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डेली न्यूज़

  • 31 May, 2021
  • 42 min read
भूगोल

चक्रवात यास (Yaas)

प्रिलिम्स के लिये 

उष्णकटिबंधीय चक्रवात, चक्रवात ताउते, भारत मौसम विज्ञान विभाग, विश्व मौसम विज्ञान संगठन, प्रमुख चक्रवाती तूफान  जैसे: हरिकेन, टाइफून ,विली-विलीज़ आदि और संबंधित देश।

मेन्स के लिये

उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय चक्रवात में अंतर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में चक्रवात बनने के प्रमुख कारण, चक्रवात का नामकरण, प्रभाव एवं क्षेत्र, कोरिओलिस बल की भूमिका

चर्चा में क्यों?

हाल ही में चक्रवात यास (Yaas) ने ओडिशा में बालासोर के दक्षिण में दस्तक दी। 

  • इससे पूर्व ' चक्रवात ताउते’ (Tauktae) नामक एक अन्य चक्रवाती तूफान ने दो केंद्रशासित प्रदेशों (दमन एवं दीव तथा  लक्षद्वीप) और भारतीय राज्यों केरल, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा तथा कर्नाटक को प्रभावित किया था।

प्रमुख बिंदु

परिचय:

  • इस चक्रवात को यास नाम ओमान द्वारा दिया गया है, जो एक फारसी भाषा का शब्द है। अंग्रेज़ी में इसका अर्थ  'जैस्मीन' (Jasmin) होता है। 
  • सामान्यत: उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में उष्णकटिबंधीय चक्रवात पूर्व-मानसून (अप्रैल से जून माह) और मानसून पश्चात् (अक्तूबर से दिसंबर) की अवधि के दौरान विकसित होते हैं।
    • मई-जून और अक्तूबर-नवंबर के माह गंभीर तीव्र चक्रवात उत्पन्न करने के लिये जाने जाते हैं जो भारतीय तटों को प्रभावित करते हैं।

वर्गीकरण:

  • इसे अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान की श्रेणी में रखा गया है।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) चक्रवातों को उनके द्वारा उत्पन्न अधिकतम निरंतर सतही हवा की गति (Maximum Sustained Surface Wind Speed- MSW) के आधार पर वर्गीकृत करता है।
    • चक्रवातों को गंभीर (48-63 समुद्री मील का MSW ), बहुत गंभीर (64-89 समुद्री मील का MSW), अत्यंत गंभीर (90-119 समुद्री मील का MSW) और सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म (120 समुद्री मील का MSW) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एक नॉट (knot)  1.8 किमी. प्रति घंटे (किलोमीटर प्रति घंटा) के बराबर होता है।

प्रभावित क्षेत्र:

  • इसने पश्चिम बंगाल और ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्रों को प्रभावित किया और पूर्वी तट पर विनाश के निशान छोड़ते हुए यह चक्रवाती तूफान कमज़ोर हो गया।

बंगाल की खाड़ी का गर्म होना:

  •  बंगाल की खाड़ी में जहाँ चक्रवात यास का निर्माण हुआ, वर्ष के इस समय में यह क्षेत्र  सामान्य से कम-से-कम दो डिग्री अधिक गर्म है।
  • इस साल बंगाल की खाड़ी का उत्तरी भाग असाधारण रूप से अधिक गर्म है और यहाँ का तापमान लगभग 32 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात:

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान है जो गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होता है और कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएँ और भारी बारिश इसकी विशेषताएँ हैं।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशिष्ट विशेषताओं में एक चक्रवातों की आंख (Eye) या केंद्र में साफ आसमान, गर्म तापमान और कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र होता है।
  • इस प्रकार के तूफानों को उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में हरिकेन (Hurricanes) तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में टाइफून (Typhoons) कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में इसे उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) और उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ ( Willy-Willies) कहा जाता है।
  • इन तूफानों या चक्रवातों की गति उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त (Counter Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) होती है।
  • उष्णकटिबंधीय तूफानों के बनने और उनके तीव्र होने हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
    • 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाली एक बड़ी समुद्री सतह
    • कोरिओलिस बल की उपस्थिति।
    • ऊर्ध्वाधर/लंबवत हवा की गति में छोटे बदलाव।
    • पहले से मौजूद कमज़ोर निम्न-दबाव क्षेत्र या निम्न-स्तर-चक्रवात परिसंचरण।
    • समुद्र तल प्रणाली के ऊपर  विचलन (Divergence)

Tropical-Cyclone

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण:

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO)  के दिशा-निर्देशों के अनुसार, प्रत्येक क्षेत्र के देश चक्रवातों को नाम देते हैं।
  • उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर बने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कवर करता है।
  • इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 13 सदस्य बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) विश्व के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMC) में से एक है, जिसे सलाह जारी करने और उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखने का अधिकार है।
    • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।

बंगाल की खाड़ी बनाम  अरब सागर (चक्रवात)

बंगाल की खाड़ी :

  • चूँँकि यह अवतल या उथला है, जहाँ तेज हवाएँ जल को आगे धकेलती हैं जिसके कारण यह तूफान के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
  • बंगाल की खाड़ी का आकार एक गर्त (Trough) की भाँति है, जो तूफानों को मज़बूत करने के लिये इसे और अधिक अनुकूल बनाता है। समुद्रीय सतह का उच्च तापमान होने की वजह से खाड़ी में उत्पन्न होने वाले तूफानों की तीव्रता और अधिक बढ़ जाती है।
  • बंगाल की खाड़ी में इसके चारो ओर धीमी ओर गर्म हवाओं सहित अधिक वर्षा होती है, जिसकी वजह से पूरे वर्ष अपेक्षाकृत अधिक तापमान बना रहता है। ब्रह्मपुत्र, गंगा जैसी वर्ष भर प्रवाहित होने वाली नदियों से ताज़े गर्म जल का निरंतर प्रवाह होता रहता है, जिसकी वजह से खाड़ी की निचली सतह के ठंडे पानी के साथ ऊपरी सतह के पानी का मिश्रण लगभग असंभव हो जाता है।
  • प्रशांत महासागर और बंगाल की खाड़ी के बीच भू-भाग की कमी के कारण चक्रवाती हवाएँ तटीय क्षेत्रों तक सीधे, बिना किसी रुकावट के पहुँच जाती हैं और भारी वर्षा करती हैं।
  • मानसून के बाद उत्तर-पश्चिमी भारत से खाड़ी की ओर हवाओं का प्रवाह रुक जाता है, जो कि बंगाल की खाड़ी में चक्रवात आने की संभावना का एक अन्य कारण भी है।

अरब सागर:

  • अरब सागर काफी शांत रहता है क्योंकि इसके ऊपर चलने वाली तेज़ हवाएँ इस क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली ऊष्मा को नष्ट करने में मदद करती हैं।
  • अरब सागर में लगातार ताज़े पानी का प्रवाह काफी कम होता है, जिससे सतही गर्म पानी और निचली सतह के ठंडे पानी को परस्पर मिश्रित होने में आसानी होती है, परिणामस्वरूप सतह का तापमान कम हो जाता है।
  • अरब सागर को अपनी अवस्थिति का लाभ भी मिलता है, क्योंकि प्रशांत महासागर से आने वाली हवाएँ पश्चिमी घाट और हिमालय से टकराती हैं तथा इनकी तीव्रता कम हो जाती है एवं कभी-कभी ये हवाएँ अरब सागर तक पहुँच ही नहीं पाती हैं।

Cyclones

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

गुटनिरपेक्ष आंदोलन: स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक

प्रिलिम्स के लिये:

गुटनिरपेक्ष आंदोलन, वैक्सीन मैत्री पहल, बांडुंग सम्मेलन

मेन्स के लिये:

गुटनिरपेक्ष आंदोलन की वर्तमान प्रासंगिकता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन (NAM) देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ एक बैठक में भाग लिया।

प्रमुख बिंदु:

बैठक में भारत का रुख:

  • वैक्सीन मैत्री पहल:
    • अपनी ज़रूरतों के बावजूद कोविड -19 महामारी के दौरान भारत ने 59 NAM देशों सहित 123 भागीदार देशों को दवाओं की आपूर्ति सुनिश्चित की।
  • 'सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज' के प्रयास:
    • सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को यह सुनिश्चित करने हेतु परिभाषित किया गया है कि सभी लोगों के पास पर्याप्त गुणवत्ता की आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच होने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करना भी है कि इन सेवाओं का उपयोग उपयोगकर्त्ता को वित्तीय जोखिम में नहीं डालता है।
    • आयुष्मान भारत का लक्ष्य 500 मिलियन से अधिक वंचित लोगों को मुफ्त स्वास्थ्य आश्वासन प्रदान करना है, ताकि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना बन जाए।
      • यह द्विमुखी दृष्टिकोण अपनाता है:
        • घरों के करीब स्वास्थ्य देखभाल सेवा सुनिश्चित करने के लिये स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का निर्माण।
        • दूसरा गरीब और कमज़ोर परिवारों को विनाशकारी स्वास्थ्य प्रकरणों से उत्पन्न होने वाले वित्तीय जोखिम से बचाने के लिये  प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएमजेएवाई) का निर्माण।
    • ग्राम आधारित सूक्ष्म योजनाओं पर अधिक ज़ोर देने के साथ पूर्ण टीकाकरण कवरेज तीव्र गति से बढ़ रहा है जिसका उद्देश्य एक वर्ष में कवरेज को 90% तक बढ़ाना है।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन:

  • पृष्ठभूमि:
    • यह शीत युद्ध (1945-1991) के दौरान राज्यों के एक संगठन के रूप में गठित किया गया था, जो औपचारिक रूप से खुद को संयुक्त राज्य अमेरिका (पूंजीवाद) या सोवियत संघ (समाजवाद) के साथ संरेखित नहीं करना चाहता था, लेकिन स्वतंत्र या तटस्थ रहने की मांग करता था।
    • वर्ष 1955 के बांडुंग सम्मेलन के छह वर्ष बाद गुटनिरपेक्ष देशों के आंदोलन को बेलग्रेड के पहले शिखर सम्मेलन में व्यापक भौगोलिक आधार पर स्थापित किया गया था, जो सितंबर 1961 में आयोजित किया गया था।
    • इस सम्मेलन का आयोजन यूगोस्लाविया के जोसिप ब्रोज़ टीटो, मिस्र के जमाल अब्देल नासिर, भारत के जवाहरलाल नेहरू, घाना के क्वामे नकरुमाह और इंडोनेशिया के सुकर्णो के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।
  • उद्देश्य:
    • साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद, नव-उपनिवेशवाद, जातिवाद आदि सभी रूपों के खिलाफ उनके संघर्ष में "राष्ट्रीय स्वतंत्रता, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और गुटनिरपेक्ष देशों की सुरक्षा" सुनिश्चित करने के लिये निर्मित इस संगठन का उद्देश्य वर्ष 1979 की हवाना उद्घोषणा में बताया गया था। 
  • सदस्य और पर्यवेक्षक:
    • अप्रैल 2018 तक इसमें 120 सदस्य थे, जिसमें अफ्रीका के 53 देश, एशिया के 39, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन के 26 देश और यूरोप के 2 देश शामिल थे।
    • 17 देश और 10 अंतर्राष्ट्रीय संगठन NAM के पर्यवेक्षक हैं।

  • मुख्यालय:
    • NAM का कोई औपचारिक संविधान या स्थायी सचिवालय नहीं है और इसकी प्रशासनिक व्यवस्था गैर-श्रेणीबद्ध एवं चक्रीय होती है।
    • निर्णय सर्वसम्मति से किये जाते हैं, जिसके लिये पर्याप्त सहमति की आवश्यकता होती है।
  • अंतिम बैठक:
    • वर्ष 2020 में अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव (वर्तमान अध्यक्ष 2022 तक) की पहल पर उनकी अध्यक्षता में गुटनिरपेक्ष आंदोलन की बैठक बुलाई गई।

स्रोत-पीआईबी


भारतीय इतिहास

वीर सावरकर जयंती

प्रिलिम्स के लिये:

विनायक दामोदर सावरकर से संबंधित विभिन्न तथ्य, अभिनव भारत सोसाइटी (यंग इंडिया सोसाइटी), फ्री इंडिया सोसाइटी, इंडिया हाउस, हिंदू महासभा

मेन्स के लिये: 

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में विनायक दामोदर सावरकर की भूमिका तथा उनका योगदान

चर्चा में क्यों?

28 मई को भारत ने स्वतंत्रता सेनानी विनायक दामोदर सावरकर (वीर सावरकर) की जयंती मनाई।

  • वीर सावरकर एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील और लेखक थे।
  • उन्हें स्वातंत्र्यवीर सावरकर (Swatantryaveer Savarkar) के नाम से भी जाना जाता है।

प्रमुख बिंदु

  • इनका जन्म 28 मई, 1883 को महाराष्ट्र के नासिक ज़िले के भागुर ग्राम में हुआ था।
  • संबंधित संगठन और कार्य: 
    • इन्होंने अभिनव भारत सोसाइटी नामक एक भूमिगत सोसाइटी (Secret Society) की स्थापना की।
    • सावरकर यूनाइटेड किंगडम गए और इंडिया हाउस (India House) तथा फ्री इंडिया सोसाइटी (Free India Society) जैसे संगठनों से जुड़े।
    • वे वर्ष 1937 से 1943 तक हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे।
    • सावरकर ने 'द हिस्ट्री ऑफ द वार ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस' नामक एक पुस्तक लिखी जिसमें उन्होंने 1857 के सिपाही विद्रोह में इस्तेमाल किये गए छापामार युद्ध (Guerilla Warfare) के तरीकों (Tricks) के बारे में लिखा था।
    • उन्होंने 'हिंदुत्व: हिंदू कौन है?' पुस्तक भी लिखी।
  • मुकदमे और सज़ा:
    • वर्ष 1909 में उन्हें मॉर्ले-मिंटो सुधार (भारतीय परिषद अधिनियम 1909) के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
    • 1910 में क्रांतिकारी समूह इंडिया हाउस के साथ संबंधों के लिये गिरफ्तार किया गया।
    • सावरकर पर एक आरोप नासिक के कलेक्टर जैक्सन की हत्या के लिये उकसाने का था और दूसरा भारतीय दंड संहिता 121-ए के तहत राजा (सम्राट) के खिलाफ साजिश रचने का था।
    • दोनों मुकदमों में सावरकर को दोषी ठहराया गया और 50 वर्ष के कारावास की सज़ा सुनाई गई, जिसे काला पानी भी कहा जाता है, उन्हें वर्ष 1911 में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में सेलुलर जेल ले जाया गया।
  • मृत्यु : 26 फरवरी, 1966 को अपनी इच्छा से उपवास करने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

 अभिनव भारत सोसाइटी (यंग इंडिया सोसाइटी)

  • यह वर्ष 1904 में विनायक दामोदर सावरकर और उनके भाई गणेश दामोदर सावरकर द्वारा स्थापित एक भूमिगत सोसाइटी (Secret Society) थी।
  • प्रारंभ में नासिक में मित्र मेला के रूप में स्थापित समाज कई क्रांतिकारियों और राजनीतिक कार्यकर्त्ताओं के साथ भारत तथा लंदन के विभिन्न हिस्सों में शाखाओं से जुड़ा था।

इंडिया हाउस

  • इसकी स्थापना श्यामजी किशन वर्मा ने वर्ष 1905 में लंदन में की थी।
  • इसे लंदन में भारतीय छात्रों के बीच राष्ट्रवादी विचारों को बढ़ावा देने के लिये खोला गया था।

फ्री इंडिया सोसाइटी

  • सावरकर वर्ष 1906 में लंदन गए। उन्होंने जल्द ही इटैलियन राष्ट्रवादी ग्यूसेप माज़िनी (सावरकर ने माज़िनी की जीवनी लिखी थी) के विचारों के आधार पर फ्री इंडिया सोसाइटी की स्थापना की।

हिंदू महासभा

  • अखिल भारत हिंदू महासभा (Akhil Bharat Hindu Mahasabha) भारत के सबसे पुराने संगठनों में से एक है क्योंकि इसका गठन वर्ष 1907 में हुआ था। प्रतिष्ठित नेताओं ने वर्ष 1915 में अखिल भारतीय आधार पर इस संगठन का विस्तार किया।
  • इस संगठन की स्थापना करने वाले और अखिल भारतीय सत्रों की अध्यक्षता करने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों में पंडित मदन मोहन मालवीय, लाला लाजपत राय, वीर विनायक दामोदर सावरकर आदि शामिल थे।

स्रोत- पीआईबी


सामाजिक न्याय

30 जनवरी: विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस

प्रिलिम्स के लिये:

विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग दिवस, विश्व स्वास्थ्य सभा

मेन्स के लिये:

विश्व स्वास्थ्य सभा तथा भारत की भूमिका

चर्चा में क्यों?

वर्तमान 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा ने 30 जनवरी को 'विश्व उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD) दिवस' के रूप में घोषित किया।

  • इस दिन को मान्यता देने का प्रस्ताव संयुक्त अरब अमीरात द्वारा प्रस्तुत किया गया था। इसे प्रतिनिधियों द्वारा सर्वसम्मति से अपनाया गया।
  • पहला विश्व NTD दिवस वर्ष 2020 में अनौपचारिक रूप से मनाया गया था।

प्रमुख बिंदु:

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (NTD):

  • NTD संक्रमण का एक समूह है जो अफ्रीका, एशिया और अमेरिका के विकासशील क्षेत्रों में हाशिये पर रहने वाले समुदायों में सबसे सामान्य है। ये रोग विभिन्न प्रकार के रोगजनकों जैसे-वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोज़ोआ और परजीवी के कारण होते हैं।
    • NTD विशेष रूप से उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्य है, जहाँ लोगों के पास स्वच्छ पानी या मानव अपशिष्ट के निपटान के सुरक्षित तरीकों तक पहुँच नहीं है।
  • इन बीमारियों को आमतौर पर तपेदिक, एचआईवी-एड्स और मलेरिया जैसी बीमारियों की तुलना में अनुसंधान और उपचार के लिये कम धन मिलता है। 
  • NTD के उदाहरण हैं: सर्पदंश का जहर, खुजली, जम्हाई, ट्रेकोमा, लीशमैनियासिस और चगास रोग आदि।

NTDs पर लंदन उद्घोषणा:

  • इसे NTDs के वैश्विक भार को वहन करने के लिये 30 जनवरी, 2012 को अपनाया गया था।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), विश्व बैंक, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के अधिकारी, प्रमुख वैश्विक दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कई राष्ट्रीय सरकारों के प्रतिनिधियों ने लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ फिजिशियन में इन बीमारियों को समाप्त करने का संकल्प लिया।

वर्ष 2021-2030 के लिये WHO का नया रोडमैप:

  • प्रक्रिया को मापने से लेकर प्रभाव को मापने तक।
  • रोग-विशिष्ट योजना और प्रोग्रामिंग से लेकर सभी क्षेत्रों में सहयोगात्मक कार्य तक।
  • बाह्य रूप से संचालित एजेंडे से लेकर देश के स्वामित्व वाले और सरकार द्वारा वित्तपोषित कार्यक्रमों तक।

उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों की स्थिति

  • वैश्विक स्तर पर एक बिलियन से अधिक लोग उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों से प्रभावित हैं।
    • ये रोग रोके जाने व उपचार योग्य हैं, हालाँकि इसके बावजूद ये रोग- गरीबी एवं पारिस्थितिक तंत्र के साथ उनके जटिल अंतर्संबंध- विनाशकारी स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक परिणामों का कारण बने हुए हैं।
  • कुल 20 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग हैं, जो दुनिया भर में 1.7 बिलियन से अधिक लोगों को प्रभावित करते हैं।
  • कालाजार और लसीका फाइलेरिया जैसे परजीवी रोगों समेत भारत में कम-से-कम 11 उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग मौजूद हैं, जिससे देश भर में लाखों लोग प्रभावित होते हैं, इनमें प्रायः अधिकतर लोग गरीब एवं संवेदनशील वर्ग से होते हैं।

NDTs के उन्मूलन हेतु भारतीय पहल:

  • NDTs के उन्मूलन की दिशा में गहन प्रयासों के हिस्से के रूप में वर्ष 2018 में ‘लिम्फेटिक फाइलेरिया रोग के तीव्र उन्मूलन की कार्य-योजना’ (APELF) शुरू की गई थी।
  • वर्ष 2005 में भारत, बांग्लादेश और नेपाल की सरकारों द्वारा सबसे संवेदनशील आबादी के शीघ्र निदान और उपचार में तेज़ी लाने और रोग निगरानी में सुधार एवं कालाजार को नियंत्रित करने के लिये WHO-समर्थित एक क्षेत्रीय गठबंधन का गठन किया गया है।
  • भारत पहले ही कई अन्य NDTs को समाप्त कर चुका है, जिसमें गिनी वर्म, ट्रेकोमा और यॉज़ शामिल हैं।

स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था

‘मिड-डे-मील’ योजना के लिये DBT

प्रिलिम्स के लिये 

मिड-डे-मील योजना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना

मेन्स के लिये 

हालिया निर्णय का महत्त्व और आवश्यकता

चर्चा में क्यों?

शिक्षा मंत्रालय ने सभी पात्र छात्रों को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से ‘मिड-डे-मील’ (MDM) योजना के तहत दिये जाने वाले भोजन की लागत को मौद्रिक सहायता के रूप में प्रदान करने के प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी है।

प्रमुख बिंदु

एमडीएम योजना के लिये DBT के निहितार्थ:

  • कोविड-19 महामारी के कारण महीनों से स्कूल बंद हैं और इस कदम से ‘मिड-डे-मील’ कार्यक्रम को गति मिलेगी।
  • यह योजना लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को प्रतिमाह 5 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खाद्यान्न वितरण करने से संबंधित भारत सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के साथ ही कार्यान्वित की जाएगी।
  • यह बच्चों के पोषण स्तर को सुरक्षित बनाए रखने में मदद करने के साथ-साथ महामारी के इस मौजूदा चुनौतीपूर्ण समय में उनकी प्रतिरक्षा सुनिश्चित करने में सहायक होगी। 
  • इस एकमुश्त विशेष कल्याण उपाय से देश भर के 11.20 लाख सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा एक से आठवीं तक में पढ़ने वाले लगभग 11.8 करोड़ बच्चों को लाभ होगा।
  • केंद्र सरकार इस उद्देश्य के लिये राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को लगभग 1200 करोड़ रुपए की अतिरिक्त धनराशि मुहैया कराएगी।

‘मिड-डे-मील’ कार्यक्रम 

  • लॉन्च: यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसे वर्ष 1995 में शुरू किया गया था।
    • इसे प्राथमिक शिक्षा के सार्वभौमिकरण के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से दुनिया का सबसे बड़ा स्कूली भोजन कार्यक्रम माना जाता है।
  • नोडल मंत्रालय: शिक्षा मंत्रालय
  • उद्देश्य: भूख और कुपोषण को दूर करने, स्कूल में नामांकन और उपस्थिति बढ़ाने, जातियों के बीच समाजीकरण में सुधार करने, ज़मीनी स्तर पर विशेष रूप से महिलाओं को रोज़गार प्रदान करना।
  • प्रावधान: 
    • योजना के तहत कक्षा I से VIII तक पढ़ने वाले छह से चौदह वर्ष के आयु वर्ग के प्रत्येक बच्चे को पका हुआ भोजन प्रदान किया जाता है।
    • इसके तहत प्राथमिक (कक्षा I से V तक) स्तर के लिये 450 कैलोरी और 12 ग्राम प्रोटीन तथा उच्च प्राथमिक (कक्षा I-VIII) के लिये 700 कैलोरी और 20 ग्राम प्रोटीन के पोषण मानकों वाला पका हुआ भोजन मिलता है।
    • खाद्यान्न की अनुपलब्धता अथवा अन्य किसी कारण से यदि विद्यालय में किसी दिन मध्याह्न भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाता है, तो राज्य सरकार आगामी माह की 15 तारीख तक खाद्य सुरक्षा भत्ता का भुगतान करेगी।
  • लाभार्थी: सरकारी एवं सहायता प्राप्त स्कूलों और समग्र शिक्षा के तहत समर्थित मदरसों के सभी बच्चे इस योजना में शामिल हैं।

प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना

  • उद्देश्य: इस योजना को लाभार्थियों तक सूचना एवं धन के तीव्र प्रवाह एवं वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये सहायता के रूप में परिकल्पित किया गया है।
  • क्रियान्वयन: इसे भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2013 को सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया गया था।
    • महालेखाकार कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के पुराने संस्करण यानी ‘सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम’ को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एक सामान्य मंच के रूप में चुना गया था।
  • DBT के घटक: प्रत्यक्ष लाभ योजना के क्रियान्वयन के प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली; RBI, NPCI, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों के साथ एकीकृत एक मज़बूत भुगतान एवं समाधान मंच शामिल है (जैसे बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली और NPCI की आधार पेमेंट प्रणाली आदि)।
  • DBT से जुड़ी अन्य योजनाएँ:

DBT

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था

GST परिषद की 43वीं बैठक

प्रिलिम्स के लिये 

वस्तु एवं सेवा कर (GST), ब्लैक फंगस (Black Fungus), कोविड -19, एमनेस्टी (Amnesty) योजना, जीएसटी अधिनियम, 2017 

मेन्स के लिये

वस्तु एवं सेवा कर (GST) की भूमिका, महत्त्वपूर्ण राजकोषीय सुधार, GST परिषद के कार्य एवं मतदान प्रणाली, GST मुआवजा या छूट प्रणाली

चर्चा में क्यों?

हाल ही में वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद की 43वीं बैठक का आयोजन किया गया।

  • वित्त वर्ष 2021-22 में जीएसटी परिषद की यह पहली बैठक थी। इस परिषद की अंतिम बैठक अक्तूबर 2020 में हुई थी।

वस्तु एवं सेवा कर (GST) परिषद 

  • यह वस्तु एवं सेवा कर (Goods and Services Tax- GST) से संबंधित मुद्दों पर केंद्र और राज्य सरकार को सिफारिश करने के लिये एक संवैधानिक निकाय (अनुच्छेद 279A) है।
  • इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करता है और अन्य सदस्य केंद्रीय राजस्व या वित्त मंत्री तथा सभी राज्यों के वित्त या कराधान के प्रभारी मंत्री होते हैं।
  • इसे एक संघीय निकाय के रूप में माना जाता है जहाँ केंद्र और राज्यों दोनों को उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।

प्रमुख बिंदु 

कोविड से संबंधित उपकरणों के लिये तदर्थ छूट:

  • GST परिषद ने ऐसी कई वस्तुओं के आयात को छूट देने का फैसला किया है।
    • GST छूट को 31 अगस्त, 2021 तक बढ़ा दिया गया है।
  • राहत सामग्री के आयात पर तब तक खरीद पर छूट दी जाएगी, जब तक वे राज्य सरकारों को दान के रूप में न दे दी गई हो।
    • इससे पूर्व एकीकृत वस्तु और सेवा कर (IGST) में केवल मुफ्त आयात पर छूट दी जाती थी।
  • ब्लैक फंगस (Black Fungus) के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र, इसके लिये आवश्यक एक विशेष दवा - एम्फोटेरिसिन-बी-(Amphotericin-B) को भी छूट की सूची (कर-मुक्त आयात के लिये) में शामिल किया गया है।
  • इसने कोविड -19 राहत उपाय के मद्देनज़र प्रदान की जा सकने वाली और छूटों पर  निर्णय लेने के लिये मंत्रियों के समूह (GoM) समिति के गठन का भी प्रस्ताव रखा।

 GST एमनेस्टी (Amnesty) योजना:

  • विलंब शुल्क को कम करने की सिफारिश की गई है। करदाता लंबित रिटर्न दाखिल कर सकते हैं, कम विलंब शुल्क के साथ योजना का लाभ उठा सकते हैं।
    • यह छोटे करदाताओं को राहत प्रदान करेगा जिसमें GST दाताओं का 89% भागीदारी है।
  •  विलंब शुल्क को भी युक्तिसंगत बनाया गया है। विलंब शुल्क की अधिकतम राशि कम कर दी गई है और भविष्य की कर अवधि से लागू होगी।
    • इससे छोटे करदाताओं को लंबी अवधि की राहत मिलेगी।

जीएसटी मुआवज़ा उपकर (राज्यों का बकाया): 

  • राज्यों की GST राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिये केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2020 के जैसे फार्मूले का अनुसरण इस वर्ष भी किया जा रहा है । इस वर्ष  केंद्र 1.58 लाख करोड़ रुपए का कर्ज़ लेगा जिसे राज्यों को बैक-टू-बैक ऋण के रूप में दिया जाएंगा।
  • राज्यों को वर्ष 2022 से आगे मुआवज़े के भुगतान पर विचार के लिये जीएसटी परिषद विशेष सत्र का आयोजन करेगी।

वैक्सीन निर्माताओं को अग्रिम भुगतान:

  • दो वैक्सीन निर्माताओं को अग्रिम भुगतान के रूप में 4,500 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया।
  • देश टीकों के लिये जापानी, यूरोपीय संघ सहित आपूर्तिकर्त्ताओं/निर्माताओं के साथ काम कर रहा है।

वार्षिक रिटर्न भरना:

  • इसके अंतर्गत वार्षिक रिटर्न फाइलिंग को सरल बनाया गया है। इस काउंसिल ने केंद्रीय वस्तु और सेवा कर अधिनियम (Central Goods & Services Tax Act), 2017 में संशोधन करने की सिफारिश की है ताकि सुलह बयानों के स्व-प्रमाणन की अनुमति दी जा सके।
  • दो करोड़ रुपए से कम टर्नओवर वाले छोटे करदाताओं की खातिर वार्षिक रिटर्न फाइलिंग वर्ष 2020-21 के लिये वैकल्पिक बनी रहेगी, जबकि वर्ष 2020-21 हेतु सुलह विवरण केवल उन करदाताओं द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा जिनका टर्नओवर पाँच करोड़ रुपए या उससे अधिक है।

जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर

  • जीएसटी क्षतिपूर्ति उपकर जीएसटी अधिनियम, 2017 द्वारा लगाया जाता है। इस उपकर को लगाने का उद्देश्य राज्यों को 1 जुलाई 2017 को जीएसटी के कार्यान्वयन के कारण होने वाले राजस्व के नुकसान के लिये पाँच वर्ष की अवधि या जीएसटी परिषद द्वारा अनुशंसित अवधि हेतु क्षतिपूर्ति करना है।
  • क्षतिपूर्ति उपकर किसी विशेष आपूर्ति के संबंध में लगाए गए जीएसटी की राशि के ऊपर लगाया जाता है। इसकी गणना जीएसटी के समान है जैसे- उपकर देयता के लिये निर्धारित दर सीजीएसटी अधिनियम 2017 की धारा 15 के तहत किये गए लेनदेन मूल्य पर लागू होती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


जैव विविधता और पर्यावरण

जयंती: झींगुर की नई प्रजाति

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ की कुर्रा गुफाओं (Kurra Cave) में पाई गई झींगुर की एक नई प्रजाति का नाम 'इंडिमिमस जयंती' (Indimimus Jayanti) रखा गया है।

  • इस नई प्रजाति का नाम देश के प्रमुख गुफा खोजकर्त्ताओं में से एक प्रोफेसर जयंत विश्वास (Professor Jayant Biswas) के नाम पर रखा गया है।

Jhingur

प्रमुख बिंदु

झींगुर की नई प्रजाति के विषय में:

  • इस नई प्रजाति की पहचान जीनस अरकोनोमिमस सॉस्योर (Genus Arachnomimus Saussure), 1897 के तहत की गई है।
  • इस नई प्रजाति की खोज से झींगुर की एक नई उपजाति 'इंडिमिमस' का जन्म हुआ है।
  • इस नई प्रजाति के नर ध्वनि उत्पन्न नहीं कर सकते और इनकी मादाओं के कान नहीं होते।

नई उपजाति के विषय में:

  • यह उपजाति पुरुष जननांग संरचना के कारण दो उपजातियों यथा अरकोनोमिमस (Arachnomimus) और यूराक्नोमिमस (Euarachnomimus) से अलग है।
  • कीड़ों में एक लॉक-एंड-की मॉडल जननांग संरचना (Lock-and-Key Model Genitalia Structure) होती है जो प्रत्येक उपजाति के लिये अद्वितीय होती है।

जीनस अरकोनोमिमस सॉस्योर, 1897:

  • अरकोनोमिमस नाम वर्ष 1878 में स्विस एंटोमोलॉजिस्ट हेनरी लुई फ्रेडरिक डी सॉस्योर (Swiss Entomologist Henri Louis Frédéric de Saussure) द्वारा इस प्रजाति के मकड़ियों के समान होने के कारण दिया गया नाम है।
  • इस समूह के झींगुर को आमतौर पर उनके छोटे शरीर के आकार और लंबे पैरों के कारण स्पाइडर क्रिकेट (Spider Cricket) कहा जाता है।

इस खोज का महत्त्व:

  • यह मनुष्यों के लिये श्रवण यंत्र डिज़ाइन करने में मदद कर सकता है।
    • नई प्रजाति गुफा की दीवारों पर अपने पेट या शरीर के किसी अन्य अंग को टकराकर संचार (Communication) कर सकती है।
    • कंपन संचार सिग्नल ट्रांसमिशन के सबसे साधारण लेकिन सबसे तेज़ तरीकों में से एक है।
      • कंपन संचार को पर्यावरण के भौतिक गुणों, एक कीट की शारीरिक रचना और शरीर विज्ञान तथा व्यवहार के बीच बातचीत के रूप में समझा जा सकता है।
    • कंपन संचार के इस प्रकार के कौशल पर आगे के अध्ययन से मनुष्यों को श्रवण यंत्रों को डिज़ाइन करने में मदद मिल सकती है जो सबसे शांत संकेतों को पकड़ सकते हैं और श्रव्य श्रवण सीमा बढ़ा सकते हैं।
  • जयंती की खोज के बाद अरकोनोमिमस जाति अब कुल 12 प्रजातियों के नाम से जाना जाएगी। इन प्रजातियों का वितरण (ब्राज़ील से लेकर मलेशिया तक) बहुत व्यापक है।
  • भारत में स्पाइडर क्रिकेट की विविधता अभी भी अस्पष्ट है। हालाँकि भारत में चार जैव विविधता हॉटस्पॉट (Biodiversity Hotspot), साथ ही सभी हॉटस्पॉट में खाली गुफाएँ होने के कारण यहाँ कई और महत्त्वपूर्ण खोजों की गुंजाइश है।

झींगुर के विषय में:

  • झींगुर छलाँग लगाने वाले कीड़ों की लगभग 2,400 प्रजातियों में से एक है जो पूरे विश्व में कहीं भी पाए जाते हैं , जिनमें नर संगीतमय आवाज़ निकालते हैं।
  • इनके पास मुख्य रूप से बेलनाकार शरीर, गोल सिर और लंबे एंटीना जैसे आगे दो बाल होते हैं। 
  • इन्हें विशेष रूप से रात में ज़ोरदार आवाज़ करते हुए सुना जा सकता है। इस समय नर झींगुर मादाओं को आकर्षित करने के लिये अपने पंखों को एक दूसरे से रगड़कर यह ध्वनि उत्पन्न करते हैं।
  • मादाएँ अपने पैरों पर स्थित कानों का उपयोग करके इन आवाजों को सुनती हैं और संभोग तथा प्रजनन के लिये नर झींगुर के पास जाती हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


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