प्रारंभिक परीक्षा
इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) प्रौद्योगिकी
एक भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद–राष्ट्रीय प्रजनन और बाल स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान (ICMR-NIRRCH) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बाँझपन से ग्रसित दंपतियों को भारी आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है, क्योंकि एक इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) चक्र की लागत सार्वजनिक अस्पतालों में भी 1 लाख रुपये से अधिक है।
इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) क्या है?
- परिचय: इन-विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) बाँझपन के उपचार के लिये सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली सहायक प्रजनन तकनीकों (ART) में से एक है।
- IVF में महिला के अंडाणु को शरीर के बाहर प्रयोगशाला में शुक्राणु के द्वारा निषेचित किया जाता है और विकसित भ्रूण को गर्भधारण प्राप्त करने के लिये गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है।
- IVF का सामान्य उपयोग उन मामलों में किया जाता है जब प्राकृतिक गर्भधारण संभव न हो, जैसे कि बंद फैलोपियन ट्यूब, कम शुक्राणु संख्या, अंडोत्सर्ग संबंधी विकार, एंडोमेट्रियोसिस, उम्र से संबंधित बाँझपन या अस्पष्ट बाँझपन के कारण।
- IVF का महत्त्व: भारत में तनाव, जीवनशैली में बदलाव, देर से विवाह, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) और मोटापे के कारण बढ़ते बाँझपन ने IVF की मांग को बढ़ा दिया है। IVF बार-बार गर्भपात से ग्रसित दंपतियों और कैंसर मरीजों के लिये प्रजनन संरक्षण में मदद करता है।
- भारत में हर छठे दंपती को बाँझपन की समस्या का सामना करना पड़ता है और प्रजनन दर घट रही है। इसलिये विशेषज्ञ प्रजनन देखभाल को सभी तक सुलभ बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं, ताकि देश का जनसांख्यिकीय संतुलन बनाए रखा जा सके।
- IVF की लागत: ICMR-NIRRCH के अनुसार, भारत में एक IVF चक्र की लागत सार्वजनिक और निजी दोनों अस्पतालों में 1 लाख रुपये से अधिक है।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली प्रति रोगी वार्षिक रूप से ₹6,822 से ₹11,075 खर्च करती है और वैश्विक स्तर पर एक ART चक्र की लागत एक औसत भारतीय की वार्षिक आय का 166% होती है।
- भारत में नियमन: भारत में ART सेवाओं को सहायक प्रजनन तकनीक (नियमन) अधिनियम, 2021 और इसके नियमों के तहत नियंत्रित किया जाता है। यह अधिनियम अंडाणु और शुक्राणु दान, क्रायोप्रिज़र्वेशन, ART क्लिनिकों का पंजीकरण तथा विभिन्न प्रकार के क्लिनिकों के मानक निर्धारित करता है।
- केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) के तहत तीन नए IVF चक्रों के लिये एक बार ₹65,000 या वास्तविक लागत (जो भी कम हो) की प्रतिपूर्ति दी जाती है, बशर्ते पात्रता की शर्तें पूरी हों।
सहायक प्रजनन प्रौद्योगिकी (विनियमन) अधिनियम, 2021
- परिचय: ART (विनियमन) अधिनियम, 2021 भारत में ART क्लिनिकों और ART बैंकों को नियंत्रित करने और प्रजनन उपचार को नैतिक, सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिये बनाया गया था।
- यह अधिनियम IVF जैसी तेज़ी से बढ़ती तकनीकों के उपयोग की निगरानी के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करता है और साथ ही महिलाओं, बच्चों और दाताओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है।
- अधिनियम के तहत सभी ART क्लिनिकों और बैंकों का राष्ट्रीय रजिस्ट्री के माध्यम से अनिवार्य पंजीकरण किया जाना आवश्यक है, जो केंद्रीय डेटाबेस के रूप में कार्य करता है।
- आवेदनकर्ता की पात्रता: ART सेवाएँ एकल महिलाओं और बाँझ विवाहित दंपतियों के लिये उपलब्ध हैं, जिनमें महिला की आयु 21–50 वर्ष और पुरुष की आयु 21–55 वर्ष हो। विदेशी नागरिकों को भी ART सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति है।
- दाताओं की पात्रता: वीर्य दाता (21–55 वर्ष) अंडाणु दाता (23–35 वर्ष)।
- एक महिला केवल एक बार अंडाणु दान कर सकती है और अधिकतम 7 अंडाणु ही निकाले जा सकते हैं।
- किसी दाता के गैमेट्स को बैंक एक से अधिक इच्छुक दंपती/आवेदनकर्त्ता को उपलब्ध नहीं करा सकता।
- सहमति और जाँच: लिखित सूचित सहमति अनिवार्य है तथा आनुवंशिक रोगों की जाँच जरूरी होती है। लिंग-चयन संबंधी सेवाएँ पूरी तरह प्रतिबंधित हैं।
- अंडाणु दाता के लिये बीमा: आवेदनकर्त्ता को दाता को चिकित्सीय हानि, चोट या मृत्यु से सुरक्षा प्रदान करने हेतु बीमा कवरेज देना अनिवार्य है।
- ART के माध्यम से जन्मे बच्चे आवेदनकर्त्ता माता-पिता के जैविक संतान के रूप में कानूनी रूप से मान्य होते हैं, जबकि दाताओं के कोई अभिभावकीय अधिकार नहीं होते।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. ICMR–NIRRCH के IVF अध्ययन का मुख्य निष्कर्ष क्या है?
इस अध्ययन में यह पाया गया कि सार्वजनिक अस्पतालों में भी एक IVF चक्र की लागत 1 लाख रुपये से अधिक है, जिससे मरीजों पर भारी व्यक्तिगत आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ता है।
2. भारत में IVF और ART सेवाओं को कौन-सा कानून नियंत्रित करता है?
भारत में ART प्रथाओं का नियमन सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) अधिनियम, 2021 और इसके नियमों के माध्यम से किया जाता है।
3. वर्तमान में केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) एक ऐसी सरकारी योजना है जो सीमित IVF प्रतिपूर्ति प्रदान करती है।
CGHS पात्रता शर्तों के अधीन तीन नए IVF चक्रों के लिये एकबारगी ₹65,000 तक की प्रतिपूर्ति प्रदान करता है।
4. IVF को PM-JAY में शामिल करने की मांग क्यों की जा रही है?
आर्थिक बोझ कम करने, पहुँच बढ़ाने, घटती प्रजनन दर और बढ़ते बॉंझपन से निपटने के लिये।
सारांश
- ICMR–NIRRCH अध्ययन से पता चलता है कि भारत में एक IVF चक्र की लागत सार्वजनिक अस्पतालों में भी 1 लाख रुपये से अधिक है, जिससे भारी आर्थिक बोझ बनता है।
- महिला कारक, विशेष रूप से PCOS, बाँझपन का प्रमुख कारण हैं, जबकि पुरुष कारक भी महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं।
- बाँझपन दर्द, चिंता और अवसाद के कारण जीवन की गुणवत्ता पर गंभीर प्रभाव डालता है।
- रिपोर्ट में IVF को PM-JAY में शामिल करने, सार्वजनिक ART सेवाओं का विस्तार करने और उपचार की लागत को नियंत्रित करने की सिफारिश की गई है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)
प्रिलिम्स
प्रश्न. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में अभिनव प्रगति के संदर्भ में ‘प्राक्केंद्रिक स्थानांतरण’ (Pronuclear Transfer) का प्रयोग किस लिये होता है। (2020)
(a) इन विट्रो अंड के निषेचन के लिये दाता शुक्राणु का उपयोग
(b) शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण
(c) स्टेम (Stem) कोशिकाओं का कार्यात्मक भ्रूूणों में विकास
(d) संतान में सूत्रकणिका रोगों का निरोध
उत्तर: (d)
प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)
- भावी माता-पिता के अंड या शुक्राणु उत्पन्न करने वाली कोशिकाओं में आनुवंशिक परिवर्तन किये जा सकते हैं।
- व्यक्ति का जीनोम जन्म से पूर्व प्रारंभिक भ्रूणीय अवस्था में संपादित किया जा सकता है।
- मानव प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम कोशिकाओं को एक शूकर के भ्रूण में अंतर्वेशित किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (d)
रैपिड फायर
भारत में क्रिप्टो लेन-देन में तेज़ी
भारत में क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन वर्ष 2024–25 में ₹51,180 करोड़ से अधिक हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 41% की वृद्धि दर्शाता है। यह आँकड़ा 1% स्रोत पर कटौती कर (TDS) के रूप में ₹511 करोड़ की वसूली पर आधारित है, जैसा कि वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में रिपोर्ट प्रस्तुत की।
- वित्त अधिनियम, 2022 ने आयकर अधिनियम, 1961 के तहत सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) के लेन-देन पर 1% TDS लागू किया और यह प्रावधान आयकर अधिनियम, 2025 में भी बरकरार रखा गया है।
- क्रिप्टोकरेंसी: यह एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है जो किसी केंद्रीय प्राधिकरण की आवश्यकता के बिना प्रत्यक्ष, पीयर-टू-पीयर ऑनलाइन लेन-देन की अनुमति देती है।
- यह डिजिटल लेन-देन का माध्यम के रूप में कार्य करती है, जिसे ब्लॉकचेन नामक सार्वजनिक डिजिटल लेजर पर बनाया गया है, जहाँ लेन-देन को क्रिप्टोग्राफिक तकनीकों के माध्यम से सत्यापित किया जाता है।
- पहली विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी, जिसे वर्ष 2009 में प्रस्तुत किया गया था।
- क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग
- माइनिंग: नए सिक्के (जैसे बिटकॉइन) तब उत्पन्न होते हैं जब माइनर्स जटिल गणितीय समस्याओं को हल करके ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक्स जोड़ते हैं।
- खरीदना और सुरक्षित रखना: क्रिप्टोकरेंसी को एक्सचेंज के माध्यम से खरीदा जाता है और इसे हॉट (ऑनलाइन) या कोल्ड (ऑफलाइन) वॉलेट में संग्रहित किया जाता है।
- भुगतान: तेज़ और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन की सुविधा प्रदान करता है।
- निवेश: अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाली परिसंपत्ति श्रेणी, जिसमें फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव्स शामिल हैं।
- रूपांतरण: आसानी से फिएट मुद्रा में बदला जा सकता है, लेकिन यह कराधान के अधीन होता है।
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रैपिड फायर
प्रीह विहियर मंदिर
थाईलैंड ने सीमा के पास दो थाई सैनिकों की हत्या के बाद कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किये, जिससे ऐतिहासिक प्रीह विहियर मंदिर (Preah Vihear Temple) को केंद्र बनाकर लंबित संघर्ष फिर से भड़का।
- प्रीह विहियर: यह भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है, जो कंबोडिया में थाईलैंड-कंबोडिया सीमा के पास डैंगरेक पर्वतों में स्थित है।
- यह मंदिर 11वीं सदी में खमेर राजाओं सूर्यवर्मन I और II द्वारा निर्मित किया गया था और यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल होने के साथ-साथ थाईलैंड और कंबोडिया दोनों के लिये एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी है।
- प्रीह विहियर सीमा विवाद: वर्ष 1907 में फ्राँस (जो उस समय कंबोडिया में औपनिवेशिक शक्ति था) ने औपनिवेशिक युग का नक्शा तैयार किया, जिसमें प्रीह विहियर मंदिर को कंबोडिया में दर्शाया गया।
- हालाँकि वर्ष 1904 का फ्रांको-सियामीस संधि इस क्षेत्र को थाईलैंड में रखता था।
- अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने वर्ष 1962 में निर्णय दिया कि प्रीह विहियर मंदिर कंबोडिया का है।
- वर्ष 2008 में कंबोडिया द्वारा मंदिर के लिये यूनेस्को विश्व धरोहर दर्जा प्राप्त करने का प्रयास करने के बाद तनाव फिर से बढ़ गया।
- वर्ष 2013 में ICJ ने कंबोडिया के दावे की पुष्टि की और एक असैनिक क्षेत्र प्रस्तावित किया, जिसे कभी लागू नहीं किया गया।
- थाईलैंड वर्तमान में ICJ के अधिकार क्षेत्र को अस्वीकार करता है, जिससे विवाद अभी भी अनसुलझा हुआ है।
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रैपिड फायर
श्योक टनल
भारत के रक्षामंत्री ने पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण श्योक टनल सहित 125 सीमा सड़क संगठन (BRO) की अवसंरचना परियोजनाओं का उद्घाटन किया।
श्योक टनल
- विशेषताएँ और स्थान: यह एक कट-एंड-कवर टनल है, जिसकी लंबाई 920 मीटर है और ऊँचाई 12,000 फीट से अधिक है। यह दारबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) रोड पर पूर्वी लद्दाख में स्थित है, जो चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास है।
- DS-DBO मार्ग भारत के उत्तरतम सैनिक पोस्ट दौलत बेग ओल्डी (DBO) तक एकमात्र सतही मार्ग प्रदान करता है, जो LAC के पास स्थित है और सुरक्षा, निगरानी तथा सियाचिन ग्लेशियर तक पहुँच सुनिश्चित करने के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
- यह मार्ग सभी मौसम में अग्रिम क्षेत्रों तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करता है और उस हिस्से को बायपास करता है जो भारी बर्फबारी, हिमस्खलन और भूस्खलन के लिये संवेदनशील है।
- रणनीतिक और सैन्य महत्त्व: यह मार्ग सर्दियों में बाधाओं को काफी हद तक कम करता है और पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में तैनात सैनिकों के लिये एक स्थिर आपूर्ति शृंखला सुनिश्चित करता है।
- महत्त्व: वर्ष 2020 के गलवान घाटी संघर्ष और उसके बाद चीन के साथ सैन्य टकराव के बाद इसकी महत्त्वता काफी बढ़ गई है।
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रैपिड फायर
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF), 2025
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (India International Science Festival- IISF) का 11वाँ संस्करण 6-9 दिसंबर, 2025 तक हरियाणा के पंचकूला में आयोजित किया गया।
- IISF 2025 का विज़न: ‘विज्ञान से समृद्धि: आत्मनिर्भर भारत के लिये’।
- आयोजन: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे के सहयोग से।
भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव (IISF)
- परिचय: वर्ष 2015 में शुरू किया गया, यह भारत के प्रमुख मंचों में से एक बन गया है जो वैज्ञानिक सहयोग, नवाचार, जागरूकता और जन सहभागिता को बढ़ावा देता है।
- पिछले कुछ वर्षो में इसने प्रत्येक संस्करण में विभिन्न कार्यक्रमों, व्यापक भागीदारी और कई प्रमुख पहलों के माध्यम से अपनी पहुँच और प्रभावशीलता को लगातार बढ़ाया है।
- उद्देश्य: भारत की वैश्विक विज्ञान और प्रौद्योगिकी में बढ़ती स्थिति को उजागर करना, भारत की वैज्ञानिक संस्कृति को सशक्त बनाना, जन सहभागिता का विस्तार करना तथा अनुसंधान, नवाचार एवं प्रतिभा विकास में राष्ट्रीय लक्ष्यों का समर्थन करना।



