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सागर संपर्क

  • 14 Jul 2023
  • 5 min read

भारत के पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने 'सागर संपर्क' नामक एक प्रणाली का उद्घाटन किया है, यह समुद्री उद्योग में डिजिटल परिवर्तन की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। 

सागर संपर्क:

  • परिचय:  
    • यह एक स्वदेशी डिफरेंशियल ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (DGNSS) है।
      • DGNSS एक स्थल आधारित संवर्द्धन प्रणाली है जो ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) में त्रुटियों को ठीक करती है जिससे अधिक सटीक स्थिति की जानकारी मिलती है।
    • यह सेवा नाविकों को सुरक्षित नेविगेशन में मदद करेगी और बंदरगाह तथा बंदरगाह क्षेत्रों में टकराव, ग्राउंडिंग और दुर्घटनाओं के जोखिम को कम करेगी। इससे जहाज़ों की सुरक्षित और कुशल आवाजाही सुनिश्चित हो सकेगी। 
  • विशेषताएँ:  
    • सटीकता में सुधार: यह वायुमंडलीय अनुमान, उपग्रह घड़ी और अन्य कारकों के कारण होने वाली त्रुटियों को कम करते हुए GPS स्थिति की सटीकता में काफी सुधार करता है। 
    • अतिरेक एवं उपलब्धता: DGNSS GPS एवं ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GLONASS) जैसे कई उपग्रह समूहों को शामिल करता है, जो अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार बढ़ी हुई उपलब्धता एवं अतिरेक सुनिश्चित करता है।
    • सटीक स्थिति निर्धारण: नाविक अब नवीनतम DGNSS प्रणाली का उपयोग करके 5 मीटर के भीतर अपनी स्थिति में सुधार कर सकते हैं, जिससे बेहतर नेविगेशन सक्षमता के साथ त्रुटि की संभावना कम होती है।
      अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करना: DGNSS अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO), समुद्र में जीवन की सुरक्षा (SOLAS) एवं नेविगेशन और लाइटहाउस अथॉरिटीज़ (IALA) के लिये समुद्री सहायता के अंतर्राष्ट्रीय संघ के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों को पूरा करता है।

नोट:  

  • समुद्र में जीवन की सुरक्षा: समुद्र में जीवन की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (SOLAS), व्यापारिक जहाज़ों की सुरक्षा से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संधि है।  
  • यह सुनिश्चित करता है कि जहाज़ निर्माण, उपकरण एवं जहाज़ों के संचालन में न्यूनतम सुरक्षा मानकों का अनुपालन करते हैं। 
  • नेविगेशन एवं लाइटहाउस अथॉरिटीज़ के लिये समुद्री सहायता का अंतर्राष्ट्रीय संघ: IALA एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय तकनीकी संघ है।
    • वर्ष 1957 में स्थापित IALA अपने सदस्यों को विश्व में नेविगेशन के लिये समुद्री सहायता को सुसंगत बनाने के साथ पर्यावरण की रक्षा करते हुए जहाज़ों की सुरक्षित, शीघ्र और लागत प्रभावी आवाजाही सुनिश्चित करने के लिये सामान्य प्रयास द्वारा एक साथ काम करने के लिये प्रोत्साहित करता है।

समुद्री सुरक्षा से संबंधित अन्य सरकारी पहल:

  • NavIC: NavIC या भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) को 7 उपग्रहों के एक समूह और 24×7 संचालित होने वाले ग्राउंड स्टेशनों के एक नेटवर्क के साथ डिज़ाइन किया गया है।
    • NavIC कवरेज क्षेत्र में भारत एवं भारतीय सीमा से 1500 किलोमीटर दूर तक का क्षेत्र शामिल है।
    • IMO ने NavIC को वर्ल्ड-वाइड रेडियो नेविगेशन सिस्टम (WWRNS) के एक घटक के रूप में मान्यता दी है।
  • SAGAR विज़न: वर्ष 2015 में भारत ने आर्थिक तथा सुरक्षा मोर्चों पर अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ संबंधों को बेहतर बनाने के लिये हिंद महासागर की अपनी रणनीतिक दृष्टि अर्थात् क्षेत्र में सभी के लिये सुरक्षा और विकास (SAGAR) का अनावरण किया।
  • हिंद महासागर नौसेना संगोष्ठी: IONS एक स्वैच्छिक और समावेशी पहल है जो समुद्री सहयोग के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ाने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के तटीय राज्यों की नौसेनाओं को एक साथ लाती है।
  • मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030: इसका लक्ष्य बंदरगाहों, शिपिंग और जलमार्गों में बुनियादी ढाँचे, दक्षता, सेवाओं और क्षमता को बढ़ाकर अगले दशक में समुद्री क्षेत्र के विकास में तेज़ी लाना है।

स्रोत: पी.आई.बी.

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