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प्रीह विहियर और प्रसात ता मुएन थॉम

  • 29 Jul 2025
  • 12 min read

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

थाईलैंड और कंबोडिया ने दक्षिण-पूर्व एशिया के एमराल्ड ट्रायंगल क्षेत्र में प्रीह विहियर और प्रसात ता मुएन थॉम के पास हुई झड़पों के बाद युद्धविराम की घोषणा की है। यह क्षेत्र लंबे समय से औपनिवेशिक युग की सीमाओं और सांस्कृतिक दावों के कारण विवादित रहा है।

  • दक्षिण-पूर्वी एशियाई एमराल्ड ट्रायएंगल: यह एक भौगोलिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र को दर्शाता है जहाँ थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाएँ मिलती हैं। यह क्षेत्र अपने घने जंगलों और प्राचीन मंदिरों के लिये प्रसिद्ध है।
  • प्रीह विहियर (Preah Vihear): यह भगवान शिव को समर्पित एक हिंदू मंदिर है, जो कंबोडिया में थाईलैंड-कंबोडिया सीमा के पास डैंगरेक पर्वतों में स्थित है।
    • यह मन्दिर लगभग 11वीं शताब्दी में खमेर राजाओं सूर्यवर्मन प्रथम और सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा बनवाया गया था, और अब यह यूनेस्को विश्व विरासत स्थल है।
    • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने वर्ष 1962 में (और वर्ष 2013 में इसे पुनः पुष्टि की) निर्णय दिया कि यह मन्दिर कंबोडिया का हिस्सा है। हालाँकि, थाईलैंड ने ICJ के अधिकार क्षेत्र को अस्वीकार कर दिया है, जिससे तनाव अब भी बना हुआ है।
  • प्रसात ता मुएन थॉम: यह 12वीं शताब्दी का एक मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है, जिसे बाद में बौद्ध उपयोग के लिये अनुकूलित किया गया। यह मंदिर एक समूह का हिस्सा है, जिसमें प्रासात ता मुएन (एक तीर्थयात्रियों के विश्राम स्थल) और प्रासात ता मुएन टोट (एक चिकित्सालय मंदिर) शामिल हैं।
    • खमेर शासकों उदयादित्यवर्मन द्वितीय और जयवर्मन सप्तम द्वारा निर्मित यह परिसर अंकोरियन वास्तुकला को प्रतिबिंबित करता है।

और पढ़ें: कंबोडिया में अंकोर शहर

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