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भारतीय अर्थव्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस

  • 28 Jun 2021
  • 9 min read

प्रिलिम्स के लिये:

सतत् विकास लक्ष्य, संयुक्त राष्ट्र, एमएसएमई के बारे में 

मेन्स के लिये: 

MSMEs क्षेत्र को बढ़ावा देने संबंधी पहलें, MSMEs का महत्त्व 

चर्चा में क्यों? 

हर वर्ष 27 जून को सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDGs) के कार्यान्वयन में सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों के योगदान को मान्यता देने हेतु सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम (Micro, Small and Medium-sized Enterprises (MSMEs) दिवस का आयोजन  जाता है।

प्रमुख बिंदु: 

इतिहास:

  •  अप्रैल 2017 में संयुक्त राष्ट्र (United Nations- UN) ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित एक प्रस्ताव के माध्यम से 27 जून को सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम दिवस के रूप में नामित किया।
  • मई 2017 में ‘एनहेनसिंग नेशनल केपेसिटीज़ फॉर अनलेशिंग फुल पोटेंशियल्स ऑफ  एमएसएमई इन अचीविंग द एसडीजीज़ इन डेवलपिंग कंट्रीज़' (Enhancing National Capacities for Unleashing Full Potentials of MSMEs in Achieving the SDGs in Developing Countries') नामक एक कार्यक्रम शुरू किया गया ।
  • इसे संयुक्त राष्ट्र शांति और विकास कोष (United Nations Peace and Development Fund) के सतत् विकास उप-निधि के लिये 2030 एजेंडा द्वारा वित्तपोषित किया गया है।

महत्त्व:

  • संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि देशों द्वारा सतत् विकास लक्ष्यों की पहचान की जाए और उनके बारे में जागरूकता उत्पन्न की जाए।
    • 136 देशों के व्यवसायों के मध्य कोविड -19 के पड़ने वाले प्रभाव पर किये गए एक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार केंद्र सर्वेक्षण से पता चला है कि लगभग 62% महिला-नेतृत्व वाले छोटे व्यवसाय कोविड-19 संकट से प्रभावित हुए हैं, जबकि पुरुष-नेतृत्त्व वाले व्यवसायों के बीच यह संख्या आधे से भी कम है, वहीं महिलाओं के नेतृत्व वाले व्यवसायों की महामारी से न बच पाने की संभावना 27 प्रतिशत अधिक है।
  •  औपचारिक और अनौपचारिक सभी फर्मों में MSMEs की भागीदारी 90% से अधिक है तथा कुल रोज़गार में औसतन 70% और सकल घरेलू उत्पाद में  50% हिस्सेदारी है जिस कारण से वे ग्रीन रिकवरी (Green Recovery) की स्थिति प्राप्त करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

वर्ष 2021 की थीम:

  • एमएसएमई 2021: की टू एन इन्क्लूसिव एंड सस्टेनेबल रिकवरी (Key to an inclusive and sustainable recovery)

भारतीय अर्थव्यवस्था में MSMEs की भूमिका:

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
  • निर्यात के संदर्भ में वे आपूर्ति शृंखला का एक अभिन्न अंग हैं और कुल निर्यात में लगभग 48 प्रतिशत का योगदान देते हैं।
  • इसके अलावा MSMEs रोज़गार सृजन में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देश भर में लगभग 110 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करते हैं।
    • विदित हो कि MSMEs ग्रामीण अर्थव्यवस्था से भी जुड़े हुए हैं और लगभग आधे से अधिक MSMEs ग्रामीण भारत में कार्यरत हैं।

MSME

MSMEs क्षेत्र को बढ़ावा देने संबंधी पहलें

  • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (M/oMSME) खादी, ग्राम और उद्योगों सहित MSME क्षेत्र के वृद्धि और विकास को बढ़ावा देकर एक जीवंत MSME क्षेत्र की कल्पना करता है।
  • MSMEs को प्रभावित करने वाले नीतिगत मुद्दों तथा इस क्षेत्र की कवरेज एवं निवेश सीमा को संबोधित करने के लिये वर्ष 2006 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम को अधिसूचित किया गया था।
  • प्रधानमंत्री रोज़गार सृजन कार्यक्रम (PMEGP): यह नए सूक्ष्म उद्यमों की स्थापना और देश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिये एक क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना है।
  • पारंपरिक उद्योगों के उन्‍नयन एवं पुनर्निर्माण के लिये कोष की योजना (SFURTI): इस योजना का उद्देश्य कारीगरों और पारंपरिक उद्योगों को समूहों में व्यवस्थित करना और इस प्रकार उन्हें वर्तमान बाज़ार परिदृश्य में प्रतिस्पर्द्धी बनाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
  • नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा हेतु एक योजना (ASPIRE): यह योजना 'कृषि आधारित उद्योग में स्टार्टअप के लिये फंड ऑफ फंड्स', ग्रामीण आजीविका बिज़नेस इनक्यूबेटर (LBI), प्रौद्योगिकी व्यवसाय इनक्यूबेटर (TBI) के माध्यम से नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देती है।
  • MSME को वृद्धिशील ऋण प्रदान करने के लिये ब्याज सबवेंशन योजना: यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा शुरू की गई थी, जिसमें सभी कानूनी MSMEs को उनकी वैधता की अवधि के दौरान उनके बकाया, वर्तमान/वृद्धिशील सावधि ऋण/कार्यशील पूंजी पर 2% तक की राहत प्रदान की जाती है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिये क्रेडिट गारंटी योजना: ऋण के आसान प्रवाह की सुविधा के लिये शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत MSMEs को दिये गए संपार्श्विक मुक्त ऋण हेतु गारंटी कवर प्रदान किया जाता है।
  • सूक्ष्म और लघु उद्यम क्लस्टर विकास कार्यक्रम (MSE-CDP): इसका उद्देश्य MSEs की उत्पादकता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता के साथ-साथ क्षमता निर्माण को बढ़ाना है।
  • क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी और टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन स्कीम (CLCS-TUS): इसका उद्देश्य संयंत्र और मशीनरी की खरीद के लिये 15% पूंजी सब्सिडी प्रदान करके सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) को प्रौद्योगिकी उन्नयन की सुविधा प्रदान करना है।
  • CHAMPIONS पोर्टल: इसका उद्देश्य भारतीय MSMEs को उनकी शिकायतों को हल करके और उन्हें प्रोत्साहन, समर्थन प्रदान कर राष्ट्रीय और वैश्विक चैंपियन के रूप में स्थापित होने में सहायता करना है।
  • MSME समाधान: यह केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों/सीपीएसई/राज्य सरकारों द्वारा विलंबित भुगतान के बारे में सीधे मामले दर्ज करने में सक्षम बनाता है।
  • उद्यम पंजीकरण पोर्टल: यह नया पोर्टल देश में एमएसएमई की संख्या पर डेटा एकत्र करने में सरकार की सहायता करता है।
  • एमएसएमई संबंध: यह एक सार्वजनिक खरीद पोर्टल है। इसे केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा एमएसई से सार्वजनिक खरीद के कार्यान्वयन की निगरानी के लिये शुरू किया गया था।

स्रोत-हिंदुस्तान टाइम्स

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