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विशाल उपतट मेघ निर्माण

  • 14 Jul 2023
  • 7 min read

हाल ही में उत्तराखंड के हरिद्वार में विशाल उपतट मेघ (Shelf Cloud) देखा गया है।

उपतट मेघ:

  • परिचय: 
    • उपतट मेघ- जिन्हें आर्कस बादल (Arcus Cloud) के रूप में भी जाना जाता है, अधिकतर शक्तिशाली तूफान प्रणालियों से जुड़े होते हैं और कई बार उन्हें दीवार मेघ, फनल मेघ या रोटेशन के रूप में जाना जाता है।
    • ये बादल कभी-कभी कपासी-वर्षी मेघ (Cumulonimbus Clouds) जो घने, ऊँचे  ऊर्ध्वाधर मेघ हैं और तीव्र वर्षा का कारण बनते हैं, के नीचे देखे जाते हैं।
    • ये अधिकतर भारी वर्षा, तेज़ वायु और कभी-कभी ओलावृष्टि या बवंडर के साथ शक्तिशाली तूफान से पहले दिखाई देते हैं।
  • निर्माण : 
    • जब कपासी-वर्षी मेघ से शीत अधोप्रवाह पृथ्वी पर पहुँचता है, तो शीत वायु तेज़ी से पृथ्वी पर प्रवाहित होती है, जो मौजूदा गर्म नम हवा को ऊपर की ओर धकेलती है।
    • जैसे ही शीत वायु नीचे की ओर प्रवाहित होती है, यह गर्म वायु को ऊपर की ओर धकेलती है, जिससे संघनन और मेघ बनते हैं। यह प्रक्रिया उपतट मेघ (Shelf Cloud) की विशिष्ट क्षैतिज आकृति और उपस्थिति निर्धारित करती है।

बादलों के प्रकार: 

  • ऊँचाई वाले बादल: 
    • पक्षाभ मेघ: पक्षाभ मेघों का निर्माण 8,000-12,000 मीटर की ऊँचाई पर होता है। ये पतले तथा बिखरे हुए बादल होते हैं, जो पंख के समान प्रतीत होते हैं। ये हमेशा सफेद रंग के होते हैं।
      • पक्षाभ मेघ सूर्य अथवा चंद्रमा के चारों ओर एक वलयाकार आकृति, प्रभामंडल (Halo) का निर्माण कर सकते हैं।
    • कपासी पक्षाभ मेघ: उच्च ऊँचाई वाले ये बादल छोटे, सफेद और रुई जैसे बादल के टुकड़ों के रूप में दिखाई देते हैं। इनका पैटर्न अक्सर अनियमित अथवा छत्ते (Honeycomb) जैसा होता है।
    • स्तरी पक्षाभ मेघ: अच्छी ऊँचाई वाले ये बादल एक पतले और सफ़ेद आवरण से आकाश को ढक देते हैं। ये सूर्य अथवा चंद्रमा के चारों ओर प्रभामंडल का निर्माण कर सकते हैं। 
  • मध्यम ऊँचाई वाले मेघ: 
    • कपासी मघ्य मेघ: मध्य स्तर के ये बादल सफेद अथवा भूरे धब्बे/परतें जैसे होते हैं। ये दिखने में ढेलेदार होते हैं। 
    • स्तरी मध्य मेघ: ये मध्य स्तर के बादल हैं जो आकाश को ढकने वाली एक समान, धूसर अथवा नीले-भूरे रंग की परत का निर्माण करते हैं। ये स्तरी पक्षाभ मेघ की तुलना में अधिक मोटे और घने होते हैं और इनके कारण हल्की वर्षा होती है।
  • कम ऊँचाई वाले मेघ: 
    • कपासी मेघ: ये रुई जैसे सफेद बादल होते हैं जिनका निचला भाग सपाट और उपर से गोलकार होता है। वे आमतौर पर उपर उठती गर्म हवा की धाराओं से बनते हैं  तथा अक्सर धूप वाले दिनों में देखे जाते हैं। कपासी मेघ ही कपासी-वर्षी मेघ बन सकते हैं, ये  गर्जना करते हैं।
    • स्तरी मेघ: स्तरी मेघ निम्न-स्तर के मेघ हैं जो आकाश को ढकने वाली एक समान भूरे रंग की परत के रूप में दिखाई देते हैं। वे प्राय: बूँदाबाँदी या हल्की वर्षा लाते हैं तथा एक नीरस मेघाच्छादित परिवेश का निर्माण कर सकते हैं।
    • स्तरी कपासी मेघ: धब्बेदार दिखने वाले स्तरी कपासी मेघ प्राय: गोल द्रव्यमान के रूप में दिखाई देते हैं। वे सफेद या भूरे रंग के हो सकते हैं तथा आकाश के एक बड़े भाग को कवर कर सकते हैं।
    • वर्षा स्तरी मेघ: घने, काले एवं आकृतिहीन बादल जो आकाश को ढक लेते हैं। वे लगातार वर्षा करते हैं, जो प्राय: लंबे समय तक होती है।
  • मेघ जो महत्त्वपूर्ण ऊर्ध्वाधर विकास प्रदर्शित करते हैं: 
    • कपासी वर्षी मेघ: अत्यधिक काले ऊँचे मेघ जो गर्जन के साथ भारी वर्षा, तड़ित-झंझा तथा तेज़ हवाएँ उत्पन्न करते हुए उच्च ऊँचाई तक पहुँच सकते हैं।

  UPSC सिविल सेवा, पिछले वर्ष प्रश्न  

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये:

  1. उच्च मेघ मुख्यत: सौर विकिरण को परावर्तित कर भूपृष्ठ को ठंडा करते हैं। 
  2. भूपृष्ठ से उत्सर्जित होने वाली अवरक्त विकिरणों का निम्न मेघ में उच्च अवशोषण होता है और इससे तापन प्रभाव होता है।

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 
(b)  केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d)  न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (d) 

व्याख्या: 

  • बादल जहाँ बनते हैं वह स्थान उनके अध्ययन और उनकी विशेषताएँ, जलवायु परिवर्तन संबंधी ज्ञान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कम, घने बादल मुख्य रूप से सौर विकिरण को दर्शाते हैं तथा पृथ्वी की सतह को ठंडा करते हैं। उच्च, पतले बादल मुख्य रूप से आने वाले सौर विकिरण को संचारित करते हैं, साथ ही वे पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित कुछ निवर्तमान अवरक्त विकिरणों में फंस जाते हैं और इसे वापस नीचे की ओर विकीर्ण कर देते हैं, जिससे पृथ्वी की सतह गर्म हो जाती है। अत: दोनों कथन सही नहीं हैं।

स्रोत: द हिंदू

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