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विशेष क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना: MSME

  • 20 Nov 2021
  • 7 min read

हाल ही में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSMEs) ने सेवा क्षेत्र के लिये विशेष क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना (Special Credit Linked Capital Subsidy Scheme- SCLCSS) शुरू की है।

प्रमुख बिंदु 

  • विशेष क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना के बारे में:
    • यह योजना सेवा क्षेत्र में उद्यमों की प्रौद्योगिकी संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगी।
    • इसमें अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सूक्ष्म और लघु उद्यमों को बिना किसी क्षेत्र विशेष प्रतिबंध के प्रौद्योगिकी के उन्नयन पर संयंत्र और मशीनरी तथा सेवा उपकरणों की खरीद के लिये संस्थागत ऋण के माध्यम से 25% पूंजीगत अनुदान (सब्सिडी) दिये जाने का प्रावधान है। 
  • महत्त्व:
    • यह योजना  MSEs को प्रौद्योगिकी उन्नयन, MSMEs द्वारा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करने, उत्पादकता में वृद्धि और निरंतर सुधार की संस्कृति को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी।
    • यह MSMEs में नवाचार, डिज़िटल सशक्तीकरण और डिज़ाइन हस्तक्षेप को भी बढ़ावा देगा।
  • प्रौद्योगिकी उन्नयन के लिये क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी योजना:
    • इसे वर्ष 2000 में लॉन्च किया गया था।
    • योजना का उद्देश्य अनुमोदित निर्दिष्ट 51 उप-क्षेत्रों/उत्पादों में सुस्थापित और उन्नत प्रौद्योगिकी को शामिल करने के लिये 15% की अग्रिम पूंजी सब्सिडी (उनके द्वारा प्राप्त 1 करोड़ रुपए तक के संस्थागत वित्त पर) प्रदान करके MSEs में प्रौद्योगिकी उन्नयन की सुविधा प्रदान करना है। 
    • दूसरे शब्दों में योजना का मुख्य उद्देश्य अपने संयंत्र और मशीनरी को अत्याधुनिक तकनीक के साथ या बिना विस्तार के तथा नए MSEs के लिये अपग्रेड करना है, जिन्होंने योजना दिशा-निर्देशों के तहत विधिवत अनुमोदित उपयुक्त योग्य और सिद्ध तकनीक के साथ सुविधाएंँ प्रदान की हैं।

MSME

MSMEs क्षेत्र को बढ़ावा देने संबंधी पहलें

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (M/oMSME) खादी, ग्राम और कयर उद्योगों (Coir Industries) सहित MSME क्षेत्र की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देकर एक जीवंत MSME क्षेत्र की कल्पना प्रस्तुत करता है।
  • MSMEs को प्रभावित करने वाले नीतिगत मुद्दों तथा इस क्षेत्र की कवरेज एवं निवेश सीमा को संबोधित करने के लिये वर्ष 2006 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम को अधिसूचित किया गया था।
  • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): यह नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना और देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है।  
  • पारंपरिक उद्योगों के उन्‍नयन एवं पुनर्निर्माण के लिये कोष की योजना (SFURTI): इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक उद्योगों को समूहों में व्यवस्थित करना तथा इस प्रकार उन्हें वर्तमान बाज़ार परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धी बनाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने हेतु एक योजना (ASPIRE): यह योजना 'कृषि आधारित उद्योग में स्टार्टअप के लिये फंड ऑफ फंड्स', ग्रामीण आजीविका बिज़नेस इनक्यूबेटर (LBI), प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (TBI) के माध्यम से नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
  • MSME को वृद्धिशील ऋण प्रदान करने के लिये ब्याज सबवेंशन योजना: यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें सभी वैधानिक MSMEs को उनकी वैधता की अवधि के दौरान उनके बकाया, वर्तमान/वृद्धिशील सावधि ऋण/कार्यशील पूंजी पर 2% तक की राहत प्रदान की जाती है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी योजना: ऋण के आसान प्रवाह की सुविधा के लिये शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत MSMEs को दिये गए संपार्श्विक मुक्त ऋण हेतु गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP): इसका उद्देश्य MSEs की उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता के साथ-साथ क्षमता को बढ़ाना है।
  • चैंपियंस पोर्टल: इसका उद्देश्य भारतीय MSMEs की शिकायतों को हल करके और उन्हें प्रोत्साहन, समर्थन प्रदान कर राष्ट्रीय और वैश्विक चैंपियन (CHAMPIONS) के रूप में स्थापित होने में सहायता करना है।
  • MSME समाधान: यह केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सीपीएसई/राज्य सरकारों द्वारा विलंबित भुगतान के बारे में सीधे मामले दर्ज करने में सक्षम बनाता है।
  • उद्यम पंजीकरण पोर्टल: यह नया पोर्टल देश में एमएसएमई की संख्या के आधार पर डेटा एकत्र करने में सरकार की सहायता करता है।
  • एमएसएमई संबंध: यह एक सार्वजनिक खरीद पोर्टल है। इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा एमएसई से सार्वजनिक खरीद के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये शुरू किया गया था।
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