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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 23 Mar, 2024
  • 22 min read
रैपिड फायर

सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रामक दावों पर पतंजलि आयुर्वेद को दी चेतावनी

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने लोकप्रिय आयुर्वेदिक उत्पाद कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को अपने विज्ञापनों में व्याधियों के उपचार के संबंध में झूठे दावे करने के खिलाफ चेतावनी दी।

  • औषधि और चमत्कारिक उपचार (आक्षेपणीय विज्ञापन) अधिनियम, 1954, औषधि विज्ञापनों को नियंत्रित करता है और कुछ चमत्कारिक उपचारों के प्रोत्साहन पर प्रतिबंध लगाता है।
  • यह अधिनियम में सूचीबद्ध विशिष्ट व्याधियों के लिये औषधियों के उपयोग का प्रोत्साहन करने वाले और औषधि की प्रकृति अथवा प्रभावशीलता का अनुचित प्रतिनिधित्व करने वाले विज्ञापनों को प्रतिबंधित करता है।
  • इसके अतिरिक्त यह उन्हीं व्याधियों के उपचार का दावा करने वाले चमत्कारिक उपचारों के विज्ञापन पर रोक लगाता है।
    • अधिनियम के अनुसार तावीज़, मंत्र, कवच और किसी भी अन्य समान वस्तुओं के इस्तेमाल से व्याधियों के उपचार के लिये अलौकिक अथवा चमत्कारिक गुणों का दावा करना "चमत्कारिक उपचार" है।

और पढ़ें…अनुचित विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिये दिशा-निर्देश


प्रारंभिक परीक्षा

बँधुआ हाथी (स्थानांतरण या परिवहन) नियम, 2024

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों? 

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने बँधुआ हाथी (स्थानांतरण या परिवहन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया है, जो राज्यों के अंदर या राज्यों के बीच हाथियों को स्थानांतरित करने की शर्तों को उदार बनाता है।

बँधुआ हाथी (स्थानांतरण या परिवहन) नियम, 2024 क्या हैं?

  • बँधुआ हाथियों के स्थानांतरण की परिस्थितियाँ: स्थानांतरण तब हो सकता है, जब:
    • हाथी का मालिक अब हाथी के कल्याण को पर्याप्त रूप से बनाए रखने में सक्षम नहीं है
    • यदि यह निर्धारित हो जाए, कि हाथी को उसकी वर्तमान स्थिति की तुलना में नई परिस्थितियों में बेहतर देखभाल की जा सकेगी।
    • मुख्य वन्यजीव वार्डन मामले की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर हाथी के संरक्षण के लिये इसे आवश्यक मान सकते हैं।
  • राज्य के अंदर प्रक्रिया:
    • किसी राज्य के अंदर स्थानांतरण से पहले, पशुचिकित्सक द्वारा हाथी के स्वास्थ्य की पुष्टि की जानी चाहिये
    • वर्तमान और संभावित दोनों आवासों की उपयुक्तता को उप वन संरक्षक द्वारा सत्यापित किया जाना चाहिये।
    • इन आकलनों के आधार पर स्थानांतरण की स्वीकृति या अस्वीकृति मुख्य वन्यजीव वार्डन के विवेक पर निर्भर करती है।
  • राज्य के बाहर की प्रक्रिया:
    • किसी राज्य के बाहर हाथियों को स्थानांतरित करने के लिये भी इसी तरह की शर्तें लागू होती हैं।
    • इसके अतिरिक्त, स्थानांतरण से पहले हाथी की आनुवंशिक प्रोफाइल को MoEF&CC के साथ पंजीकृत किया जाना चाहिये
  • हाथी स्थानांतरण के लिये आवश्यकताएँ:
    • हाथी के साथ एक महावत और एक हाथी सहायक होना चाहिये।
    • परिवहन के लिये उपयुक्तता की पुष्टि करने वाले पशु चिकित्सक से स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र प्राप्त करना अनिवार्य है।
    • यदि संक्रामक रोगों के लिये आवश्यक हो, तो क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद परिवहन होना चाहिये।
    • परिवहन के दौरान उचित भोजन और पानी की व्यवस्था की जानी चाहिये।
    • घबराए या चिड़चिड़ा हाथियों को नियंत्रित करने के लिये पशु चिकित्सक के परामर्श पर ट्रैंक्विलाइज़र/शामक दवाओं का उपयोग किया जाएगा।

नोट:

  • अगस्त 2022 तक, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 ने जंगली और बंदी हाथियों सहित दोनों वन्यजीवों के व्यापार पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध था
  • बंदी हाथी (स्थानांतरण या परिवहन) नियम, 2024,वन्यजीव संरक्षण अधिनियम,2022 में संशोधन से निर्मित किये गए है, जिसमें बंदी हाथियों को वन्यजीव व्यापार पर प्रतिबंध से छूट दी गई है।
    • एक संसदीय समिति ने हाथियों के लिये इस छूट को हटाने और सिर्फ मंदिर ट्रस्टों के स्वामित्व वाले हाथियों के लिये छूट प्रदान करने की सिफारिश की तथा तर्क दिया, कि परंपराओं एवं संरक्षण के बीच "सावधानीपूर्वक संतुलन" की आवश्यकता है।
    • अंतिम संशोधित अधिनियम इस छूट को यथावत रखता है, उन हाथियों के स्थानांतरण की अनुमति देता है, जिनके पास पहले से ही स्वामित्व का प्रमाण-पत्र है, भले ही इसे हटाने के प्रस्ताव किये गए थे।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न   

 प्रश्न. भारतीय हाथियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. हाथियों के समूह का नेतृत्व मादा करती है। 
  2. गर्भधारण की अधिकतम अवधि 22 महीने हो सकती है। 
  3. एक मादा हाथी सामान्य रूप से केवल 40 वर्ष की आयु तक बच्चे को जन्म दे सकती है। 
  4. भारतीय राज्यों में सबसे अधिक हाथी जनसंख्या केरल में है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और  2  
(b) केवल 2 और 4 
(c) केवल 3  
(d) केवल 1, 3 और 4 

उत्तर: (a)


प्रारंभिक परीक्षा

रेफ्रिजरेंट्स

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

अमेरिका के सैन डिएगो में हाल ही में एक अदालती मामले में मेक्सिको से अमेरिका में प्रतिबंधित रेफ्रिजरेंट की तस्करी पर प्रकाश डाला गया, जिससे ऐसी अवैध गतिविधियों के पर्यावरणीय परिणामों पर प्रकाश पड़ा।

  • विचाराधीन रेफ्रिजरेंट हाइड्रोफ्लोरोकार्बन हैं और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन का एक रूप है, जिसे HCFC 22 के रूप में जाना जाता है।

रेफ्रिजरेंट क्या हैं?

  • परिचय: रेफ्रिजरेंट एक रासायनिक पदार्थ है जिसका उपयोग रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम में किया जाता है।
    • वे उष्मा को अवशोषित करके और हवा या वस्तुओं को ठंडा करने के लिये इसे एक चक्र में स्थानांतरित करके काम करते हैं।
    • उनका क्वथनांक आमतौर पर कम होता है, जिससे वे वाष्पित हो जाते हैं और आसपास के वातावरण को अपेक्षाकृत कम तापमान पर ठंडा कर पाते हैं।
    • उदाहरण: क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC), हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC), हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC)।
  • HFC और HCFC: 1990 के दशक में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFC) और हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFC) ने प्रशीतन/रेफ्रिजरेशन तथा एयर कंडीशनिंग सिस्टम में क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) के विकल्प के रूप में लोकप्रियता हासिल की।
    • यह बदलाव तब आया जब वर्ष 1985 में अनुसंधान ने पुष्टि की कि CFC अंटार्कटिका के ऊपर असामान्य रूप से कम ओज़ोन सांद्रता पैदा कर रहा था, जिससे ओज़ोन छिद्र की घटना हुई।
    • HFC और HCFC सहित रेफ्रिजरेंट मुख्य रूप से तब वायुमंडल में छोड़े जाते हैं जब उपकरण अपने जीवन के अंत तक पहुँचते हैं तथा अनुचित तरीके से निपटाए जाते हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।

रेफ्रिजरेंट्स के उपयोग को कम करने हेतु विश्व स्तर पर क्या उपाय किये गए हैं?

  • ओज़ोन परत के संरक्षण के लिये वियना कन्वेंशन (वियना कन्वेंशन) पर वर्ष 1985 में सहमति हुई थी। इसने ओज़ोन रिक्तीकरण पर वैश्विक निगरानी और रिपोर्टिंग की स्थापना की।
    • वर्ष 1987 में लगभग 200 देशों ने CFC जैसे ओज़ोन-घटाने वाले पदार्थों के उत्पादन और उपयोग को रोकने के उद्देश्य से मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किये।
      • भारत वर्ष 1992 में मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल का हस्ताक्षरकर्त्ता बन गया।
    • प्रोटोकॉल में वर्ष 1996 तक CFC और वर्ष 2030 तक HCFC को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने का आदेश दिया गया था, ओज़ोन परत पर उनके कम प्रभाव के कारण HCFC एक अस्थायी समाधान के रूप में कार्य कर रहे थे।
    • नतीजतन, HFC प्राथमिक रेफ्रिजरेंट के रूप में उभरे क्योंकि वे ओज़ोन परत को खराब नहीं करते हैं।
      • हालाँकि बाद में इन्हें शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसों के रूप में पहचाना गया।
  • जलवायु और स्वच्छ वायु गठबंधन की रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि शून्य ओज़ोन-क्षय क्षमता होने के बावजूद HFC ग्लोबल वार्मिंग में महत्त्वपूर्ण योगदान देता है।
    • वर्ष 2016 में 150 से अधिक देशों ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत किगाली संशोधन पर सहमति व्यक्त की, जिसका लक्ष्य वर्ष 2040 के अंत तक  HFC खपत को 80-85% तक कम करना था।
      • भारत भी किगाली संशोधन का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
      • भारत वर्ष 2032 से 4 चरणों में नियंत्रित उपयोग के लिये HFC के उत्पादन एवं खपत में कमी के चरण को पूरा करेगा, जिसमें वर्ष 2032 में 10%,  वर्ष 2037 में 20%, वर्ष 2042 में 30% तथा  वर्ष 2047 में 85% की संचयी कमी होगी।
    • किगाली संशोधन के सफल कार्यान्वयन से वर्ष 2100 तक संभावित रूप से 0.4℃ से अधिक ग्लोबल वार्मिंग को रोका जा सकता है।

नोट: वियना कन्वेंशन एवं मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल 197 पार्टियों के साथ सार्वभौमिक अनुसमर्थन प्राप्त करने वाली पहली और एकमात्र वैश्विक पर्यावरण संधियाँ हैं।

फ्लोरोकेमिकल

ओजोन क्षय की संभाव्यता 

ग्लोबल वार्मिंग की संभाव्यता 

क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFCs)

उच्च

उच्च

हाइड्रोक्लोरोफ्लोरोकार्बन (HCFCs)

न्यून 

उच्च

हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (HFCs)

शून्य 

उच्च

हाइड्रोफ्लोरोओलेफ़िन (HFOs)

शून्य 

अति न्यून 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण और उन्हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग से बाहर करने के मुद्दे से संबंद्ध है? (2015)

(a) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
(b) मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(c) क्योटो प्रोटोकॉल
(d) नागोया प्रोटोकॉल

उत्तर: (b) 

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ओज़ोन-ह्रासक पदार्थों के रूप में जाना जाता है, उनका प्रयोग
  2. सुघट्य फोम के निर्माण में होता है  
  3.  ट्यूबलेस टायरों के निर्माण में होता है  
  4.  कुछ विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अवयवों की सफाई में होता है  
  5.  एयरोसोल कैन में दाबकारी एजेंट के रूप में होता है  

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: c


रैपिड फायर

ट्विन स्टार सिस्टम में ग्रहों की अस्थिरता

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

ग्रह प्रणालियों की स्थिरता और गतिशीलता ने लंबे समय से खगोलविदों को आकर्षित किया है, हाल ही में हुए एक अध्ययन में ट्विन स्टार सिस्टम के भीतर शोध पर प्रकाश डाला गया है।

  • नेचर जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया में मोनाश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था, जो इन खगोलीय विन्यासों के भीतर ग्रहों की अस्थिरता की संभावना और ग्रहों के अंतर्ग्रहण (तारा एक ग्रह को घेर लेता है) की प्रक्रिया की जाँच करता है।
  • अध्ययन में "ट्विन या जुड़वाँ" कहे जाने वाले तारों के 91 युग्मों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो समान रासायनिक संरचना साझा करते हैं और समान द्रव्यमान तथा उम्र के होते हैं, जो एक ही अंतर-तारकीय बादल से उत्पन्न होते हैं जिन्हें सह-जन्मजात सितारे भी कहा जाता है।
    • अपनी समानताओं के बावजूद ये ट्विन स्टार गुरुत्वाकर्षण से बंधे बाइनरी सिस्टम नहीं हैं।
  • जब कोई तारा किसी ग्रह को घेर लेता है, तो उसकी रासायनिक संरचना बदल जाती है, जिससे शोधकर्त्ता विशिष्ट तत्त्वों के उच्च स्तर वाले तारों को चट्टानी ग्रहों के अवशेष के रूप में पहचानने लगते हैं।
    • आश्चर्यजनक रूप से इस ट्विन स्टार सिस्टम की एक महत्त्वपूर्ण संख्या ने ग्रहों को निगलने के संकेत दिये, जिसके परिणामस्वरूप उनकी रासायनिक संरचना में परिवर्तन हुआ।
  • अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि ग्रहों की अस्थिरता पहले की तुलना में अधिक प्रचलित हो सकती है, लगभग 8% देखे गए युग्मों ग्रह अंतर्ग्रहण के संकेत प्रदर्शित करते हैं।
    • यह शोध ग्रह प्रणाली की स्थिरता की पारंपरिक समझ को चुनौती देता है, जिससे पता चलता है कि अध्ययन किये गए ट्विन स्टार के एक उल्लेखनीय अंश में एक तारा शामिल था, जिसने एक ग्रह का अंतर्ग्रहण किया था।

और पढ़ें: बृहस्पति के आकार के ग्रह को निगलने वाला तारा


रैपिड फायर

विश्व युवा गठिया रोग दिवस

स्रोत: द हिंदू

विश्व युवा गठिया रोग दिवस (18 मार्च) युवा व्यक्तियों में गठिया रोगों के बारे में शीघ्र पता लगाने और जागरूकता के महत्त्व को रेखांकित करता है।

  • गठिया रोग एक व्यापक शब्द है जो गठिया के साथ-साथ कई अन्य स्थितियों को संदर्भित करता है जो जोड़ों, टेंडन, स्नायुबंधन, हड्डियों एवं मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं।
  • सबसे प्रचलित बाल गठिया संबंधी विकार जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस (JIA) में सूजन संबंधी गठिया के विभिन्न उपप्रकार शामिल हैं, जो विश्व भर में बच्चों के बीच एक महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य चुनौती उत्पन्न करता है।
    • JIA की वैश्विक व्यापकता प्रति 1,000 बच्चों पर 0.07 से 4 तक है, विभिन्न क्षेत्रों में वितरण प्रणाली अलग-अलग हैं।
    • JIA से पीड़ित बच्चों को आमतौर पर जोड़ों में दर्द, सूजन एवं कार्यात्मक सीमाओं का अनुभव होता है, जो विशेष रूप से सुबह अथवा आराम की अवधि के बाद होता है।
    • JIA विभिन्न जोड़ों को प्रभावित कर सकता है, जिससे उपप्रकार के आधार पर विभिन्न कार्यात्मक सीमाएँ जैसे बिगड़ी हुई गतिशीलता तथा लिखने एवं खाने जैसी गतिविधियों में कठिनाई हो सकती है।
    • JIA के लिये चिकित्सीय विकल्पों में स्टेरॉयड रोग-संशोधित एंटीर्यूमेटिक दवाएँ (DMARD), एवं नई जैविक दवाएँ भी शामिल हैं, जिनका उद्देश्य प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने के साथ उसके लक्षणों का प्रबंधन करना है।
    • चुनौतियों में सीमित जागरूकता एवं विलंबित निदान शामिल हैं, जो बढ़ी हुई सामुदायिक जागरूकता के साथ सुव्यवस्थित रेफरल तंत्र की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
    • JIA के प्रबंधन में प्रारंभिक हस्तक्षेप महत्त्वपूर्ण है, अध्ययनों में सर्वोत्तम परिणामों हेतु बाल चिकित्सा रुमेटोलॉजिस्ट को समय पर रेफरल के महत्त्व पर ज़ोर दिया गया है।

और पढ़ें… आमवाती बुखार/रुमेटिक फीवर से लड़ने के लिये पेनिसिलिन का पुनरुद्धार


रैपिड फायर

Paytm को NPCI से मिला थर्ड-पार्टी लाइसेंस

स्रोत: टाइम्स ऑफ इंडिया 

नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने हाल ही में मल्टी-बैंक मॉडल के तहत थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन प्रोवाइडर (TPAP) के रूप में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस में भाग लेने के लिये Paytm के मालिक One97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड को मंज़ूरी दे दी है।

  • एक्सिस बैंक, HDFC बैंक, भारतीय स्टेट बैंक और यस बैंक Paytm के लिये भुगतान प्रणाली प्रदाता (Payment System Provider- PSP) बैंकों के रूप में कार्य करेंगे।
    • पहले, Paytm अपने स्वयं के भुगतान बैंक लाइसेंस के माध्यम से संचालित होता था। हालाँकि नियामक गैर-अनुपालन के कारण RBI ने Paytm पेमेंट्स बैंक पर कई प्रतिबंध लगाए।
  • TPAP ऐसी संस्थाएँ हैं जो ग्राहकों और व्यापारियों को एप्लीकेशन या प्लेटफॉर्म के माध्यम से जोड़कर UPI भुगतान की सुविधा प्रदान करती हैं।
    • ये मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं, निर्बाध लेन-देन सुनिश्चित करती हैं और UPI ईको-सिस्टम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए प्रतिदिन लाखों लेन-देन संभालती हैं।
  • भुगतान एवं निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 के तहत RBI और भारतीय बैंक संघ के बीच सहयोग से गठित NPCI भारत के भुगतान एवं निपटान अवसंरचना को बढ़ाने के लिये एक गैर-लाभकारी इकाई के रूप में कार्य करती है।
    • इसका उद्देश्य बैंकिंग क्षेत्र को भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक दोनों भुगतान समाधान प्रदान करना, परिचालन दक्षता बढ़ाने तथा भुगतान प्रणाली की पहुँच का विस्तार करने के लिये प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना है।

और पढ़ें: RBI ने Paytm पेमेंट्स बैंक पर प्रतिबंध लगाया


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