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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-ब्राज़ील संबंधों के पाँच स्थायी स्तंभ

  • 11 Jul 2025
  • 16 min read

प्रिलिम्स के लिये:

जैव प्रौद्योगिकी, भूख और गरीबी के खिलाफ वैश्विक गठबंधन, जैव ईंधन, फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल, वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन, UNFCCC, महत्त्वपूर्ण खनिज, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA), WTO, भारत-मर्कोसुर अधिमान्य व्यापार समझौता (PTA), GM फसलें

मेन्स के लिये:

भारत और ब्राज़ील के बीच सहयोग के प्रमुख क्षेत्र, उनके संबंधों को प्रभावित करने वाली चुनौतियाँ तथा द्विपक्षीय संबंधों को मज़बूत करने के लिये आवश्यक उपाय।

स्रोत: पी.आई.बी. 

चर्चा में क्यों?

भारत के प्रधानमंत्री ने ब्राज़ील की राजकीय यात्रा की, जहाँ दोनों देशों ने वर्ष 2006 में स्थापित भारत-ब्राज़ील सामरिक साझेदारी को और मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की तथा पाँच प्राथमिकता वाले स्तंभों पर केंद्रित द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

  • भारत के प्रधानमंत्री को ब्राज़ील का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान “द ग्रैंड कॉलर ऑफ द नेशनल ऑर्डर ऑफ द सदर्न क्रॉस” से सम्मानित किया गया

नोट: भारत के प्रधानमंत्री रियो डी जेनेरियो (ब्राज़ील) में 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 (6-7 जुलाई 2025) में भाग लेने के बाद ब्रासीलिया (ब्राज़ील की राजधानी) पहुँचे। 

  • भारत ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण करेगा और वर्ष 2026 में 18वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा।

भारत-ब्राज़ील द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिये किन पाँच प्राथमिकता स्तंभों पर सहमति बनी है?

  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: भारत-ब्राज़ील ने रणनीतिक सहयोग को मज़बूत करने के लिये वर्गीकृत सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा पारस्परिक संरक्षण एवं अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद व अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला करने हेतु समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
    • उन्होंने सूचना साझा करने के लिये एक साइबर सुरक्षा संवाद (Cybersecurity Dialogue) भी शुरू किया।
  • खाद्य एवं कृषि सुरक्षा: भारत और ब्राज़ील ने सतत् कृषि पर ठोस कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया तथा कृषि उत्पादकता, पशु आनुवंशिकी जैव प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास की योजना के साथ खाद्य पहुँच सुनिश्चित करने पर जोर दिया।
  • ऊर्जा परिवर्तन और जलवायु कार्रवाई: भारत-ब्राज़ील ने परिवहन को कार्बन मुक्त करने तथा सतत् विकास को बढ़ावा देने में सतत् जैव ईंधन एवं फ्लेक्स फ्यूल व्हीकल के महत्त्व पर जोर दिया, साथ ही वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन को मज़बूत करने का संकल्प लिया, जिसके दोनों देश संस्थापक सदस्य हैं।
    • भारत ने ब्राज़ील की UNFCCC COP30 प्रेसीडेंसी (नवंबर 2025 में बेलेम, ब्राज़ील में आयोजित की जाएगी) और ट्रॉपिकल फॉरेस्ट फॉरएवर फंड (ब्राज़ील की एक पहल) को भी समर्थन दिया ।
  • डिजिटल परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियाँ: दोनों देश डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम प्रौद्योगिकियों, नवीकरणीय ऊर्जा और बाह्य अंतरिक्ष जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिये वैज्ञानिक एवं तकनीकी सहयोग पर संयुक्त आयोग की बैठक बुलाने पर सहमत हुए।
  •  रणनीतिक क्षेत्रों में औद्योगिक साझेदारी: भारत और ब्राज़ील ने सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की, जिनमें औषधि क्षेत्र, खनन और महत्त्वपूर्ण खनिज, तथा तेल एवं गैस शामिल हैं।
    • दोनों देशों ने गैर-शुल्क बाधाओं (Non-Tariff Barriers) को दूर करने, द्विपक्षीय निवेश सहयोग और सुविधा संधि (2020) को शीघ्र लागू करने तथा दोहरा कराधान बचाव संधि (2022) में संशोधन हेतु प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन को तेज़ी से आगे बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। साथ ही, ब्राज़ील-भारत व्यापार परिषद की शुरुआत करने का निर्णय लिया गया ताकि निजी क्षेत्र की भागीदारी को सशक्त किया जा सके।

Brazil

भारत-ब्राज़ील संबंधों की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • राजनीतिक और राजनयिक संबंध: भारत और ब्राज़ील के बीच राजनयिक संबंध वर्ष 1948 में स्थापित हुए थे। भारत की एक दूतावास ब्राज़ीलिया में तथा एक कॉन्सुलेट जनरल साओ पाउलो में स्थित है।
    • वर्ष 2006 में स्थापित रणनीतिक साझेदारी ने द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ और गहन बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
  • व्यापार और आर्थिक सहयोग: वर्ष 2024–25 में भारत-ब्राज़ील द्विपक्षीय व्यापार 12.2 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया। भारत के प्रमुख निर्यातों में पेट्रोकेमिकल्स, एग्रोकेमिकल्स, दवाएँ और इंजीनियरिंग उत्पाद शामिल हैं, जबकि ब्राज़ील से भारत को कच्चा तेल, सोया तेल, चीनी, सोना और लौह अयस्क का निर्यात किया गया।
    • भारत ने ब्राज़ील में लगभग 6 अरब डॉलर का निवेश किया है, जबकि ब्राज़ील का भारत में निवेश लगभग 1 अरब डॉलर है।
  • रक्षा और सुरक्षा सहयोग: वर्ष 2003 में रक्षा सहयोग समझौता हुआ, जिसे वर्ष 2006 में अनुमोदन मिला। इसके तहत एक संयुक्त रक्षा समिति (JDC) की स्थापना की गई। 2+2 राजनीतिक-सैन्य वार्ता की पहली बैठक वर्ष 2024 में आयोजित की गई थी।
  • अंतरिक्ष और प्रौद्योगिकी सहयोग: भारत ने वर्ष 2021 में ब्राज़ील के अमेज़ोनिया-1 उपग्रह को लॉन्च किया साथ ही ब्राज़ील भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) में गहरी रुचि रखता है।
  • ऊर्जा और जैव-ईंधन साझेदारी: भारत और ब्राज़ील ने वर्ष 2023 में ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस की सह-स्थापना की। दोनों देश तेल एवं गैस तथा जैव-ऊर्जा पर संयुक्त कार्य समूह (Joint Working Groups) का संचालन करते हैं। ब्राज़ील ने वर्ष 2022 में इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) की पुष्टि की।
  • सांस्कृतिक और जन-से-जन संबंध: भारत ने मई 2011 में साओ पाउलो में लैटिन अमेरिका में अपना पहला सांस्कृतिक केंद्र खोला। ब्राज़ील में योग और आयुर्वेद से जुड़ा एक जीवंत समुदाय मौजूद है।
    • भारतीय प्रवासी समुदाय की संख्या लगभग 4,000 है, जिसमें अधिकतर पेशेवर और व्यापारी शामिल हैं।

भारत-ब्राज़ील संबंधों के समक्ष चुनौतियाँ क्या हैं?

  • सीमित आर्थिक विविधता: वर्ष 2024–25 में 12.2 अरब अमेरिकी डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार अपेक्षाकृत सीमित बना हुआ है। यह व्यापार गैर-शुल्क बाधाओं (जैसे सख्त स्वच्छता और पादप स्वच्छता मानदंडों) से बाधित होता है, जिससे कृषि व्यापार प्रभावित होता है।
    • व्यापार मुख्यतः कच्चे माल और परिष्कृत उत्पादों पर आधारित है — ब्राज़ील कच्चा माल निर्यात करता है, जिससे भारत परिष्कृत उत्पाद, जिससे मूल्य-वर्द्धित व्यापार की संभावनाएँ सीमित हो जाती हैं।
  • भौगोलिक दूरी: उच्च परिवहन लागत और लंबे शिपिंग मार्गों के कारण व्यापार प्रतिस्पर्द्धा कम हो जाती है। इसके अलावा, सीमित सीधी उड़ानें और कनेक्टिविटी की बाधाएँ व्यापार, पर्यटन और जन-से-जन संपर्क में रुकावट उत्पन्न करती हैं।
  • कृषि और जैव ईंधन में प्रतिस्पर्द्धा: भारत और ब्राज़ील वैश्विक चीनी (शुगर) एवं  इथेनॉल बाज़ारों में प्रतिद्वंद्विता का सामना कर रहे हैं, जिससे सहयोग को लेकर प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है, जबकि सब्सिडी नीतियों पर मतभेद, विशेष रूप से विश्व व्यापार संगठन में भारतीय शुगर सब्सिडी के प्रति ब्राज़ील के विरोध के कारण टकराव उत्पन्न हो रहा है।
  • संस्कृतिक एवं जागरूकता अंतराल: सांस्कृतिक समझ अभी भी सीमित है, जहाँ ब्राज़ील के लोग भारत को प्रायः योग/आध्यात्म से जोड़ते हैं, जबकि भारतीय ब्राज़ील को मुख्य रूप से फुटबॉल/कार्निवाल के माध्यम से देखते हैं। इन दोनों देशों के बीच मीडिया और शैक्षणिक आदान-प्रदान की कमी भी इस स्थिति को और बढ़ा देती है। 
  • वैश्विक प्राथमिकताओं में अंतर: भारत और ब्राज़ील की क्षेत्रीय प्राथमिकताएँ भिन्न हैं — भारत का ध्यान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर केंद्रित है, जबकि ब्राज़ील लैटिन अमेरिका को प्राथमिकता देता है।
    • दोनों देशों को बहुपक्षीय मंचों पर भी समन्वय में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि विश्व व्यापार संगठन (WTO) और जलवायु वार्ताओं में, विशेष रूप से कृषि सब्सिडी एवं कार्बन उत्सर्जन जैसे मुद्दों पर मतभेद।

भारत-ब्राज़ील संबंधों को और किस प्रकार सुदृढ़ किया जा सकता है?

  • व्यापार और आर्थिक साझेदारी को बढ़ावा देना: अगले 5 वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को 20 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचाने के लिये व्यापारिक वस्तुओं में विविधता लाना और गैर-शुल्क बाधाओं को कम करना आवश्यक है। इसके लिये फार्मा, खाद्य सुरक्षा और कृषि मानकों की पारस्परिक मान्यता को प्रोत्साहित किया जा सकता है।
  • लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी में सुधार: शिपिंग लागत व समय को कम करने के लिये भारत-ब्राज़ील समुद्री गलियारे स्थापित करना और दिल्ली/मुंबई तथा साओ पाउलो के बीच सीधी उड़ानें शुरू की जाएँ ताकि पर्यटन एवं व्यापारिक संपर्क को बढ़ावा मिल सके।
  • ऊर्जा और हरित साझेदारी को मज़बूत करना: ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (GBA)परियोजनाओं को बढ़ाकर और ब्राज़ील के गन्ना उद्योग के साथ भारत की इथेनॉल मिश्रण प्रौद्योगिकी को साझा करके जैव ईंधन तथा इथेनॉल पर सहयोग बढ़ाना।
    • भारत की इलेक्ट्रिक वाहन (EV) आवश्यकताओं को पूरा करने के लिये  लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ मृदा जैसे महत्त्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग किया जाए।
  • कृषि एवं खाद्य सुरक्षा संबंधों को गहरा करना: भारत और ब्राज़ील को GM फसलों तथा अनावृष्टि-प्रतिरोधी बीजों के विकास में सहयोग करना चाहिये, साथ ही ऑर्गेनिक खाद्य पदार्थों, शाकाहारी उत्पादों व तैयार-खाद्य (रेडी-टू-ईट) वस्तुओं में संयुक्त उद्यमों को बढ़ावा देना चाहिये।
  • संस्थागत तंत्र को सुदृढ़ करना: संबंधों को मज़बूत करने के लिये प्रतिवर्ष प्रधानमंत्री–राष्ट्रपति शिखर सम्मेलन आयोजित किये जाएँ, राज्य स्तर की साझेदारियों को बढ़ावा देने के लिये सिस्टर-सिटी समझौतों (जैसे मुंबई–रियो, बेंगलुरु–साओ पाउलो) को प्रोत्साहित किया जाएँ और थिंक टैंक सहयोग के माध्यम से ट्रैक-2 कूटनीति को आगे बढ़ाया जाएँ।

निष्कर्ष

भारत और ब्राज़ील की रणनीतिक साझेदारी, जो पाँच प्रमुख स्तंभों पर आधारित है, व्यापारिक बाधाओं तथा लॉजिस्टिक अंतराल जैसी चुनौतियों के बावजूद अपार संभावनाएँ रखती है। आर्थिक संबंधों को बढ़ाकर, तकनीकी सहयोग को सशक्त बनाकर और वैश्विक प्राथमिकताओं को समन्वित करके, दोनों देश ग्लोबल साउथ के प्रमुख नेतृत्वकर्त्ता बन सकते हैं, जो एक बहुध्रुवीय विश्व में सतत् विकास तथा पारस्परिक समृद्धि को बढ़ावा देंगे।

दृष्टि मेन्स प्रश्न:

प्रश्न. "भारत और ब्राज़ील के बीच रणनीतिक साझेदारी है, फिर भी द्विपक्षीय व्यापार क्षमता से कम है।" चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और आर्थिक जुड़ाव बढ़ाने के उपाय सुझाएँ।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स

प्रश्न: "विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के अधिक व्यापक लक्ष्य और उद्देश्य वैश्वीकरण के युग में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रबंधन और प्रोन्नति करना है। परंतु (संधि) वार्ताओं की दोहा परिधि मृतोन्मुखी प्रतीत होती है, जिसका कारण विकसित और विकासशील देशों के बीच मतभेद है।" भारतीय परिप्रेक्ष्य में, इस पर चर्चा कीजिये। (2016)

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