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प्रिलिम्स फैक्ट्स

  • 16 Jan, 2024
  • 19 min read
प्रारंभिक परीक्षा

स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस 

भारत के राष्ट्रपति ने आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs - MoHUA) द्वारा आयोजित भारत मंडपम, नई दिल्ली में स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023 प्रदान किये।

  • इंदौर और सूरत को संयुक्त रूप से सबसे स्वच्छ शहर का खिताब दिया गया। शहरी क्षेत्रों की वार्षिक स्वच्छता रैंकिंग में महाराष्ट्र ने राज्यों में शीर्ष स्थान हासिल किया।

स्वच्छ सर्वेक्षण पुरस्कार 2023 की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? 

  • परिचय: MoHUA द्वारा वर्ष 2016 से आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण, दुनिया का सबसे बड़ा शहरी स्वच्छता और सफाई सर्वेक्षण है।
    • यह नागरिकों को सेवा वितरण में सुधार लाने और शहर को  स्वच्छ बनाने की दिशा में कस्बों तथा शहरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक रहा है।
    • यह प्रतिवर्ष शहरों की बढ़ती संख्या को कवर करते हुए विकसित हुआ है। वर्ष 2023 में 4,416 शहरी स्थानीय निकाय, 61 छावनियाँ एवं 88 गंगा के किनारे वाले शहर शामिल थे।
  • शहरों की रैंकिंग: इंदौर ने लगातार 7वें वर्ष अपना शीर्ष स्वच्छ शहर का खिताब बनाए रखा है। हाल के वर्षों में इंदौर के बाद लगातार दूसरे स्थान पर रहने वाले सूरत ने पहली बार शीर्ष स्थान का पुरस्कार प्राप्त किया है।
    • यह वर्ष 2016 के बाद से वार्षिक पुरस्कारों में शीर्ष पुरस्कार साझा करने वाले दो शहरों का पहला उदाहरण है।
    • दोनों शहरों ने 100% डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण, 98% स्रोत पृथक्करण और 100% कचरा निपटान का लक्ष्य प्राप्त किया।
      • नवी मुंबई ने तीसरा सबसे स्वच्छ शहर का स्थान प्राप्त किया।
  • मूल्यांकन में प्रमुख मापदंड: स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 रैंकिंग में विभिन्न कारकों पर विचार किया गया, जिनमें शामिल हैं:
    • डोर-टू-डोर कूड़ा संग्रहण
    • स्रोत पृथक्करण
    • सार्वजनिक क्षेत्रों की स्वच्छता
    • स्वच्छ जल निकाय
    • शहर की स्वच्छता पर नागरिकों की प्रतिक्रिया
  • शीर्ष स्वच्छ राज्य का पुरस्कार: महाराष्ट्र ने 89.24% घर-घर कचरा संग्रहण एवं 67.76% स्रोत पृथक्करण के साथ सबसे स्वच्छ राज्य का पुरस्कार जीता।
    • राज्य स्वच्छता रैंकिंग में मध्य प्रदेश ने दूसरा स्थान हासिल किया।
    • निम्न प्रदर्शन वाले पाँच राज्य: अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, राजस्थान, नगालैंड तथा त्रिपुरा को स्वच्छता में निम्न प्रदर्शन वाले पाँच राज्यों के रूप में स्थान दिया गया।
  • अन्य विशिष्ट पुरस्कार: स्वच्छता कर्मचारियों के लिये सर्वोत्तम सुरक्षा मानकों वाले शहर के लिये चंडीगढ़ को सफाईमित्र सुरक्षित शहर पुरस्कार प्रदान किया गया।
    • वाराणसी को सबसे स्वच्छ गंगा शहर के रूप में मान्यता दी गई।
    • महाराष्ट्र के सासवड ने 1 लाख से कम आबादी वाले शहरों में सबसे स्वच्छ शहर का पुरस्कार अर्जित किया।
    • महू छावनी को देश की सबसे स्वच्छ छावनी घोषित किया गया।


प्रारंभिक परीक्षा

वडनगर: भारत का प्राचीनतम जीवंत शहर

स्रोत: द हिंदू

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (खड़गपुर) तथा भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India- ASI) के एक संयुक्त अध्ययन किया जिसके अनुसार हड़प्पा के पतन के बाद भी गुजरात स्थित वडनगर में सांस्कृतिक निरंतरता के पुरातात्त्विक प्रमाण प्राप्त हुए हैं।

  • यह अध्ययन हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भी वडनगर में सांस्कृतिक निरंतरता का पुरातात्त्विक प्रमाण प्रदान करके "अंधकार युग" की धारणा को चुनौती देता है।

वडनगर में उत्खनन से संबंधित मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • बस्ती की समयावधि: 
    • अध्ययन से वडनगर में 800 ईसा पूर्व प्राचीन मानव बस्ती के साक्ष्य का पता चलता है।
    • जिसके परिणामस्वरूप इसे उत्तर-वैदिक/पूर्व-बौद्ध महाजनपद अथवा कुलीन गणराज्य काल के समय का माना जा रहा है।
  • जलवायु प्रभाव: 
    • 3,000 वर्ष की अवधि में विभिन्न राज्यों के उत्थान तथा पतन के साथ-साथ मध्य एशियाई कारकों द्वारा निरंतर आक्रमण किये गए जिसका कारक जलवायु में हुए गंभीर परिवर्तनों, जैसे वर्षा अथवा सूखे की स्थिति में परिवर्तन को माना जाता है।
  • बहुसांस्कृतिक एवं बहुधार्मिक बस्ती: 
    • वडनगर को एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक बस्ती के रूप में वर्णित किया गया है जिसमें बौद्ध, हिंदू, जैन तथा इस्लामी प्रभाव शामिल हैं।
    • उत्खनन से सात सांस्कृतिक चरणों (अवधि) का पता चला, जिनमें मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-सीथियन, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल एवं गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन शामिल हैं, जो आज तक विद्यमान हैं।
  • पुरातात्त्विक कलाकृतियाँ: 
    • खुदाई के दौरान विभिन्न पुरातात्त्विक कलाकृतियों की खोज की गई, जिनमें मिट्टी के बर्तन, ताँबा, सोना, चाँदी और लोहे की वस्तुएँ शामिल थीं।
    • निष्कर्षों में इंडो-ग्रीक शासन काल की जटिल रूप से डिज़ाइन की गई चूड़ियाँ तथा सिक्कों के साँचे भी शामिल हैं।
  • बौद्ध विहार: 
    • महत्त्वपूर्ण खोजों में से एक वडनगर में सबसे पुराने बौद्ध मठों में से एक की उपस्थिति है, जो इस बस्ती की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ाती है।
  • रेडियोकार्बन तिथियाँ: 
    • अप्रकाशित रेडियोकार्बन तिथियों से पता चलता है कि यह बस्ती 1400 ईसा पूर्व की हो सकती है, जो अंधयुग की धारणा को चुनौती देती है।
      • "अंधयुग" सिंधु घाटी सभ्यता के पतन और भारतीय इतिहास में लौह युग एवं गांधार, कोशल तथा अवंती जैसे शहरों के उद्भव के बीच की अवधि को संदर्भित करता है।
    • यदि यह सच है, तो इसका तात्पर्य भारत में पिछले 5500 वर्षों से सांस्कृतिक निरंतरता है।

भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI):

  • भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) संस्कृति मंत्रालय के तहत देश की सांस्कृतिक विरासत के पुरातात्त्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिये प्रमुख संगठन है।
  • इसके कार्यों में पुरातात्त्विक अवशेषों का सर्वेक्षण, पुरातात्त्विक स्थलों की खोज एवं उत्खनन, संरक्षित स्मारकों का संरक्षण और रखरखाव करना आदि शामिल हैं।
  • यह 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्त्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्त्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
  • इसके अलावा यह प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्त्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के प्रावधानों के अनुसार देश में सभी पुरातात्त्विक गतिविधियों को विनियमित करता है। यह पुरावशेष तथा बहुमूल्य कलाकृति अधिनियम, 1972 को भी नियंत्रित करता है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 1861 में ASI के पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी। अलेक्जेंडर कनिंघम को "भारतीय पुरातत्त्व के जनक" के रूप में भी जाना जाता है।

प्रारंभिक परीक्षा

फसल उत्सव

स्रोत: हिंदुस्तान टाइम्स 

हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने फसल उत्सव मकर संक्रांति, उत्तरायण, भोगी, माघ बिहू और पोंगल के शुभअवसर पर देश के लोगों को शुभकामनाएँ दी हैं।

  • इन त्योहारों के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में मुर्गों की लड़ाई का भी आयोजन किया जाता है।

भारत में फसल उत्सव कौन-से हैं?

  • मकर संक्रांति:
    • मकर संक्रांति सूर्य के अंतरिक्ष में भ्रमण के दौरान मकर राशि में प्रवेश का प्रतीक है।
    • यह दिन गर्मियों की शुरुआत और हिंदुओं के लिये छह महीने की शुभ अवधि का प्रतीक है, जिसे उत्तरायण (सूर्य की उत्तर दिशा की ओर गति) के रूप में जाना जाता है।
      • ‘उत्तरायण’ के आधिकारिक उत्सव के एक भाग के रूप में, गुजरात सरकार वर्ष 1989 से अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव की मेज़बानी कर रही है।
    • इस दिन से जुड़े उत्सवों को देश के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है:
      • उत्तर भारतीय हिंदुओं और सिखों द्वारा लोहड़ी,
      • मध्य भारत में सुकारत,
      • असमिया हिंदुओं द्वारा भोगाली बिहू और
      • तमिल तथा अन्य दक्षिण भारतीय हिंदुओं द्वारा पोंगल।
  • बिहू:
    • यह तब मनाया जाता है जब असम में वार्षिक फसल होती है। असमिया नववर्ष की शुरुआत को चिह्नित करने के लिये लोग माघ बिहू/भोगाली बिहू मनाते हैं।
    • ऐसा माना जाता है कि यह त्योहार उस समय से शुरू हुआ जब घाटी के लोगों ने ज़मीन जोतना शुरू किया।
  • पोंगल:
    • पोंगल शब्द का अर्थ है 'अतिप्रवाह' या 'उबलना'।
    • थाई पोंगल (Thai Pongal) के रूप में भी जाना जाता है, यह चार दिवसीय अवसर थाई महीने में मनाया जाता है, जब चावल जैसी फसलों की कटाई की जाती है और लोग ईश्वर तथा भूमि की उदारता के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं।
    • तमिल लोग चावल के पाउडर से अपने घरों में कोलम नामक पारंपरिक डिज़ाइन बनाकर इस अवसर का जश्न मनाते हैं।

मुर्गे की लड़ाई क्या होती है?

  • परिचय:
    • मुर्गों की लड़ाई, जिसे स्थानीय शब्दजाल में "कोडी पांडालु" के नाम से भी जाना जाता है, एक छोटे से मैदान में विशेष रूप से पाले गए और प्रशिक्षित पक्षियों (विशेषतः मुर्गे) को एक छोटे से मैदान में तेज़ पैर के ब्लेड के साथ एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा किया जाता है, जब तक कि कोई मारा या बुरी तरह घायल न हो जाए। इन झगड़ों पर सट्टेबाज़ी आम बात है, जिसके परिणामस्वरूप ज़्यादा रकम मिलती है।
  • मुर्गों की लड़ाई से संबंधित कानून:
    • पशुओं के प्रति क्रूरता का निवारण (Prevention of Cruelty to Animals- PCA) अधिनियम, 1960 के तहत मुर्गों की लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसमें ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो जंतुओं की लड़ाई के आयोजन और भागीदारी पर रोक लगाते हैं।
    • इसके अतिरिक्त भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मनोरंजन प्रयोजनों के लिये जानवरों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने वाले निर्णय जारी किये हैं जिनमें मुर्गों की लड़ाई (Rooster Fights) जैसे आयोजन भी शामिल हैं।

विविध

Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 16 जनवरी, 2024

DRDO ने लॉन्च की स्वदेशी असॉल्ट राइफल 'उग्रम' 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने 'उग्रम' (Ugram) नाम से एक स्वदेशी असॉल्ट राइफल लॉन्च की है, जिसका उद्देश्य सशस्त्र बलों, अर्द्धसैनिक तथा राज्य पुलिस इकाइयों की परिचालन आवश्यकताओं को पूर्ण करना है।

  • इसे DRDO की इकाई आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (ARDE) तथा हैदराबाद स्थित निजी फर्म द्विपा आर्मर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
    • उग्रम का उद्देश्य वर्तमान में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा उपयोग की जाने वाली पुरानी INSAS राइफल को प्रतिस्थापित करना है।
  • इसे सेना की जनरल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट्स (GSQR) को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है।
    • GQSR पूंजी खरीद की प्रारंभिक प्रक्रियाओं में से एक है। यह उपकरण की आवश्यकता, इसके भौतिक तथा परिचालन विवरण और साथ ही रखरखाव एवं गुणवत्ता की आवश्यकताओं का वर्णन भी करता है।
  • विशेषताएँ:
    • 7.62 x 51 मिमी. कैलिबर की इस राइफल को एक निजी उद्योग भागीदार के सहयोग से डिज़ाइन, विकसित तथा निर्मित किया गया है।
    • इसकी प्रभावी रेंज 500 मीटर है और इसका भार चार किलोग्राम से भी कम है।

और पढ़ें…रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन, रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार

अभ्यास-अयुत्थाया और इंडो-थाई कॉर्पेट का 36वां संस्करण

भारतीय नौसेना और रॉयल थाई नौसेना (Royal Thai Navy - RTN) ने 'अभ्यास-अयुत्थाया (Ex-Ayutthaya)' नामक पहला द्विपक्षीय अभ्यास आयोजित किया और द्विपक्षीय अभ्यास के साथ भारत-थाईलैंड समन्वित गश्ती दल (Indo-Thai CORPAT) का 36वाँ संस्करण भी आयोजित किया गया।

  • ‘अभ्यास-अयुत्थाया' का अनुवाद 'अजेय वन' या 'अपराजेय' है, और यह दो सबसे पुराने शहरों, भारत में अयोध्या व थाईलैंड में अयुत्या, ऐतिहासिक विरासतों, समृद्ध सांस्कृतिक संबंधों एवं कई सदियों तक साझा ऐतिहासिक कथाओं के महत्त्व का प्रतीक है।
  • इस अभ्यास के उद्घाटन संस्करण में स्वदेश निर्मित भारतीय नौसेना के जहाज़ कुलिश और INLCU 56 ने भाग लिया। RTN पक्ष का प्रतिनिधित्त्व हिज़ थाई मेजेस्टीज़ शिप (HTMS) प्रचुआप खिरी खान ने किया।
  • अभ्यास के समुद्री चरण में दोनों नौसेनाओं के समुद्री गश्ती विमानों ने भाग लिया

और पढ़ें: सागर संपर्क 

राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस 2024

भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम की सराहना करने और उसे बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक वर्ष 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस मनाया जाता है।

  • स्टार्टअप इंडिया पहल 16 जनवरी, 2016 को नवाचार को बढ़ावा देने, स्टार्टअप का समर्थन करने और निवेश को प्रोत्साहित करने के दृष्टिकोण से शुरू की गई थी।
    • वर्ष 2024 में आठवीं वर्षगाँठ महत्त्वपूर्ण वृद्धि का प्रतीक है, जिसमें यह कार्यक्रम वर्ष 2016 में 400 स्टार्टअप से बढ़कर 1.18 लाख से अधिक स्टार्टअप तक पहुँच गया है।
  • मान्यता प्राप्त संस्थाएँ विभिन्न सरकारी लाभ उठाती हैं, जैसे अनुपालन स्व-प्रमाणन, पेटेंट आवेदन सहायता तथा करों में छूट ।

और पढ़ें: उभरती प्रौद्योगिकी में स्टार्टअप

सोलिगा और येरावा जनजातियों की चारागाह परंपराएँ

कर्नाटक में सोलिगा जनजाति, कावेरी बेसिन का हिस्सा, लताओं और बाँस की रस्सियों के साथ पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके प्राचीन शहद संग्रह का अभ्यास करती है।

  • वे, पश्चिमी घाट में येरवा के साथ, हज़ारों वर्षों से इस क्षेत्र में रह रहे हैं, अपने आहार में पश्चिमी घाट के शहद पर काफी निर्भर हैं।
  • पुस्तक "फॉरगॉटन ट्रेल्स: फोर्जिंग वाइल्ड एडिबल्स" यह बताती है कि कैसे पारंपरिक फोर्जिंग ज्ञान को संरक्षित करने के महत्त्व पर ज़ोर देते हुए, दोनों जनजातियों के आहार में फोर्ज किये गए खाद्य पदार्थ एक बड़ा हिस्सा बनते हैं।
    • फोर्जिंग न केवल अस्तित्व सुनिश्चित करता है बल्कि सामुदायिक बंधनों को भी मज़बूत करता है, युवा पीढ़ी को आवश्यक कौशल प्रदान करता है और एकता तथा सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है।

और पढ़ें: शहद मिशन और मीठी क्रांति


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