इन्फोग्राफिक्स
मानचित्र
कुरील द्वीप
प्रमुख बिंदु
- भौगोलिक विस्तार:
- कुरील द्वीप जापानी के होकैडो द्वीप से लेकर रूस के कमचटका प्रायद्वीप के दक्षिणी सिरे तक फैले हुए हैं, जो ओखोटस्क सागर को उत्तरी प्रशांत महासागर से अलग करता है।
- इसमें 56 द्वीप और छोटी चट्टानें हैं। यह प्रशांत मेखला (रिंग ऑफ फायर) भूगर्भीय अस्थिरता पट्टी का हिस्सा है और इसमें कम से कम 100 ज्वालामुखी हैं, जिनमें से 35 अभी भी सक्रिय हैं, साथ ही यहाँ पर कई गर्म झरने हैं।
- इन द्वीपों पर भूकंप और ज्वार की लहरें आम घटनाएँ हैं।
- रूस-जापान विवाद:
- जापान और रूस के बीच कुरील द्वीप विवाद दक्षिणी कुरील द्वीप समूह की संप्रभुता को लेकर है।
- दक्षिणी कुरील द्वीप समूह के अंतर्गत एटोरोफू द्वीप, कुनाशीरी द्वीप, शिकोटन द्वीप और हबोमाई द्वीप शामिल हैं।
- इन द्वीपों पर जापान द्वारा दावा किया जाता है लेकिन इस पर रूस द्वारा सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में कब्जा कर लिया गया है।
- इन द्वीपों को रूस में दक्षिणी कुरील और जापान में उत्तरी क्षेत्रों के रूप में जाना जाता है।


भारतीय अर्थव्यवस्था
विजन—विकसित भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अवसर और अपेक्षाएँ
प्रिलिम्स के लिये:FDI, FPI, सरकारी पहल, मेक इन इंडिया, डिजिटाइज़ेशन। मेन्स के लिये:विजन-विकसित भारत: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अवसर और अपेक्षाएँ, सरकार की पहल। |
चर्चा में क्यों?
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की रिपोर्ट 'विजन—विकसित भारत: बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अवसर और अपेक्षाएँ शीर्षक के अनुसार, भारत 5 वर्षों में 475 बिलियन अमेरिकी डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को आकर्षित करेगा।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- संक्षिप्त अवलोकन:
- भारत में कार्यरत 71 प्रतिशत बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ (बहुराष्ट्रीय निगम) देश को अपने वैश्विक विस्तार के लिये एक महत्त्वपूर्ण गंतव्य मानती हैं।
- भारत ने पिछले एक दशक में FDI में लगातार वृद्धि दर्ज की है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2022 में महामारी और भू-राजनीतिक विकास के प्रभाव के बावजूद 84.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर प्राप्त हुए हैं ।
- भारत को वैश्विक मूल्य शृंखलाओं में एक उभरते हुए विनिर्माण केंद्र, विकसित होते उपभोक्ता बाजार और वर्तमान डिजिटल परिवर्तन के केंद्र के रूप में देखा जाता है।
- 60% से अधिक बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने माना है कि विगत तीन वर्षों मेंं व्यापारिक वातावरण में सुधार हुआ है।
- विकास की चुनौतियों की पृष्ठभूमि में बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत को एक आकर्षक निवेश गंतव्य मानती हैं एवं व्यापार के विस्तार की योजना बना रही हैं।
- आशावादिता की वजह:
- बुनियादी ढाँचा क्षेत्र में किये गए निवेश से पता चलता है कि भारत विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचे की आपूर्ति और निवेश के नए अवसर प्रदान करने के लिये बिलकुल तैयार है।
- घरेलू खपत में मज़बूत गति, एक विस्तारित सेवा क्षेत्र, डिजिटलीकरण, और विनिर्माण तथा बुनियादी ढाँचे पर सरकार का ज़ोर भारत के विकास के बारे में आशावादिता के मुख्य कारक हैं।
- अमेरिका और चीन के बाद भारत में अनुमानित वास्तविक खपत वृद्धि सबसे अधिक है और वर्ष 2025 तक, तेज़ी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था के 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- सुझाव:
- भारत के लिये आर्थिक विकास के अगले चरण में आगे बढ़ने का समय आ गया है, जिसमें मुक्त व्यापार समझौतों के निष्कर्ष को तेज़ करना, व्यापार करना आसान बनाने के लिये निरंतर सुधार, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं के कार्यान्वयन में तेज़ी लाना और वस्तु तथा सेवा कर में सुधार आदि शामिल हैं।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश :
- परिचय:
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी देश के एक फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश है।
- FDI किसी निवेशक को एक बाहरी देश में प्रत्यक्ष व्यावसायिक खरीद की सुविधा प्रदान करता है।
- निवेशक कई तरह से FDI का लाभ उठा सकते हैं।
- दूसरे देश में एक सहायक कंपनी की स्थापना करना, किसी मौजूदा विदेशी कंपनी का अधिग्रहण या विलय अथवा किसी विदेशी कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम साझेदारी इसके कुछ सामान्य तरीके हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश भारत में आर्थिक विकास का एक महत्त्वपूर्ण चालक होने के साथ ही देश के आर्थिक विकास के लिये एक प्रमुख गैर-ऋण वित्तीय संसाधन भी रहा है।
- यह विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) से अलग है जहाँ विदेशी संस्था केवल किसी कंपनी के स्टॉक और बॉण्ड खरीदती है।
- FPI निवेशक को व्यवसाय पर नियंत्रण प्रदान नहीं करता है।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) किसी देश के एक फर्म या व्यक्ति द्वारा दूसरे देश में स्थित व्यावसायिक गतिविधियों में किया गया निवेश है।
- FDI संबंधी मार्ग:
- स्वचालित मार्ग:
- इसमें विदेशी संस्था को सरकार या RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता नहीं होती है।
- भारत में गृह मंत्रालय (MHA) से सुरक्षा मंज़ूरी की आवश्यकता नहीं होने पर स्वचालित मार्ग के माध्यम से गैर-महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में 100% तक FDI की अनुमति है।
- पाकिस्तान और बांग्लादेश से किसी भी निवेश के अलावा रक्षा, मीडिया, दूरसंचार, उपग्रहों, निजी सुरक्षा एजेंसियों, नागरिक उड्डयन तथा खनन जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में निवेश के लिये गृह मंत्रालय से पूर्व मंज़ूरी या सुरक्षा मंज़ूरी आवश्यक है।
- सरकारी मार्ग:
- इसमें विदेशी संस्था को सरकार से मंज़ूरी लेनी होती है।
- विदेशी निवेश सुविधा पोर्टल (FIFP) अनुमोदन मार्ग के माध्यम से आवेदनों की एकल खिड़की निकासी की सुविधा प्रदान करता है। यह उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT), वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रशासित है।
- इसमें विदेशी संस्था को सरकार से मंज़ूरी लेनी होती है।
- स्वचालित मार्ग:
भारत में FDI प्रवाह की स्थिति:
- वर्ष 2021 में FDI प्रवाह वित्त वर्ष 2019-2020 के 74,391 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2020-21 में 81,973 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
- शीर्ष 5 FDI राष्ट्र (अंतर्वाह):
- सिंगापुर: 27.01%
- अमेरिका: 17.94%
- मॉरीशस: 15.98%
- नीदरलैंड: 7.86%
- स्विट्रज़लैंड: 7.31%
- शीर्ष क्षेत्र:
- कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर: 24.60%
- सेवा क्षेत्र (वित्त, बैंकिंग, बीमा, गैर-वित्तीय/व्यवसाय, आउटसोर्सिंग, अनुसंधान एवं विकास, कूरियर, टेक. परीक्षण और विश्लेषण, अन्य): 12.13%
- ऑटोमोबाइल उद्योग: 11.89%
- ट्रेडिंग: 7.72%
- निर्माण (अवसंरचना) गतिविधियाँ: 5.52%
- शीर्ष लक्ष्य:
- कर्नाटक: 37.55%
- महाराष्ट्र: 26.26%
- दिल्ली: 13.93%
- तमिलनाडु: 5.10%
- हरियाणा: 4.76%
- पिछले वित्त वर्ष 2020-21 (12.09 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की तुलना में वित्त वर्ष 2021-22 (21.34 बिलियन अमेरिकी डॉलर) में विनिर्माण क्षेत्र में FDI इक्विटी प्रवाह में 76% की वृद्धि हुई है।
FDI को बढ़ावा देने हेतु सरकार की पहल:
- नए FDI मानदंड
- मेक इन इंडिया
- आत्मनिर्भर भारत
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला में भारत का स्थान
- राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन
- उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन योजना
- प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न: निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2021)
उपर्युक्त में से किसको प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में शामिल किया जा सकता है? (a) केवल 1, 2 और 3 उत्तर: (a) प्रश्न. वर्ष 1991 में आर्थिक नीतियों के उदारीकरण के बाद भारत में निम्नलिखित में से क्या हुआ है? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 4 उत्तर: (b) प्रश्न. भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सी इसकी प्रमुख विशेषता मानी जाती है? (2020) (a) यह अनिवार्य रूप से एक सूचीबद्ध कंपनी में पूंजीगत साधनों के माध्यम से निवेश है उत्तर: (b) प्रश्न: यद्यपि व्यापार प्रकाशन और सामान्य मनोरंजन चैनल जैसे गैर-समाचार मीडिया में पहले से ही 100 प्रतिशत FDI की अनुमति है, सरकार काफी समय से समाचार मीडिया में FDI बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। FDI बढ़ने से क्या प्रभाव पड़ेगा? पक्ष-विपक्ष का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2014) प्रश्न. भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के लिये प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवश्यकता का औचित्य सिद्ध कीजिये। हस्ताक्षरित MOU और वास्तविक FDI के बीच अंतर क्यों है? भारत में वास्तविक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिये उठाए जाने वाले सुधारात्मक कदमों का सुझाव दीजिये। (मुख्य परीक्षा, 2016) |
स्रोत: द हिंदू


भारतीय अर्थव्यवस्था
PM किसान सम्मान सम्मेलन
प्रिलिम्स के लिये:प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) मोड मेन्स के लिये:PM किसान की विशेषताएँ |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में PM किसान सम्मान सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया।
PM किसान सम्मान सम्मेलन
- प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान/PM-KISAN) फंड की 12वीं किस्त जारी की। योजना के तहत 8.5 करोड़ से अधिक पात्र किसानों को 16,000 करोड़ रुपए हस्तांतरित किये गए।
- प्रधानमंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 'प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्रों' (PMKSK) का भी उद्घाटन किया। इस योजना के तहत देश में 3 लाख से अधिक खुदरा उर्वरक दुकानों को चरणबद्ध तरीके से PMKSK में परिवर्तित किया जाएगा।
- ये केंद्र कई किसान ज़रूरतों को पूरा करेंगे जैसे कृषि-आगतें (उर्वरक, बीज, उपकरण) प्रदान करना; मृदा, बीज, उर्वरक के लिये परीक्षण सुविधाएँ, किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना, विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना और ब्लॉक/ज़िला स्तर के आउटलेट पर खुदरा विक्रेताओं की नियमित क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना।
- प्रधानमंत्री ने 'प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना' एक राष्ट्र, एक उर्वरक भी लॉन्च किया।
- इस योजना के तहत 'भारत यूरिया बैग' लॉन्च किये गए हैं। ये कंपनियों को एकल ब्राॅण्ड नाम "भारत" के तहत उर्वरकों के विपणन में मदद करेंगे।
- प्रधानमंत्री द्वारा उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज़' का भी शुभारंभ किया गया। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उर्वरक परिदृश्यों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा, जिसमें हालिया विकास, मूल्य रुझान विश्लेषण, उपलब्धता और खपत, किसानों की सफलता की कहानियाँ आदि शामिल हैं।
PM किसान:
- परिचय:
- भूमि धारक किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये 1 नवंबर, 2018 को पीएम-किसान शुरू किया गया था।
- वित्तीय लाभ:
- प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मोड के माध्यम से देश भर के किसान परिवारों के बैंक खातों में हर चार महीने में तीन समान किस्तों में 6000 रुपए प्रतिवर्ष का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है।
- योजना का दायरा:
- यह योजना शुरू में उन छोटे एवं सीमांत किसानों (SMFs) के लिये थी, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, लेकिन बाद में इस योजना का दायरा सभी भूमिधारक किसानों को कवर हेतु बढ़ा दिया गया।
- वित्तपोषण और कार्यान्वयन:
- यह भारत सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
- इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
- उद्देश्य:
- इसका उद्देश्य प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य और पैदावार सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न आदानों की खरीद संबंधी छोटे एवं सीमांत किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना है।
- इस तरह के खर्चों को पूरा करने के लिये उन्हें साहूकारों के चंगुल से बचाना तथा खेती की गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।
- PM-KISAN मोबाइल एप: इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित और डिज़ाइन किया गया है।
- बहिष्करण मापदंड: उच्च आर्थिक स्थिति के लाभार्थियों की निम्नलिखित श्रेणियाँ योजना के तहत लाभ के लिये पात्र नहीं होंगी।
- सभी संस्थागत भूमि धारक।
- वे किसान परिवार जो निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक श्रेणियों से संबंधित हैं:
- पूर्व और वर्तमान में संवैधानिक पदों के धारक
- पूर्व और वर्तमान मंत्री / राज्य मंत्री और लोकसभा / राज्य सभा / राज्य विधान सभाओं / राज्य विधान परिषदों के पूर्व / वर्तमान सदस्य, नगर निगमों के पूर्व और वर्तमान महापौर, ज़िला पंचायतों के पूर्व और वर्तमान अध्यक्ष।
- केंद्र/राज्य सरकार के मंत्रालयों/कार्यालयों/विभागों और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों के सभी सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी, साथ ही केंद्रीय या राज्य सार्वजनिक उपक्रम और सरकार के तहत जुड़े कार्यालयों/स्वायत्त संस्थानों के साथ-साथ स्थानीय निकायों के नियमित कर्मचारी (मल्टी-टास्किंग स्टाफ/वर्ग IV/ग्रुप डी कर्मचारी को छोड़कर) ।
- उपरोक्त श्रेणी के सभी सेवानिवृत्त पेंशनभोगी जिनकी मासिक पेंशन 10,000/- रुपए या अधिक है (मल्टी-टास्किंग स्टाफ/वर्ग IV/ग्रुप डी कर्मचारियों को छोड़कर)।
- विगत मूल्यांकन वर्ष में आयकर का भुगतान करने वाले सभी व्यक्ति।
- ऐसे पेशेवर जो निकायों के साथ पंजीकृत हैं और सक्रिय रूप से अपने व्यवसायों का अभ्यास कर रहे हैं, जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट और आर्किटेक्ट।
स्रोत: पी.आई.बी.


भारतीय अर्थव्यवस्था
बिग टेक पर आरबीआई की रिपोर्ट
प्रिलिम्स के लिये:भारतीय रिज़र्व बैंक, बिग टेक मेन्स के लिये:बिग टेक और संबंधित ज़ोखिम, भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन से संबंधित मुद्दे |
चर्चा में क्यों?
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी गैर-वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियाँ जिन्हें "बड़ी प्रौद्योगिकियाँ (बिग टेक)" कहा जाता है, उनके तकनीकी लाभ, बड़े उपयोगकर्त्ता समुदाय, वित्तीय संस्थानों द्वारा व्यापक रूप से अपनाने और नेटवर्क प्रभावों के कारण वित्तीय स्थिरता के लिये ज़ोखिम पैदा करती हैं।
बिग टेक
- विषय:
- बिग टेक के अंतर्गत अलीबाबा, अमेज़न, फेसबुक, गूगल और टेनसेंट जैसी कंपनियाँ शामिल हैं।
- ये आमतौर पर स्वामित्त्व नियंत्रण और क्षेत्राधिकार नियामक लाभ के विभिन्न स्तरों के साथ सहायक कंपनियों या संयुक्त उद्यमों के माध्यम से सेवा लाइसेंस रखते हैं।
- बिग टेक की बढ़ती भूमिका:
- तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं के रूप में व्यापक रूप से अपनाए जाने को देखते हुए, बड़ी प्रौद्योगिकियाँ आम तौर पर अंतर्निहित मंच बन जाती हैं, जिसके माध्यम से कई सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
- बाज़ार में अपनी मज़बूत स्थिति के कारण, बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियाँ अब आसानी से क्रॉस-फंक्शनल डेटाबेस प्राप्त कर सकती हैं जिनका उपयोग अत्याधुनिक उत्पाद प्रस्तुत करने के लिये किया जा सकता है।
- बिग टेक की व्यापकता उन्हें एक बड़ा ग्राहक आधार प्रदान करती है जो ग्राहकों के डेटा के कई पहलुओं तक पहुँच के साथ अपने प्लेटफार्मों उत्पादों का उपयोग करने में उलझे हुए हैं, जिससे मज़बूत नेटवर्क का प्रभाव उत्पन्न होता है।
- वित्त में बड़ी तकनीक का प्रवेश वित्तीय सेवाओं और उनकी मुख्य गैर-वित्तीय सेवाओं के बीच मज़बूत पूरकता को भी दर्शाता है।
- तकनीकी लाभों के अलावा, बिग टेक के पास सामान्यतः प्रतिस्पर्धी दबावों का सामना करने के लिये वित्तीय ताकत भी होती है।
- तृतीय-पक्ष सेवा प्रदाताओं के रूप में व्यापक रूप से अपनाए जाने को देखते हुए, बड़ी प्रौद्योगिकियाँ आम तौर पर अंतर्निहित मंच बन जाती हैं, जिसके माध्यम से कई सेवाएँ प्रदान की जाती हैं।
- भारत द्वारा उठाए गए संबंधित कदम:
- भारत में भुगतान डेटा के स्थानीय भंडारण और महत्त्वपूर्ण भुगतान मध्यस्थों को औपचारिक ढाँचे में लाने के प्रयास किये गए हैं।
- भुगतान स्वीकृति के बुनियादी ढाँचे को बढ़ाने और डेटा संरक्षण कानून बनाने के लिये भी पहल की जा रही है।
वित्तीय सेवाओं में बिग टेक सेक्टर से जुड़े जोखिम:
- जटिल शासन संरचना:
- बिग टेक की जटिल शासन संरचना प्रभावी निरीक्षण और इकाई-आधारित नियमों की गुंज़ाइश को सीमित करती है।
- तीसरे पक्ष के सेवा प्रदाताओं के रूप में बिग टेक को अपनाने के कारण वे अंतर्निहित मंच बन गए हैं जिस पर कई सेवाओं की पेशकश की जाती है।
- बिग टेक की जटिल शासन संरचना प्रभावी निरीक्षण और इकाई-आधारित नियमों की गुंज़ाइश को सीमित करती है।
- समान अवसर प्रदान करने में बाधाएँ:
- बिग टेक, फिनटेक क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये एक समान अवसर प्रदान करने में एक बाधा हैं।
- डेटा गोपनीयता समस्याएँ:
- तकनीकी कंपनियाँ उपयोगकर्त्ता डेटा को कैसे संसाधित करती हैं, इसमें पारदर्शिता की कमी है, जिसने गंभीर और महत्त्वपूर्ण गोपनीयता चिंताओं को उठाया है।
आगे की राह
- सुविधा हेतु फ्रेमवर्क को संरेखित करना:
- फिनटेक स्पेस में निष्पक्षता को सुविधाजनक बनाने के लिये नियामक, बिगटेक द्वारा उत्पन्न संभावित जोखिमों का प्रबंधन करते हुए अपने नियामक ढाँचे को फिर से संगठित कर रहे हैं।
- नवाचारों को बढ़ावा देने की आवश्यकता:
- वित्तीय संस्थानों और तकनीकी कंपनियों के बीच तेज़ी से जटिल अंतर-संबंधों के साथ नियामक ढाँचे को नए जोखिम प्रसार चैनलों से उत्पन्न होने वाली कमज़ोरियों को रोकने के लिये नवाचारों के साथ तालमेल बनाए रखने की आवश्यकता है।।
- नए अंतर-संबंधों के प्रति सचेत:
- उभरते बाज़ार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (EMDE) में नियमों को मौजूदा वित्तीय संस्थानों के साथ बिगटेक द्वारा बनाए जा सकने वाले नए अंतर-संबंधों के बारे में सावधान रहने की आवश्यकता है।
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स


भूगोल
बहु-ज़ोखिम पूर्व चेतावनी प्रणालियों की वैश्विक स्थिति: लक्ष्य G
प्रिलिम्स के लिये:सेंडाई फ्रेमवर्क (2015-2030), आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस, सुनामी, सूखा, आपदा प्रबंधन। मेन्स के लिये:बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNDRR) और विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने बहु-ज़ोखिम पूर्व चेतावनी प्रणालियों की वैश्विक स्थिति: लक्ष्य G शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की जिसमें चेतावनी दी गई है कि विश्व स्तर पर आधे देश बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली (MHEWS) द्वारा संरक्षित नहीं हैं।
- यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण दिवस (13 अक्तूबर) को चिह्नित करने के लिये जारी की गई है।
- सेंडाई फ्रेमवर्क (2015-2030) में उल्लिखित लक्ष्यों का आँकड़ा विश्लेषण किया गया था। यह विश्लेषण आपदा जोखिम में कमी और रोकथाम के लिये एक वैश्विक खाका है।
- फ्रेमवर्क में सात लक्ष्यों में से, लक्ष्य G का उद्देश्य "वर्ष 2030 तक लोगों को बहु-ज़ोखिम पूर्व चेतावनी प्रणालियों और आपदा जोखिम की जानकारी तथा आकलन की उपलब्धता एवं पहुँच में वृद्धि करना है।
आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये अंतर्राष्ट्रीय दिवस:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस’ की स्थापना वर्ष 1989 में दुनिया भर में आपदा न्यूनीकरण की संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) के आह्वान के बाद की गई थी।
- वर्ष 2015 में जापान के सेंडाई में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन में, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को याद दिलाया गया था कि स्थानीय स्तर पर आपदाएँ सबसे कठिन होती हैं, जिसमें जानमाल की क्षति और बृहत सामाजिक एवं आर्थिक उथल-पुथल की क्षमता होती है।
पूर्व चेतावनी प्रणाली:
- पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ तूफान, सूनामी, सूखा और लू सहित आने वाले खतरों से पूर्व लोगों को होने वाले नुकसान और संपत्ति की क्षति को कम करने के लिये एक सफल साधन हैं।
- बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली कई खतरों को संबोधित करती है जो अकेले, एक साथ या व्यापक रूप से हो सकते हैं।
- कई प्रणालियाँ केवल एक प्रकार के खतरे- जैसे बाढ़ या चक्रवात को कवर करती हैं।
प्रमुख बिंदु
- निवेश में विफलता:
- दुनिया खतरे के समक्ष खड़े लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा करने में निवेश करने में विफल हो रही है।
- जिन लोगों ने जलवायु संकट पैदा करने के लिये सबसे कम योगदान किया है, वे सबसे अधिक कीमत चुका रहे हैं।
- अल्प विकसित देश (LDC), विकासशील छोटे द्वीप देश (SIDS) और अफ्रीका के देशों को प्रारंभिक चेतावनी कवरेज बढ़ाने एवं आपदाओं के खिलाफ पर्याप्त रूप से खुद को बचाने के लिये सबसे अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
- पाकिस्तान अपनी सबसे खराब जलवायु आपदा से निपट रहा है, जिसमें लगभग 1,700 लोगों की जान चली गई है। इस मौतों के बावजूद यदि प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली नहीं होती तो मरने वालों की संख्या बहुत अधिक होती।
- महत्त्वपूर्ण अंतराल:
- विश्व स्तर पर केवल आधे देशों में MHEWS है।
- रिकॉर्ड की गई आपदाओं की संख्या में पाँच गुना वृद्धि हुई है, जो मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन और अधिक चरम मौसम से प्रेरित है। यह प्रवृत्ति जारी रहने की उम्मीद है।
- अल्प विकसित देशों के आधे से भी कम और विकासशील छोटे द्वीप देशों में से केवल एक तिहाई के पास बहु-जोखिम पूर्व चेतावनी प्रणाली है।
- खतरे के घेरे में है मानवता:
- जैसा कि लगातार बढ़ रहा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन ग्रह भर में चरम मौसम की घटनाओं को बढ़ावा दे रही है, जलवायु आपदाएँ देशों और अर्थव्यवस्थाओं को पहले की तरह नुकसान पहुँचा रही हैं।
- बढ़ती हुई विपत्तियों से लोगों की जान जा रही है और सैकड़ों अरबों डॉलर का नुकसान हो रहा है।
- युद्ध की तुलना में तीन गुना अधिक लोग जलवायु आपदाओं से विस्थापित होते हैं और आधी मानवता पहले से ही खतरे के क्षेत्र में है।
सिफारिशें:
- सभी देशों से पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश करने का आह्वान किया।
- जैसा कि जलवायु परिवर्तन अधिक बार-बार, चरम और अप्रत्याशित मौसम की घटनाओं का कारण बनता है, अतः प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों में निवेश जो कई खतरों को लक्षित करता है, पहले से कहीं अधिक ज़रूरी है।
- यह न केवल आपदाओं के प्रारंभिक प्रभाव, बल्कि दूसरे और तीसरे क्रम के प्रभावों के प्रति भी चेतावनी देने की आवश्यकता है। उदाहरणों में भूकंप या भूस्खलन के बाद मृदा का विलयनीकरण और भारी वर्षा के बाद रोग का प्रकोप शामिल हैं।
आपदा प्रबंधन के संबंध में भारत के प्रयास:
- राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (NDRF):
- राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (NDRF) के स्थापना के साथ, आपदा प्रतिक्रिया के लिये समर्पित सबसे बड़ी तीव्र प्रतिक्रिया बल, भारत ने सभी प्रकार की आपदाओं को रोकने और प्रतिक्रिया करने की अपनी क्षमता में वृद्धि की है।
- विदेशी आपदा राहत के रूप में भारत की भूमिका:
- नौसेना के जहाज़ो या विमानों के प्राथमिक उपयोग के साथ, भारत की विदेशी मानवीय सहायता ने अपने सैन्य संसाधनों को और समृद्ध किया है।
- "पड़ोसी पहले (नेबरहुड फर्स्ट)" की अपनी कूटनीतिक नीति के अनुरूप, कई सहायता प्राप्तकर्त्ता देश दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्र में रहे हैं।
- क्षेत्रीय आपदा तैयारियों में योगदान:
- बहुक्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिये बंगाल की खाड़ी पहल- (BIMSTEC) के संदर्भ में भारत ने आपदा प्रबंधन अभ्यासों की मेजबानी की है जो NDRF को साझेदार देशों के समकक्षों के लिये विभिन्न आपदाओं का जवाब देने हेतु विकसित तकनीकों का प्रदर्शन करने की अनुमति देता है।
- अन्य NDRF और भारतीय सशस्त्र बलों के अभ्यासों ने भारत के पहले उत्तरदाताओं को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के देशों के संपर्क में लाया है।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित आपदा का प्रबंधन:
- भारत ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंडाई फ्रेमवर्क, सतत् विकास लक्ष्यों (2015-2030) और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को अपनाया है, जो सभी आपदा जोखिम कमी, जलवायु परिवर्तन अनुकूलन (CCA), और सतत् विकास के बीच संबंधों को स्पष्ट करते हैं।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्नप्रश्न. भारत में आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंडाई आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण प्रारूप' (2015-30) पर हस्ताक्षर करने से पूर्व और उसके पश्चात किये गए विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिये। यह प्रारूप 'ह्यूगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन (2005)' से किस प्रकार भिन्न है? (2018) |
स्रोत: डाउन टू अर्थ


शासन व्यवस्था
वन हेल्थ दृष्टिकोण
प्रिलिम्स के लिये:WHO,UNEP। मेन्स के लिये:वन हेल्थ अवधारणा और इसका महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में खाद्य और कृषि संगठन (FAO), संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), और विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (WOAH) द्वारा एक नई चतुष्पक्षीय ‘वन हेल्थ संयुक्त कार्य योजना’ शुरू की गई थी।
- अप्रैल 2022 में वन हेल्थ सपोर्ट यूनिट द्वारा वन हेल्थ फ्रेमवर्क को लागू करने के लिये उत्तराखंड राज्य में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया था।
वन हेल्थ संयुक्त कार्य योजना:
- परिचय:
- एक भागीदारी प्रक्रिया के माध्यम से विकसित कार्य योजना, गतिविधियों का एक सेट प्रदान करती है जिसका उद्देश्य मानव-पशु-पौधे-पर्यावरण इंटरफेस पर स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये ज़िम्मेदार सभी क्षेत्रों में सहयोग, संचार, क्षमता निर्माण और समन्वय को समान रूप से मज़बूत करना है।
- यह योजना वर्ष 2022-2026 तक वैध है और इसका उद्देश्य वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर स्वास्थ्य चुनौतियों को कम करना है।
- कार्य योजना के फोकस क्षेत्र:
- स्वास्थ्य प्रणालियों के लिये स्वास्थ्य क्षमता
- निरंतर उभरती ज़ूनोटिक महामारी
- स्थानिक ज़ूनोटिक
- उपेक्षित उष्णकटिबंधीय और वेक्टर जनित रोग
- रोगाणुरोधी प्रतिरोध और पर्यावरण
- खाद्य सुरक्षा जोखिम
वन हेल्थ की संकल्पना:
- परिचय:
- वन हेल्थ एक ऐसा दृष्टिकोण है जो यह मानता है कि मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और हमारे चारों ओर के पर्यावरण के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है।
- वन हेल्थ का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन (OIE) के त्रिपक्षीय-प्लस गठबंधन के बीच हुए समझौते के अंतर्गत एक पहल/ब्लूप्रिंट है।
- इसका उद्देश्य मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य, पौधों, मिट्टी, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी तंत्र जैसे विभिन्न विषयों के अनुसंधान और ज्ञान को कई स्तरों पर साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना है, जो सभी प्रजातियों के स्वास्थ्य में सुधार, उनकी रक्षा व बचाव के लिये ज़रूरी है।
बढ़ता महत्त्व:
यह हाल के वर्षों में और अधिक महत्त्वपूर्ण हो गया है क्योंकि कई कारकों ने मानव, पशु, पौधों और हमारे पर्यावरण के बीच पारस्परिक प्रभाव को बदल दिया है।
- मानव विस्तार: मानव आबादी बढ़ रही है और नए भौगोलिक क्षेत्रों तक विस्तृत हो रही है जिसके कारण जानवरों तथा उनके वातावरण के साथ निकट संपर्क की वजह से जानवरों द्वारा मनुष्यों में बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ रहा है।
- मनुष्यों को प्रभावित करने वाले संक्रामक रोगों में से 65% से अधिक ज़ूनोटिक रोगों की उत्पत्ति के मुख्य स्रोत जानवर हैं।
- पर्यावरण संबंधी व्यवधान: पर्यावरणीय परिस्थितियों और आवासों में व्यवधान जानवरों में रोगों का संचार करने के नए अवसर प्रदान कर सकता है।
- अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और व्यापार: अंतर्राष्ट्रीय यात्रा व व्यापार के कारण लोगों, जानवरों और पशु उत्पादों की आवाजाही बढ़ गई है, जिसके कारण बीमारियाँ तेज़ी से दुनिया भर में फैल सकती हैं।
- वन्यजीवों में वायरस: वैज्ञानिकों के अनुसार, वन्यजीवों में लगभग 1.7 मिलियन से अधिक वायरस पाए जाते हैं, जिनमें से अधिकतर के ज़ूनोटिक होने की संभावना है।
- इसका तात्पर्य है कि समय रहते अगर इन वायरस का पता नहीं चलता है तो भारत को आने वाले समय में कई महामारियों का सामना करना पड़ सकता है।
आगे की राह
- कोविड -19 महामारी ने संक्रामक रोग शासन में 'वन हेल्थ' सिद्धांतों के महत्व को विशेष रूप से दुनिया भर में ज़ूनोटिक रोगों को रोकने और नियंत्रित करने के प्रयास में प्रदर्शित किया है।
- भारत को पूरे देश में इस तरह के एक मॉडल को विकसित करने और दुनिया भर में सार्थक अनुसंधान सहयोग स्थापित करने की आवश्यकता है।
- अनौपचारिक बाज़ार और बूचड़खानों के संचालन (जैसे, निरीक्षण, रोग प्रसार आकलन) के लिये सर्वोत्तम अभ्यास दिशानिर्देश विकसित करने और ग्रामीण स्तर तक हर चरण में 'वन हेल्थ' को संचालित करने हेतु तंत्र बनाने की आवश्यकता है।
- जागरूकता पैदा करना और 'वन हेल्थ' लक्ष्यों को पूरा करने के लिये निवेश बढ़ाना समय की मांग है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ

