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भारतीय अर्थव्यवस्था

‘भारतीय बैंक संघ’ द्वारा ‘बैड बैंक’ की सिफारिश

  • 12 May 2020
  • 6 min read

प्रीलिम्स के लिये:

बैड बैंक, सशक्त पैनल की सिफारिशें, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी

मेन्स के लिये:

NPAs पर भारतीय बैंक संघ की सिफारिशें 

चर्चा में क्यों?

हाल में ‘भारतीय बैंक संघ’ (Indian Banks’ Association- IBA) ने वित्त मंत्रालय को 'सशक्त पैनल' की अनुशंसाओं के आधार पर ‘बैड बैंक’ का निर्माण करने की सिफारिश की है। 

प्रमुख बिंदु:

  • ‘बैड बैंक’ के निर्माण के बाद बैंकों के 60,000 करोड़ रुपये से अधिक के ‘बैड लोन’ 'परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी' (Asset Reconstruction Company) को स्थानांतरित करने की संभावना है।
  • सरकार ‘बैड बैंक’ (Bad Bank) में लगभग 9,000-10,000 करोड़ रुपये के योगदान के साथ 50% तक पूँजी निवेश कर सकती है।

बैड बैंक की अवधारणा:

  • ‘बैड बैंक' एक आर्थिक अवधारणा है जिसके अंतर्गत आर्थिक संकट के समय घाटे में चल रहे बैंकों द्वारा अपनी देयताओं को एक नए बैंक को स्थानांतरित कर दिया जाता है|
  • जब किसी बैंक की गैर-निष्पादनकारी परिसंपत्तियाँ सीमा से अधिक हो जाती हैं, तब राज्य के आश्वासन पर एक ऐसे बैंक का निर्माण किया जाता है जो मुख्य बैंक की देयताओं को एक निश्चित समय के लिये धारण कर लेता है|

सशक्त पैनल (Sashakt Panel):

  • जुलाई, 2018 में सुनील मेहता की अध्यक्षता में दबावपूर्ण परिसंपत्तियों (Stressed Assets) के समाधान के लिये सुझाव दिये थे। सुनील मेहता जो वर्तमान में ‘प्रोजेक्ट सशक्त’ (Project Sashakt) के भी अध्यक्ष हैं। अत: ‘सुनील मेहता’ समिति को  'सशक्त पैनल' (Sashakt Panel) के रूप में भी जाना जाता है। पैनल ने तनावग्रस्त परिसंपत्तियों को हल करने के लिये ‘पाँच-आयामी दृष्टिकोण’ का प्रस्ताव दिया था।
  • पैनल ने सिफारिश की थी कि ARC के तहत बड़े बैड लोन का समाधान किया जा सकता है।

IBA की सिफारिश:

  • ‘भारतीय बैंक संघ’ (IBA) जो कि एक दबाव समूह है, ने ‘प्रोजेक्ट सशक्त’ की सिफारिशों को आधार बनाकर तीन संस्थाओं की स्थापना की सिफारिश की गई है:
  • परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी' (Asset Reconstruction Company- ARC):
    • ARC एक विशेष वित्तीय संस्थान है जो बैंकों और वित्तीय संस्थानों की बैलेंस शीट को स्वच्छ और संतुलित रखने में उनकी सहायता करने के लिये उनसे ‘गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों’ (Non-Performing Assets- NPA) या खराब ऋण खरीदती है। दूसरे शब्दों में ARC बैंकों से खराब ऋण खरीदने के कारोबार में कार्यरत वित्तीय संस्थान हैं।

परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी (Asset Management Company- AMC):

  • AMC परिसंपत्तियों का प्रबंधन, जिसमें प्रबंधन का अधिग्रहण या परिसंपत्तियों के पुनर्गठन जैसे कार्य करेगी। 500 करोड़ रुपए से अधिक के फँसे ऋण के लिये AMC की स्थापना की जाएगी। AMC बैंकों द्वारा NPA घोषित किये हुए ऋण को खरीदेगा जिससे इस कर्ज़ का भार बैंकों पर नहीं पड़ेगा।  
  • यह कंपनी पूरी तरह से स्वतंत्र होगी। इसमें सरकार का कोई दखल नहीं होगा।  AMC सरकारी एवं निजी दोनों क्षेत्रों के निवेशकों से धन जुटाएगी।

वैकल्पिक निवेश कोष (Alternative Investment Fund- AIF):

  • परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनी’ (AMC) को AIF के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा।
  • IBA ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से बैड लोन की प्राप्ति के लिये एक स्वतंत्र ARC के गठन की सिफारिश की है।

भारत में NPAs की स्थिति:

  • CARE रेटिंग एजेंसी के विश्लेषण के अनुसार, दिसंबर 2018 में वाणिज्यिक बैंकों की 'सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति' दिसंबर 2018 में 9.7 ट्रिलियन रुपए से घटकर 9 ट्रिलियन हो गई है। इसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की हिस्सेदारी अभी भी अधिक बनी हुई है। दिसंबर, 2019 के अनुसार, इनकी हिस्सेदारी 7.2 ट्रिलियन रुपए है।  

स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड

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