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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

ड्राई स्वाब आरटी-पीसीआर परीक्षण COVID-19 टेस्ट

  • 28 Nov 2020
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद' (ICMR) द्वारा'वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-कोशिकीय एवं आणविक जीवविज्ञान केंद्र' (CSIR-CCMB) को COVID-19 महामारी के परीक्षण के लिये ‘ड्राई स्वाब आरएनए-एक्सट्रेशन फ्री टेस्टिंग’ (Dry Swab RNA-extraction Free Testing) विधि के व्यावसायिक उपयोग को अनुमति दी गई।

प्रमुख बिंदु:

  • ड्राई स्वाब विधि के परिणामों में 96.9% तक सटीकता है।
  • परंपरागत (स्वाब-वीटीएम-आरएनए एक्सट्रैक्शन-आरटी-पीसीआर) और सरलीकृत (ड्राई स्वैब-आरटी-क्यूआरपीसीआर डायरेक्ट एलक्टेड) प्रोटोकॉल विधियों का तुलनात्मक अध्ययन बताता है कि एक साधारण बफर विलयन आधारित (Eluted) डायरेक्ट ‘ड्राई स्वैब एंडपॉइंट आरटी-पीसीआर’ के माध्यम से सटीकता के साथ SARS-CoV-2 वायरस की कोशिकीय पहचान आसानी से की जा सकती है।

पारंपरिक तरीका:

  • पारंपरिक परीक्षण विधि में नमूना संग्रह केंद्रों द्वारा संदिग्ध कोरोना वायरस रोगियों के नमूने नासिका (Nasopharyngeal) या गले (Oropharyngeal) से एकत्र किये जाते हैं। फिर उन्हें परीक्षण केंद्रों ( जो कभी-कभी सैकड़ों किलोमीटर दूर भी होते हैं) पर ले जाया जाता है।
    • नैसोफैरिंक्स (Nasopharynx) नासिका के पीछे ग्रसनी (गले) का ऊपरी हिस्सा होता है।
    • ओरोफैरिंक्स (Oropharynx) ग्रसनी का मध्य भाग होता है जो मुंह से परे होता है और इसमें जीभ का पिछला हिस्सा (जीभ का आधार), टॉन्सिल, मुलायम तालू (मुंह पटल का पिछला हिस्सा) और गले के किनारे और दीवारें शामिल होती हैं। 
  • स्वाब नमूनों को आमतौर पर ‘वायरल ट्रांसपोर्ट मीडियम’ (VTM) नामक तरल में रखा जाता है और रिसाव से बचने के लिये नमूनों को अच्छी तरह से पैक किया जाता है जिससे नमूना संग्रह और परीक्षण केंद्र पर अधिक समय लग जाता है।
  • RNA निष्कर्षण में, यहाँ तक कि स्वचालन विधि में भी लगभग 500 नमूनों के एकत्रीकरण में लगभग चार घंटे लगते हैं। वीटीएम और आरएनए निष्कर्षण दोनों विधियाँ व्यापक पैमाने पर परीक्षण में आर्थिक और समय के दृष्टिकोण से बहुत अधिक बोझिल है।

नई तथा सरलीकृत विधि:

  • ड्राई स्वाब तकनीक में वीटीएम और आरएनए निष्कर्षण प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती है और इसका उपयोग सीधे आरटी-पीसीआर परीक्षण में किया जा सकता है।
  • इसमें परीक्षण की लागत और समय की 40-50% तक की बचत होती है, जबकि सुरक्षा से समझौता किये बिना एक ही समय में स्क्रीनिंग को तत्काल प्रभाव से कई गुना तक बढ़ाया जा सकता है।
  • नई किट की आवश्यकता के बिना इसे लागू करना आसान है और मौज़ूदा जनशक्ति को बिना कोई अतिरिक्त प्रशिक्षण दिये इसे प्रयुक्त किया जा सकता है।

महत्त्व:

  • कोरोना वायरस का व्यापक पैमाने पर परीक्षण किया जा सकेगा।
  • पारंपरिक आरटी-पीसीआर परीक्षणों की तुलना में अधिक किफायती है।
  • जल्दी परिणाम देना संभव होगा।

स्रोत: द हिंदू

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