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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

मेटावर्स और AI का भविष्य

  • 03 Jan 2023
  • 12 min read

प्रिलिम्स के लिये:

चैटबॉट और इसके प्रकार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मेटावर्स, सोशल मीडिया।

मेन्स के लिये:

मेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता परिदृश्य 2023।

चर्चा में क्यों? 

टेक फर्मों के लिये वर्ष 2022 काफी अच्छा नहीं रहा, फिर भी हम भविष्य में मेटावर्स और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI) से संबंधित नवीन प्रौद्योगिकियों पर काम कर सकते हैं, जो चुनौतियाँ भी बढ़ा सकती हैं और अवसर भी पेश कर सकती हैं।

  • वर्ष 2022 में कोविड-लॉकडाउन के बाद मांग में काफी बदलाव देखा गया।
  • वर्ष 2022 के अंत में सिलिकन वैली की अधिकांश कंपनियों, विशेष रूप से इंटरनेट व्यवसाय में उथल-पुथल के साथ हुआ। 

मेटा-AI की भविष्य की चुनौतियाँ और अवसर:

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता का अधिक व्यापक क्षेत्र :
    • ChatGPT ने विश्व को दिखाया है कि संवादी कृत्रिम बुद्धिमत्ता एक ऐसा विचार है जिसका समय आ गया है।
    • ChatGPT में "अपनी गलतियों को स्वीकार करने, बहस करने और अनुपयुक्त अनुरोधों को अस्वीकार करने" के साथ-साथ "अनुवर्ती पूछताछ" करने की भी क्षमता है। लेकिन इस प्रकार की विशेषता अनेक उत्पादों में पाई जाती है, जो उपयोगी होने की तुलना में मनोरंजक अधिक हैं।
    • वर्ष 2023 में यह बुद्धिमत्ता उन उत्पादों में आती दिखाई देगी जिनका हम हर दिन उपयोग करते हैं, उदाहरण के लिये G-MAIL जो न केवल स्वतः सुझाव देगा बल्कि अगला मेल भी लिखेगा।
  • सोशल मीडिया से परे:
    • युवाओं तथा डिजिटल स्थानीय दर्शकों के बीच ट्विटर एवं फेसबुक प्रासंगिक बने रहने के लिये  संघर्ष कर रहे हैं। सामाजिक जुड़ाव की उनकी अवधारणाएँ अक्सर टेक्स्ट और नोटिस-बोर्ड के बिना बहुत भिन्न होती हैं।
    • उदाहरण के लिये मेटा जानता है कि उसे अपने वर्तमान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से परे सोचना होगा और जब उपयोगकर्त्ता मेटावर्स में जाते हैं, तो वह सामाजिक लिंक बनना चाहता है।
    • लेकिन ऐसा कुछ नहीं है जो जल्द ही परिवर्तित हो जाएगा। तब तक, ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया क्षेत्र में एक अंतराल उभर रहा है, जिसे अब छोटे वीडियो से जुड़े उपयोगकर्त्ताओं द्वारा भरा जा रहा है। उस खंड (सेगमेंट) में सभी प्लेटफॉर्म ठीक भी नहीं हैं और पुराने सिद्धांत भी समाप्त हो जाएंगे 
  • अधिक क्षेत्रीय, गहरे सामाजिक बबल्स (Bubbles):
    • जैसे-जैसे इंटरनेट का प्रसार नए उपयोगकर्त्ताओं तक हो रहा है, खासकर भारत जैसे देशों में भी यह अधिक स्थानीय और बहुभाषी होता जा रहा है।  
    • ऐसा लगता है कि दुनिया भर का इंटरनेट अंग्रेज़ी भाषा में स्थिर हो गया है जिससे गूगल जैसे प्लेटफाॅर्म छोटी, क्षेत्रीय भाषाओं में सेवा देने के अवसरों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने लगे हैं। 
    • यह एक से अधिक तरीकों के साथ एक तकनीकी चुनौती है, लेकिन यह नई तकनीकों का परीक्षण करने का अवसर भी प्रस्तुत करती है जो इन नए उपयोगकर्त्ताओं के लिये इंटरनेट की सामग्री को बिना मानवीय हस्तक्षेप के परिवर्तित कर सकती है।
  • मेटावर्स का भविष्य: 
    • जैसा कि हाइब्रिड वर्कफोर्स आदर्श बन गया है और यात्रा अभी भी पहले की तरह आसान नहीं है, वस्तुतः विस्तारित वास्तविकता (XR) सहयोग और संवाद करने का माध्यम बन सकती है।
      • XR एक नया व्यापक शब्द है जिसमें संवर्द्धित वास्तविकता (Augmented Reality- AR), वर्चुअल रियलिटी (VR) और मिक्स्ड रियलिटी (MR) के साथ-साथ अभी तक विकसित होने वाली सभी तकनीकों को शामिल किया गया है। 
      • सभी स्थिर प्रौद्योगिकियाँ उस वास्तविकता का विस्तार करती हैं जिसे हम आभासी और "वास्तविक" दुनिया के सम्मिश्रण से या पूरी तरह से स्थिर बनाकर अनुभव करते हैं।
    • चूँकि इन वर्चुअल इंटरैक्शन को सुविधाजनक बनाने के लिये  हेडसेट और अन्य सामग्री अब भी बहुत महँगी है, अतः यह कंपनियों पर निर्भर करता है कि वे नियमित XR बैठकों के लिये अपने कर्मचारियों को सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करें।  प्रारंभिक अनुभव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के एक उन्नत संस्करण जैसा हो सकता है, लेकिन आभासी क्षेत्र में वस्तुओं के बीच अंतःक्रिया करने के साथ ऐसा संभव होगा।
    • आने वाले वर्षों में हम नियमित उपयोगकर्त्ताओं के लिये मेटावर्स के कुछ और व्यावसायिक संस्करण सुलभ होने की अपेक्षा कर सकते हैं। हालाँकि मुख्य चुनौती हार्डवेयर के संदर्भ  में होगी जो लोगों को वास्तविक दुनिया में बिना किसी नुकसान के इन आभासी दुनिया तक पहुँच प्रदान करती है। कम लागत वाला उपकरण एक बड़ी समस्या हो सकता है जो उपयोगकर्त्ता को मेटावर्स में आसानी से लॉग इन करने की सुविधा देता है- यह एक स्मार्टफोन भी हो सकता है। 

Immersive-Computing

AI से संबंधित नैतिक चिंताएँ:

  • समाज में गोपनीयता और निगरानी, ​​पूर्वाग्रह अथवा भेदभाव तथा संभावित रूप से मानवीय निर्णय की भूमिका संबंधी दार्शनिक समस्या उन कानूनी एवं नैतिक मुद्दों में से हैं जिनका मुख्य कारण AI को माना जाता है। आधुनिक डिजिटल तकनीकों का उपयोग संबंधी चिंता डेटा उल्लंघनों और इसकी अनिश्चितताओं को लेकर है।
  • इस क्रांति का दूसरा पक्ष AI के सामाजिक-राजनीतिक और आर्थिक प्रभावों को लेकर है, विशेष रूप से आधुनिक लोकतंत्रों के प्रमुख आदर्शों के साथ इन विकासशील प्रौद्योगिकियों के सह-अस्तित्व के संबंध में।
  • नतीजतन, AI नैतिकता और AI का सुरक्षित और उत्तरदायित्त्वपूर्ण अनुप्रयोग प्रौद्योगिकी क्रांति के प्रमुख चिंताओं में से हैं।
  • भारत में AI नैतिकता सिद्धांतों के लिये संवैधानिक नैतिकता की आधारशिला के रूप में कल्पना की गई थी, जिसमें उचित AI परिनियोजन के तहत हमारे संवैधानिक अधिकार एवं लोकाचार सबसे महत्त्वपूर्ण तत्त्व हों।

उत्तरदायित्त्वपूर्ण AI के प्रमुख सिद्धांत: 

  • सुरक्षा और विश्वसनीयता: AI प्रणाली को अपने कार्यों में विश्वसनीय होना चाहिये एवं हितधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक अंतर्निहित सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिये।
  • समानता: AI प्रणाली को यह ध्यान में रखते हुए बनाया जाना चाहिये कि समान परिस्थितियों में समान लोगों के साथ समान व्यवहार किया जाए।
  • समावेशिता और गैर-भेदभाव: AI प्रणाली को सभी हितधारकों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन किया जाना चाहिये तथा शिक्षा, रोज़गार, सार्वजनिक स्थलों तक पहुँच के मामलों आदि के लिये धर्म, जाति, जाति, लिंग, वंश, जन्म स्थान या निवास के आधार पर हितधारकों के बीच भेदभाव नहीं करना चाहिये। 
  • गोपनीयता और सुरक्षा: AI सिस्टम को यह सुनिश्चित करना चाहिये कि डेटा विषयों का व्यक्तिगत डेटा सुरक्षित होना चाहिये, अर्थात् केवल अधिकृत व्यक्तियों को ही इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिये पर्याप्त सुरक्षा उपायों के ढाँचे के भीतर निर्दिष्ट एवं आवश्यक उद्देश्यों हेतु व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच प्रदान करना चाहिये।
  • पारदर्शिता का सिद्धांत: AI सिस्टम डिज़ाइन और प्रशिक्षण इसके संचालन के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करने हेतु कि AI सिस्टम की तैनाती निष्पक्ष, जवाबदेह एवं पूर्वाग्रह या अशुद्धि से मुक्त है, साथ ही सिस्टम का ऑडिट किया जाना चाहिये तथा जाँच में सक्षम होना चाहिये।
  • उत्तरदायित्व का सिद्धांत: चूँकि AI सिस्टम के विकास, तैनाती और संचालन की प्रक्रिया में विभिन्न अभिकर्त्ता हैं, AI सिस्टम द्वारा किसी भी प्रभाव, हानि या क्षति के लिये उत्तरदायी संरचना सार्वजनिक रूप से सुलभ एवं समझने योग्य तरीके से स्पष्ट रूप से निर्धारित की जानी चाहिये।
  • सकारात्मक मानवीय मूल्यों का संरक्षण और सुदृढीकरण: यह सिद्धांत भारत के संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों के विपरीत AI सिस्टम के उपयोग की रूपरेखा तैयार करने के लिये व्यक्तिगत डेटा के संग्रह के माध्यम से AI सिस्टम के संभावित हानिकारक प्रभावों पर केंद्रित है।

AI

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)  

प्रश्न. विकास की वर्तमान स्थिति के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता निम्नलिखित में से क्या प्रभावी ढंग से कर सकता है? (2020)

  1. औद्योगिक इकाइयों में बिजली की खपत को कम करना 
  2. सार्थक लघु कथाएँ और गीत की रचना 
  3. रोग निदान 
  4. टेक्स्ट-टू-स्पीच रूपांतरण 
  5. विद्युत ऊर्जा का वायरलेस संचरण

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2, 3 और 5 
(b) केवल 1, 3 और 4
(c) केवल 2, 4 और 5 
(d) 1, 2, 3, 4 और 5

उत्तर: (b)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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