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डेली न्यूज़

  • 03 Jan, 2023
  • 44 min read
इन्फोग्राफिक्स

भारतीय सेना का थियेटराइज़ेशन

Theaterization-of-the-Indian-Army


भारतीय अर्थव्यवस्था

क्रिप्टो जागरूकता अभियान

प्रिलिम्स के लिये:

कंपनी अधिनियम, 2013, क्रिप्टो जागरूकता अभियान, क्रिप्टोकरेंसी, ऑनलाइन गेमिंग, मनी लॉन्ड्रिंग, PMLA, IEPF

मेन्स के लिये:

क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

चर्चा में क्यों?

निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष (Investor Education and Protection Fund- IEPF) क्रिप्टोकरेंसी एवं ऑनलाइन गेमिंग के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिये एक आउटरीच कार्यक्रम लॉन्च करेगा।

आउटरीच कार्यक्रम: 

  • आउटरीच कार्यक्रम की आवश्यकता इस अवलोकन पर आधारित है कि उद्योग में मौजूदा अस्थिरता के बावजूद क्रिप्टो-संपत्ति और ऑनलाइन गेमिंग (जिसमें जुआ और सट्टेबाज़ी शामिल है) दोनों को अब भी अवैध तरीके से बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • यह कार्यक्रम संभावित निवेशकों को कोई भी निर्णय लेने से पहले खुद को पूरी तरह से शिक्षित करने में मदद करेगा क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी निवेश एक जटिल और जोखिम भरा प्रयास है।

निवेशक शिक्षा और सुरक्षा कोष (IEPF):

  • इसका प्रबंधन IEPF प्राधिकरण द्वारा किया जाता है, जिसे वर्ष 2016 में कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 125 के प्रावधानों के तहत स्थापित किया गया था।
  • प्राधिकरण को IEPF के प्रशासन की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है, जो निवेशकों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने के अलावा सही दावेदारों को शेयरों, दावा रहित लाभांश, परिपक्व जमा और डिबेंचर आदि का रिफंड/प्रतिदाय करता है।
  • निवेशक शिक्षा का आशय ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घरेलू निवेशकों, गृहिणियों एवं पेशेवरों तक पहुँचना तथा उन्हें निवेश के मूल सिद्धांत सिखाना है।
  • प्रमुख ध्यान केंद्रित क्षेत्रों में प्राथमिक और द्वितीयक पूंजी बाज़ार, विभिन्न बचत साधन, निवेश के साधन (जैसे म्यूचुअल फंड, इक्विटी, अन्य के बीच), निवेशकों को संदिग्ध पोंजी तथा चिट फंड योजनाओं एवं मौजूदा शिकायत निवारण तंत्र आदि के बारे में जागरूक करना शामिल है।

क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में चिंताएँ:

  • क्रिप्टो दुविधा किसी देश की मौद्रिक और राजकोषीय स्थिरता पर अस्थिर प्रभाव वाली अनियमित मुद्रा के बारे में चिंताओं से उत्पन्न होती है। 
  • इसके अतिरिक्त भारत में क्रिप्टो एक्सचेंज की अवैध प्रथाओं जैसे- मादक पदार्थों की तस्करी, मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन करने तथा GST (माल और सेवा कर) की चोरी में उनकी कथित भागीदारी के लिये जाँच की जा रही है।
    • दिसंबर 2022 तक 907.48 करोड़ रुपए ज़ब्त किये गए हैं, तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है और चार अभियोजन शिकायतें, धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत दायर की गई हैं।
  • ब्लॉकचेन की अपरिवर्तनीय, सार्वजनिक प्रकृति मनी लॉन्ड्रिंग के लिये क्रिप्टो को खराब विकल्प बनाती है क्योंकि यह कानून प्रवर्तन को नकद लेन-देन की तुलना में कहीं अधिक आसानी से मनी लॉन्ड्रिंग को उजागर करने और ट्रेस करने में सक्षम है।
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने इस क्षेत्र में कानून बनाने की सिफारिश की है। RBI का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित किया जाना चाहिये। 

ऑनलाइन गेमिंग: 

  • भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को नोडल मंत्रालय नियुक्त किया गया है, जबकि ई-स्पोर्ट्स के लिये युवा मामले और खेल मंत्रालय को नोडल एजेंसी बनाया गया है|  
  • MeitY द्वारा केंद्रीय विनियमन के लिये प्रस्तावित रूपरेखा से इस क्षेत्र के सामने आने वाले मुद्दों का समाधान होने की उम्मीद है।
  • ऐसे शब्द जिन्हें पब्लिक गेमिंग एक्ट (1867) में इस्तेमाल किया जाता है, किंतु इसे स्पष्ट नहीं किया गया है; उदाहरण के लिये फैंटेसी गेम्स जैसे- 'गेम ऑफ चांस' और 'गेम ऑफ स्किल' की परिभाषाओं के बारे में भ्रम बने हुए है। इसमें साइबर अपराध संबंधी ज़ोखिम भी जुड़े होते हैं।
  • 'कौशल के खेल' (गेम ऑफ स्किल) में अवसर के तत्त्व को पूरी तरह से खारिज़ नहीं किया जा सकता है, जबकि 'कौशल का आधार' (उपयोगकर्त्ता का मानसिक या शारीरिक कौशल) वह तत्त्व है जो शुद्ध अवसर के स्थान पर खेल के परिणाम को निर्धारित करने में प्रमुख भूमिका निभाता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय और कई उच्च न्यायालयों के अनेक फैसलों के अनुसार, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(जी) के तहत 'गेम ऑफ स्किल' को संरक्षित वैध व्यावसायिक गतिविधियों के रूप में स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया है।
  • इन फैसलों ने 'कौशल के खेल' (गेम ऑफ स्किल) और 'अवसर के खेल' (गेम ऑफ चांस) के बीच स्पष्ट अंतर पर भी ज़ोर दिया है।
  • इन न्यायालयी फैसलों के बावजूद लत, वित्तीय नुकसान तथा कौशल एवं अवसर के बीच बहुत कम अंतर होने के कारण ऑनलाइन स्किल खेलों को कुछ राज्यों में प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा है।

आगे की राह

  • अन्य कार्यक्रमों पर ध्यान देने क साथ ही क्रिप्टो क्षेत्र के लिये एक नियामक तंत्र होना चाहिये।
  • अगर सरकार कठोर रुख अपनाते हुए यह कहती है कि आभासी मुद्रा (Virtual Currency) जैसी चीज़ें भारत में वैध नहीं हैं, तो यह पूरी तरह सच नहीं माना जाएगा। लोगों को गलती से विश्वास हो सकता है कि यह निषिद्ध है और लोग क्रिप्टो संपत्ति का उपयोग करके मनी लॉन्ड्रिंग जैसे आपराधिक लेन-देन में संलग्न हो सकते हैं। परंतु कानूनी बैंकिंग माध्यमों का उपयोग कर अवैध लेन-देन का उन्मूलन किया जा सकता है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. “ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. यह एक सार्वजनिक बहीखाता है जिसका निरीक्षण हर कोई कर सकता है, लेकिन जिसे कोई एकल उपयोगकर्त्ता नियंत्रित नहीं करता है।
  2. ब्लॉकचेन की संरचना और डिज़ाइन ऐसा है कि इसमें मौजूद सारा डेटा क्रिप्टोकरेंसी के बारे में ही होता है।
  3. ब्लॉकचेन की बुनियादी सुविधाओं पर निर्भर एप्लीकेशन बिना किसी की अनुमति के विकसित किये जा सकते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2
(d) केवल 1 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न. वानाक्राई, पेट्या और इंटर्नलब्लू पद जो हाल ही में समाचारों में उल्लिखित थे, निम्नलिखित में से किससे संबंधित हैं? (2018)

(a) एक्सोप्लैनेट्स
(b) प्रच्छन्न मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) 
(c) साइबर आक्रमण  
(d) लघु उपग्रह 

उत्तर: (c) 


मेन्स: 

प्रश्न. क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को कैसे प्रभावित करती है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रही है? (2021)

स्रोत: द हिंदू


विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मेटावर्स और AI का भविष्य

प्रिलिम्स के लिये:

चैटबॉट और इसके प्रकार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मेटावर्स, सोशल मीडिया।

मेन्स के लिये:

मेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता परिदृश्य 2023।

चर्चा में क्यों? 

टेक फर्मों के लिये वर्ष 2022 काफी अच्छा नहीं रहा, फिर भी हम भविष्य में मेटावर्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) से संबंधित नवीन प्रौद्योगिकियों पर काम कर सकते हैं, जो चुनौतियाँ भी बढ़ा सकती हैं और अवसर भी पेश कर सकती हैं।

  • वर्ष 2022 में कोविड-लॉकडाउन के बाद मांग में काफी बदलाव देखा गया।
  • वर्ष 2022 के अंत में सिलिकन वैली की अधिकांश कंपनियों, विशेष रूप से इंटरनेट व्यवसाय में उथल-पुथल के साथ हुआ। 

मेटा-AI की भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अधिक व्यापक क्षेत्र :
    • ChatGPT ने विश्व को दिखाया है कि संवादी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है।
    • ChatGPT में "अपनी गलतियों को स्वीकार करने, बहस करने और अनुपयुक्त अनुरोधों को अस्वीकार करने" के साथ-साथ "अनुवर्ती पूछताछ" करने की भी क्षमता है। लेकिन इस प्रकार की विशेषता अनेक उत्पादों में पाई जाती है, जो उपयोगी होने की तुलना में मनोरंजक अधिक हैं।
    • वर्ष 2023 में यह बुद्धिमत्ता उन उत्पादों में आती दिखाई देगी जिनका हम हर दिन उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिये G-MAIL जो न केवल स्वतः सुझाव देगा बल्कि अगला मेल भी लिखेगा।
  • सोशल मीडिया से परे:
    • युवाओं तथा डिजिटल स्थानीय दर्शकों के बीच ट्विटर एवं फेसबुक प्रासंगिक बने रहने के लिये  संघर्ष कर रहे हैं। सामाजिक जुड़ाव की उनकी अवधारणाएँ अक्सर टेक्स्ट और नोटिस-बोर्ड के बिना बहुत भिन्न होती हैं।
    • उदाहरण के लिये मेटा जानता है कि उसे अपने वर्तमान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से परे सोचना होगा और जब उपयोगकर्त्ता मेटावर्स में जाते हैं, तो वह सामाजिक लिंक बनना चाहता है।
    • लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जो जल्द ही परिवर्तित हो जाएगा। तब तक, ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया क्षेत्र में एक अंतराल उभर रहा है, जिसे अब छोटे वीडियो से जुड़े उपयोगकर्त्ताओं द्वारा भरा जा रहा है। उस खंड (सेगमेंट) में सभी प्लेटफॉर्म ठीक भी नहीं हैं और पुराने सिद्धांत भी समाप्त हो जाएंगे 
  • अधिक क्षेत्रीय, गहरे सामाजिक बबल्स (Bubbles):
    • जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रसार नए उपयोगकर्त्ताओं तक हो रहा है, खासकर भारत जैसे देशों में भी यह अधिक स्थानीय और बहुभाषी होता जा रहा है।  
    • ऐसा लगता है कि दुनिया भर का इंटरनेट अंग्रेज़ी भाषा में स्थिर हो गया है जिससे गूगल जैसे प्लेटफाॅर्म छोटी, क्षेत्रीय भाषाओं में सेवा देने के अवसरों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने लगे हैं। 
    • यह एक से अधिक तरीकों के साथ एक तकनीकी चुनौती है, लेकिन यह नई तकनीकों का परीक्षण करने का अवसर भी प्रस्तुत करती है जो इन नए उपयोगकर्त्ताओं के लिये इंटरनेट की सामग्री को बिना मानवीय हस्तक्षेप के परिवर्तित कर सकती है।
  • मेटावर्स का भविष्य: 
    • जैसा कि हाइब्रिड वर्कफोर्स आदर्श बन गया है और यात्रा अभी भी पहले की तरह आसान नहीं है, वस्तुतः विस्तारित वास्तविकता (XR) सहयोग और संवाद करने का माध्यम बन सकती है।
      • XR एक नया व्यापक शब्द है जिसमें संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality- AR), वर्चुअल रियलिटी (VR) और मिक्स्ड रियलिटी (MR) के साथ-साथ अभी तक विकसित होने वाली सभी तकनीकों को शामिल किया गया है। 
      • सभी स्थिर प्रौद्योगिकियाँ उस वास्तविकता का विस्तार करती हैं जिसे हम आभासी और "वास्तविक" दुनिया के सम्मिश्रण से या पूरी तरह से स्थिर बनाकर अनुभव करते हैं।
    • चूँकि इन वर्चुअल इंटरैक्शन को सुविधाजनक बनाने के लिये  हेडसेट और अन्य सामग्री अब भी बहुत महँगी है, अतः यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वे नियमित XR बैठकों के लिये अपने कर्मचारियों को सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करें।  प्रारंभिक अनुभव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के एक उन्नत संस्करण जैसा हो सकता है, लेकिन आभासी क्षेत्र में वस्तुओं के बीच अंतःक्रिया करने के साथ ऐसा संभव होगा।
    • आने वाले वर्षों में हम नियमित उपयोगकर्त्ताओं के लिये मेटावर्स के कुछ और व्यावसायिक संस्करण सुलभ होने की अपेक्षा कर सकते हैं। हालाँकि मुख्य चुनौती हार्डवेयर के संदर्भ  में होगी जो लोगों को वास्तविक दुनिया में बिना किसी नुकसान के इन आभासी दुनिया तक पहुँच प्रदान करती है। कम लागत वाला उपकरण एक बड़ी समस्या हो सकता है जो उपयोगकर्त्ता को मेटावर्स में आसानी से लॉग इन करने की सुविधा देता है- यह एक स्मार्टफोन भी हो सकता है। 

Immersive-Computing

AI से संबंधित नैतिक चिंताएँ:

  • समाज में गोपनीयता और निगरानी, ​​पूर्वाग्रह अथवा भेदभाव तथा संभावित रूप से मानवीय निर्णय की भूमिका संबंधी दार्शनिक समस्या उन कानूनी एवं नैतिक मुद्दों में से हैं जिनका मुख्य कारण AI को माना जाता है। आधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग संबंधी चिंता डेटा उल्लंघनों और इसकी अनिश्चितताओं को लेकर है।
  • इस क्रांति का दूसरा पक्ष AI के सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों को लेकर है, विशेष रूप से आधुनिक लोकतंत्रों के प्रमुख आदर्शों के साथ इन विकासशील प्रौद्योगिकियों के सह-अस्तित्व के संबंध में।
  • नतीजतन, AI नैतिकता और AI का सुरक्षित और उत्तरदायित्त्वपूर्ण अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख चिंताओं में से हैं।
  • भारत में AI नैतिकता सिद्धांतों के लिये संवैधानिक नैतिकता की आधारशिला के रूप में कल्पना की गई थी, जिसमें उचित AI परिनियोजन के तहत हमारे संवैधानिक अधिकार एवं लोकाचार सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व हों।

उत्तरदायित्त्वपूर्ण AI के प्रमुख सिद्धांत: 

  • सुरक्षा और विश्वसनीयता: AI प्रणाली को अपने कार्यों में विश्वसनीय होना चाहिये एवं हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक अंतर्निहित सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिये।
  • समानता: AI प्रणाली को यह ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिये कि समान परिस्थितियों में समान लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
  • समावेशिता और गैर-भेदभाव: AI प्रणाली को सभी हितधारकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाना चाहिये तथा शिक्षा, रोज़गार, सार्वजनिक स्थलों तक पहुँच के मामलों आदि के लिये धर्म, जाति, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान या निवास के आधार पर हितधारकों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिये। 
  • गोपनीयता और सुरक्षा: AI सिस्टम को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि डेटा विषयों का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित होना चाहिये, अर्थात् केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपायों के ढाँचे के भीतर निर्दिष्ट एवं आवश्यक उद्देश्यों हेतु व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच प्रदान करना चाहिये।
  • पारदर्शिता का सिद्धांत: AI सिस्टम डिज़ाइन और प्रशिक्षण इसके संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने हेतु कि AI सिस्टम की तैनाती निष्पक्ष, जवाबदेह एवं पूर्वाग्रह या अशुद्धि से मुक्त है, साथ ही सिस्टम का ऑडिट किया जाना चाहिये तथा जाँच में सक्षम होना चाहिये।
  • उत्तरदायित्व का सिद्धांत: चूँकि AI सिस्टम के विकास, तैनाती और संचालन की प्रक्रिया में विभिन्न अभिकर्त्ता हैं, AI सिस्टम द्वारा किसी भी प्रभाव, हानि या क्षति के लिये उत्तरदायी संरचना सार्वजनिक रूप से सुलभ एवं समझने योग्य तरीके से स्पष्ट रूप से निर्धारित की जानी चाहिये।
  • सकारात्मक मानवीय मूल्यों का संरक्षण और सुदृढीकरण: यह सिद्धांत भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के विपरीत AI सिस्टम के उपयोग की रूपरेखा तैयार करने के लिये व्यक्तिगत डेटा के संग्रह के माध्यम से AI सिस्टम के संभावित हानिकारक प्रभावों पर केंद्रित है।

AI

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना 
  2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना 
  3. रोग निदान 
  4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण 
  5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5 
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

परिसीमन

प्रिलिम्स के लिये:

परिसीमन आयोग, सर्वोच्च न्यायालय, अनुच्छेद 82, अनुच्छेद 170, लोकसभा, राज्यसभा

मेन्स के लिये:

भारतीय संविधान, चुनाव, वैधानिक निकाय, परिसीमन प्रक्रिया

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में असम राज्य मंत्रिमंडल ने चार ज़िलों के उनके घटक ज़िलों के साथ विलय को मंज़ूरी दे दी है।

  • 27 दिसंबर को चुनाव आयोग ने असम में विधानसभा और संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया की घोषणा करते हुए कहा कि यह कार्य वर्ष 2001 की जनगणना के आँकड़ों के आधार पर किया जाएगा। असम में वर्तमान में 14 लोकसभा क्षेत्र और 126 विधानसभा क्षेत्र हैं।

परिसीमन

  • परिचय
    • परिसीमन से तात्पर्य किसी देश में आबादी का प्रतिनिधित्त्व करने हेतु किसी राज्य में विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिये निर्वाचन क्षेत्र की सीमाओं का निर्धारण करना है। 
    • इसमें परिसीमन आयोग को बिना किसी कार्यकारी प्रभाव के काम करना होता है।
    • संविधान के अनुसार, आयोग का निर्णय अंतिम होता है और उसे न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती क्योंकि ऐसा करने से चुनाव में हमेशा ही देरी होती रहेगी
    • परिसीमन आयोग के आदेश लोकसभा या राज्य विधानसभा के समक्ष रखे जाते हैं, तो वे आदेशों में कोई संशोधन नहीं कर सकते हैं।
  • आवश्यकता: 
    • जनसंख्या के प्रत्येक वर्ग के नागरिकों को प्रतिनिधित्व का समान अवसर प्रदान करना।
    • भौगोलिक क्षेत्रों का उचित विभाजन ताकि चुनाव में किसी एक राजनीतिक दल को दूसरों की अपेक्षा लाभ न हो।
    • "एक वोट एक मूल्य" के सिद्धांत का पालन करना।
  • संरचना: 

परिसीमन की प्रक्रिया: 

  • प्रत्येक जनगणना के बाद भारत की संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद-82 के तहत एक परिसीमन अधिनियम लागू किया जाता है।
  • अनुच्छेद 170 के तहत राज्यों को भी प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन अधिनियम के अनुसार क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
  • एक बार अधिनियम लागू होने के बाद केंद्र सरकार एक परिसीमन आयोग का गठन करती है।
  • हालाँकि पहला परिसीमन अभ्यास राष्ट्रपति द्वारा (निर्वाचन आयोग की मदद से) 1950-51 में किया गया था। 
  • परिसीमन आयोग अधिनियम 1952 में अधिनियमित किया गया था। 
  • 1952, 1962, 1972 और 2002 के अधिनियमों के आधार पर चार बार वर्ष 1952, 1963, 1973 और 2002 में परिसीमन आयोगों का गठन किया गया है।
  • परिसीमन आयोग प्रत्येक जनगणना के बाद संसद द्वारा परिसीमन अधिनियम लागू करने के बाद अनुच्छेद 82 के तहत गठित एक स्वतंत्र निकाय है।
  • वर्ष 1981 और वर्ष 1991 की जनगणना के बाद परिसीमन नहीं किया गया।

परिसीमन से संबंधित मुद्दे: 

  • जो राज्य जनसंख्या नियंत्रण में कम रुचि लेते हैं उन्हें संसद में अधिक संख्या में सीटें मिल सकती हैं। परिवार नियोजन को बढ़ावा देने वाले दक्षिणी राज्यों को अपनी सीटें कम होने की आशंका का सामना करना पड़ा। 
  • वर्ष 2002-08 तक परिसीमन, जनगणना 2001 के आधार पर की गई थी लेकिन वर्ष 1971 की जनगणना के अनुसार, विधानसभाओं और संसद में तय की गई सीटों की कुल संख्या में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
    • वर्ष 2003 के 87वें संशोधन अधिनियम में निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन का प्रावधान वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर किया गया, न कि वर्ष 1991 की जनगणना के आधार पर। हालाँकि यह लोकसभा में प्रत्येक राज्य को आवंटित सीटों की संख्या में बदलाव किये बिना किया जा सकता है।
  • संविधान ने लोकसभा एवं राज्यसभा सीटों की संख्या को क्रमशः 550 तथा 250 तक सीमित कर दिया है और बढ़ती जनसंख्या का प्रतिनिधित्त्व एक ही प्रतिनिधि द्वारा किया जा रहा है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. परिसीमन आयोग के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. परिसीमन आयोग के आदेश को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है।
  2. जब परिसीमन आयोग के आदेश लोकसभा या राज्य विधानसभा के समक्ष रखे जाते हैं, तो वे आदेशों में कोई संशोधन नहीं कर सकते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (c)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

ऑनलाइन गेमिंग हेतु नियमों का मसौदा

प्रिलिम्स के लिये:

सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021, ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र।

मेन्स के लिये:

ऑनलाइन गेमिंग हेतु नियमों का मसौदा।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने ऑनलाइन गेमिंग के लिये नियमों का मसौदा जारी किया है। 

नियमों का मसौदा: 

  • स्व-नियामक निकाय: 
    • ऑनलाइन खेलों को एक स्व-नियामक निकाय के साथ पंजीकृत करना होगा और निकाय द्वारा मात्र स्वीकृत खेलों को ही भारत में कानूनी रूप से संचालित करने की अनुमति प्राप्त होगी।
      • स्व-नियामक निकाय में ऑनलाइन गेमिंग, सार्वजनिक नीति, सूचना प्रौद्योगिकी, मनोविज्ञान और चिकित्सा सहित विविध क्षेत्रों के पाँच सदस्यों का एक निदेशक मंडल होगा।
    • स्व-नियामक निकाय की संख्या एक या उससे अधिक हो सकती है और उन सभी को पंजीकरण के मानदंडों का विवरण देने वाली एक रिपोर्ट के साथ केंद्र को उन खेलों के बारे में सूचित करना होगा जिन्हें उन्होंने पंजीकृत किया है।
  • अतिरिक्त सावधानी: 
    • ऑनलाइन गेमिंग फर्मों को अतिरिक्त सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी, जिसमें उपयोगकर्त्ताओं के KYC, पारदर्शी निकासी (Transparent Withdrawal) और पैसे की वापसी तथा खेल संबंधी उचित वितरण शामिल है।
    • KYC के लिये उन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा विनियमित संस्थाओं हेतु निर्धारित मानदंडों का पालन करना होगा।
  • रैंडम नंबर जनरेशन सर्टिफिकेट:
    • गेमिंग कंपनियों को एक रैंडम नंबर जनरेशन सर्टिफिकेट भी सुरक्षित करना होगा, जो आमतौर पर उन प्लेटफॉर्म द्वारा उपयोग किया जाता है जो यह सुनिश्चित करने के लिये कार्ड गेम की पेशकश करते हैं कि गेम आउटपुट सांख्यिकीय रूप से यादृच्छिक और अप्रत्याशित हैं।
    • उन्हें एक प्रतिष्ठित प्रमाणित निकाय से "नो बॉट सर्टिफिकेट" भी प्राप्त करना होगा।
  • सट्टेबाज़ी पर प्रतिबंध:
    • ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को खेलों के परिणाम पर सट्टेबाज़ी की अनुमति नहीं दी जाएगी।
  • अनुपालन:
    • सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स कंपनियों की तरह ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म को भी एक अनुपालन अधिकारी नियुक्त करना होगा जो यह सुनिश्चित करेगा कि प्लेटफॉर्म मानदंडों का पालन कर रहा है, एक नोडल अधिकारी जो सरकार के साथ संपर्क अधिकारी के रूप में कार्य करेगा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता करेगा तथा एक शिकायत अधिकारी जो उपयोगकर्त्ता की शिकायतों का समाधान करेगा।

नियम की आवश्यकता:

  • भारत में लगभग 40 से 45% गेमर्स महिलाएँ हैं और इसलिये गेमिंग इकोसिस्टम को सुरक्षित रखना और भी महत्त्वपूर्ण था।
  • यह ऑनलाइन गेमिंग के लिये व्यापक विनियमन हेतु पहला कदम माना जाता है और राज्य-वार विनियामक अंतर को कम करेगा जो उद्योग के लिये एक बड़ी चुनौती थी।
  • भारतीय मोबाइल गेमिंग उद्योग का राजस्व वर्ष 2025 में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
  • यह उद्योग वर्ष 2017-2020 के बीच भारत में 38% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (Compound Annual Growth Rate- CAGR) से बढ़ा, जबकि चीन में यह 8% और अमेरिका में 10% था।
  • VC फर्म सिकोइया और प्रबंधन परामर्श कंपनी BCG की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2024 तक राजस्व में 153 अरब रुपए तक पहुँचने के लिये 15% की CAGR से बढ़ने की उम्मीद है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


शासन व्यवस्था

वन (संरक्षण) नियम 2022

प्रिलिम्स के लिये:

वन और अधिकार क्षेत्र, 42वाँ संशोधन अधिनियम, 1976, मौलिक कर्त्तव्य, वन संरक्षण अधिनियम, 1980, राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत।

मेन्स के लिये:

वन और संबंधित कानून।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes- NCST) के अध्यक्ष ने कहा कि वन (संरक्षण) नियम 2022 में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के उल्लंघन को लेकर NCST का दृष्टिकोण पहले जैसा ही रहेगा, भले ही पर्यावरण मंत्रालय ने इन चिंताओं को खारिज़ कर दिया है।

संबंधित मुद्दे: 

  • वन भूमि के परिवर्तन हेतु सहमति उपखंड: 
    • सितंबर 2022 में अन्य उद्देश्यों के लिये वन भूमि के परिवर्तन हेतु सहमति उपखंड को हटाने का प्रस्ताव करने वाले नए नियमों के प्रावधान पर चिंता जताते हुए आयोग ने सिफारिश की थी कि इन नियमों को तुरंत रोक दिया जाना चाहिये।  
      • जवाब में मंत्रालय ने ज़ोर देकर कहा है कि नियम वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के तहत बनाए गए थे और NCST की इन नियमों के वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के उल्लंघन की आशंका "कानूनी रूप से तर्कसंगत नहीं" थी।
      • मंत्री ने कहा कि दो वैधानिक प्रक्रियाएँ समानांतर थीं और एक-दूसरे पर निर्भर नहीं थीं।
  • ग्राम सभाओं की सहमति: 
    • NCST ने बताया था कि FCR 2022 ने चरण 1 की मंज़ूरी से पहले अनिवार्य रूप से ग्राम सभाओं की सहमति लेने के प्रावधानों को खत्म कर दिया है, इस प्रक्रिया को चरण 2 की मंज़ूरी के बाद पूरा करने के लिये छोड़ दिया है।
      • सरकार के अनुसार, FCR 2022 में पहले से ही वन भूमि के परिवर्तन का प्रावधान है , "केवल वन अधिकार अधिनियम के तहत अधिकारों के निपटान सहित सभी प्रावधानों को पूरा करने एवं अनुपालन के बाद" और ग्राम सभाओं की सहमति को अनिवार्य करने वाले अन्य कानूनों के संचालन पर भी रोक नहीं लगाता है।

वन (संरक्षण) नियम, 2022 के प्रावधान: 

  • समितियों का गठन: 
    • इसने सलाहकार समिति, प्रत्येक एकीकृत क्षेत्रीय कार्यालयों में एक क्षेत्रीय अधिकार प्राप्त समिति और राज्य/केंद्रशासित प्रदेश (UT) सरकार के स्तर पर एक स्क्रीनिंग समिति का गठन किया। 
  • क्षतिपूरक वनीकरण: 
    • पर्वतीय या पहाड़ी राज्य वन भूमि को अपने भौगोलिक क्षेत्र के दो-तिहाई से अधिक कवर करने वाले हरित आवरण के साथ या राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश अपने भौगोलिक क्षेत्र के एक-तिहाई से अधिक को कवर करने वाले वन भूमि केअंतरण में सक्षम होंगे,  इसके अलावा अन्य राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों, जहांँ कवर 20% से कम है, में प्रतिपूरक वनरोपण करना। 
  • निजी वृक्षारोपण की अनुमति:  
    • यह नियम निजी पार्टियों के लिये वृक्षारोपण करने और उस भूमि को उन कंपनियों को बेचने का प्रावधान करता है जो आवश्यक प्रतिपूरक वनीकरण लक्ष्यों से प्रेरित हैं।
      • नवीन नियमों से पहले, राज्य निकाय FAC को दस्तावेज़ अग्रेषित करते थे जिसमें इस स्थिति की जानकारी भी शामिल होती थी कि क्या संबद्ध क्षेत्र में स्थानीय लोगों के वन अधिकारों का निपटान किया गया था। 
  • ग्राम सभा की सहमति की आवश्यकता नहीं:  
    • नए नियमों के अनुसार, एक परियोजना जिसे एक बार FC द्वारा अनुमोदित कर राज्य के अधिकारियों को सौंप दी जाएगी, प्रतिपूरक निधि और भूमि एकत्र करेंगे एवं इसे अंतिम अनुमोदन के लिये संसाधित करेंगे।
      • पहले ग्राम सभा या क्षेत्र के गाँवों में शासी निकाय की सहमति के लिये वन भूमि के परिवर्तन हेतु लिखित सहमति की आवश्यकता होती थी।
  • वनों में निर्माण कार्य की अनुमति:  
    • वन सुरक्षा उपायों और आवासीय इकाइयों (एकमुश्त छूट के रूप में 250 वर्ग मीटर के क्षेत्र तक) सहित वास्तविक उद्देश्यों के लिये संरचनाओं के निर्माण/निर्माण कार्य के अधिकार की अनुमति है। 

भारत में वनों की स्थिति: 

  • परिचय: 
    • भारत वन स्थिति रिपोर्ट, 2021 के अनुसार, कुल वन और वृक्ष आवरण अब 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है, यह वर्ष 2019 के 21.67% की तुलना में अधिक है।
    • वनावरण (क्षेत्रवार): मध्य प्रदेश> अरुणाचल प्रदेश> छत्तीसगढ़> ओडिशा> महाराष्ट्र।
  • श्रेणी: 
    • आरक्षित वन: 
      • आरक्षित वन सबसे अधिक प्रतिबंधित वन होते हैं और राज्य सरकार द्वारा उन वन भूमि या बंजर भूमि पर निर्धारित किये जाते हैं जो सरकार की संपत्ति है।
      • स्थानीय लोगों को आरक्षित वनों में तब तक जाने की अनुमति नहीं है जब तक कि कोई वन अधिकारी बंदोबस्त प्रक्रिया के दौरान उन्हें आधिकारिक तौर पर अनुमति नहीं देता।
    • संरक्षित वन:
      • राज्य सरकार को आरक्षित वनों के अलावा ऐसी किसी भी भूमि को संरक्षित वनों के रूप में गठित करने का अधिकार है, जिस पर सरकार का स्वामित्त्व है और ऐसे वनों के उपयोग के संबंध में नियम जारी करने की शक्ति है।
      • इस शक्ति का उपयोग ऐसे वृक्षों जिनकी लकड़ी, फल या अन्य गैर-लकड़ी उत्पादों में राजस्व बढ़ाने की क्षमता है, पर राज्य का नियंत्रण स्थापित करने के लिये किया जाता है।
    • ग्राम वन:  
      • ग्राम वन वे हैं जिनके संबंध में राज्य सरकार “किसी भी ग्राम समुदाय को किसी भूमि या आरक्षित वन के रूप में सूचीबद्ध भूमि संबंधी अधिकार सरकार को सौंप सकती है।”
    • सुरक्षा का स्तर: 
      • आरक्षित वन > संरक्षित वन > ग्राम वन।
  • संवैधानिक प्रावधान:
    • 42वें संशोधन अधिनियम, 1976 के माध्यम से शिक्षा, नापतौल एवं न्याय प्रशासन, वन, वन्यजीवों तथा पक्षियों के संरक्षण को राज्य सूची से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया था।
    • राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों के तहत अनुच्छेद 48A के मुताबिक, राज्य पर्यावरण संरक्षण व उसको बढ़ावा देने का काम करेगा तथा देश भर में जंगलों एवं वन्यजीवों की सुरक्षा की दिशा में कार्य करेगा।
    • संविधान के अनुच्छेद 51A (g) में कहा गया है कि वनों एवं वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसमें सुधार करना प्रत्येक नागरिक का मौलिक कर्तव्य होगा।

संबंधित पहल

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रश्न 1. भारत में एक विशेष राज्य में निम्नलिखित विशेषताएँ हैं: (वर्ष 2012)

  1. यह उसी अक्षांश पर स्थित है जो उत्तरी राजस्थान से होकर गुज़रती है।
  2. इसका 80% से अधिक क्षेत्र वन आच्छादित है। 
  3. इस राज्य में 12% से अधिक वन क्षेत्र संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क का गठन करता है।

निम्नलिखित में से किस राज्य में उपरोक्त सभी विशेषताएँ हैं? 

 (A) अरुणाचल प्रदेश
 (B) असम
 (C) हिमाचल प्रदेश
 (D) उत्तराखंड

 उत्तर: (A)


प्रश्न 2. राष्ट्रीय स्तर पर अनुसूचित जनजाति और अन्य पारंपरिक वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये कौन सा मंत्रालय नोडल एजेंसी है?  (वर्ष 2021)

 (A) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
 (B) पंचायती राज मंत्रालय
 (C) ग्रामीण विकास मंत्रालय
 (D) जनजातीय मामलों का मंत्रालय

 उत्तर: (D)

स्रोत: द हिंदू


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