अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारत-मालदीव कूटनीति के बदलते आयाम
यह एडिटोरियल 29/07/2025 को द इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित “PM Modi’s visit to the Maldives: A diplomatic reset” पर आधारित है। इस लेख में वर्ष 2023 के बाद भारत-मालदीव के तनावपूर्ण संबंधों और संबंधों को नवीनीकृत करने के हालिया कूटनीतिक प्रयासों की चर्चा की गई है, साथ ही भारत के क्षेत्रीय एवं समुद्री हितों में मालदीव के रणनीतिक महत्त्व को भी रेखांकित किया गया है।
प्रिलिम्स के लिये:ऑपरेशन कैक्टस, SAARC, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, उथुरु थिला फाल्हू (UTF) सैन्य अड्डा, ‘दोस्ती’ अभ्यास, विशेष आर्थिक क्षेत्र, थिलामाले ब्रिज मेन्स के लिये:भारत-मालदीव संबंधों में अभिसरण के प्रमुख क्षेत्र, भारत और मालदीव के बीच टकराव के क्षेत्र। |
भारत-मालदीव संबंधों में तब उल्लेखनीय तनाव आया जब मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति ने वर्ष 2023 में ‘इंडिया आउट’ अभियान के आधार पर सत्ता में आते ही चीन से संपर्क बढ़ाया और भारतीय सैनिकों की वापसी की माँग की। मालदीव के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों ने कूटनीतिक विवाद को और जटिल बना दिया, जिसके कारण भारतीय पर्यटन में भारी गिरावट आई, जो इस द्वीपसमूह की आर्थिक जीवनरेखा है। हालाँकि, हाल ही में उच्च-स्तरीय राजनयिक वार्ता द्विपक्षीय संबंधों में संभावित सुधार का संकेत देती है। हिंद महासागर के महत्त्वपूर्ण नौवहन मार्गों पर स्थित होने के कारण, मालदीव भारत की समुद्री सुरक्षा और ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बना हुआ है।
समय के साथ भारत-मालदीव संबंध कैसे विकसित हुए?
- प्रारंभिक राजनयिक संबंध (1965-1980 के दशक): भारत वर्ष 1965 में मालदीव की स्वतंत्रता को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था, जिसने साझा भूगोल और संस्कृति पर आधारित सौहार्दपूर्ण संबंधों की नींव रखी। भारत ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मालदीव का समर्थन किया और प्रारंभिक आर्थिक एवं सुरक्षा सहायता प्रदान की।
- ऑपरेशन कैक्टस (1988) एक निर्णायक क्षण था, जब भारत ने तख्तापलट के प्रयास को विफल करने के लिये त्वरित हस्तक्षेप किया और एक विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार के रूप में अपनी भूमिका को सुदृढ़ किया।
- संबंधों का सुदृढ़ीकरण (1990 का दशक-2000 के दशक के प्रारंभ): विकास सहायता (विशेष रूप से स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी अवसंरचना में) के माध्यम से संबंध और प्रगाढ़ हुए।
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मालदीव में पर्यटन के विकसित होने के साथ ही भारत एक प्रमुख आर्थिक और व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा। दोनों देशों ने SAARC जैसे क्षेत्रीय मंचों पर आपदा राहत, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए सहयोग किया।
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लोकतांत्रिक परिवर्तन और रणनीतिक बदलाव (2008-2012): वर्ष 2008 में मोहम्मद नशीद के चुनाव ने मालदीव के बहुदलीय लोकतंत्र की ओर रुख और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों (विशेष रूप से जलवायु कूटनीति के क्षेत्र में) को चिह्नित किया।
- हालाँकि, वर्ष 2012 में नशीद के निष्कासन के बाद राष्ट्रपति यामीन के नेतृत्व में चीन की ओर झुकाव बढ़ा, जिन्होंने रणनीतिक क्षेत्रों में चीनी निवेश का स्वागत किया, जिससे भारत में प्रभाव कम होने की चिंताएँ उत्पन्न हुईं।
- राजनयिक पुनर्स्थापन और व्यावहारिक जुड़ाव (2013-वर्तमान): भारत वर्ष 2004 की सुनामी और दिसंबर 2014 में माले जल संकट (ऑपरेशन नीर) दोनों के दौरान मालदीव की सहायता करने वाला पहला देश था।
- जनवरी 2020 में, भारत द्वारा खसरे के टीके की 30,000 खुराकों की शीघ्र आपूर्ति और समय पर कोविड-19 सहायता ने संकटों में मालदीव के ‘प्रथम उत्तरदाता’ के रूप में उसकी भूमिका की पुष्टि की।
- वर्ष 2023 में, राष्ट्रपति मुइज़्ज़ू "इंडिया आउट" के नारे के साथ सत्ता में आए, उन्होंने भारतीय सैनिकों की वापसी और राष्ट्रवादी, संप्रभुता-केंद्रित रुख अपनाने की मांग की।
- हालाँकि, वर्ष 2024 में उनकी विदेश नीति में व्यावहारिकता की ओर झुकाव दिखाई देता है। जुलाई 2025 में भारतीय प्रधानमंत्री की मालदीव यात्रा, जो द्विपक्षीय संबंधों की 60वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में हुई, एक निर्णायक मोड़ सिद्ध हुई, जिसमें कई महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
भारत-मालदीव संबंधों में अभिसरण के प्रमुख क्षेत्र कौन-से हैं?
- आर्थिक और वित्तीय सहयोग: भारत मालदीव का सबसे बड़ा वित्तीय साझेदार बना हुआ है, जो वित्तीय अस्थिरता के दौर में महत्त्वपूर्ण आर्थिक सहायता प्रदान करता है।
- भारत द्वारा हाल ही में बुनियादी अवसंरचना परियोजनाओं के लिये ₹4,850 करोड़ की ऋण सहायता की पेशकश इस बढ़ती साझेदारी का एक स्पष्ट संकेत है।
- इसके अलावा, भारत ने 50 मिलियन डॉलर मूल्य के ट्रेज़री बिल जारी किये, जो मालदीव के ऋण दबाव को कम करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण वित्तीय कदम है।
- वर्ष 2024 में, मालदीव को भारत की विकास सहायता में 50% की वृद्धि हुई है, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में भारत की भूमिका की तात्कालिकता और महत्त्व को रेखांकित करता है।
- वर्ष 2024 में, भारत और मालदीव ने व्यापक आर्थिक एवं समुद्री सुरक्षा साझेदारी के लिये एक विज़न दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किये।
- बुनियादी अवसंरचना विकास: बुनियादी अवसंरचना सहयोग द्विपक्षीय संबंधों की आधारशिला बना हुआ है, जिसमें भारत कई प्रमुख परियोजनाओं में केंद्रीय भूमिका निभा रहा है।
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ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) और थिलामाले ब्रिज में भारत की सहायता मालदीव के बुनियादी अवसंरचना को मज़बूत करने के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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घरेलू राजनीति के कारण कुछ विलंब के बावजूद, ये परियोजनाएँ शहरी भीड़भाड़ को कम करने और क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण हैं।
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इसके अतिरिक्त, भारत मालदीव में 65 उच्च प्रभाव सामुदायिक विकास परियोजनाओं (HICDP) का समर्थन कर रहा है, जिससे देश के सतत् विकास लक्ष्यों में भारत की भूमिका और मज़बूत हो रही है।
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- समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग: हिंद महासागर में मालदीव की रणनीतिक स्थिति इसे क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा का केंद्र बनाती है।
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विगत तनावों के बावजूद, दोनों देशों ने मज़बूत सुरक्षा संबंध बनाए रखे हैं, जैसा कि वर्ष 2024 में श्रीलंका के साथ त्रिपक्षीय ‘दोस्ती’ अभ्यास की निरंतरता में देखा जा सकता है।
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भारत के समर्थन में समुद्री क्षेत्र जागरूकता में सुधार के लिये मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) की परिसंपत्तियों को उन्नत रडार प्रणालियों से उन्नत करना शामिल है।
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इसके अतिरिक्त, भारत खोज और बचाव कार्यों के साथ-साथ आपदा मोचन के लिये प्लेटफॉर्म प्रदान करके मालदीव के तटीय सुरक्षा बुनियादी अवसंरचना को बढ़ाने के लिये प्रतिबद्ध है।
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पर्यटन और लोगों के बीच संबंध: मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिये पर्यटन एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है, जहाँ भारत पर्यटकों का सबसे बड़ा स्रोत है।
- हाल के राजनयिक तनावों के बावजूद, भारत ने मालदीव के पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये निरंतर सहायता प्रदान की है।
- संकट के बाद हवाई और समुद्री संपर्कों की पुनर्स्थापना तथा मालदीव में नौका सेवाओं को बढ़ाने के लिये समझौता ज्ञापन, लोगों के बीच संबंधों की निरंतर प्रासंगिकता को दर्शाते हैं।
- कोविड-19 महामारी के बाद, वर्ष 2020 से 2023 तक मालदीव आने वाले पर्यटकों में भारतीय पर्यटकों की संख्या लगातार शीर्ष पर रही।
- जलवायु परिवर्तन और सतत् विकास: दोनों देशों की जलवायु अनुकूलन रणनीतियों और पर्यावरणीय संधारणीयता में साझा रुचि है, विशेषकर मालदीव के निचले भौगोलिक क्षेत्र तथा बढ़ते समुद्र स्तर के प्रति सुभेद्यता को देखते हुए।
- सौर ऊर्जा परियोजनाओं जैसे नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना के विकास में भारत का समर्थन इस अभिसरण को रेखांकित करता है।
- भारत ने 28 द्वीपों में सौर ऊर्जा से चलने वाली जल और सीवेज प्रणालियों सहित जलवायु परिवर्तन से निपटने वाली परियोजनाओं के लिये सहायता देने का वादा किया है, जो मालदीव की जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में योगदान देगा।
- इसके अलावा, ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना में देश के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिये जलवायु-सचेत डिज़ाइन, जैसे पर्यावरण-अनुकूल निर्माण और ऊर्जा-कुशल प्रकाश व्यवस्था को शामिल किया गया है।
भारत और मालदीव के बीच तनाव के क्षेत्र कौन-कौन से हैं?
- मालदीव में चीन का बढ़ता प्रभाव: चीन के साथ मालदीव के बढ़ते जुड़ाव ने भारत के लिये चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- मालदीव द्वारा चीन के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर, जिनमें बुनियादी अवसंरचना और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं तथा मालदीव के ऋण पुनर्संरचना में चीन का समर्थन, भारत पर निर्भरता कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
- यह बदलाव बंदरगाहों और कृषि भूमि से जुड़े रणनीतिक समझौतों में विशेष रूप से स्पष्ट है, जहाँ उथुरु थिला फाल्हू सैन्य अड्डा (UTF: एक भारतीय अनुदान-सहायता परियोजना) के पास स्थित कुछ भूखंडों का कथित तौर पर चीन द्वारा सैन्य-संबंधी गतिविधियों के लिये उपयोग किया जा रहा है।
- जनवरी 2024 में, मुइज़्ज़ू की चीन यात्रा ने उनके संबंधों को एक ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ में उन्नत किया, जिससे बीज़िंग के साथ उनके गठबंधन का पता चलता है।
- भारत के महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं सैन्य समर्थन के बावजूद माले में चीनी सैन्य जहाज़ों की डॉकिंग और भारत की रणनीतिक परिसंपत्तियों के पास चीनी-वित्त पोषित बुनियादी अवसंरचना का निर्माण, मालदीव के चीन की ओर बढ़ते झुकाव को उजागर करता है।
- मालदीव द्वारा चीन के साथ कई समझौतों पर हस्ताक्षर, जिनमें बुनियादी अवसंरचना और रक्षा क्षेत्र शामिल हैं तथा मालदीव के ऋण पुनर्संरचना में चीन का समर्थन, भारत पर निर्भरता कम करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
- हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और समुद्री चिंताएँ: भारत और मालदीव के बीच एक तकनीकी लेकिन महत्त्वपूर्ण मुद्दा दोनों देशों के बीच हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण समझौते का समाप्त होना है।
- यह समझौता, जो समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण अध्ययन के लिये महत्त्वपूर्ण था, वर्ष 2023 के अंत में मालदीव द्वारा संप्रभुता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया गया था।
- मालदीव के जलक्षेत्र के निकट समुद्र तल के सर्वेक्षण और मैपिंग में भारत की भूमिका एक दीर्घकालिक सहयोग रहा है जो अब अनिश्चितता का सामना कर रहा है।
- इस घटनाक्रम को मालदीव द्वारा भारत और चीन दोनों के हितों के मद्देनजर अपनी स्वतंत्रता की पुनः पुष्टि करने के प्रयास के परिणाम के रूप में देखा गया है, हालाँकि इससे व्यापक समुद्री सुरक्षा पर सहयोग कम होने का जोखिम है।
- यह समझौता, जो समुद्री सुरक्षा और पर्यावरण अध्ययन के लिये महत्त्वपूर्ण था, वर्ष 2023 के अंत में मालदीव द्वारा संप्रभुता संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए निलंबित कर दिया गया था।
- पर्यटन और भारत विरोधी भावनाएँ: वर्ष 2024 में, मालदीव के कनिष्ठ मंत्रियों द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री के बारे में अपमानजनक टिप्पणियों ने भारत में एक महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया को जन्म दिया, जिसके कारण भारतीय सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives अभियान चलाया गया।
- हालाँकि बाद में इन टिप्पणियों की निंदा की गई और परिणामस्वरूप संबंधित मंत्रियों को निलंबित कर दिया गया, लेकिन इससे लोगों के बीच संबंधों में तनाव उत्पन्न हुआ।
- राजनयिक परिणामों के कारण भारतीय पर्यटकों के आगमन में भारी गिरावट आई, जो मालदीव की अर्थव्यवस्था के लिये एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है। वर्ष 2024 में, मालदीव जाने वाले भारतीयों की संख्या में लगभग 37.47% की गिरावट आई।
- ऋण और वित्तीय निर्भरता: भारत से महत्त्वपूर्ण वित्तीय सहायता प्राप्त करने के बावजूद, मालदीव के चल रहे आर्थिक संकट ने उसे चीन और खाड़ी देशों से अतिरिक्त वित्तीय सहायता लेने के लिये प्रेरित किया है।
- मालदीव सरकार पर बढ़ता ऋण बोझ, विशेषकर भारत द्वारा दिये गये रियायती ऋणों की तुलना में, भारत-मालदीव संबंधों में तनाव उत्पन्न कर रहा है। यह आर्थिक असंतुलन द्विपक्षीय संबंधों को और जटिल बना देता है।
- मालदीव की भारतीय सहायता पर निर्भरता और साथ ही चीन के प्रति उसका ऋण, यह दर्शाता है कि विदेशी आर्थिक प्रतिबद्धताओं को लेकर उसे एक कठिन संतुलन बनाना पड़ रहा है, जो भारत के साथ उसके संबंधों को प्रभावित करता है।
- भारत की सैन्य उपस्थिति और "इंडिया आउट" अभियान का मुद्दा: विशेष रूप से भारत द्वारा प्रदान किये गए विमानों और तटीय राडार के संचालन एवं रखरखाव के लिये मालदीव में भारतीय सैन्य कर्मियों की उपस्थिति, मालदीव में घरेलू स्तर पर एक विवादास्पद मुद्दा रही है।
- विपक्षी दलों द्वारा संचालित और वर्तमान राष्ट्रपति द्वारा अपने चुनाव अभियान के दौरान प्रवर्तित ‘इंडिया आउट’ अभियान ने भारत की सैन्य उपस्थिति को मालदीव की संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में चित्रित करके गति पकड़ी।
- हालाँकि भारत सरकार का कहना है कि वहाँ तैनात उसके सैन्य कर्मियों की उपस्थिति मालदीव सरकार के निमंत्रण पर है और वे प्रशिक्षण तथा मानवीय सहायता जैसे उद्देश्यों के लिये हैं, फिर भी मालदीव में जनता की धारणा लगातार अधिक आलोचनात्मक होती जा रही है।
- मत्स्यन के अधिकार और समुद्री संसाधन विवाद: मत्स्यन क्षेत्रों, विशेष रूप से लक्षद्वीप-मालदीव समुद्री सीमा के पास विशेष आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) को लेकर समय-समय पर तनाव सामने आते रहे हैं।
- भारतीय मत्स्यन जहाज़ों द्वारा उनके क्षेत्रीय जल में अतिक्रमण करने को लेकर मालदीव की चिंताएँ द्विपक्षीय बैठकों के दौरान उठाई गई हैं।
- ये मुद्दे संवेदनशील हैं, क्योंकि मत्स्यन दोनों देशों के लिये एक महत्त्वपूर्ण आजीविका क्षेत्र है तथा कथित उल्लंघन मालदीव में राजनयिक विरोध एवं घरेलू प्रतिक्रिया को जन्म दे सकते हैं।
- जनवरी, 2024 में, भारतीय तटरक्षक बल ने मालदीव की समुद्री सीमा (विशेष आर्थिक क्षेत्र: EEZ) में घुसकर मछली पकड़ने वाली नौकाओं पर छापेमारी की है। जिससे महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय चिंताएँ उत्पन्न हुईं।
मालदीव के साथ संबंध बढ़ाने के लिये भारत क्या उपाय अपना सकता है?
- नागरिक संपर्क के माध्यम से पुनर्संयोजित रक्षा कूटनीति: भारत को क्षमता निर्माण, समुद्री क्षेत्र जागरूकता और मानवीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, गैर-सैन्यीकृत सुरक्षा सहायता बढ़ाकर मालदीव के साथ अपने रक्षा सहयोग को नए सिरे से पुनःपरिभाषित करना चाहिये।
- सैन्य-आधारित उपस्थिति से नागरिक-नेतृत्व वाली रणनीतिक उपस्थिति में परिवर्तन, मालदीव की घरेलू भावनाओं के प्रति संवेदनशीलता सुनिश्चित कर सकता है।
- तटीय रडार और चिकित्सा निकासी प्लेटफॉर्मों जैसी दोहरे उपयोग वाली परिसंपत्तियों की तैनाती, नरम सुरक्षा साझेदारी को सुदृढ़ कर सकती है। यह दृष्टिकोण रणनीतिक अनिवार्यताओं को संप्रभुता संबंधी चिंताओं के साथ संतुलित करता है।
- सह-स्वामित्व मॉडल के साथ संयुक्त अवसंरचना विकास: भारत को पारस्परिक आधिपत्य और पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिये, विशेष रूप से स्थायी बंदरगाहों, डिजिटल कनेक्टिविटी एवं ऊर्जा में अवसंरचना में सह-निवेश कार्यढाँचे का प्रस्ताव करना चाहिये।
- दाता-प्राप्तकर्त्ता गतिशीलता से हटकर समान भागीदारी मॉडल की ओर बढ़ने से भू-राजनीतिक संदेह कम हो सकता है।
- संयुक्त परियोजना संचालन समितियों की स्थापना से जवाबदेही में सुधार होगा और प्रभुत्व की धारणा को रोका जा सकेगा।
- दाता-प्राप्तकर्त्ता गतिशीलता से हटकर समान भागीदारी मॉडल की ओर बढ़ने से भू-राजनीतिक संदेह कम हो सकता है।
- सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को पुनर्जीवित करना: जनधारणा के अंतर को न्यूनतम करने के लिये, भारत को सांस्कृतिक समन्वय, भाषा छात्रवृत्ति, शैक्षणिक फेलोशिप और युवा संवादों के माध्यम से सॉफ्ट डिप्लोमेसी को बढ़ावा देना चाहिये।
- नागरिक समाज की भागीदारी को पुनर्जीवित करने से राजनीतिक चक्रों से स्वतंत्र, ज़मीनी स्तर पर सद्भावना का पुनर्निर्माण हो सकता है। ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ छात्रवृत्ति या ‘स्टडी इन इंडिया’ मंच जैसे साधनों का लाभ उठाकर भारत की सॉफ्ट छवि को निखारा जा सकता है।
- स्थानीय सशक्तीकरण के साथ रणनीतिक पर्यटन गलियारे: भारत आर्थिक परस्पर निर्भरता को बढ़ावा देने के लिये लक्षद्वीप, मिनिकॉय और उत्तरी मालदीव को शामिल करते हुए सीमा पार इको-पर्यटन एवं विरासत परिपथ स्थापित कर सकता है।
- ऐसी पहलों में स्थानीय समुदाय की भागीदारी, रोज़गार सृजन और स्थायी प्रथाओं को शामिल किया जाना चाहिये। यह न केवल पर्यटन प्रतिद्वंद्विता को कम करेगा बल्कि साझा समृद्धि के आख्यानों को भी बढ़ावा देगा।
- उच्च-स्तरीय रणनीतिक वार्ता तंत्र: वार्षिक शिखर सम्मेलनों, कार्य समूहों और संकट-समाधान हॉटलाइन के साथ एक संरचित भारत-मालदीव रणनीतिक एवं आर्थिक वार्ता को संस्थागत रूप देने से शासन परिवर्तन के बावजूद जुड़ाव की निरंतरता सुनिश्चित हो सकती है।
- यह विश्वास निर्माण, पारदर्शी संचार और तृतीय-पक्ष नौसैनिक उपस्थिति जैसे भू-राजनीतिक घटनाक्रमों पर समन्वित प्रतिक्रिया के लिये एक तंत्र प्रदान करता है।
- ऋण स्थिरता और क्षेत्रीय वित्तीय सहायता कार्यढाँचा: भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में ऋण पारदर्शिता और सतत् वित्तपोषण के लिये एक क्षेत्रीय प्रयास का नेतृत्व करना चाहिये तथा मालदीव को उच्च-ब्याज या राजनीतिक रूप से सशर्त ऋणों के विकल्प प्रदान करने चाहिये।मालदीव-भारत विकास वित्तपोषण सुविधा की शुरुआत, बिना किसी दबाव के एक स्थिर आर्थिक साझेदार के रूप में भारत की भूमिका को रेखांकित करती है।
- डिजिटल और जलवायु अनुकूलन सहयोग: डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना, फिनटेक विनियमन और जलवायु आपदाओं के लिये पूर्व चेतावनी प्रणालियों पर संयुक्त प्रयास कार्यात्मक संबंधों को प्रगाढ़ कर सकते हैं।
- UPI या DigiLocker जैसे भारत के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) के अनुभव को एक उपयुक्त कार्यढाँचे के अंतर्गत तकनीकी अंतरण के माध्यम से मालदीव में अपनाया जा सकता है।
- जल सुरक्षा और प्रवाल भित्तियों के संरक्षण में जलवायु अनुकूलन प्रौद्योगिकियाँ भी सहयोगात्मक आधार प्रदान करती हैं।
- ब्लू इकॉनमी नवाचार साझेदारी: समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, मात्स्यिकी संधारणीयता और स्वच्छ नौवहन पर केंद्रित एक द्विपक्षीय ब्लू इकॉनमी नवाचार केंद्र का निर्माण नए युग के आर्थिक क्षेत्रों को खोल सकता है।
- यह एक रणनीतिक विकास समझौते के रूप में काम कर सकता है, जो भारत की वैज्ञानिक विशेषज्ञता को मालदीव की संसाधन क्षमता के साथ जोड़ता है। संयुक्त पेटेंट, स्टार्ट-अप इनक्यूबेटर और महासागर फेलोशिप इसे संस्थागत रूप दे सकते हैं।
निष्कर्ष:
भारत और मालदीव के संबंध हाल के समय में रणनीतिक तनावों और राजनीतिक बयानबाज़ी से प्रभावित हुए हैं, फिर भी ये संबंध ऐतिहासिक संबंधों, भौगोलिक निकटता और साझा क्षेत्रीय हितों पर आधारित हैं। जैसा कि कहा जाता है — "कूटनीति में कोई स्थायी मित्र या शत्रु नहीं होता, केवल स्थायी हित होते हैं।" इस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए भारत को मालदीव के साथ स्थिर, हित-आधारित और जनहितकारी संबंधों को प्राथमिकता देनी चाहिये, जिससे हिंद महासागर शांति, समृद्धि एवं साझेदारी का क्षेत्र बना रहे।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. हाल के वर्षों में रणनीतिक अभिसरण और कूटनीतिक संघर्ष के दौरान भारत-मालदीव संबंधों में उतार-चढ़ाव हुए हैं। बदलती क्षेत्रीय भू-राजनीति के संदर्भ में, द्विपक्षीय संबंधों को पुनः संतुलित करने में चुनौतियों और अवसरों का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs)प्रिलिम्सप्रश्न 1. निम्नलिखित द्वीपों के युग्मों में से कौन-सा एक 'दश अंश जलमार्ग' द्वारा आपस में पृथक् किया जाता है? (2014) (a) अन्दमान एवं निकोबार उत्तर: (a) मेन्सप्रश्न 1. मालदीव में पिछले दो वर्षों में हुई राजनैतिक घटनाओं की विवेचना कीजिये। यह बताइये कि क्या ये भारत के लिये चिंता का विषय हैं। (2013) |