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डेली न्यूज़

  • 24 Mar, 2023
  • 23 min read
भारतीय राजनीति

मानहानि कानून और सांसदों की अयोग्यता

प्रिलिम्स के लिये:

संसद, भारतीय दंड संहिता, RPA अधिनियम 1951, सर्वोच्च न्यायालय, मौलिक अधिकार

मेन्स के लिये:

मानहानि कानून

चर्चा में क्यों?

हाल ही में एक सांसद (संसद सदस्य) को सूरत न्यायपालिका द्वारा अन्य राजनीतिक नेता के बारे में की गई टिप्पणी पर वर्ष 2019 के मानहानि मामले में दो वर्ष के कारावास की सज़ा सुनाई गई है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 499 एवं 500:

  • आईपीसी की धारा 499 में विस्तार से बताया गया है कि शब्दों के माध्यम से मानहानि कैसे हो सकती है- फिर वह चाहे बोलने या पढ़ने, संकेतों अथवा दृश्य प्रस्तुतियों के माध्यम से हो।
    • यह या तो व्यक्ति की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के लिये उस व्यक्ति के बारे में प्रचारित किया या बोला जाता है या ऐसा इरादतन किया जाता है कि उक्त आरोप उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाएगा।
  • आपराधिक मानहानि का दोषी पाए जाने पर धारा 500 के तहत ज़ुर्माने के साथ या बिना ज़ुर्माने के दो वर्ष तक के कारावास का प्रावधान है।

मानहानि:

  • परिचय:
    • मानहानि किसी व्यक्ति के बारे में झूठे बयानों को प्रचारित करने का कार्य है जो कि उस व्यक्ति की प्रतिष्ठा को आघात पहुँचाता है, जबकि आमजन में इसे साधारण नज़रिये से देखा जाता है।
    • जान-बूझकर किसी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के इरादे से प्रचारित या बोला गया कोई भी झूठ और गैर-कानूनी बयान मानहानि की दृष्टि से देखा जाता है।
      • मानहानि के इतिहास का पता रोमन कानून और जर्मन कानून में लगाया जा सकता है। रोमन कानून में अपमानजनक टिप्पणी पर मौत की सज़ा का प्रावधान था।
  • भारत में मानहानि कानून:
    • संविधान का अनुच्छेद 19 नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करता है। हालाँकि अनुच्छेद 19 (2) ने इस स्वतंत्रता संबंधी कुछ सीमाएँ भी निर्धारित की हैं जैसे- न्यायालय की अवमानना, मानहानि और अपराध के लिये उकसाना।
    • भारत में मानहानि सार्वजनिक रूप से गलत और दंडनीय अपराध दोनों हो सकता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि उससे किस उद्देश्य को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
      • सार्वजनिक रूप से की गई गलती वह गलती है जिसका निवारण मौद्रिक मुआवज़े के साथ किया जा सकता है, जबकि दंडनीय अपराध के मामले में आपराधिक कानून किसी गलत काम करने वाले को दंडित कर अन्य को ऐसा कार्य नहीं करने का संदेश देता है।
      • दंडनीय अपराध में मानहानि को संदेह से परे होना चाहिये, लेकिन एक सिविल मानहानि के मुकदमे में संभावनाओं के आधार पर हर्ज़ाने का प्रावधान किया जा सकता है।
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम मानहानि कानून:
    • इस बात पर प्रायः तर्क होता रहता है कि मानहानि कानून संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
      • सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला किया कि मानहानि के आपराधिक प्रावधान संवैधानिक रूप से मान्य हैं और यह स्वतंत्र भाषण के अधिकार का उल्लंघन नहीं है।
    • सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया कि मानहानि को सार्वजनिक रूप से गलत मानना वैध है और यह कि आपराधिक मानहानि अनुचित रूप से मुक्त भाषण को प्रतिबंधित नहीं करती है क्योंकि अच्छी प्रतिष्ठा बनाए रखना एक मौलिक और मानव अधिकार दोनों है।
    • न्यायालय ने अन्य देशों के निर्णयों पर भरोसा करते हुए अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार के हिस्से के रूप में प्रतिष्ठा के अधिकार की पुष्टि की।
      • 'मौलिक अधिकारों के संतुलन' के सिद्धांत का उपयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को "इतना बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है कि किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा, जो कि अनुच्छेद 21 का एक घटक है, को ठेस पहुँचे"।

मानहानि संबंधी पूर्व निर्णय:

  • महेंद्र राम वनाम हरनंदन प्रसाद (1958): वादी को उर्दू में लिखा पत्र भेजा गया था। इसलिये उन्हें इसे पढ़ने हेतु किसी अन्य व्यक्ति की आवश्यकता थी। इस संदर्भ में यह माना गया कि चूँकि प्रतिवादी जानता था कि वादी उर्दू नहीं जानता है और उसे सहायता की आवश्यकता होगी, इसलिये प्रतिवादी का कार्य मानहानि के समान है।
  • राम जेठमलानी वनाम सुब्रमण्यम स्वामी (2006): दिल्ली उच्च न्यायालय ने डॉ. स्वामी को यह कहकर राम जेठमलानी की मानहानि करने हेतु दोषी ठहराया कि उन्होंने तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री को राजीव गांधी की हत्या के मामले से बचाने हेतु एक प्रतिबंधित संगठन से धन प्राप्त किया था।
  • श्रेया सिंघल वनाम भारत संघ (2015): यह इंटरनेट मानहानि के संबंध में एक ऐतिहासिक निर्णय है। इसने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की असंवैधानिक धारा 66A को शामिल किया, जो संचार सेवाओं के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश भेजने हेतु दंडित करती है।

विधायक/सांसद के दोषी होने की स्थिति में:

  • दोषसिद्धि एक सांसद को अयोग्य घोषित कर सकती है यदि जिस अपराध हेतु उसे दोषी ठहराया गया है वह जनप्रतिनिधित्त्व (Representation of the People- RPA) अधिनियम 1951 की धारा 8 (1) में सूचीबद्ध है।
    • धारा 153A (धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव के प्रतिकूल कार्य करना) या धारा 171E (रिश्वतखोरी) या धारा 171F (किसी चुनाव में अनुचित प्रभाव या प्रतिरूपण का अपराध) तथा कुछ अन्य इस खंड में शामिल हैं।
  • RPA की धारा 8(3) में कहा गया है कि यदि किसी सांसद को दोषी ठहराया जाता है और कम-से-कम 2 वर्ष के कैद की सजा सुनाई जाती है तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।
    • हालाँकि इस धारा में यह भी कहा गया है कि अयोग्यता दोषसिद्धि की तारीख से "तीन महीने बीत जाने के बाद" ही प्रभावी होती है।
    • इस अवधि के भीतर सज़ायाफ्ता सांसद सज़ा के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर कर सकता है।

निष्कर्ष:

  • मानहानि के जान-बूझकर किये गए कृत्यों को कारावास की सज़ा से भी दंडित किया जाता है जो दुर्भावनापूर्ण इरादे से किसी व्यक्ति को बदनाम करने पर रोक लगाता है। मानहानि कानून भी संवैधानिक है तथा भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर एक उचित प्रतिबंध है।
  • हालाँकि यदि किये गए कार्य प्रदत्त अपवादों के भीतर आते हैं तो यह कोई मानहानि नहीं है। आज़ादी के 71 वर्षों में मानहानि के कई मामले सामने आए हैं और अदालत ने हर मामले की पूरी सावधानी से व्याख्या की है तथा वे मिसाल के रूप में काम करते हैं।

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न: 

प्रश्न. आप ‘वाक् एवं अभिव्यक्ति स्वातंत्र्य’ संकल्पना से क्या समझते हैं? क्या इसकी परिधि में घृणा वाक् भी आता है? भारत में फिल्में अभिव्यक्ति के अन्य रूपों से तनिक भिन्न स्तर पर क्यों हैं? चर्चा कीजिये। (मुख्य परीक्षा- 2014)


सामाजिक न्याय

विश्व क्षय रोग दिवस 2023

प्रिलिम्स के लिये:

वर्ष 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाना, WHO, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस, विश्व क्षय रोग रिपोर्ट 2022, निक्षय पोषण योजना, DBT

मेन्स के लिये:

विश्व तपेदिक दिवस 2023

चर्चा में क्यों?

क्षय रोग के बारे में जागरूकता फैलाने और इसका निराकरण करने के लिये सबसे अच्छे तरीके को अपनाने के उपलक्ष्य में विश्व क्षय रोग दिवस प्रतिवर्ष 24 मार्च को मनाया जाता है।

  • भारत का लक्ष्य वर्ष 2025 तक देश को क्षय रोग मुक्त बनाना है, जबकि इसके उन्मूलन के लिये वैश्विक लक्ष्य वर्ष 2030 है।
  • वर्ष 2023 के लिये थीम: हाँ! हम क्षय रोग का उन्मूलन कर सकते हैं!

विश्व क्षय रोग दिवस का महत्त्व:

  • वर्ष 1882 में इस दिन डॉ. रॉबर्ट कोच ने क्षय रोग के कारक माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस की खोज की घोषणा की थी और उनकी खोज ने इस बीमारी के निदान एवं इलाज का मार्ग प्रशस्त किया।
  • आज भी क्षय रोग विश्व के सबसे घातक संक्रामक रोगों में से एक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रतिदिन 4100 से अधिक लोगों की मृत्यु क्षय रोग के कारण होती है और लगभग 28,000 लोग इस बीमारी से पीड़ित होते हैं। एक दशक से अधिक समय में पहली बार वर्ष 2020 में क्षय रोग से होने वाली मौतों में वृद्धि देखने को मिली।
    • WHO के अनुसार, वर्ष 2020 में क्षय रोग से पीड़ित लोगों की संख्या लगभग 99,00,000 थी और इससे मरने वाले लोगों की संख्या लगभग 1,500,000 थी । क्षय रोग के उन्मूलन के लिये विश्व स्तर पर किये गए प्रयासों से वर्ष 2000 से अब तक 66,000,000 लोगों की जान बचाई जा चुकी है।
    • विश्व क्षय रोग रिपोर्ट 2022 के अनुसार, विश्व में क्षय रोग के लगभग 28% मामले भारत में हैं।
  • इसलिये, विश्व क्षय रोग दिवस विश्व भर के लोगों को इस रोग और इसके प्रभाव के बारे में शिक्षित व जागरूक करने के लिये मनाया जाता है।

क्षय रोग:

  • परिचय:
    • क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस के कारण होने वाला एक संक्रमण है। यह व्यावहारिक रूप से शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है। सबसे सामान्य फेफड़े, फुफ्फुस (फेफड़ों के चारों ओर अस्तर), लिम्फ नोड्स, आँतों, रीढ़ और मस्तिष्क हैं।
  • संचरण:
    • यह एक वायुजनित संक्रमण है जो संक्रमित के साथ निकट संपर्क विशेष रूप से खराब वेंटिलेशन वाली घनी आबादी जैसे स्थानों से फैलता है।
  • लक्षण:
    • सक्रिय फेफड़े की टीबी के सामान्य लक्षण हैं जैसे- खाँसी के साथ बलगम और कभी-कभी खून आना, सीने में दर्द, कमज़ोरी, वज़न घटना, बुखार एवं रात को पसीना आना।
  • इलाज:
    • टीबी उपचार योग्य बीमारी है। इसका इलाज 4 रोगाणुरोधी दवाओं के 6 महीने की एक मानक अवधि के साथ किया जाता है जिसमें एक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता या प्रशिक्षित स्वयंसेवक द्वारा रोगी को जानकारी, पर्यवेक्षण एवं सहायता प्रदान की जाती है।
    • एंटी-टीबी दवाओं का उपयोग दशकों से किया जा रहा है और सर्वेक्षण किये गए प्रत्येक देश में 1 या अधिक दवाओं हेतु प्रतिरोधी उपभेदों का दस्तावेज़ीकरण किया गया है।
      • बहुऔषधि-प्रतिरोधी क्षय रोग (MDR-TB) TB का एक रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है जिस पर आइसोनियाज़िड और रिफैम्पिसिन जैसी दो सबसे प्रभावशाली क्षय रोग प्रतिरोधी औषधियों का कोई असर नहीं होता है।
        • MDR-TB बेडक्वीलाइन जैसी दूसरी दवाओं का उपयोग करके उपचार और इलाज योग्य है।
      • व्यापक रूप से दवा प्रतिरोधी क्षय रोग (XDR-TB) MDR-TB का एक अधिक गंभीर रूप है जो बैक्टीरिया के कारण होता है, जिस पर दूसरे सबसे प्रभावी क्षय रोग प्रतिरोधी दवाओं का असर नहीं होता है जिसके कारण रोगियों के पास अक्सर उपचार का अन्य कोई दूसरा विकल्प भी नहीं होता है।

टीबी से निपटने हेतु पहल:

स्रोत: डाउन टू अर्थ


भारतीय अर्थव्यवस्था

प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023: UNCTAD

प्रिलिम्स के लिये:

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD), प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023, हरित प्रौद्योगिकियाँ, इलेक्ट्रिक वाहन, हरित ऊर्जा गलियारा, इलेक्ट्रिक वाहनों को तीव्रता से अपनाना और (हाइब्रिड) विनिर्माण, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन।

मेन्स के लिये:

व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा जारी रिपोर्ट, हरित प्रौद्योगिकियाँ से संबंधित भारत की पहल।

चर्चा में क्यों?

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) की प्रौद्योगिकी और नवाचार रिपोर्ट 2023 के अनुसार, विकसित देश विकासशील देशों की तुलना में हरित प्रौद्योगिकियों से अधिक लाभान्वित हो रहे हैं, जो वैश्विक आर्थिक असमानता को और बढ़ा सकता है।

प्रमुख बिंदु

  • परिणाम:
    • हरित प्रौद्योगिकियाँ वर्ष 2020 के 1.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2030 तक 9.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का बाज़ार स्थापित कर सकती हैं।
      • विकसित देशों से हरित प्रौद्योगिकियों का कुल निर्यात वर्ष 2018 के लगभग 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021 में 156 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक हो गया है।
      • जबकि विकासशील देशों से निर्यात 57 अरब अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 75 अरब डॉलर हो गया।
    • रिपोर्ट में शामिल 'सीमांत प्रौद्योगिकी तत्परता सूचकांक' के अनुसार, केवल कुछ विकासशील देशों के पास ब्लॉकचेन, ड्रोन और सौर ऊर्जा जैसी फ्रंटियर (सीमांत) प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की क्षमता है।
      • इलेक्ट्रिक वाहन, सौर एवं पवन ऊर्जा तथा हरित हाइड्रोजन जैसी हरित सीमांत प्रौद्योगिकियों के वर्ष 2030 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार मूल्य तक पहुँचने की संभावना है।
    • सीमांत प्रौद्योगिकी तत्परता सूचकांक, जिसने 166 देशों को रैंक प्रदान किया है, में उच्च आय वाली अर्थव्यवस्थाओं, विशेष रूप से अमेरिका, स्वीडन, सिंगापुर, स्विट्ज़रलैंड और नीदरलैंड का प्रभुत्त्व है।
      • सूची की दूसरी तिमाही में उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएँ शामिल हैं- विशेष रूप से ब्राज़ील 40वें स्थान पर, चीन 35वें स्थान पर, भारत 46वें स्थान पर, रूसी संघ 31वें स्थान पर और दक्षिण अफ्रीका 56वें स्थान पर।
        • यहाँ भारत उम्मीद से बेहतर 67 पायदान की रैंकिंग के साथ सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला देश बना हुआ है।
  • सिफारिशें:
    • UNCTAD विकासशील देशों की सरकारों से पर्यावरण, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार और औद्योगिक नीतियों को संरेखित करने का आह्वान करता है।
      • यह उनसे हरित एवं अधिक जटिल क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देने, हरित वस्तुओं की ओर उपभोक्ता मांग को स्थानांतरित करने के लिये प्रोत्साहन प्रदान करने और अनुसंधान एवं विकास में निवेश को बढ़ावा देने का आग्रह करता है।
    • यह सुझाव देता है कि विकासशील देश बढ़ते हरित उद्योगों की रक्षा के लिये टैरिफ, सब्सिडी और सार्वजनिक खरीद का उपयोग करें, जिससे न केवल स्थानीय मांग की पूर्ति होती है अपितु बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था भी सृजित होती है जो निर्यात को अधिक प्रतिस्पर्द्धी बनाती है।
    • अंत में UNCTAD ने विकसित देशों से आग्रह किया कि वे अपने कम समृद्ध समकक्षों को सहायता प्रदान करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी देश भाग लेकर तथा हरित तकनीकी क्रांति का पूर्ण आर्थिक लाभ उठा सकें।

व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD):

  • UNCTAD संयुक्त राष्ट्र का एक स्थायी अंतर-सरकारी निकाय है।
    • यह वर्ष 1964 में स्थापित किया गया था और इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में है।
  • इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, निवेश, वित्त एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से विशेष रूप से विकासशील देशों में सतत् विकास को बढ़ावा देना है।
  • UNCTAD का काम चार मुख्य क्षेत्रों पर केंद्रित है: व्यापार और विकास, निवेश व उद्यम, प्रौद्योगिकी तथा नवाचार एवं मैक्रोइकॉनॉमिक्स और विकास नीतियाँ।

हरित प्रौद्योगिकियों से संबंधित भारत की पहल:

 UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न: 

प्रिलिम्स:

प्रश्न. भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2015)

  1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।
  2. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)


मेन्स:

प्रश्न. वहनीय (अफोर्डेबल), विश्वसनीय, धारणीय तथा आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच "सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिये अनिवार्य है"। भारत में इस संबंध में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

स्रोत: डाउन टू अर्थ


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