से बचने और हाथ की स्वच्छता का अभ्यास करने की सलाह देता है।
    • बीमार पशुओं की तुरंत सूचना देने और बीमार मुर्गों के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है।
    • संक्रमित पक्षियों या वातावरण के संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को तुरंत चिकित्सा देखभाल लेनी चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. H1N1 विषाणु का प्रायः समाचारों में निम्नलिखित में से किस एक बीमारी के संदर्भ में उल्लेख किया जाता है? (2015)

(a) एड्स (AIDS)
(b) बर्ड फलू
(c) डेंगू
(d) स्वाइन फ्लू

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2016)

  1. वायरस संक्रमित कर सकते हैं: 
  2. जीवाणुओं को 
  3. कवकों को 
  4. पादपों को 

नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

WHO द्वारा CoViNet का शुभारंभ

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक नई पहल, कोरोना वायरस नेटवर्क (CoViNet) का शुभारंभ किया जिसका उद्देश्य कोरोना वायरस के खिलाफ वैश्विक अनुवीक्षण और प्रतिक्रिया क्षमताओं में वृद्धि करना है।

कोरोनावायरस नेटवर्क (CoViNet) क्या है?

  • परिचय:
    • CoViNet को विभिन्न कोरोना वायरस का शीघ्र पता लगाने, निगरानी और मूल्यांकन के लिये वैश्विक विशेषज्ञता तथा क्षमताओं को सुविधाजनक बनाने एवं समन्वयित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • SARS-CoV-2 पर ध्यान केंद्रित करने के अतिरिक्त CoViNet प्रयोगशाला क्षमता और निगरानी बढ़ाने पर विशेष ज़ोर देने के साथ मध्य पूर्व श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस (MERS-CoV) सहित अन्य कोरोना वायरस प्रभेदों का भी आकलन करेगा।
      • MERS-CoV एक ज़ूनोटिक वायरस (पशुओं और लोगों के बीच संचरित) है। मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया के कई देशों में ड्रोमेडरी ऊँटों में इसकी पहचान की गई है तथा इसे मानव संक्रमण से जोड़ा गया है।
    • CoViNet का शुभारंभ WHO कोविड-19 संदर्भ प्रयोगशाला नेटवर्क द्वारा रखी गई नींव पर आधारित है जिसे शुरुआत में जनवरी 2020 में महामारी के शुरुआती चरणों के दौरान स्थापित किया गया था।
  • CoViNet का महत्त्व:
    • नेटवर्क की स्थापना कोरोनोवायरस से जुड़े लगातार महामारी और सर्वव्यापी महामारी जोखिमों तथा सक्रिय निगरानी एवं प्रतिक्रिया उपायों की आवश्यकता को रेखांकित करती है।
  • CoViNet की मुख्य विशेषताएँ:
  • CoViNet के परिणाम:
    • CoViNet के प्रयास WHO की नीतियों को सूचित करने और विशेष रूप से वायरल विकास तथा वैक्सीन संरचना पर तकनीकी सलाहकार समूहों के माध्यम से, निर्णय लेने में सहायता करने के लिये महत्त्वपूर्ण डेटा प्रदान करेंगे।

WHO से संबंधित पहल

  • कोविड-19 टूल्स (ACT) एक्सेलेरेटर तक पहुँच
    • एक्सेस टू COVID-19 टूल्स (ACT) एक्सेलेरेटर वर्ष 2020 में WHO और भागीदारों द्वारा शुरू किया गया एक वैश्विक सहयोग है।
    • इसका उद्देश्य विकास, उत्पादन और COVID-19 परीक्षणों, उपचारों तथा टीकों तक समान पहुँच में तेज़ी लाना है।
      • पहल को चार स्तंभों में व्यवस्थित किया गया है: निदान, उपचार, टीके और स्वास्थ्य प्रणाली एवं प्रतिक्रिया कनेक्टर, प्रत्येक समग्र प्रयास के लिये महत्त्वपूर्ण है। 
  •  महामारी संधि का शून्य-मसौदा

 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

प्रिलिम्स:

निम्नलिखित में से कौन-से, भारत में सूक्ष्मजैविक रोगजनकों में बहु-औषध प्रतिरोध के होने के कारण हैं? (2019)

  1. कुछ व्यक्तियों में आनुवंशिक पूर्ववृत्ति (जेनेटिक प्रीडिस्पोज़ीशन) का होना
  2. रोगों के उपचार के लिये प्रतिजैविकों (ऐंटिबॉयोटिक्स) की गलत खुराकें लेना
  3. पशुधन फार्मिंग में प्रतिजैविकों का इस्तेमाल करना
  4. कुछ व्यक्तियों में चिरकालिक रोगों की बहुलता होना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) 1, 3 और 4 
(d) 2, 3 और 4

उत्तर: (b)


मेन्स: 

Q. कोविड-19 महामारी ने भारत में वर्ग असमानताओं एवं गरीबी को गति दे दी है। टिप्पणी कीजिये। (2020)

Q. भारत में 'सभी के लिये स्वास्थ्य' को प्राप्त करने के लिये समुचित स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018)


रैपिड फायर

M2M कम्युनिकेशन और ई-सिम टेक्नोलॉजीज़

स्रोत: पी.आई.बी. 

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने नेटवर्क सुरक्षा, धोखाधड़ी जोखिम शमन की दिशा में अपने ग्राहक को जानें (Know Your Customer- KYC) के माध्यम से सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु मशीन-टू-मशीन (M2M) संचार और M2M eSIM पारिस्थितिकी तंत्र की समग्र अखंडता के लिये एंबेडेड सिम (eSIM) के उपयोग पर सिफारिशें जारी की हैं।

  • M2M, इंटरनेट क्रांति की अगली पीढ़ी, मानवीय हस्तक्षेप के बिना स्वचालित संचार के माध्यम से उपकरणों को जोड़ती है। एंबेडेड सेंसर और संचार मॉड्यूल वायर्ड एवं वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से डेटा ट्रांसमिशन को सक्षम करते हैं।
    • 5G सेवाओं के रोलआउट के साथ, M2M पारिस्थितिकी तंत्र के अवसरों का विस्तार हुआ है, जिससे कृषि, परिवहन, स्वास्थ्य देखभाल और औद्योगिक स्वचालन जैसे क्षेत्रों में अनुप्रयोगों के लिये गुंजाइश बढ़ गई है।
  • M2M प्रौद्योगिकी को समझना:
    • यह उपकरणों के लिये किसी व्यक्ति की आवश्यकता के बिना, सीधे जानकारी का आदान-प्रदान करने का एक तरीका है। वे साधारण चीज़ें हो सकती हैं, जैसे- अलर्ट भेजना (जैसे- स्मोक डिटेक्टर) या जटिल डेटा का आदान-प्रदान करना (जैसे- फैक्टरी मशीनें)।
      • उदाहरण के लिये, एक स्मार्ट थर्मोस्टेट एक स्मार्ट स्प्रिंकलर सिस्टम से बात कर सकता है। यदि थर्मोस्टेट को पता चलता है कि यह गर्म दिन है, तो यह स्प्रिंकलर को चालू करने और लॉन को स्वस्थ रखने के लिये इनपुट दे सकता है।

  • eSIM एक डिजिटल सिम कार्ड है जो सीधे डिवाइस में एम्बेड किया जाता है, जिससे भौतिक सिम कार्ड की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। इसे इनबिल्ट डिवाइस सॉफ्टवेयर के माध्यम से दूरस्थ रूप से प्रोग्राम किया जा सकता है।

और पढ़ें: eSIM प्रौद्योगिकी


रैपिड फायर

भारत-चीन सीमा मामले

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

हाल ही में भारतीय और चीनी राजनयिकों ने बीजिंग में भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श तथा समन्वय के लिये कार्य तंत्र (Working Mechanism for Consultation and Coordination- WMCC) की 29वीं बैठक बुलाई, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे तनाव के बीच एक महत्त्वपूर्ण विकास है।

  • दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य चैनलों के माध्यम से नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमत हुए।
  • वे सीमा की स्थिति को नियंत्रण और प्रबंधन के सामान्यीकृत चरण में बदलने को बढ़ावा देने पर भी सहमत हुए।
  • भारत-चीन सीमा का पूरी तरह से सीमांकन नहीं किया गया है, इससे देशों के बीच तनाव पैदा हो गया है।
  • वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control- LAC) भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करने वाली सीमा के रूप में कार्य करती है।

और पढ़ें: चीन के प्रति भारत के दृष्टिकोण पर पुनर्विचार: रणनीतिक विचार


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