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डेली न्यूज़

  • 28 Nov, 2020
  • 47 min read
कृषि

हनी एफपीओ कार्यक्रम: नफेड

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, कृषि और किसान कल्याण मंत्री ने राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India Limited) के हनी किसान उत्‍पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) कार्यक्रम का उद्घाटन किया है।

प्रमुख बिंदु

  • एक उत्पादक संगठन (PO-Producer Organisation) प्राथमिक उत्पादकों (किसान, दूध उत्पादक, मछुआरे, बुनकर, ग्रामीण कारीगर, शिल्पकार आदि) द्वारा गठित एक क़ानूनी इकाई है।
  • FPO, PO का एक प्रकार है, जिसमें किसान सदस्य होते हैं।
  • मधुमक्खी पालन (Apiculture) का अभिप्राय मधुमक्खियों को नियंत्रित करने और उन्हें संभालने की मानवीय गतिविधि से होता है।
  • यह कार्यक्रम FPO के गठन और संवर्द्धन के तहत शुरू किया गया है।
    • यह 10,000 नए FPO को बनाने के लिये एक नई केंद्रीय योजना है।
    • इसके तहत, राष्ट्रीय परियोजना प्रबंधन सलाहकार और फंड मंज़ूरी समिति (National Level Project Management Advisory and Fund Sanctioning Committee) ने सभी कार्यान्वयन एजेंसियों को 2020-21 के लिये FPO क्लस्टर आवंटित किये थे।
    • FPO को समूह आधारित व्यावसायिक संगठनों (Cluster Based Business Organizations) द्वारा विकसित किया जाएगा।
  • NAFED पाँच राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में मधुमक्खी पालकों के लिये FPO स्थापित करने में मदद करेगा

लाभ:

  • वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन में कौशल उन्नयन।
  • शहद और संबद्ध मधुमक्खी पालन उत्पादों जैसे मधुमक्खी के मोम, प्रोपोलिस, शाही जेली, मधुमक्खी जहर आदि के प्रसंस्करण हेतु अवसंरचनात्मक सुविधाओं का विकास।
  • गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं द्वारा गुणवत्ता उन्नयन।
  • संग्रह, भंडारण, बॉटलिंग और विपणन केंद्रों में सुधार करके बेहतर आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन।
  • FPO का प्रचार और गठन कृषि को आत्मनिर्भर कृषि में बदलने के लिये पहला कदम है।

मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा अन्य प्रयास:

  • सरकार किसानों की आय को दोगुना करने और आदिवासी उत्थान सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है।
  • सरकार ने आत्मनिर्भर अभियान के तहत मधुमक्खी पालन क्षेत्र में 500 करोड़ रु. का आवंटन किया।
  • चलती-फिरती मधुवाटिका (Apiary on Wheels):
    • यह मधुमक्खियों को पालने एवं उनके बक्सों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिये खादी और ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission- KVIC) की एक अनूठी पहल है।
  • राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (National Bee Board) ने NBHM के हिस्से के रूप में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये चार मॉड्यूल बनाए हैं।
    • इसके तहत 30 लाख किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया गया है साथ में उन्हें सरकार द्वारा वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
    • मिनी मिशन-1 और मिनी मिशन-2 इस मिशन के तहत योजनाएँ हैं।
  • सरकार ने मीठी क्रांति (Sweet Revolution) के भाग के रूप में NBHM का शुभारंभ किया।
    • मधुमक्खी पालन और इससे जुड़ी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2016 में 'मीठी क्रांति' को शुरू किया गया था।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग

(Khadi and Village Industries Commission):

  • खादी और ग्रामोद्योग आयोग 'खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम-1956' के तहत एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है।
  • यह भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (Ministry of Micro, Small & Medium Enterprises) के अंतर्गत आने वाली एक मुख्य संस्था है।
  • इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ भी आवश्यक हो अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर खादी एवं ग्रामोद्योगों की स्थापना तथा विकास के लिये योजनाएँ बनाना, उनका प्रचार-प्रसार करना तथा सुविधाएँ एवं सहायता प्रदान करना है।

स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय राजनीति

संविधान दिवस

प्रिलिम्स के लिये: 

संविधान दिवस, राष्ट्रीय विधि दिवस

मेन्स के लिये:

महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन, भारतीय संविधान का इतिहास  

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 26 नवंबर को देश में 71वाँ संविधान दिवस (Constitution Day) मनाया गया। प्रतिवर्ष इस अवसर पर संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से कई प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।

प्रमुख बिंदु:

  • संविधान दिवस (Constitution Day) को राष्ट्रीय विधि दिवस के रूप में भी जाना जाता है, यह दिन भारत में संविधान को अपनाने की याद दिलाता है।
  • वर्ष 1949 में इसी दिन अर्थात 26 नवंबर,  1949 को संविधान सभा द्वारा औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अपनाया गया जिसे आगे चलकर 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया।
  • केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवंबर, 2015 को भारत सरकार द्वारा 26 नवंबर को 'संविधान दिवस' के रूप में मनाने के निर्णय को अधिसूचित किया था।

भारतीय संविधान से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य:

  • संविधान सभा द्वारा भारत के संविधान के निर्माण का कार्य 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिनों में पूरा किया गया। 
  • भारतीय संविधान की मूल प्रतियों को टाइप या मुद्रित नहीं किया गया था, बल्कि इन प्रतियों को हाथ से लिखकर तैयार किया गया था। वर्तमान में संविधान की मूल प्रतियों को संसद के पुस्तकालय के भीतर हीलियम से भरे बॉक्स/ केस (Case) में रखा गया है।   
  • प्रसिद्ध सुलेखक (Calligrapher) प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा ने संविधान की मूल प्रतियों तैयार की थी।
  • मूल रूप से भारत का संविधान अंग्रेजी और हिंदी भाषा में लिखा गया था।
  • भारतीय संविधान के निर्माण के समय इसकी कुछ विशेषताओं को ब्रिटेन, आयरलैंड, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा सहित अन्य कई देशों के संविधानों से उधार लिया गया था।
  • भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।
    • यह विश्व का सबसे लंबा संविधान है।
    • सरकार के संसदीय प्रणाली। 

पृष्ठभूमि: 

  • वर्ष 1934 में एम. एन. रॉय द्वारा पहली बार एक संविधान सभा का विचार प्रस्तुत किया गया।  वर्ष 1946 की कैबिनेट मिशन योजना के तहत, संविधान सभा के गठन के लिये चुनाव का आयोजन किया गया।

प्रारूप समिति:

  • प्रारूप समिति (Drafting Committee) में सात सदस्य शामिल थे: अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, एन. गोपालस्वामी, भीमराव आंबेडकर, के.एम. मुंशी, मोहम्मद सादुल्ला, बी.एल. मित्तर और डी.पी. खेतान।
  • 30 अगस्त, 1947 को अपनी पहली बैठक में प्रारूप समिति ने भीमराव आंबेडकर को अपना अध्यक्ष चुना।

महत्त्वपूर्ण संविधान संशोधन

  • प्रथम संशोधन अधिनियम, 1951:
    • इसके तहत कानून की रक्षा के लिये संपत्ति अधिग्रहण आदि की व्यवस्था।
    • भमि सुधार तथा न्यायिक समीक्षा से जुड़े अन्य कानूनों को नौंवी अनुसूची में स्थान दिया गया।
    • अनुच्छेद 31 में दो उपखंड 31 (क) और 31 (ख) जोड़े गये।
  • सातवाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1956: 
    • राज्य पुनर्गठन आयोग की रिपोर्ट तथा राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 को लागू करने के लिये द्वितीय तथा सातवीं अनुसूची में संशोधन किया गया। 
  • 42वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1976: 
    • 42 वें संशोधन अधिनियम द्वारा संविधान में प्रमुख संशोधनों में से कुछ निम्नलिखित हैं:
    • प्रस्तावना: 
      • इस संशोधन के तहत भारत को परिभाषित करने के लिये ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणतांत्रिक’ शब्द के स्थान पर ‘संप्रभु लोकतांत्रिक, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष,  गणतांत्रिक’ शब्द को जोड़ दिया गया।
      • साथ ही प्रस्तावना में ‘’शब्द को राष्ट्र की एकता” शब्द को बदलकर ’शब्द को राष्ट्र की एकता और अखंडता” कर दिया गया।  

मौलिक अधिकार और निर्देशक सिद्धांत:

  • 42 वें संवैधानिक संशोधन के तहत एक सबसे बड़ा बदलाव यह किया गया कि इसके तहत राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों (DPSP) को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 या 31 में निहित मौलिक अधिकारों पर प्राथमिकता देने का प्रावधान किया गया। 

मौलिक कर्तव्य:

  • 42 वें संशोधन अधिनियम के तहत संविधान में IV-A नामक एक नया भाग बनाने के लिये इसमें अनुच्छेद 51-A शामिल किया गया, संविधान के भाग IV-A में नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का निर्धारण किया गया है।

44वाँ संशोधन अधिनियम, 1978:

  • इस संशोधन के माध्यम से अनुच्छेद 74 (1) में एक नया प्रावधान जोड़ा गया जिसके अनुसार,  राष्ट्रपति को कैबिनेट की सलाह को पुनर्विचार के लिये एक बार लौटाने/वापस भेजने की शक्तियाँ दी गई। परंतु इसके तहत राष्ट्रपति को पुनर्विचार के बाद भेजी जाने वाली सलाह को मानने के लिये बाध्य कर दिया गया।
    • इस संशोधन के अनुसार, मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रपति को दी गई लिखित सलाह के आधार पर ही आपातकाल घोषित किया जा सकता है।
  • इस संशोधन के तहत ‘संपत्ति के अधिकार’ को मौलिक अधिकारों की सूची से हटाकर इसे एक एक कानूनी अधिकार के रूप में घोषित किया गया है।

संविधान (73वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992

  • संविधान में अनुच्छेद 243 A को जोड़कर एक अलग भाग IX जोड़ा गया है और ग्यारहवीं अनुसूची नामक एक नई अनुसूची जोड़ी गई जिसमें पंचायती राज संस्थाओं की शक्तियों एवं कार्यों का उल्लेख किया गया है।

 संविधान (74वाँ संशोधन) अधिनियम, 1992

  • यह अधिनियम शहरी स्थानीय निकायों को संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। संविधान के भाग VIII के बाद, अनुच्छेद 243 A में जोड़ के साथ संविधान में एक अलग भाग IXA जोड़ा गया है और शहरी स्थानीय निकायों की शक्तियों एवं कार्यों को शामिल करते हुए 12वीं अनुसूची नामक एक नई अनुसूची को शामिल किया गया है।
  • यह अधिनियम नगर पंचायत, नगर परिषद एवं नगर निगम में SC एवं ST को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटों का आरक्षण और महिलाओं के लिये सीटों का एक तिहाई आरक्षण प्रदान करता है।

संविधान (101वाँ संशोधन) अधिनियम, 2017

  • वस्तु एवं सेवा कर को अपनाया गया।

संविधान (102वाँ संशोधन) अधिनियम, 2018

संविधान (103वाँ संशोधन) अधिनियम, 2019

  • अनुच्छेद 15 की उपधारा (4) एवं (5) में वर्णित वर्गों के अलावा अन्य वर्गों के आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों (EWSs) के नागरिकों के लिये अधिकतम 10% आरक्षण (अर्थात सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों या अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के अतिरिक्त)। 

स्रोत: पी.आई.बी.


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ड्राई स्वाब आरटी-पीसीआर परीक्षण COVID-19 टेस्ट

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद' (ICMR) द्वारा'वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र' (CSIR-CCMB) को COVID-19 महामारी के परीक्षण के लिये ‘ड्राई स्वाब आरएनए-एक्सट्रेशन फ्री टेस्टिंग’ (Dry Swab RNA-extraction Free Testing) विधि के व्यावसायिक उपयोग को अनुमति दी गई।

प्रमुख बिंदु:

  • ड्राई स्वाब विधि के परिणामों में 96.9% तक सटीकता है।
  • परंपरागत (स्वाब-वीटीएम-आरएनए एक्सट्रैक्शन-आरटी-पीसीआर) और सरलीकृत (ड्राई स्वैब-आरटी-क्यूआरपीसीआर डायरेक्ट एलक्टेड) प्रोटोकॉल विधियों का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि एक साधारण बफर विलयन आधारित (Eluted) डायरेक्ट ‘ड्राई स्वैब एंडपॉइंट आरटी-पीसीआर’ के माध्यम से सटीकता के साथ SARS-CoV-2 वायरस की कोशिकीय पहचान आसानी से की जा सकती है।

पारंपरिक तरीका:

  • पारंपरिक परीक्षण विधि में नमूना संग्रह केंद्रों द्वारा संदिग्ध कोरोना वायरस रोगियों के नमूने नासिका (Nasopharyngeal) या गले (Oropharyngeal) से एकत्र किये जाते हैं। फिर उन्हें परीक्षण केंद्रों ( जो कभी-कभी सैकड़ों किलोमीटर दूर भी होते हैं) पर ले जाया जाता है।
    • नैसोफैरिंक्स (Nasopharynx) नासिका के पीछे ग्रसनी (गले) का ऊपरी हिस्सा होता है।
    • ओरोफैरिंक्स (Oropharynx) ग्रसनी का मध्य भाग होता है जो मुंह से परे होता है और इसमें जीभ का पिछला हिस्सा (जीभ का आधार), टॉन्सिल, मुलायम तालू (मुंह पटल का पिछला हिस्सा) और गले के किनारे और दीवारें शामिल होती हैं। 
  • स्वाब नमूनों को आमतौर पर ‘वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम’ (VTM) नामक तरल में रखा जाता है और रिसाव से बचने के लिये नमूनों को अच्छी तरह से पैक किया जाता है जिससे नमूना संग्रह और परीक्षण केंद्र पर अधिक समय लग जाता है।
  • RNA निष्कर्षण में, यहाँ तक कि स्वचालन विधि में भी लगभग 500 नमूनों के एकत्रीकरण में लगभग चार घंटे लगते हैं। वीटीएम और आरएनए निष्कर्षण दोनों विधियाँ व्यापक पैमाने पर परीक्षण में आर्थिक और समय के दृष्टिकोण से बहुत अधिक बोझिल है।

नई तथा सरलीकृत विधि:

  • ड्राई स्वाब तकनीक में वीटीएम और आरएनए निष्कर्षण प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है और इसका उपयोग सीधे आरटी-पीसीआर परीक्षण में किया जा सकता है।
  • इसमें परीक्षण की लागत और समय की 40-50% तक की बचत होती है, जबकि सुरक्षा से समझौता किये बिना एक ही समय में स्क्रीनिंग को तत्काल प्रभाव से कई गुना तक बढ़ाया जा सकता है।
  • नई किट की आवश्यकता के बिना इसे लागू करना आसान है और मौज़ूदा जनशक्ति को बिना कोई अतिरिक्त प्रशिक्षण दिये इसे प्रयुक्त किया जा सकता है।

महत्त्व:

  • कोरोना वायरस का व्यापक पैमाने पर परीक्षण किया जा सकेगा।
  • पारंपरिक आरटी-पीसीआर परीक्षणों की तुलना में अधिक किफायती है।
  • जल्दी परिणाम देना संभव होगा।

स्रोत: द हिंदू


अंतर्राष्ट्रीय संबंध

भारत-वियतनाम वार्ता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और वियतनाम के रक्षा मंत्रियों के बीच रक्षा उद्योग के क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और संयुक्त राष्ट्र (UN) के शांति अभियानों में सहयोग जैसे विषयों पर द्विपक्षीय वार्ता का आयोजन किया गया।

Vietnam

प्रमुख बिंदु

  • रक्षा सहयोग: दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भारत और वियतनाम के बीच मज़बूत रक्षा संबंधों की पुष्टि की, जो कि दोनों देशों की ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ (2016) का एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ है।
    • रक्षा उद्योगों समेत भारत के विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने हेतु ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को रेखांकित करते हुए भारत ने निकट भविष्य में एक संस्थागत समझौते का समापन करके दोनों देशों के रक्षा उद्योगों के बीच और अधिक सहयोग स्थापित करने का आग्रह किया। 
    • वियतनाम ने विशेष रूप से मानव संसाधन विकास के क्षेत्र में वियतनामी रक्षा बलों के क्षमता निर्माण में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा की गई सहायता के लिये भारत को धन्यवाद दिया।
    • द्विपक्षीय वार्ता के दौरान भारत ने भारतीय रक्षा संस्थानों में वियतनाम रक्षा बलों की तीनों सेनाओं के लिये प्रशिक्षण का दायरा और अधिक बढ़ाने हेतु इच्छा व्यक्त की।
    • गौरतलब है कि दोनों देशों ने हथियार और सैन्य उपकरणों की खरीद, क्षमता निर्माण और युद्धपोत निर्माण तथा मरम्मत के क्षेत्र में सहयोग हेतु संबंध स्थापित किये हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान: दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में सहयोग करने पर चर्चा, जो कि अलग-अलग देशों को संघर्ष से शांति तक के कठिन मार्ग में सहायता करता है।
  • हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग: दोनों देशों ने हाइड्रोग्राफी के क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की, जो कि दोनों देशों को हाइड्रोग्राफिक डेटा साझा करने में सक्षम बनाएगा।
    • हाइड्रोग्राफी (Hydrography) का अभिप्राय विज्ञान की उस शाखा से है, जिसमें पृथ्वी की सतह के नौगम्य भाग और उससे सटे तटीय क्षेत्रों की भौतिक विशेषताओं को मापा जाता है एवं उसका वर्णन किया जाता है।
  • ADMM प्लस मीटिंग: वियतनाम के प्रतिनिधि ने दिसंबर 2020 में वियतनाम द्वारा आयोजित आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग- प्लस (ADMM-Plus) के लिये भारत को आमंत्रित किया।
    • ADMM-प्लस दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (ASEAN) और इसके आठ संवाद साझेदारों यथा- ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, न्यूज़ीलैंड, कोरिया, रूस और अमेरिका का एक मंच है, जिन्हें सामूहिक रूप से ‘प्लस-देशों’ के रूप में जाना जाता है। ADMM-प्लस का उद्देश्य इस क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास के लिये सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग को मज़बूत करना है।
    • ज्ञात हो कि वियतनाम आसियान (ASEAN) का सदस्य देश है।
      • आसियान (ASEAN) एक क्षेत्रीय समूह है जो अपने दस सदस्यों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है।

भारत-वियतनाम संबंध

  • भारत और वियतनाम ने भारत के इंडो-पैसिफिक ओसियन इनिशिएटिव (IPOI) और आसियान की ‘आउटलुक ऑन इंडो-पैसिफिक’ पहल के अनुरूप अपना द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है।
    • यह निर्णय इस दृष्टि से भी काफी महत्त्वपूर्ण है कि यह दक्षिण चीन सागर सहित संपूर्ण इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता और चीन तथा भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हो रहे संघर्ष की पृष्ठभूमि में लिया गया है।
  • विभिन्न मंचों पर सहयोग:
    • वर्ष 2021 से दो वर्ष की अवधि के लिये भारत और वियतनाम दोनों संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में गैर-स्थायी सदस्य के रूप में कार्य करेंगे।
    • भारत और वियतनाम दोनों पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (EAS), मेकांग गंगा सहयोग (MGC), एशिया-यूरोप मीटिंग (ASEM) जैसे विभिन्न क्षेत्रीय मंचों पर निकटता से सहयोग करते हैं।
  • आर्थिक संबंध
    • भारत ने कई अवसरों पर यह स्पष्ट तौर पर कहा है कि वह वियतनाम के साथ अपने तेल और गैस के अन्वेषण के संबंधों को बरकरार रखेगा।
    • आसियान देशों में सिंगापुर के बाद वियतनाम भारत के लिये दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है।
    • अप्रैल-नवंबर 2019 की अवधि में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 9.01 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया था।
  • भारतीय सहायता
    • भारत ने त्वरित प्रभाव परियोजनाओं (QIP), भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम (ITEC) और e-ITEC पहलों, पीएचडी फेलोशिप और वियतनाम के मेकांग डेल्टा क्षेत्र में जल संसाधन प्रबंधन में परियोजनाओं आदि के माध्यम से भारत ने वियतनाम के विकास और क्षमता निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
  • पर्यटन और पीपल-टू-पीपल संपर्क
    • वर्ष 2019 को आसियान-भारत पर्यटन वर्ष के रूप में नामित किया था। दोनों देशों ने द्विपक्षीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये सरलीकृत वीज़ा व्यवस्था को बढ़ावा दिया है।
    • भारत के दूतावास ने वर्ष 2018-19 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिये विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया था।

आगे की राह

  • ध्यातव्य है कि भारत और वियतनाम दोनों भौगोलिक रूप से उभरते हुए इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के केंद्र में हैं, और संभव है कि दोनों देश भविष्य में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाए, ऐसे में दोनों देशों के मज़बूत संबंध काफी आवश्यक हैं।
  • भारत-वियतनाम सहयोग ढाँचे के तहत रणनीतिक साझेदारी भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत निर्धारित किये गए दृष्टिकोण के निर्माण हेतु काफी महत्त्वपूर्ण होगी।

स्रोत: द हिंदू


शासन व्यवस्था

राष्ट्रीय अंगदान दिवस

चर्चा में क्यों:

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा 27 नवंबर को राष्ट्रीय अंगदान दिवस मनाया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम (National Organ Transplant Programme- NOTP):
    • यह ROTTO, SOTTO की स्थापना के लिये वित्तीय अनुदान प्रदान करता है,  नए विकास और मौजूदा पुनर्प्राप्ति और प्रत्यारोपण केंद्रों को अपग्रेड करता है।
  • अंगदान संस्थागत स्थापना:
    • राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (National Organ & Tissue Transplant Organisation- NOTTO), क्षेत्रीय स्तर पर क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (Regional Organ & Tissue Transplant Organisations- ROTTO) और राज्य स्तर पर राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (State Organ & Tissue Transplant Organisations- SOTTO)
  • भारत में अंगदान की स्थिति:
    • डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ऑब्ज़र्वेटरी ऑन डोनेशन एंड ट्रांसप्लांटेशन (GODT) के अनुसार, अंगदान के मामले में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।

मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम, 1994 

  • मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम को वर्ष 1994 में पारित किया गया था तथा इसे  वर्ष 2011 में संशोधित किया गया, इस प्रकार मानव प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम 2011 के रूप में लाया गया।
  • यह मानव अंगों को हटाने और इसके भंडारण के लिये विभिन्न नियम प्रदान करता है।
  • यह चिकित्सीय प्रयोजनों के लिये मानव अंगों के प्रत्यारोपण को और मानव अंगों के वाणिज्यिक लेनदेन की रोकथाम को विनियमित करता है।
  • मुख्य प्रावधान
    • इस अधिनियम में ब्रेन डैड को मृत्यु के रूप में पहचानने के प्रावधान  हैं और ब्रेन डैड के मानदंडो को परिभाषित करता है।
    • यह प्रत्यारोपण गतिविधि की निगरानी के लिये नियामक और सलाहकार निकाय प्रदान करता है।
    • यह मानव अंगों और ऊतकों के दाताओं और प्राप्तकर्त्ताओं की एक रजिस्ट्री के रखरखाव के लिये भी प्रदान करता है।

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आगे की राह:

  • भारतीय अंगदान दिवस जैसी पहलें जागरूकता को बढ़ावा देने और मृतक दाताओं द्वारा स्वास्थ्य सेवा और मानव जाति के लिये किये गए निस्वार्थ योगदान को मानवता में हमारे विश्वास को फिर से स्थापित करने में मदद करती हैं।

स्रोत: पीआईबी 


शासन व्यवस्था

इंडिया क्लाइमेट चेंज नॉलेज पोर्टल

चर्चा में क्यों:  

हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने ‘इंडिया क्लाइमेट चेंज नॉलेज पोर्टल’ (India Climate Change Knowledge Portal) शुरू किया है।

प्रमुख बिंदु:

इंडिया क्लाइमेट चेंज नॉलेज पोर्टल:

  • उद्देश्य: यह पोर्टल नागरिकों को जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिये राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर उठाए जाने वाले सभी प्रमुख कदमों के बारे में नागरिकों के बीच ज्ञान के प्रसार में मदद करेगा।
  • लाभ: यह एक ‘एकल बिंदु सूचना संसाधन’ (Single Point Information Resource) होगा जो विभिन्न मंत्रालयों द्वारा किये गये विभिन्न जलवायु संबंधी पहलों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा ताकि उपयोगकर्त्ता इन पहलों की अद्यतन स्थिति का लाभ उठा सकें।

घटक: इस पोर्टल में शामिल आठ प्रमुख घटक निम्नलिखित हैं:

1. भारत की जलवायु प्रोफाइल:

  • देश का उत्तरी भाग ग्रीष्मकाल में गर्म और सर्दियों में ठंड के साथ एक महाद्वीपीय जलवायु के रूप में चित्रित किया गया है। देश के तटीय क्षेत्रों में वर्ष भर थोड़े बदलाव के साथ गर्म तापमान और तीव्र वर्षा का अनुभव किया जाता है।

2. राष्ट्रीय नीति ढाँचा:

भारत का राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्य:

  • NDC, पेरिस समझौते और इन दीर्घकालिक लक्ष्यों की प्राप्ति के केंद्र में हैं।
  • राष्ट्रीय उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल करने के लिये प्रत्येक देश द्वारा NDC के प्रयास।

4. अनुकूलन संबंधी कार्यवाही:

  • ऊर्जा की उच्च मांग को पूरा करने के लिये भारत ने स्वच्छ ऊर्जा विकास के लिये कई पहलें की है। उदाहरण: जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (Jawaharlal Nehru National Solar Mission) जिसका उद्देश्य भारत में सौर ऊर्जा की हिस्सेदारी बढ़ाना है।

5. शमन क्रिया

  • उदाहरण के लिये, जल संबंधी मुद्दों का समाधान करने के लिये भारत सरकार ने राष्ट्रीय जल मिशन (National Water Mission) शुरू किया।

6. द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय सहयोग

  • पेरिस जलवायु समझौता बहुपक्षीय सहयोग का एक बड़ा उदाहरण है।

7. अंतर्राष्ट्रीय जलवायु वार्ता

  • वर्ष 2015 में पेरिस में पार्टियों के सम्मेलन-21 (COP-21) में, भारत ने वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि के लिये लक्ष्य सीमा के रूप में 1.5 डिग्री सेल्सियस स्वीकार किया और एक महत्वाकांक्षी घरेलू नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रम की घोषणा की।

8. रिपोर्ट एवं प्रकाशन

  • उदाहरण के लिये, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) द्वारा प्रकाशित ‘भारतीय क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन का आकलन’ (Assessment of Climate Change over the Indian Region) जैसी रिपोर्ट।

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिये अन्य पहल:

  • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Programme- NCAP): यह पाँच वर्ष की कार्ययोजना है जिसमें आधार वर्ष के रूप में वर्ष 2017 से वर्ष 2024 तक पीएम 10 व पीएम 2.5 की सांद्रता में 20-30% की कमी का लक्ष्य रखा गया है।
  • भारत 1 अप्रैल, 2020 से भारत स्टेज-IV (BS-IV) से भारत स्टेज-VI (BS-VI) उत्सर्जन मानदंडों में भी स्थानांतरित हो गया है, जिसे पहले वर्ष 2024 तक अपनाया जाना था।
  • भारत ने उजाला योजना (UJALA Scheme) के तहत 360 मिलियन से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किये हैं जिसके कारण प्रतिवर्ष लगभग 47 बिलियन यूनिट बिजली की बचत हुई है और प्रति वर्ष 38 मिलियन टन CO2 की कमी हुई है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन: यह एक भारतीय पहल है जिसकी कल्पना अपनी विशेष ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये सौर-संसाधन संपन्न देशों (जो कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच पूरी तरह से या आंशिक रूप से अवस्थित हैं) के गठबंधन के रूप में की गई है।
  • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) वर्ष 2008 में शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य जन प्रतिनिधियों, सरकार की विभिन्न एजेंसियों, वैज्ञानिकों, उद्योग एवं समुदायों के बीच जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न खतरे और इससे निपटने के चरणों के बारे में जागरूकता पैदा करना है। 

स्रोत: पी.आई.बी.


सामाजिक न्याय

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय (Ministry of Social Justice and Empowerment) ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल को लॉन्च किया साथ ही ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये गरिमा गृह (ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये आश्रय गृह) का उद्घाटन भी किया।

प्रमुख बिंदु

  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय पोर्टल:
    • इसे ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020  के तहत बनाया गया है।
    • यह पोर्टल देश में कहीं से भी एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति को प्रमाण पत्र और पहचान पत्र के लिये डिजिटल रूप से आवेदन करने में मदद करेगा।
    • यह पोर्टल उन्हें आवेदन, अस्वीकृति, शिकायत निवारण आदि की स्थिति को ट्रैक करने में मदद करेगा, जो प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
    • जारी करने वाले अधिकारी भी आवेदनों को संसाधित करने और बिना किसी आवश्यक देरी के प्रमाण पत्र तथा पहचान पत्र जारी करने के लिये सख्त समय-सीमा के तहत आते हैं।
  • गरिमा गृह:
    • गुजरात के वडोदरा में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये एक आश्रय स्थल गरिमा गृह का उद्घाटन किया गया है।
    •  यह लक्ष्या ट्रस्ट के सहयोग से चलाया जाएगा जो पूरी तरह से ट्रांसजेंडरों द्वारा संचालित एक समुदाय आधारित संगठन है।
    • आश्रय स्थल का उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को आश्रय प्रदान करना है, जिसमें आश्रय, भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन जैसी बुनियादी सुविधाएँ हैं। इसके अलावा, यह समुदाय में व्यक्तियों के क्षमता-निर्माण/कौशल विकास के लिये सहायता प्रदान करेगा जो उन्हें सम्मान का जीवन जीने में सक्षम बनाएगा।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) नियम, 2020:
    • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 (Transgender Persons (Protection of Rights) Act, 2019) को संसद द्वारा वर्ष 2019 में पारित किया गया था।
    • केंद्र सरकार के इस अधिनियम में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के लिये सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सशक्तीकरण की दिशा में एक मज़बूत कार्य प्रणाली उपलब्ध कराने के प्रावधान शामिल किये गए हैं।
    • ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम,2019, ट्रांसजेंडर व्यक्ति को ऐसे व्यक्ति के रूप में परिभाषित करता है जिसका लिंग जन्म के समय निर्धारित लिंग से मेल नहीं खाता है।
  • पृष्ठभूमि:
  • वर्ष 2014 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण बनाम भारत संघ के मामले में एक ऐतिहासिक फैसला देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों और उनकी लैंगिक पहचान के बारे में निर्णय लेने के उनके अधिकार को मान्यता दी।।
  • इस निर्णय ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडरों के लिये आरक्षण की सिफारिश की तथा सेक्स रिअसाइनमेंट सर्जरी (Sex Reassignment Surgery) के बिना स्वयं के कथित लिंग की पहचान का अधिकार प्रदान किया।

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से संबंधित कानून की मुख्य विशेषताएँ:

  • परिभाषा:
    • ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह व्यक्ति है जिसका लिंग जन्म के समय नियत लिंग से मेल नहीं खाता। इसमें ट्रांस-मेन (परा-पुरुष) और ट्रांस-वूमेन (परा-स्त्री), इंटरसेक्स भिन्नताओं और जेंडर क्वीर (Queer) आते हैं। इसमें सामाजिक-सांस्कृतिक पहचान वाले व्यक्ति, जैसे किन्नर-हिजड़ा भी शामिल हैं।
  • गैर भेदभाव:
    • इसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति के साथ होने वाले भेदभाव को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है, जिसमें निम्नलिखित के संबंध में सेवा प्रदान करने से इनकार करना या अनुचित व्यवहार करना शामिल है: (1) शिक्षा (2) रोज़गार (3) स्वास्थ्य सेवा (4) सार्वजनिक स्तर पर उपलब्ध उत्पादों, सुविधाओं और अवसरों तक पहुँच एवं उनका उपभोग (5) कहीं आने-जाने (Movement) का अधिकार (6) किसी मकान में निवास करने, उसे किराये पर लेने और स्वामित्व हासिल करने का अधिकार (7) सार्वजनिक या निजी पद ग्रहण करने का अवसर।
  • पहचान का प्रमाण पत्र:
    • एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति ज़िला मजिस्ट्रेट को आवेदन कर सकता है कि ट्रांसजेंडर के रूप में उसकी पहचान से जुड़ा सर्टिफिकेट जारी किया जाए।
    • यदि ट्रांसजेंडर व्यक्ति लिंग परिवर्तन के लिये एक पुरुष या महिला के रूप में चिकित्सा हस्तक्षेप (सर्जरी) से गुजरता है तब एक संशोधित पहचान प्रमाण पत्र के लिये उसे संबंधित अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक या मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के साथ ज़िला मजिस्ट्रेट को आवेदन करना होगा।
  • समान अवसर नीति:
    • प्रत्येक प्रतिष्ठान को कानून के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये समान अवसर नीति तैयार करने के लिये बाध्य किया गया है।
    • इससे समावेशी प्रतिष्ठान बनाने में मदद मिलेगी, जैसे कि समावेशी शिक्षा।
    • समावेश की प्रक्रिया के लिये अस्पतालों और वॉशरूम (यूनिसेक्स शौचालय) में अलग-अलग वार्डों जैसी बुनियादी सुविधाओं के निर्माण की भी आवश्यकता होती है।
  • शिकायत अधिकारी:
    • प्रत्येक प्रतिष्ठान को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की शिकायतों को सुनाने के लिये एक व्यक्ति को शिकायत अधिकारी के रूप में नामित करने के लिये बाध्य किया गया है।
  • ट्रांसजेंडर संरक्षण सेल:
    • प्रत्येक राज्य सरकार को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराध की निगरानी के लिये ज़िला पुलिस महानिदेशक और पुलिस महानिदेशक के तहत एक ट्रांसजेंडर संरक्षण सेल का गठन करना होगा।
  • कल्याणकारी योजनाएँ:
    • सरकार समाज में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के पूर्ण समावेश और भागीदारी को सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाएगी।
    • वह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बचाव एवं पुनर्वास तथा व्यावसायिक प्रशिक्षण एवं स्वरोजगार के लिये कदम उठाएगी, ट्रांसजेंडर संवेदी योजनाओं का सृजन करेगी और सांस्कृतिक क्रियाकलापों में उनकी भागीदारी को बढ़ावा देगी।
  • चिकित्सा देखभाल सुविधाएं:
    • सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिये कदम उठाएगी जिसमें अलग एचआईवी सर्विलांस सेंटर, सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी इत्यादि शामिल है। 
    • सरकार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के स्वास्थ्य से जुड़े मामलों को संबोधित करने के लिये चिकित्सा पाठ्यक्रम की समीक्षा करेगी और उन्हें समग्र चिकित्सा बीमा योजनाएँ प्रदान करेगी।
  • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिये राष्ट्रीय परिषद:
    • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के संबंध में नीतियाँ, विधान और योजनाएँ बनाने एवं उनका निरीक्षण करने के लिये राष्ट्रीय ट्रांसजेंडर परिषद (National Transgender Council) केंद्र सरकार को सलाह प्रदान करेगी।
    •  यह ट्रांसजेंडर लोगों की शिकायतों का निवारण भी करेगी।
  • अपराध और जुर्माना:
    • ट्रांसजेंडर व्यक्तियों से भीख मंगवाना, बलपूर्वक या बंधुआ मज़दूरी करवाना (इसमें सार्वजनिक उद्देश्य के लिये अनिवार्य सरकारी सेवा शामिल नहीं है),  सार्वजनिक स्थान का प्रयोग करने से रोकना, परिवार, गाँव इत्यादि में निवास करने से रोकना, और  उनका शारीरिक, यौन, मौखिक, भावनात्मक तथा आर्थिक उत्पीड़न करने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
    • इन अपराधों के लिये छह महीने और दो वर्ष की सजा का प्रावधान है साथ ही जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।

स्रोत: पीआईबी


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