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प्रिलिम्स फैक्ट्स

प्रारंभिक परीक्षा

DHRUVA फ्रेमवर्क

स्रोत: द हिंदू 

चर्चा में क्यों? 

डाक विभाग ने डिजिटल हब फॉर रेफरेंस एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेस (DHRUVA) फ्रेमवर्क के लिये आवश्यक विधायी समर्थन सुनिश्चित करने हेतु डाकघर अधिनियम 2023 में संशोधन के प्रस्तावित मसौदे को तैयार किया है।

  • इन संशोधनों का उद्देश्य DHRUVA के इकोसिस्टम सुधारों का समर्थन करना और इसके पूरे देश में कार्यान्वयन को सक्षम बनाना है।

DHRUVA फ्रेमवर्क क्या है?

  • DHRUVA: इसे डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) के रूप में प्रस्तावित किया गया है, जो आधार और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के समान है।
    • यह लॉजिस्टिक कंपनियों, ई-कॉमर्स फर्मों और गिग प्लेटफॉर्म्स को उपयोगकर्त्ता का पूरा फिजिकल एड्रेस/भौतिक पता लेने की बजाय उसका डिजिटल एड्रेस ‘लेबल’ प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेगा।
    • एक बार उपयोगकर्त्ता इस लेबल को अधिकृत कर देता है तो प्लेटफॉर्म डिस्क्रिप्टिव एड्रेस और भू-स्थान कोडित (Geo-Coded) DIGIPIN (डिजिटल पोस्टल इंडेक्स नंबर) दोनों तक पहुँच प्राप्त कर सकता है।
      • DIGIPIN: यह भारतीय डाक द्वारा विकसित एक ओपन-सोर्स, इन-हाउस लोकेशन पिन सिस्टम है, जो देश के हर 12 वर्ग मीटर के ब्लॉक को एक अद्वितीय कोड प्रदान करता है।
      • DIGIPIN एक 10-अंकीय अल्फान्यूमेरिक कोड का उपयोग करता है जो अक्षांश–देशांतर निर्देशांकों से उत्पन्न होता है। यह भारत को 16 विशिष्ट अक्षरों (2 से 9, C, J, K, L, M, P, F, T) का उपयोग करके ग्रिड में बाँटता है, जिससे एक क्रमिक और सटीक स्थान कोडिंग प्रणाली संभव होती है।
      • यह विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में उपयोगी है, जहाँ स्पष्ट डिस्क्रिप्टिव एड्रेस उपलब्ध नहीं हो सकते। यह डिलीवरी कर्मचारियों को पारंपरिक पिन कोड के साथ-साथ सटीक भौगोलिक स्थान प्रदान करता है।
  • DHRUVA का पारिस्थितिकी तंत्र: DHRUVA विशिष्ट संस्थानों के निर्माण का प्रस्ताव करता है:
    • एड्रेस सर्विस प्रोवाइडर्स (ASPs): डिजिटल एड्रेस लेबल तैयार करते हैं।
    • एड्रेस वेरिफिकेशन एजेंसियाँ (AVAs): एड्रेस को सत्यापित और प्रमाणित करती हैं।
    • एड्रेस इन्फॉर्मेशन एजेंट्स (AIAs): उपयोगकर्त्ताओं को सहमति और पता-साझाकरण सेटिंग्स प्रबंधित करने की अनुमति देते हैं।
    • एक केंद्रीय प्रशासनिक संस्था: नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) के समान, जो मानकों और संचालन को नियंत्रित करती है।
  • DHRUVA का महत्त्व:
    • उपयोगकर्त्ता के नियंत्रण और गोपनीयता को बढ़ाता: यह सुविधा उपयोगकर्त्ताओं को अपने पते को साझा करने की अनुमति प्रदान करता है और वे तय कर सकते हैं कि कौन और कितने समय के लिये इसे देख सकता है।
      • यह बार-बार व्यक्तिगत पते की जानकारी साझा करने की आवश्यकता को कम करता है और सुरक्षित तथा नियंत्रित डेटा साझा करना सुनिश्चित करता है।
    • डिजिटल और डिलीवरी प्लेटफॉर्म की दक्षता को बढ़ाना: एक एकीकृत तथा सत्यापित डिजिटल पता टोकन Amazon, Uber और भारतीय डाक जैसे प्लेटफॉर्म के संचालन को सरल एवं सुचारु बनाता है।
      • यह डिलीवरी की असफलताएँ, रिटर्न और गलत स्थान पर भेजे जाने की घटनाओं को कम करता है, जिससे समग्र दक्षता बढ़ती है तथा परिचालन लागत कम होती है।
    • सहज पता अद्यतन: जब उपयोगकर्त्ता स्थान बदलते हैं तो DHRUVA उनके पते के अपडेट को कई प्लेटफॉर्म पर अपने-आप लागू होने की सुविधा देता है।
      • यह डिलीवरी, संचार और सेवाओं की उपलब्धता को बिना बार-बार हाथ से अपडेट किये सहज रूप से जारी रहने देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. DHRUVA क्या है?
DHRUVA (डिजिटल हब फॉर रेफरेंस एंड यूनिक वर्चुअल एड्रेस) एक प्रस्तावित डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है, जो उपयोगकर्त्ता के डिस्क्रिप्टिव एड्रेस और भू-स्थान कोडित DIGIPIN से जुड़े टोकनाइज़्ड डिजिटल एड्रेस लेबल जारी करती है, ताकि मानकीकृत और सहमति-आधारित पता साझा करना संभव हो सके।

2. DIGIPIN क्या है और यह कैसे काम करता है?
DIGIPIN एक 10-अंकीय अल्फान्यूमेरिक, ओपन-सोर्स भू-स्थान कोड है जिसे भारतीय डाक द्वारा विकसित किया गया है। यह अक्षांश–देशांतर निर्देशांकों से उत्पन्न 16-अक्षरीय ग्रिड का उपयोग करके हर 12 वर्ग मीटर के ब्लॉक को एक विशिष्ट कोड प्रदान करता है।

3. DHRUVA उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता की रक्षा कैसे करता है?
DHRUVA सहमति-आधारित पता साझा करने और टोकनाइजेशन की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उपयोगकर्त्ता तय कर सकते हैं कि उनका डिस्क्रिप्टिव एड्रेस और DIGIPIN कौन और कितनी अवधि के लिये देख सकता है। इससे व्यक्तिगत पते की जानकारी बार-बार साझा करने की आवश्यकता कम हो जाती है।

सारांश

  • डाक विभाग ने DHRUVA का प्रस्ताव रखा है, जो एक डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना है। इसका उद्देश्य डिजिटल ‘लेबल’ के माध्यम से पतों को मानकीकृत करना है, जिसे डाकघर अधिनियम 2023 में संशोधनों के समर्थन से लागू किया जाएगा।
  • DHRUVA एक उपयोगकर्त्ता-स्वीकृत डिजिटल लेबल को उनके डिस्क्रिप्टिव एड्रेस और भू-स्थान कोडित DIGIPIN से जोड़ता है, जो एक 10-अंकीय अल्फान्यूमेरिक कोड है और हर 12 वर्ग मीटर के ब्लॉक के साथ मानचित्रित होता है।
  • इस पारिस्थितिकी तंत्र में एड्रेस सर्विस प्रोवाइडर्स, वैलिडेशन एजेंसियाँ, इन्फॉर्मेशन एजेंट्स और NPCI के समान एक केंद्रीय प्रशासनिक संस्था शामिल होगी।
  • यह ढाँचा गोपनीयता को बढ़ाता है, अंतिम चरण की डिलीवरी में सुधार करता है, प्लेटफॉर्मों पर सहज पता अपडेट की सुविधा प्रदान करता है और परिचालन में होने वाली अक्षमताओं को कम करता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)

प्रिलिम्स

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2018)

  1. आधार कार्ड का प्रयोग नागरिकता या अधिवास के प्रमाण के रूप में किया जा सकता है।
  2. एक बार जारी होने के पश्चात इसे निर्गत करने वाला प्राधिकरण आधार संख्या को निष्क्रिय या लुप्त नहीं कर सकता।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 

(b) केवल 2 

(c) 1 और 2 दोनों  

(d) न तो 1 और न ही 2 

उत्तर: (d)


प्रारंभिक परीक्षा

पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना

स्रोत: ET

चर्चा में क्यों?

संसदीय स्थायी समिति ने PM सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना की धीमी प्रगति पर प्रकाश डाला, जिसका लक्ष्य वित्त वर्ष 2026-27 तक एक करोड़ घरों में रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाना है।

  • समिति के अनुसार, जून 2025 तक 16 लाख रूफटॉप सोलर यूनिट (टारगेट का 16%) लगाए गए थे। हालाँकि सरकार का दावा है कि 24 लाख घरों (टारगेट का 24%) को इसका फायदा हुआ है।

पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना क्या है?

  • परिचय: नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा फरवरी 2024 में शुरू की गई यह विश्व की सबसे बड़ी घरेलू रूफटॉप सौर पहल है, जिसका उद्देश्य रूफटॉप सौर पैनल लगाकर घरों को मुफ्त बिजली प्रदान करना है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर इसका कार्यान्वयन राष्ट्रीय कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसी (NPIA) द्वारा और राज्य स्तर पर राज्य कार्यान्वयन एजेंसियों (SIA) द्वारा किया जाता है।
  • उद्देश्य: इस योजना के तहत प्रति माह 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाएगी, जिसका लक्ष्य मार्च 2027 तक 1 करोड़ परिवारों तक पहुँच सुनिश्चित करना है। स्थापना के लिये चरणबद्ध लक्ष्य निर्धारित किये गए हैं—मार्च 2025 तक 10 लाख, अक्तूबर, 2025 तक 20 लाख और मार्च 2026 तक 40 लाख घरों तक बिजली पहुँचाना है।

पात्रता: 

  • मुख्य घटक:
    • केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA): यह राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से रूफटॉप सौर पैनल स्थापित करने के लिये आवासीय उपभोक्ताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • मॉडल सोलर विलेज: ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये प्रत्येक ज़िले में एक मॉडल सोलर विलेज की स्थापना की जाएगी। 5,000 से अधिक आबादी वाले गाँव (या विशेष श्रेणी के राज्यों में 2,000 से अधिक) भागीदारी के पात्र होंगे।
  • सब्सिडी एवं वित्तीय सहायता: रूफटॉप सौर पैनल स्थापना के लिये 40% तक की सब्सिडी प्रदान करती है और 3 किलोवॉट तक की आवासीय रूफटॉप सौर (RTS) प्रणालियों के लिये संपार्श्विक-मुक्त, कम ब्याज ऋण (~7%) उपलब्ध कराती है।
  • मुख्य लाभ: यह 30 गीगावॉट सौर क्षमता जोड़ती है, लगभग 17 लाख प्रत्यक्ष रोज़गार सृजित करती है और 25 वर्षों में 720 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन में कमी लाएगी।
    • सरकार के लिये बिजली लागत में प्रत्याशित वार्षिक बचत प्रतिवर्ष 75,000 करोड़ रुपये है।
    • 3 किलोवॉट की रूफटॉप सौर प्रणाली वाले घर, जो प्रतिमाह 300 यूनिट से अधिक उत्पादन करते हैं, डिस्कॉम को अधिशेष बिजली बेचकर लगभग 18,000 रुपये प्रतिवर्ष अर्जित कर सकते हैं।

  • भारत के COP26 लक्ष्यों की पूर्ति में भूमिका: यह भारत में सतत ऊर्जा के अपनाने को तीव्र करेगी और संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन, ग्लासगो (COP26) 2021 में दिये गए भारत के वचनों को पूरा करने में सहायक होगी, जो हैं:
    • वर्ष 2030 तक 500 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करना
    • वर्ष 2030 तक अपनी ऊर्जा आवश्यकता का 50% नवीकरणीय स्रोतों से पूरा करना
    • वर्ष 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में 1 अरब टन की कटौती करना
    • अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से कम करना
    • वर्ष 2070 तक एक शुद्ध-शून्य कार्बन राष्ट्र बनना
  • पीएम सूर्य घर योजना को बढ़ावा देने में डिस्कॉम की भूमिका: SIA के रूप में विद्युत वितरण कंपनियाँ (डिस्कॉम) नेट मीटर प्रदान करने, निरीक्षण करने और संस्थापन कमीशनिंग के माध्यम से रूफटॉप सौर के अपनाने को बढ़ावा देने में सहायता करती हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना क्या है?
फरवरी 2024 में शुरू की गई यह भारत की सबसे बड़ी घरेलू रूफटॉप सौर योजना है, जो घरों को रूफटॉप सौर पैनलों के माध्यम से मुफ्त बिजली प्रदान करती है।

2. यह योजना क्या वित्तीय सहायता प्रदान करती है?
3 किलोवॉट तक की रूफटॉप  सौर प्रणालियों के लिये 40% तक की सब्सिडी और संपार्श्विक-मुक्त कम ब्याज ऋण (~7%)।

3. यह योजना जलवायु लक्ष्यों में कैसे योगदान करती है?
यह 30 गीगावॉट सौर क्षमता जोड़ती है, 720 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन कम करती है और भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों तथा 2070 तक शुद्ध-शून्य प्रतिबद्धता का समर्थन करती है।

सारांश

  • प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना घरों को निःशुल्क रूफटॉप सौर बिजली प्रदान करती है, जिसका लक्ष्य मार्च 2027 तक 1 करोड़ संस्थापन करना है।
  • योजना में ऊर्जा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिये सब्सिडी, कम ब्याज ऋण तथा मॉडल सोलर विलेज शामिल हैं।
  • यह जलवायु लक्ष्यों का समर्थन करती है, CO₂ उत्सर्जन को कम करती है तथा 30 गीगावॉट सौर क्षमता जोड़कर भारत के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान करती है।
  • योजना के कार्यान्वयन में राज्यों की सक्रिय भागीदारी और डिस्कॉम की संलग्नता महत्त्वपूर्ण है, जो रोज़गार के अवसर सृजित करती है तथा घरों को वित्तीय लाभ प्रदान करती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न. भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।

2. यह एक ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


रैपिड फायर

मानवाधिकार दिवस

स्रोत: पी.आई.बी.

मानवाधिकार दिवस प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को वर्ष 1948 में मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR) को अपनाए जाने की स्मृति में मनाया जाता है, जो गरिमा, समानता और स्वतंत्रता के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।

  • मानवाधिकार दिवस: यह दिवस औपचारिक रूप से 1950 में संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव द्वारा स्थापित किया गया, जिसने सभी देशों से इसे प्रतिवर्ष मनाने का आह्वान किया।
    • वर्ष 2025 की थीम “दैनिक आवश्‍यकताएँ” है, जो बुनियादी सेवाओं तक पहुँच को एक मानवाधिकार के रूप में केंद्रित करती है।
  • भारत और मानवाधिकार: भारत में मानवाधिकारों की रक्षा का आधार भारतीय संविधान तथा मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) की स्थापना वर्ष 1993 में की गई।
    • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 "मानवाधिकार" को जीवन, स्वतंत्रता, समानता और व्यक्ति की गरिमा से संबंधित अधिकारों के रूप में परिभाषित करता है, जो संविधान द्वारा प्रत्याभूत हैं या अंतर्राष्ट्रीय प्रसंविदाओं में निहित हैं और भारत में न्यायालयों द्वारा प्रवर्तनीय हैं।
  • राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC): यह एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय है, जो भारत में मानवाधिकारों के संरक्षक के रूप में कार्य करता है। इसकी स्थापना पेरिस सिद्धांतों (1991) के अनुरूप की गई थी।
    • आरंभ से अब तक, NHRC ने 23.8 लाख से अधिक मानवाधिकार शिकायतें दर्ज की हैं और 264 करोड़ रुपए से अधिक राहत राशि की अनुशंसा की है।
    • अधिकार संरक्षण हेतु, NHRC स्वतः संज्ञान, जाँच, शिविर बैठकें और नीतिगत परामर्श जैसे उपायों का उपयोग करता है।

और पढ़ें: 75 वर्ष: भारत को आकार देने वाले कानून — मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993


चर्चित स्थान

नाहरगढ़ जैविक उद्यान

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

राजस्थान के जयपुर स्थित नाहरगढ़ जैविक उद्यान (नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य का हिस्सा) में लॉयन सफारी के दौरान एक बस में आग लग गई, जिससे पारिस्थितिक पर्यटन क्षेत्रों में सुरक्षा मानकों, वाहन रखरखाव और पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर चिंताएँ उत्पन्न हो गई है।

नाहरगढ़ जैविक उद्यान

  • नाहरगढ़ जैविक उद्यान: जयपुर से लगभग 12 किमी. दूर स्थित, यह नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (Nahargarh Wildlife Sanctuary- WLS) के भीतर है और अरावली पहाड़ियों में स्थित है।
  • यहाँ 285 से अधिक पक्षियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं। इसकी सबसे प्रमुख पक्षी प्रजाति व्हाइट-नेप्ड टिट है, जो केवल इसी क्षेत्र में पाई जाती है।
  • राम सागर झील पक्षी विज्ञानी और पक्षी प्रेमियों के लिये एक प्रमुख स्थल के रूप में कार्य करती है।

नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (WLS)

  • नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (WLS): यह अरावली पहाड़ियों में स्थित है और इसका नाम 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा निर्मित नाहरगढ़ किले के नाम पर रखा गया है।
    • नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, जो नाहरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के भीतर स्थित है, अपने लॉयन सफारी के लिये प्रसिद्ध है।
  • वनस्पति और जीव:

अरावली पर्वतमाला

  • परिचय: यह विश्व की सबसे पुरानी पर्वत पर्वतमालाओं में से एक है, जो गुजरात से दिल्ली तक राजस्थान और हरियाणा के माध्यम से लगभग 800 किमी. तक फैली हुई है। 
    • इसकी सबसे ऊँची चोटी माउंट आबू पर गुरु शिखर है और इससे बनास, साहिबी और लूनी जैसी नदियों का उद्गम होता हैं।
  • महत्त्व: यह संसाधनों से समृद्ध है और पश्चिमी मरुस्थल के लिये प्राकृतिक अवरोध का काम करता है।

और पढ़ें: अरावली रेंज में खनन


चर्चित स्थान

बेनिन

स्रोत: द हिंदू

बेनिन में सैनिकों के एक समूह (मिलिट्री कमेटी फॉर रिफाउंडेशन – CMR) ने असफल सैन्य तख्तापलट का प्रयास किया गया, जिसमें उन्होंने थोड़े समय के लिये राष्ट्रपति पैट्रिस टैलोन को पद से हटाने का दावा किया।

  • यह तख्तापलट का प्रयास पश्चिम अफ्रीका में सैन्य नियंत्रण की लहर के बीच हुआ, जिसमें नाइजर, बुर्किना फासो, माली, गिनी और गिनी-बिसाऊ शामिल हैं और इसने क्षेत्रीय अस्थिरता को बढ़ा दिया है।
  • बेनिन और इसकी सीमाएँ: बेनिन पश्चिम अफ्रीका में स्थित है। इसकी सीमाएँ टोगो (पश्चिम), नाइजीरिया (पूर्व), बुर्किना फासो (उत्तर-पश्चिम) और नाइजर (उत्तर) से लगती हैं।
    • बेनिन की एक तटरेखा बेनिन की खाड़ी के साथ है, जो अटलांटिक महासागर में गिनी की खाड़ी का हिस्सा है।
  • नदियाँ: नाइजर नदी बेनिन की उत्तरी सीमा का एक हिस्सा बनाती है।
  • पहाड़: बेनिन के उत्तर-पश्चिम में अटाकोरा पहाड़ हैं, जो टोगो पहाड़ों का ही एक हिस्सा हैं।
  • राजनीतिक ढाँचा: बेनिन एक राष्ट्रपति शासन वाला गणराज्य है, जहाँ बहुदलीय लोकतांत्रिक प्रणाली लागू है।

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और पढ़ें: पश्चिम अफ्रीकी राज्यों का आर्थिक समूह


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