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भारत में क्रिप्टो लेन-देन में तेज़ी

  • 09 Dec 2025
  • 13 min read

स्रोत: द हिंदू

भारत में क्रिप्टोकरेंसी लेन-देन वर्ष 2024–25 में ₹51,180 करोड़ से अधिक हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 41% की वृद्धि दर्शाता है। यह आँकड़ा 1% स्रोत पर कटौती कर (TDS) के रूप में ₹511 करोड़ की वसूली पर आधारित है, जैसा कि वित्त मंत्रालय ने राज्यसभा में रिपोर्ट  प्रस्तुत की। 

    • वित्त अधिनियम, 2022 ने आयकर अधिनियम, 1961 के तहत सभी वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDAs) के लेन-देन पर 1% TDS लागू किया और यह प्रावधान आयकर अधिनियम, 2025 में भी बरकरार रखा गया है।
    • क्रिप्टोकरेंसी: यह एक प्रकार की डिजिटल मुद्रा है जो किसी केंद्रीय प्राधिकरण की आवश्यकता के बिना प्रत्यक्ष, पीयर-टू-पीयर ऑनलाइन लेन-देन की अनुमति देती है।
      • यह डिजिटल लेन-देन का माध्यम के रूप में कार्य करती है, जिसे ब्लॉकचेन नामक सार्वजनिक डिजिटल लेजर पर बनाया गया है, जहाँ लेन-देन को क्रिप्टोग्राफिक तकनीकों के माध्यम से सत्यापित किया जाता है।
      • पहली विकेंद्रीकृत क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन थी, जिसे वर्ष 2009 में प्रस्तुत किया गया था।
    • क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग
      • माइनिंग: नए सिक्के (जैसे बिटकॉइन) तब उत्पन्न होते हैं जब माइनर्स जटिल गणितीय समस्याओं को हल करके ब्लॉकचेन में नए ब्लॉक्स जोड़ते हैं।
      • खरीदना और सुरक्षित रखना: क्रिप्टोकरेंसी को एक्सचेंज के माध्यम से खरीदा जाता है और इसे हॉट (ऑनलाइन) या कोल्ड (ऑफलाइन) वॉलेट में संग्रहित किया जाता है।
      • भुगतान: तेज़ और कम लागत वाले अंतर्राष्ट्रीय लेन-देन की सुविधा प्रदान करता है।
      • निवेश: अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाली परिसंपत्ति श्रेणी, जिसमें फ्यूचर्स और ऑप्शंस जैसे डेरिवेटिव्स शामिल हैं।
      • रूपांतरण: आसानी से फिएट मुद्रा में बदला जा सकता है, लेकिन यह कराधान के अधीन होता है।

    और पढ़ें: क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन

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