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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Mar, 2024
  • 31 min read
प्रारंभिक परीक्षा

नीति फॉर स्टेट्स प्लेटफॉर्म

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से एक डिजिटल पहल 'नीति फॉर स्टेट्स' प्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया।

  • नीति आयोग में 'विकसित भारत रणनीति कक्ष' का भी उद्घाटन किया गया।

नीति फॉर स्टेट्स प्लेटफॉर्म क्या है?

  • परिचय: नीति आयोग द्वारा विकसित, "नीति फॉर स्टेट्स प्लेटफॉर्म" मूल्यवान संसाधनों के भंडार के रूप में कार्य करता है, जिसका उद्देश्य राज्यों में डेटा को एकीकृत करना है, डेटा-संचालित अंतर्दृष्टि के आधार पर राज्य सरकारों द्वारा भविष्य के निर्णयों को सूचित करने के लिये निष्कर्षों को केंद्रीकृत करना है।
    • इस प्लेटफॉर्म में 10 क्षेत्र और दो अंतर-संबंधी विषयों को लैंगिक और जलवायु परिवर्तन शामिल किया गया हैं, इसमें वास्तविक समय डेटा अपडेशन तथा मॉनिटरिंग भी शामिल हैं।
  • विशेषताएँ: 
    • व्यापक ज्ञानकोष: क्यूरेटेड सर्वोत्तम प्रथाएँ, नीति दस्तावेज़, डेटासेट, डेटा प्रोफाइल और नीति आयोग प्रकाशन।
    • बहुभाषी अभिगम्यता: प्रमुख भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं तक समावेशी पहुँच।
    • क्षमता निर्माण पहल: ब्लॉक, ज़िला एवं राज्य स्तर पर अधिकारियों के लिये डिजिटल प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किया गया।
    • विशेषज्ञ हेल्प डेस्क: अग्रणी संस्थानों के साथ भागीदारी के माध्यम से विशिष्ट मार्गदर्शन।
    • डेटा एकीकरण: व्यापक अंतर्दृष्टि के लिये राष्ट्रीय डेटा एवं विश्लेषिकी मंच से डेटा का लाभ प्राप्त करता है।

विकसित भारत रणनीति कक्ष क्या है? 

  • विकसित भारत रणनीति कक्ष एक अन्योन्य क्रियाशील स्थान है जहाँ उपयोगकर्त्ता एक विस्तृत वातावरण में डेटा, रुझान, सर्वोत्तम प्रथाओं एवं नीतियों की कल्पना कर सकेंगे और साथ ही किसी भी समस्या का समग्र मूल्यांकन भी कर सकेंगे।
  • यह उपयोगकर्त्ताओं को आवाज़-सक्षम AI के माध्यम से बातचीत करने तथा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कई हितधारकों से जुड़ने की भी अनुमति प्रदान करता है।
    • इसे राज्य, ज़िला एवं ब्लॉक स्तर पर प्रतिकृति को सक्षम करने हेतु प्लग-एंड-प्ले मॉडल बनने के लिये डिज़ाइन किया गया है।

नीति आयोग की सभी राज्यों में विकास को बढ़ावा देने वाली पहल क्या हैं?

  • राज्यों के लिये विकास सहायता सेवाएँ: नीति आयोग सफल बुनियादी ढाँचे के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिये परियोजना योजना, वित्तपोषण और कार्यान्वयन में सहायता करता है।
  • आकांक्षी ज़िला कार्यक्रम: इसका लक्ष्य देश भर के 112 सबसे अविकसित ज़िलों को शीघ्र एवं प्रभावी रूप से परिवर्तित करना है।
    • नीति आयोग शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और बुनियादी ढाँचे में मुख्य मेट्रिक्स में सुधार के लिये उनके साथ कार्य करता है। 
  • समग्र जल प्रबंधन सूचकांक: यह भारत में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) के जल क्षेत्र की स्थिति तथा जल प्रबंधन प्रदर्शन का वार्षिक स्नैपशॉट (आशुचित्र) प्रदान करता है।
  • SDG भारत सूचकांक: यह सूचकांक संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में भारत की प्रगति को ट्रैक करता है।
    • यह राज्यों को उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिये मूल्यवान डेटा प्रदान करता है जिन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है और सहयोगात्मक कार्रवाई को बढ़ावा देता है।
  • मानव पूंजी परिवर्तन के लिये सतत् कार्रवाई: इसे स्कूली शिक्षा क्षेत्र के लिये तीन 'रोल मॉडल' राज्यों की पहचान करने और निर्माण करने के लिये वर्ष 2017 में लॉन्च किया गया था।
    • इसके लिये झारखंड, ओडिशा और मध्य प्रदेश को चुना गया।
  • अटल इनोवेशन मिशन: इसका उद्देश्य समग्र देश में स्कूल, विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थानों, MSME और उद्योग स्तरों पर नवाचार और उद्यमिता का एक पारितंत्र विकसित करना तथा प्रोत्साहन प्रदा करना है।
    • हाल ही में अटल इनोवेशन मिशन और मेटा ने भारत भर के स्कूलों में फ्रंटियर टेक्नोलॉजी लैब्स (FTL) लॉन्च करने के लिये सहयोग किया।
      • AIM पहले ही देशभर के स्कूलों में 10,000 अटल टिंकरिंग लैब्स (एटीएल) स्थापित कर चुका है, जो छात्रों के बीच जिज्ञासा और रचनात्मकता को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • FTL, ATL का एक उन्नत संस्करण है, जो AI, AR/VR, ब्लॉकचेन, साइबर सुरक्षा, रोबोटिक्स, 3D प्रिंटिंग और IoT जैसी अग्रणी प्रौद्योगिकियों में छात्रों को सशक्त बनाने के लिये अत्याधुनिक बुनियादी ढाँचे से लैस है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है: (2019):

(a) विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग

(b) श्रम और रोज़गार मंत्रालय

(c) नीति आयोग

(d) कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय

उत्तर: (c)


प्रश्न . भारत सरकार ने  नीति आयोग की स्थापना निम्नलिखित में से किसका स्थान लेने के लिये की है? (2015) 

(a) मानव अधिकार आयोग
(b) वित्त आयोग
(c) विधि आयोग
(d) योजना आयोग

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

पीएम-सूरज और नमस्ते योजना

स्रोत : द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता मंत्रालय ने 'प्रधानमंत्री सामाजिक उत्थान और रोज़गार आधार जनकल्याण' (पीएम-सूरज) राष्ट्रीय ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया, जिसका उद्देश्य समाज के हाशिये पर रहने वाले वर्गों को ऋण सहायता प्रदान करना है, जिसमें प्रधानमंत्री मुख्य अतिथि थे।

पीएम-सूरज क्या है?

  • 'पीएम-सूरज' राष्ट्रीय पोर्टल का लक्ष्य समाज के सबसे वंचित वर्गों का उत्थान करना और वंचित समुदायों के एक लाख उद्यमियों को ऋण सहायता प्रदान करना है।
    • इसे सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय एवं उसके विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।
  • यह पोर्टल वन-स्टॉप प्वाइंट के रूप में कार्य करता है, जहाँ समाज के वंचित वर्गों के लोग आवेदन कर सकते हैं और उनके लिये पहले से उपलब्ध सभी ऋण एवं क्रेडिट योजनाओं की प्रगति की निगरानी कर सकते हैं।
  • पूरे देश में पहुँच सुनिश्चित करते हुए बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के वित्त संस्थानों (NBFC-MFI) और अन्य संगठनों के माध्यम से ऋण सहायता की सुविधा प्रदान की जाएगी।
    • NBFC MFI एक गैर-जमा स्वीकार करने वाली NBFC है जिसमें न्यूनतम निवल स्वामित्व वाली निधि (NOF) 5 करोड़ रुपए (देश के उत्तर पूर्वी क्षेत्र में पंजीकृत लोगों के लिये 2 करोड़ रुपए) है  और इसकी निवल संपत्ति का कम से कम 85% "अर्हक संपत्ति (इच्छित उपयोग या बिक्री)" के रूप में है।

नमस्ते योजना क्या है?

  • परिचय:
    • नमस्ते योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (MoSJE) तथा आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA) द्वारा वर्ष 2022 में तैयार की गई एक केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।

      • इसका उद्देश्य शहरी स्वच्छता कर्मचारियों के लिये सुरक्षा, गरिमा और सतत् आजीविका सुनिश्चित करना है
    • मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिये स्व-रोज़गार योजना (SRMS) का नाम बदलकर नमस्ते कर दिया गया है।
      • SRMS योजना मैनुअल स्कैवेंजर्स और उनके आश्रितों के पुनर्वास में मदद के लिये वर्ष 2007 में शुरू की गई थी।
    • नमस्ते योजना को अगले तीन वर्षों के दौरान यानी वित्त वर्ष 2025-26 तक देश के 4800 शहरी स्थानीय निकायों में लागू किया जाना है।
  • उद्देश्य:
    • मैनुअल स्कैवेंजर्स (MS) और सीवर तथा सेप्टिक टैंक (SSWs) की सफाई में लगे व्यक्तियों का पुनर्वास।
    • प्रशिक्षित और प्रामाणित स्वच्छता कार्यकर्त्ताओं के माध्यम से सीवर तथा सेप्टिक टैंकों की सुरक्षित एवं मशीनीकृत सफाई को बढ़ावा देना।
  • अभीष्ट परिणाम:
    • भारत में स्वच्छता कार्य में शून्य मृत्यु।
    • सभी स्वच्छता कार्य औपचारिक रूप से कुशल श्रमिकों द्वारा किया जाता है।
    • कोई भी सफाई कर्मचारी मानव मल के प्रत्यक्ष संपर्क में नहीं आता है।
    • स्वच्छता कार्यकर्त्ताओं को स्वयं सहायता समूहों में एकत्रित किया जाता है और उन्हें स्वच्छता उद्यम संचालित करने का अधिकार दिया जाता है।
    • सीवर और SSWs तथा उनके आश्रितों को भी स्वच्छता-संबंधी उपकरणों की खरीद के लिये पूंजीगत सब्सिडी प्रदान करके आजीविका तक पहुँच प्राप्त है
    • पंजीकृत कुशल और प्रामाणित स्वच्छता कार्यकर्त्ताओं से सेवाएँ लेने के लिये स्वच्छता सेवा चाहने वालों (व्यक्तियों और संस्थानों) के बीच जागरूकता में वृद्धि करना। 
    • SSW और मैनुअल स्कैवेंजर्स तथा उनके परिवार के सदस्यों को आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ प्रदान करना।

वंचित वर्गों को सशक्त बनाने के लिये भारत की अन्य ऋण योजनाएँ क्या हैं?

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. एक राष्ट्रीय मुहीम ‘राष्ट्रीय गरिमा अभियान' चलाई गई है: (2016)

(a) आवासहीन और निराश्रित लोगों के पुनर्वासन तथा उन्हें उपयुक्त जीविकोपार्जन के स्रोत प्रदान करने के लिये।  
(b) यौन-कर्मियों को उनके पेशे से मुक्त कराने और उन्हें जीविकोपार्ज़न के वैकल्पिक स्रोत प्रदान करने के लिये।
(c) मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने और मैला ढोने वाले कर्मियों के पुनर्वासन के लिये। 
(d) बँधुआ मज़दूरों को बंधन से मुक्त कराने और उनके पुनर्वासन के लिये। 

उत्तर: (c)   


प्रारंभिक परीक्षा

BBNJ संधि

स्रोत: डाउन टू अर्थ

राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे जैवविविधता पर ब्लू लीडर्स उच्च-स्तरीय कार्यक्रम बेल्जियम में हुआ, जिसने राष्ट्रों को राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से परे क्षेत्रों की समुद्री जैवविविधता संधि की पुष्टि करने के लिये प्रोत्साहित किया, जिसका उद्देश्य उच्च समुद्रों को प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और अत्यधिक मछली पकड़ने से बचाना है।

BBNJ संधि क्या है?

  • परिचय:
    • BBNJ संधि जिसे आमतौर पर उच्च समुद्र की संधि के रूप में जाना जाता है, पर राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के लिये मार्च 2023 में सहमति व्यक्त की गई थी।
      • यह राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में समुद्री जैविक विविधता के संरक्षण और स्थायी प्रबंधन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करता है।
  • अनुसमर्थन प्रगति:
    • संधि का उद्देश्य उच्च समुद्रों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करना है, जो तटीय देशों के विशेष आर्थिक क्षेत्रों से 200 समुद्री मील से अधिक के क्षेत्रों का गठन करते हैं।
      • अब तक 88 देशों ने इस संधि पर हस्ताक्षर किये हैं, केवल चिली और पलाऊ ही ऐसे दो देश हैं जिन्होंने इसका अनुमोदन किया है।
      • हालाँकि इसे लागू करने के लिये कम-से-कम 60 अनुसमर्थन आवश्यक हैं।
  • उद्देश्य: 
  • चुनौतियाँ:
    • संधि के लिये व्यापक समर्थन के बावजूद, अनुसमर्थन में संभावित देरी के बारे में चिंताएँ बनी हुई हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन जैसे समान अंतर्राष्ट्रीय समझौतों के सामने आने वाली पिछली चुनौतियों की प्रतिध्वनि है।
    • इसके अतिरिक्त संधि को क्रियान्वित करने में प्रक्रियात्मक ढाँचे को परिभाषित करने के साथ-साथ पर्याप्त धन प्राप्त करने सहित तार्किक बाधाएँ उत्पन्न होती हैं।

आगे की राह

  • संधि के लागू होने और उसके बाद कार्यान्वयन की दिशा में प्रयासों के लिये ठोस वैश्विक सहयोग की आवश्यकता है।
  • वर्ष 2025 में आगामी संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन को इन उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण मंच के रूप में पहचाना गया है।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. किसी तटीय राज्य को अपने प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई को आधार-रेखा से मापित, 12 समुद्री मील से अनाधिक सीमा तक अभिसमय के अनुरूप सुस्थापित करने का अधिकार है।
  2. सभी राज्यों, चाहे वे तटीय हों अथवा भूमि-बद्ध भाग हों, के जहाज़ों को प्रादेशिक समुद्र से होकर बिना किसी रोकटोक यात्रा का अधिकार होता है।
  3. अनन्य आर्थिक क्षेत्र का विस्तार उस आधार रेखा से से 200 समुद्री मील से अधिक नहीं होगा, जहाँ से प्रादेशिक समुद्र की चौड़ाई मापी जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


रैपिड फायर

फिनटेक शिक्षा और नवप्रवर्तन को बढ़ावा

स्रोत: पी.आई.बी.


भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट-सिटी) में गुणवत्तापूर्ण फिनटेक शिक्षा, अनुसंधान तथा नवाचार तक पहुँच बढ़ाने के लिये 23 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।

  • यह परियोजना फिनटेक शिक्षा को मज़बूत करने, स्टार्टअप सफलता दर को बढ़ावा देने और फिनटेक अनुसंधान तथा नवाचार को बढ़ावा देने के लिये एक अंतर्राष्ट्रीय फिनटेक संस्थान (International Fintech Institute- IFI) की स्थापना करेगी।
    • समग्र विकास के लिये बाज़ार-संचालित फिनटेक कौशल कार्यक्रमों, निजी क्षेत्र के निवेश और उद्योग, संस्थानों तथा भागीदारों के बीच सहयोग पर ज़ोर दिया जाएगा।
    • IFI अंतर्राष्ट्रीय मानकों को पूरा करने और नवप्रवर्तन तथा उद्यमिता का समर्थन करने वाले उद्योग-संरेखित फिनटेक प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश करेगा।
  • ADB कार्यक्रम नए समाधान और राज्य फिनटेक तत्परता सूचकांक विकसित करने के लिये जलवायु फिनटेक, नियामक प्रौद्योगिकी, सामाजिक समावेशन तथा वित्त में लैंगिक समानता में अनुसंधान का समर्थन करेगा।
  • GIFT सिटी एक व्यापारिक ज़िला है और भारत में पहला परिचालन ग्रीनफील्ड स्मार्ट सिटी है। यह गुजरात में साबरमती नदी के किनारे पर स्थित है।

और पढ़ें:  एशियाई विकास बैंक, गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट-सिटी), विशेष आर्थिक क्षेत्र


रैपिड फायर

स्टेनलेस स्टील क्षेत्र में भारत का पहला हरित हाइड्रोजन संयंत्र

स्रोत: पी.आई.बी.

हाल ही में केंद्रीय इस्पातमंत्री ने जिंदल स्टेनलेस लिमिटेड, हिसार में स्थित स्टेनलेस स्टील सेक्टर में भारत के पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट का वर्चुअल उद्घाटन किया। यह स्टेनलेस स्टील उद्योग के लिये समर्पित विश्व का पहला ऑफ-ग्रिड ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट है।

  • पारंपरिक स्टील का उत्पादन कोयले पर बहुत अधिक निर्भर करता है, जो ग्रीनहाउस गैस का एक प्रमुख स्रोत है। यह निर्भरता भारत के पर्यावरणीय लक्ष्यों के लिये समस्यात्मक है। ग्रीन हाइड्रोजन एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करता है।
    • संयंत्र का लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को लगभग 2,700 मीट्रिक टन प्रतिवर्ष और अगले दो दशकों में 54,000 टन CO2 उत्सर्जन को कम करना है।
  • स्टेनलेस स्टील एक प्रकार का स्टील मिश्र धातु है जिसमें द्रव्यमान के आधार पर न्यूनतम 10.5% क्रोमियम होता है।
    • यह अपने असाधारण संक्षारण (corrosion) प्रतिरोध हेतु जाना जाता है, जिससे यह विभिन्न अनुप्रयोगों के लिये अत्यधिक उपयुक्त हो जाता है जहाँ टिकाउपन, जंग तथा अभिरंजन के विरुद्ध प्रतिरोध आवश्यक है।
  • भारत कच्चे स्टील का विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। वित्त वर्ष 2023 में इसने 125.32 मिलियन टन (MT) कच्चे स्टील तथा 121.29 मीट्रिक टन परिष्कृत स्टील का उत्पादन किया।
    • इसके अलावा वर्ष 2022-23 में 6.02 मीट्रिक टन स्टील के आयात के बाद 6.72 मीट्रिक टन परिष्कृत स्टील के निर्यात के साथ भारत इसका शुद्ध निर्यातक बन गया है।

और पढ़ें: भारत का इस्पात क्षेत्र, ग्रीन हाइड्रोजन


रैपिड फायर

कोविशील्ड और कोवैक्सिन इम्यूनोजेनेसिटी

स्रोत: द हिंदू

राष्ट्रीय जैविक विज्ञान केंद्र (NCBS) के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में और 11 संस्थानों में किये गए एक हालिया अध्ययन ने भारत में 2 प्राथमिक कोविड-19 वैक्सीन: कोविशील्ड और कोवैक्सिन की प्रतिरक्षात्मकता में आकर्षक अंतर्दृष्टि प्रदान की है।

  • इम्यूनोजेनेसिटी (प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से संबंधित) शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को उत्तेजित करने के लिये वैक्सीन या एंटीजन जैसे पदार्थ की क्षमता को संदर्भित करती है।
    • इस प्रतिक्रिया में आमतौर पर एंटीबॉडी का उत्पादन और प्रतिरक्षा कोशिकाओं की सक्रियता शामिल होती है, जिससे संक्रमण या बीमारी से सुरक्षा मिलती है।
  • हालिया अध्ययन में SARS-CoV-2 के खिलाफ कोविशील्ड और कोवैक्सिन टीकों से प्रेरित प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं की जाँच की गई।
    • कोविशील्ड, कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन देने के लिये एक वायरस वेक्टर का उपयोग करते हुए, निष्क्रिय वायरस वैक्सीन कोवैक्सिन की तुलना में लगातार अधिक मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (सेरोनिगेटिव (बिना पूर्व जोखिम वाले व्यक्तियों) और सेरोपॉजिटिव (पूर्व जोखिम वाले व्यक्तियों) दोनों में उच्च एंटीबॉडी स्तर) प्राप्त करता है।
    • इसके अतिरिक्त, कोविशील्ड ने अधिक संख्या में टी-सेल उत्पन्न कीं, जो एक मज़बूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का संकेत है।

और पढ़ें: कोविशील्ड और कोवैक्सिन


रैपिड फायर

भारत और डोमिनिकन गणराज्य JETCO प्रोटोकॉल के साथ आर्थिक संबंधों को मज़बूत करेंगे

स्रोत: द हिंदू

भारत और डोमिनिकन गणराज्य के बीच संयुक्त आर्थिक तथा व्यापार समिति (JETCO) की स्थापना के प्रोटोकॉल पर सैंटो डोमिंगो (डोमिनिकन गणराज्य की राजधानी) में हस्ताक्षर किये गए।

  • प्रोटोकॉल में तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और क्षमता निर्माण के माध्यम से व्यापार, सेवाओं, औद्योगिक प्रौद्योगिकियों एवं विभिन्न अन्य क्षेत्रों में सहयोग को मज़बूत करने व विकसित करने की परिकल्पना की गई है।
  • भारत और डोमिनिकन गणराज्य के बीच राजनयिक संबंध मई 1999 में स्थापित हुए थे। हालाँकि, वर्तमान में, व्यापार एवं वाणिज्य पर भारत व डोमिनिकन गणराज्य के बीच कोई द्विपक्षीय संस्थागत तंत्र नहीं है।
    • भारत मुख्य रूप से डोमिनिकन गणराज्य से सोना आयात करता है और फार्मास्युटिकल्स, समुद्री उत्पाद, मोटर वाहन, दो व तीन पहिया वाहन आदि का निर्यात करता है।

और पढ़ें: भारत-डोमिनिकन गणराज्य संबंध


रैपिड फायर

गैर-अनुमोदित नई दवाओं पर CDSCO चेतावनी

स्रोत: द हिंदू

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन द्वारा अस्वीकृत दवाओं के निर्माण एवं बिक्री, विशेष रूप से "नई दवाओं" के उपयोग, के संबंध में एक चेतावनी जारी की है।

  • विशेष रूप से मेरोपेनेम, एक जीवाणुरोधी एजेंट तथा डिसोडियम EDTA जैसी दवाएँ जो कैल्शियम की अधिकता का उपचार करने के लिये उपयोग की जाती हैं, को ऐसी अस्वीकृत दवाओं के उदाहरण के रूप में उजागर किया गया था।
  • CDSCO ने इस बात पर ज़ोर दिया कि लाइसेंसिंग अथॉरिटी की मंज़ूरी के बिना बिक्री के लिये किसी भी नई दवा का निर्माण नहीं किया जाना चाहिये।
  • CDSCO औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अंर्तगत केंद्र सरकार को सौंपे गए कार्यों के निर्वहन के लिये केंद्रीय औषधि प्राधिकरण है।
    • CDSCO के प्रमुख कार्यों में दवाओं के आयात पर नियामक नियंत्रण, नई दवाओं एवं नैदानिक ​​परीक्षणों की मंज़ूरी के साथ-साथ केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण के रूप में कुछ लाइसेंसों की मंज़ूरी भीं शामिल है।

और पढ़ें… भारतीय फार्मास्युटिकल क्षेत्र में नियामक मुद्दे


रैपिड फायर

केंद्र ने अवरोधन रिकॉर्ड खंडन हेतु IT नियमों में संशोधन किया

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

सरकार ने गृह सचिव या केंद्र में अन्य नौकरशाहों को अवरोधन या डिक्रिप्ट जानकारी के डिजिटल रिकॉर्ड को नष्ट करने के निर्देश जारी करने की अनुमति देने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियमों में संशोधन किया है।

  • अब तक, यह शक्ति कानून प्रवर्तन निकायों जैसी सुरक्षा एजेंसियों के पास ही हती।
  • IT मंत्रालय द्वारा गजट अधिसूचना में उल्लिखित संशोधन में सूचना प्रौद्योगिकी (सूचना के अवरोधन, निगरानी और डिक्रिप्शन के लिये प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 की धारा 23 में संशोधन शामिल है।
    • विशेष रूप से "सुरक्षा एजेंसी" शब्द को "सक्षम प्राधिकारी और सुरक्षा एजेंसी" से प्रतिस्थापित कर दिया गया है, जिससे केंद्र को डिजिटल साक्ष्य को नष्ट करने के लिये निर्देश जारी करने की व्यापक शक्तियाँ प्राप्त हुई हैं।
  • कानून के नियम 23 में कहा गया है कि सूचना के अवरोधन, निगरानी या डिक्रिप्शन से संबंधित इलेक्ट्रॉनिक सहित सभी रिकॉर्ड, सुरक्षा एजेंसियों द्वारा प्रत्येक छह माह में नष्ट कर दिये जाने चाहिये, जब तक कि कार्यात्मक उद्देश्यों हेतु आवश्यक न समझा जाए।

और पढ़ें: नए IT नियम


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