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ट्विन स्टार सिस्टम में ग्रहों की अस्थिरता

  • 23 Mar 2024
  • 3 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

ग्रह प्रणालियों की स्थिरता और गतिशीलता ने लंबे समय से खगोलविदों को आकर्षित किया है, हाल ही में हुए एक अध्ययन में ट्विन स्टार सिस्टम के भीतर शोध पर प्रकाश डाला गया है।

  • नेचर जर्नल में प्रकाशित यह अध्ययन ऑस्ट्रेलिया में मोनाश विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित किया गया था, जो इन खगोलीय विन्यासों के भीतर ग्रहों की अस्थिरता की संभावना और ग्रहों के अंतर्ग्रहण (तारा एक ग्रह को घेर लेता है) की प्रक्रिया की जाँच करता है।
  • अध्ययन में "ट्विन या जुड़वाँ" कहे जाने वाले तारों के 91 युग्मों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जो समान रासायनिक संरचना साझा करते हैं और समान द्रव्यमान तथा उम्र के होते हैं, जो एक ही अंतर-तारकीय बादल से उत्पन्न होते हैं जिन्हें सह-जन्मजात सितारे भी कहा जाता है।
    • अपनी समानताओं के बावजूद ये ट्विन स्टार गुरुत्वाकर्षण से बंधे बाइनरी सिस्टम नहीं हैं।
  • जब कोई तारा किसी ग्रह को घेर लेता है, तो उसकी रासायनिक संरचना बदल जाती है, जिससे शोधकर्त्ता विशिष्ट तत्त्वों के उच्च स्तर वाले तारों को चट्टानी ग्रहों के अवशेष के रूप में पहचानने लगते हैं।
    • आश्चर्यजनक रूप से इस ट्विन स्टार सिस्टम की एक महत्त्वपूर्ण संख्या ने ग्रहों को निगलने के संकेत दिये, जिसके परिणामस्वरूप उनकी रासायनिक संरचना में परिवर्तन हुआ।
  • अध्ययन से यह संकेत मिलता है कि ग्रहों की अस्थिरता पहले की तुलना में अधिक प्रचलित हो सकती है, लगभग 8% देखे गए युग्मों ग्रह अंतर्ग्रहण के संकेत प्रदर्शित करते हैं।
    • यह शोध ग्रह प्रणाली की स्थिरता की पारंपरिक समझ को चुनौती देता है, जिससे पता चलता है कि अध्ययन किये गए ट्विन स्टार के एक उल्लेखनीय अंश में एक तारा शामिल था, जिसने एक ग्रह का अंतर्ग्रहण किया था।

और पढ़ें: बृहस्पति के आकार के ग्रह को निगलने वाला तारा

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