विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
विज्ञान के माध्यम से राज्यों का सशक्तीकरण
- 11 Jul 2025
- 19 min read
प्रिलिम्स के लिये:राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, बौद्धिक संपदा, राष्ट्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौधा मिशन मेन्स के लिये:भारत के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों की भूमिका, अनुसंधान और नवाचार में विकेंद्रीकरण का महत्त्व, भारत की स्थानीय नवाचार प्रणाली में चुनौतियाँ और सुधार |
स्रोत: पी.आई.बी
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान (NITI आयोग) ने अपनी रिपोर्ट "राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) परिषदों सुदृढ़ बनाने की रूपरेखा" में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों के वित्तपोषण और शासन प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर बल दिया है।
भारत में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) परिषदों की भूमिका क्या है?
- परिचय: विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (STI) राष्ट्रीय विकास के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, जिनमें केंद्र और राज्य दोनों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग प्रमुख भूमिका निभाते हैं।
- केंद्र-राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी भागीदारी की शुरुआत वर्ष 1971 में भारत रत्न श्री सी. सुब्रमण्यम के नेतृत्व में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों (SSTC) की स्थापना के साथ हुई थी।
- प्रारंभ में यह परिषदें कर्नाटक, केरल, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में स्थापित की गई थीं। आज ये लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यरत हैं।
- सहयोग: राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST), विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा राज्य विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी कार्यक्रम (SSTP) के तहत सहायता प्रदान की जाती है।
- DST राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिवालयों को बजट सहायता देता है। इसके अलावा, परिषदों को राज्य सरकारों से भी वित्तीय सहयोग प्राप्त होता है, यद्यपि यह राज्यों के अनुसार अलग-अलग होता है।
- मुख्य भूमिकाएँ: परिषदें प्रायः कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा, आपदा प्रबंधन और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में स्थानीय नवाचारों को बढ़ावा देने का कार्य करती हैं।
- विज्ञान-आधारित समाधान तैयार करती हैं जो संसाधनों के प्रबंधन, पर्यावरणीय सुधार और जनजीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं।
- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदें समाज के सभी वर्गों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और जागरूकता को बढ़ावा देती हैं।
राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी (S&T) परिषदों के समक्ष प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?
- कोर अनुदानों पर अत्यधिक निर्भरता: कई राज्य परिषदें केवल विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) से मिलने वाले मुख्य अनुदानों पर निर्भर रहती हैं और अन्य मंत्रालयों या एजेंसियों से परियोजना-आधारित अनुदान प्राप्त करने के लिये बहुत कम प्रयास करती हैं।
- केंद्रीय वित्तीय सहायता की कमी: विकेंद्रीकृत विज्ञान शासन के तहत कार्य करने के उद्देश्य से स्थापित परिषदों को केंद्र सरकार से बहुत कम धनराशि मिलती है।
- उदाहरण के लिये, गुजरात राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के 300 करोड़ रुपए के वार्षिक बजट में से केंद्र से केवल 1.07 करोड़ रुपए ही आते हैं। केरल के 150 करोड़ रुपए के मामले में केंद्र (DST) का योगदान शून्य था।
- राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास में राज्यों का योगदान केंद्र के 44% की तुलना में मात्र 6.7% है। सिक्किम और मिज़ोरम जैसे छोटे राज्य विशेष रूप से सीमित बजट से प्रभावित हैं जो उनकी वैज्ञानिक प्रगति में बाधा बन रहा है।
- उद्योग और संस्थागत संबंधों का अभाव: राज्य परिषदों का राज्य के उद्योगों, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (PSE) और शैक्षणिक संस्थानों (IIT, IIM) के साथ सहयोग बहुत सीमित है, जिससे व्यावहारिक अनुसंधान एवं नवाचार पर प्रभाव नहीं पड़ पाता।
- संसाधनों का अप्रभावी उपयोग: विभिन्न राज्यों में वित्तीय संसाधनों के उपयोग में असमानता और कार्यान्वयन की अक्षमता क्षेत्रीय असंतुलन को दर्शाती है।
- अनुसंधान उत्पादकता में पिछड़ापन: भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आउटपुट का अधिकांश हिस्सा केंद्रीय वित्तपोषित संस्थानों से आता है, जबकि राज्य परिषदें उत्पादकता और प्रभाव में पीछे रह जाती हैं।
- कुछ राज्यों में बजट में कटौती: वर्ष 2023–24 से 2024–25 के बीच राज्य स्तरीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों (State S&T Councils) के बजट का तुलनात्मक विश्लेषण कुल 17.65% की वृद्धि दर्शाता है, जो राज्य स्तर पर निवेश में वृद्धि को दर्शाता है।
- हालाँकि, सिक्किम (-16.16%), तमिलनाडु (-4%), और उत्तराखंड (-5%) जैसे राज्यों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी बजट में कटौती देखी गई है, जिससे वहाँ की वर्तमान और भविष्य की परियोजनाएँ प्रभावित हो रही हैं।
- अनुकूलनशीलता का अभाव: कई विज्ञान परिषदें तेज़ी से बदलते अनुसंधान एवं विकास (R&D) परिदृश्य के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रही हैं, जिससे उनकी योजनाएं और मॉडल पुराने और अप्रासंगिक होते जा रहे हैं।
- कमज़ोर नेतृत्व: अनेक परिषदों का नेतृत्व विज्ञान और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के बजाय नौकरशाहों के हाथों में है। वैज्ञानिक नेतृत्व की इस कमी ने परिषदों की अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
- स्टाफिंग संबंधी समस्याएँ: इन परिषदों में कुशल कर्मियों की कमी है और बजट की सीमाओं के कारण कई पद रिक्त हैं। साथ ही, अधिकांश परिषदों में पूर्णकालिक वैज्ञानिक नेतृत्व का अभाव है, जिससे कार्यकुशलता में गिरावट और कर्मचारियों में मनोबल की कमी देखी जा रही है।
राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों की सफलता:
- केरल: केरल की राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद ने फेलोशिप कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है, जिससे महिला वैज्ञानिकों को करियर ब्रेक के बाद अनुसंधान में वापस लौटने में मदद मिली है।
- राज्य प्रत्येक वर्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पहलों के लिये 170 करोड़ रुपए से अधिक का बजट आवंटित करता है, जो अनुसंधान और विकास (R&D) के प्रति उसकी दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- तमिलनाडु: तमिलनाडु बौद्धिक संपदा (IP) पंजीकरण में राष्ट्रीय अग्रणी बनकर उभरा है, जिसका श्रेय वहाँ के पेटेंट सूचना केंद्र (Patent Information Centre - PIC) को जाता है।
- राज्य ने पेटेंट फाइलिंग और GI पंजीकरण में पहला स्थान तथा औद्योगिक डिज़ाइन फाइलिंग में तीसरा स्थान प्राप्त किया (भारतीय पेटेंट कार्यालय की वार्षिक रिपोर्ट 2022–23 के अनुसार)।
- बौद्धिक संपदा जागरूकता और प्रौद्योगिकी वाणिज्यीकरण में इसके महत्त्वपूर्ण योगदान के लिये तमिलनाडु के PIC को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा "राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा पुरस्कार 2023 (विशेष विशेष प्रशस्ति पत्र)" से सम्मानित किया गया।
- पंजाब: पंजाब की पराली प्रबंधन की नवाचारी पहल ने प्रदूषण को कम किया है तथा स्थायी कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देकर स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है।
- इस पहल ने रोज़गार के अवसर भी उत्पन्न किए हैं और पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया है।
- मिज़ोरम: मिज़ोरम का इनोवेशन फैसिलिटी सेंटर (IFC) स्थानीय स्तर पर नवाचार को बढ़ावा देने के लिये तकनीकी सहायता, संस्थागत समर्थन और IP फाइलिंग जैसी सेवाएँ प्रदान करता है।
- इस केंद्र ने अब तक 82 नवाचार-संबंधी उत्पाद और 93 गैर-नवाचार उत्पाद विकसित किए हैं। IFC, नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (NIF) और NIT मिज़ोरम जैसे संस्थानों के साथ मिलकर समावेशी विकास को बढ़ावा दे रहा है।
- मणिपुर: राष्ट्रीय औषधीय एवं सुगंधित पौध मिशन के साथ संरेखित मणिपुर की सुगंधित पौध खेती परियोजना, राज्य को प्राकृतिक सुगंध आधारित उत्पादों के लिये एक संभावित केंद्र के रूप में स्थापित कर रही है।
- यह पहल स्थानीय किसानों के लिये रोज़गार, ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा, और क्षेत्रीय आर्थिक विकास में सहायक बनी है, जो दर्शाता है कि स्थानीय वैज्ञानिक प्रयास सामाजिक-आर्थिक प्रगति को गति दे सकते हैं।
SSTCs को मज़बूत करने के लिये नीति आयोग द्वारा सुझाए गए प्रमुख सुधार क्या हैं?
- वैज्ञानिक नेतृत्व: नीति आयोग ने सिफारिश की है कि परिषदों का नेतृत्व नौकरशाहों के बजाय पूर्णकालिक वैज्ञानिकों को सौंपा जाए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि परिषदें ऐसे विशेषज्ञों द्वारा संचालित हों जो वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवाचार को आगे बढ़ा सकें।
- प्रदर्शन-आधारित वित्तपोषण: नीति आयोग, बिना प्रदर्शन-आधारित अनुदानों के बजाय, परिषदों के प्रदर्शन से जुड़े वित्तपोषण का समर्थन करता है। इससे राज्यों को अपने अनुसंधान एवं विकास परिणामों में सुधार करने और खर्च किये गए प्रत्येक रुपए का अधिकतम लाभ उठाने के लिये प्रोत्साहन मिलेगा।
- राज्यों को नियमित और उन्नत गतिविधियों के लिये सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) का कम-से-कम 0.5% विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आवंटित करना चाहिये।
- DST को छोटे पूर्वोत्तर और केंद्रशासित प्रदेशों की परिषदों को छोड़कर, मुख्य अनुदानों के स्थान पर प्रदर्शन-आधारित परियोजना वित्तपोषण प्रदान करना चाहिये। परिषदों को अतिरिक्त वित्तपोषण के लिये DST से परे केंद्रीय मंत्रालयों की योजनाओं पर भी विचार करना चाहिये।
- सुरक्षित नौकरियाँ और कॅरियर विकास: वैज्ञानिक कर्मियों का मनोबल बढ़ाने और प्रतिभाओं को बनाए रखने के लिये, रोडमैप में यह सुझाव दिया गया है कि राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों (State Science & Technology Councils- SSTC) परियोजनाओं से जुड़े शोधकर्त्ताओं को सुरक्षित, दीर्घकालिक नौकरियाँ प्रदान की जाएँ, जिनमें स्पष्ट कॅरियर प्रगति (Career Progression) भी निर्धारित हो।
- उद्योग और शैक्षणिक संबंधों को मज़बूत करना: परिषदों, उद्योगों तथा शैक्षणिक संस्थानों के बीच मज़बूत संबंध बनाना महत्त्वपूर्ण है।
- इससे अनुसंधान और व्यावसायीकरण के बीच की खाई को पाटने में मदद मिलेगी, जिससे ऐसे नवाचार सामने आएंगे जिनसे समाज तथा अर्थव्यवस्था दोनों को लाभ होगा।
- राज्यों को नियमित और उन्नत गतिविधियों के लिये सकल राज्य घरेलू उत्पाद (Gross State Domestic Product- GSDP) का कम-से-कम 0.5% विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को आवंटित करना चाहिये।
- विज्ञान शहर और नवाचार केंद्र: रोडमैप में प्रत्येक राज्य में साइंस सिटी, तारामंडल और नवाचार केंद्र की स्थापना का आह्वान किया गया है।
- उदाहरण: अहमदाबाद स्थित गुजरात साइंस सिटी, रोबोटिक्स गैलरी जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है, जो स्वास्थ्य सेवा, उद्योग और दैनिक जीवन में वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों को प्रदर्शित करता है।
- ये उत्कृष्टता केंद्रों के रूप में कार्य करेंगे, जो स्थानीय वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देने के लिये अनुसंधान, शिक्षा एवं उद्योग को एक साथ लाएंगे।
- STI सूचना प्रकोष्ठ: परिषदों को राज्य-स्तरीय STI डेटा के प्रबंधन के लिये विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार (STI) प्रकोष्ठों की स्थापना करनी चाहिये और सरकारी एजेंसियों के साथ संकेतक साझा करने हेतु नोडल बिंदु के रूप में कार्य करना चाहिये। ये प्रकोष्ठ साक्ष्य-आधारित नीति-निर्माण में सहायता करेंगे।
- SSR और CSR प्रकोष्ठ: परिषदों को स्थानीय चुनौतियों का समाधान करने तथा वैज्ञानिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिये संस्थानों एवं हितधारकों से संसाधनों का समन्वय करके वैज्ञानिक सामाजिक उत्तरदायित्व (SSR) और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिये।
- राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली: इन सुधारों की प्रभावशीलता सुनिश्चित करने के लिये, नीति आयोग एक राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव करता है जो राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों की प्रगति पर नज़र रखेगी और उन्हें उनके प्रदर्शन हेतु जवाबदेह बनाएगी।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न: भारत में विकेंद्रीकृत वैज्ञानिक शासन को बढ़ावा देने में राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषदों की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इस अधिदेश को पूरा करने में उनके सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर प्रकाश डालिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्नप्रिलिम्स:प्रश्न.1 राष्ट्रीय नवप्रवर्तक प्रतिष्ठान-भारत (नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन इंडिया- एन.आई.एफ.) के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 उत्तर: (a) प्रश्न. 2 निम्नलिखित में से किस क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिये शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार दिया जाता है? (2009) (a) साहित्य उत्तर: (c) प्रश्न. 3 अटल नवप्रवर्तन (इनोवेशन) मिशन किसके अधीन स्थापित किया गया है? (2019) (a) विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग उत्तर: (c) मेन्स:प्रश्न: अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये। इस तकनीक के अनुप्रयोग ने भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास में किस प्रकार सहायता की? (2016) |