चक्रवात ताउते

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में चक्रवात ताउते (Cyclone Tauktae) के कारण गुजरात में लैंडफॉल’ (LandFall) की स्थिति देखी गई है।

  • केरल, कर्नाटक, गोवा और महाराष्ट्र  राज्यों के तटीय क्षेत्रों से गुज़रते हुए इस चक्रवात ने वहाँ भारी तबाही मचाई है।

प्रमुख बिंदु: 

 ताउते के बारे में:

  •  नामकरण:
    • ताउते एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclone) है, जिसका नाम म्याँमार द्वारा रखा गया है। बर्मीज़ भाषा में इसका अर्थ है 'गेको', एक अत्यधिक शोर करने वाली  छिपकली (Highly Vocal Lizard)।
    • सामान्यत: उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र (बंगाल की खाड़ी और अरब सागर) में उष्णकटिबंधीय चक्रवात पूर्व-मानसून (अप्रैल से जून माह) और मानसून के बाद (अक्तूबर से दिसंबर) की अवधि के दौरान विकसित होते हैं।
      • मई-जून और अक्तूबर-नवंबर के माह गंभीर तीव्र  चक्रवात उत्पन्न करने के लिये जाने जाते हैं जो भारतीय तटों को प्रभावित करते हैं।
  • वर्गीकरण:
    • यह "अत्यधिक  गंभीर चक्रवाती तूफान" से कमज़ोर होकर " अधिक गंभीर चक्रवाती तूफान" के रूप में परिवर्तित हो गया है।
    • भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) चक्रवातों को उनके द्वारा उत्पन्न अधिकतम निरंतर सतही हवा की गति (Maximum Sustained Surface Wind Speed- MSW) के आधार पर वर्गीकृत करता है।
    • चक्रवातों को गंभीर (48-63 किमी/घंटे ), बहुत गंभीर (64-89 किमी/घंटे), अत्यंत गंभीर (90-119 किमी/घंटे) और सुपर साइक्लोनिक स्टॉर्म (120 किमी/घंटे) के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एक नॉट (knot)  1.8 किमी प्रति घंटे (किलोमीटर प्रति घंटा) के बराबर होता है।
  • अरब सागर में उत्पत्ति:
    •  ताउते  पूर्व-मानसून अवधि (अप्रैल से जून) में अरब सागर में विकसित होने वाला लगातार वर्षों में चौथा चक्रवात है।
    • वर्ष 2018 में ओमान में आए मेकानू चक्रवात (Mekanu Cyclone ) के बाद वर्ष 2019 में वायु चक्रवात  ( Vayu Cyclone) ने गुजरात को तथा उसके बाद  बाद 2020 में निसर्ग चक्रवात  (Nisarga Cyclone ) ने महाराष्ट्र को प्रभावित किया था।
    • वर्ष 2018 के बाद से इन सभी चक्रवातों को या तो 'गंभीर चक्रवात' (Severe Cyclone) या उससे ऊपर की श्रेणी में रखा गया है।

अरब सागर बना चक्रवातों का प्रमुख क्षेत्र:

  • प्रत्येक वर्ष बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में औसतन पांँच चक्रवात विकसित होते हैं। इनमें से चार बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) में विकसित होते हैं, जो अरब सागर से भी गर्म है।
  • वर्ष 2018 में बंगाल की खाड़ी में एक वर्ष में औसतन चार चक्रवात विकसित हुए वहीँ  अरब सागर में तीन चक्रवात निर्मित हुए जबकि वर्ष 2019 में अरब सागर में पांँच चक्रवात विकसित  हुए और  बंगाल की खाड़ी में तीन का निर्माण हुआ जिस कारण अरब सागर में बीते दो वर्षों में बंगाल की खाड़ी की तुलना में  3 अधिक चक्रवातों का निर्माण हुआ।
  • वर्ष 2020 में बंगाल की खाड़ी ने तीन चक्रवाती तूफान उत्पन्न हुए, जबकि अरब सागर ने दो चक्रवाती तूफान आए।
  • हाल के वर्षों में मौसम विज्ञानियों ने देखा है कि अरब सागर भी गर्म हो रहा है। यह ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) से जुड़ी एक घटना है।
  • यह देखा गया है कि अरब सागर में समुद्र की सतह का तापमान लगभग 40 वर्षों से बढ़ रहा है। तापमान में वृद्धि 1.2-1.4 डिग्री सेल्सियस तक हुई है।

उष्णकटिबंधीय चक्रवात:

  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तीव्र गोलाकार तूफान है जो गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न होता है और कम वायुमंडलीय दबाव, तेज़ हवाएँ और भारी बारिश इसकी विशेषताएँ है।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की विशिष्ट विशेषताओं में एक चक्रवातों की आंख (Eye) में साफ आसमान, गर्म तापमान और कम वायुमंडलीय दबाव का क्षेत्र होता है।
  • इस प्रकार के तूफानों को उत्तरी अटलांटिक और पूर्वी प्रशांत में हरिकेन (Hurricanes) तथा दक्षिण-पूर्व एशिया एवं चीन में टाइफून (Typhoons) कहा जाता है। दक्षिण-पश्चिम प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवात (Tropical Cyclones) और उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में विली-विलीज़ ( Willy-Willies) कहा जाता है।
  • उत्तरी गोलार्द्ध में इनकी गति घड़ी की सुई की दिशा के विपरीत अर्थात् वामावर्त (Counter Clockwise) और दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिणावर्त (Clockwise) होती है।
  • उष्णकटिबंधीय तूफानों के बनने और उनके तीव्र होने हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ निम्नलिखित हैं:
    • 27 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान वाली एक बड़ी  समुद्री सतह।
    • कोरिओलिस बल की उपस्थिति।
    • ऊर्ध्वाधर/लम्बवत हवा की गति में छोटे बदलाव।
    • पहले से मौज़ूद कमज़ोर निम्न-दबाव क्षेत्र या निम्न-स्तर-चक्रवात परिसंचरण।
    • समुद्र तल प्रणाली के ऊपर  विचलन (Divergence)।

उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का नामकरण:

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization- WMO)  के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर क्षेत्र के देश चक्रवातों को नाम देते हैं।
  • उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र बंगाल की खाड़ी और अरब सागर के ऊपर बने उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को कवर करता है।
    • इस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले 13 सदस्य बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्याँमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यमन हैं।
  • भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD), विश्व के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों (Regional Specialised Meteorological Centres- RSMC) में से एक है, जिसे सलाह जारी करने और उत्तरी हिंद महासागर क्षेत्र में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम रखने का अधिकार है।
    • यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस