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जैव विविधता और पर्यावरण

ग्रेट बैरियर रीफ में कोरल ब्लीचिंग

  • 13 Mar 2024
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

प्रवाल विरंजन ,ग्रेट बैरियर रीफ, अल नीनो, यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल

मेन्स के लिये:

समुद्री जैवविविधता, जलवायु परिवर्तन पर प्रवाल विरंजन का प्रभाव

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

ऑस्ट्रेलियाई के अधिकारियों द्वारा हाल ही में किये गए हवाई सर्वेक्षणों से ग्रेट बैरियर रीफ के दो-तिहाई भाग में बड़े पैमाने पर प्रवाल विरंजन की पुष्टि हुई है, जो जलवायु परिवर्तन के कारण गंभीर रूप से संकतग्रस्त का संकेत है। प्रभावों को कम करने के साथ ही इस महत्त्वपूर्ण समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता भी है।

ग्रेट बैरियर रीफ (GBR)

  • GBR विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति प्रणाली है। यह ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड के तट पर कोरल सागर में स्थित है।
    • GBR 2,300 किमी. तक विस्तृत है और लगभग 3,000 चट्टानों के साथ 900 द्वीपों से निर्मित है।
  • GBR 400 प्रकार के प्रवालों तथा 1,500 मछलियों की प्रजातियों का आवास भी है। यह डुगोंग एवं बड़े हरे कछुए जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का भी आवास है। GBR को एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्ष 1981 में चिह्नित किया गया था।
    • वर्ष 2023 में यूनेस्को हेरिटेज कमेटी द्वारा ऑस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ को "संकतग्रस्त" साइट के रूप में सूचीबद्ध करने में प्रतिबद्धता नहीं दिखाई, किंतु चेतावनी दी कि विश्व की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र प्रदूषण एवं महासागरों के गर्म होने से "गंभीर रूप से संकतग्रस्त" में है।
  • ग्रेट बैरियर रीफ में पहली बार वर्ष 1998 में बड़े पैमाने पर विरंजन देखा गया, इसके बाद वर्ष 2002, 2016, 2017, 2020, 2022 और 2024 में विरंजन की घटनाएँ देखी गई।

ग्रेट बैरियर रीफ में प्रवाल विरंजन में कौन-से कारक योगदान दे रहे हैं?

  • तापमान तनाव: 
    • जल का अधिक तापमान प्रवाल विरंजन की घटना में वृद्धि कर सकता है, जिससे प्रवाल अपने ऊतकों में रहने वाले शैवाल (ज़ूक्सैन्थेला) को बाहर निकाल देते हैं और सफेद रंग में परिवर्तित हो जाते हैं।
      • दीर्घकाल तक सागर की सतह का तापमान औसत से अधिक होने के कारण प्रवाल पर तापमान तनाव उत्पन्न होता है, जिससे विरंजन की घटना में वृद्धि होती है।
    • विरंजित प्रवाल मृत नहीं होते, बल्कि संवेदनशील हैं और कुपोषण तथा रोग से ग्रस्त है। लगातार तापमान तनाव प्रवाल मृत्यु का कारण बन सकता है।
  • जलवायु परिवर्तन का प्रभाव:
    • जलवायु परिवर्तन क कारण समुद्र का तापमान बढ़ने से तनाव और मृत्यु दर के प्रति प्रवाल की संवेदनशीलता बढ़ जाती है, जिससे अल नीनो स्थितियों के कारण विश्व स्तर पर बड़े पैमाने पर विरंजन की घटनाएँ होती हैं।
  • अन्य पर्यावरणीय तनाव:
    • जल का कम तापमान, प्रदूषण, अपवाह और अत्यधिक निम्न ज्वार भी प्रवाल विरंजन को प्रेरित कर सकते हैं, जो इस घटना की बहुमुखी प्रकृति को उजागर करता है।
  • शैवाल संबंध:
    • प्रवाल विरंजन तब होता है, जब प्रवालों और शैवाल के बीच सहजीवी संबंध बाधित हो जाता है, जिससे प्रवाल के पोषण स्रोत पर असर पड़ता है तथा वे रोग के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं।

प्रवाल विरंजन के निहितार्थ क्या हैं?

  • पारिस्थितिक प्रभाव: 
    • प्रवाल भित्ति (जिन्हें समुद्र का वर्षावन भी कहा जाता है) महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र हैं जो समुद्री जीवन की एक विविध शृंखला का समर्थन करते हैं। प्रवाल विरंजन से निवास स्थान और जैवविविधता का नुकसान हो सकता है, जिससे मछलियों की आबादी, समुद्री पौधे तथा अन्य जीव प्रभावित हो सकते हैं जो जीवित रहने के लिये मूंगा चट्टानों पर निर्भर हैं।
  • आर्थिक परिणाम: 
    • प्रवाल भित्ति तटीय सुरक्षा, पर्यटन और मत्स्य पालन के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। प्रवाल भित्ति पारिस्थितिकी तंत्र समाज को प्रति वर्ष 375 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के संसाधन और सेवाएँ प्रदान करता है। विरंजन के कारण प्रवाल भित्ति के क्षरण से आर्थिक परिणाम हो सकते हैं, जिससे पर्यटन और मछली पकड़ने जैसे उद्योग प्रभावित हो सकते हैं, जो स्वस्थ चट्टान पारिस्थितिकी तंत्र पर निर्भर हैं।
  • खाद्य सुरक्षा: 
    • प्रवाल भित्ति दुनिया भर में लाखों लोगों को भोजन और आजीविका प्रदान करती हैं। प्रवाल विरंजन से समुद्री भोजन की उपलब्धता को खतरा है और मछली पकड़ने और चट्टान से संबंधित पर्यटन पर निर्भर समुदायों की आजीविका बाधित हो सकती है।
  • जलवायु परिवर्तन संकेतक:
    • प्रवाल विरंजन समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के एक दृश्य संकेतक के रूप में कार्य करता है।
  • पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं की हानि:
    • प्रवाल भित्तियाँ आवश्यक पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ प्रदान करती हैं, जिनमें तटरेखा संरक्षण, पोषक चक्रण और कार्बन पृथक्करण शामिल हैं।
    • विरंजन से इन सेवाओं को प्रदान करने के लिये चट्टानों की क्षमता कम हो जाती है, जिससे समुद्री पारिस्थितिक तंत्र और तटीय समुदायों का समग्र स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित स्थितियों में से किस एक में “जैवशैल प्रौद्योगिकी (बायोरॉक टेक्नोलॉजी )” की बातें होती हैं?  (2022)

(a) क्षतिग्रस्त प्रवाल भित्तियों (कोरल रीफ्स) की बहाली 
(b) पादप अवशिष्टों का प्रयोग कर भवन निर्माण सामग्री का विकास
(c) शेल गैस के अन्वेषण/ निष्कर्षण के लिये क्षेत्रों की पहचान करना
(d) वनों/संरक्षित क्षेत्रों में जंगली पशुओं के लिये लवण-लेहिकाएँ (साल्ट लिक्स) उपलब्ध कराना

उत्तर: (a)


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. विश्व की सर्वाधिक प्रवाल भित्तियाँ उष्णकटिबंधीय सागर जलों में मिलती हैं। 
  2. विश्व की एक तिहाई से अधिक प्रवाल भित्तियाँ ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और फिलीपींस के राज्य-क्षेत्रों में स्थित हैं। 
  3. उष्णकटिबंधीय वर्षावनों की अपेक्षा, प्रवाल भित्तियाँ कहीं अधिक संख्या में जंतु संघों का परपोषण करती हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. निम्नलिखित में से किनमें प्रवाल भित्तियाँ पाई जाती हैं? (2014)

  1. अंडमान और नोकोबार द्वीप समूह 
  2. कच्छ की खाड़ी 
  3. मन्नार की खाड़ी 
  4. सुंदरबन

नीचे दिये गए कूट का उपयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 2 और 4
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (a)


मेन्स:

प्रश्न. उदाहरण के साथ प्रवाल जीवन प्रणाली पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का आकलन कीजिये।  (2019)

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